YOGA SUTRA DICTATES HEYAM DUKHAM ANAGATAM SLOK 16 the misery which is not yet come can and is to be

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यायोग प है

तपः वा याये वर णधानान यायोगः ॥ 1 ॥ समाधभावनाथः लशतनकरणाथ च ॥ 2 ॥

अव याि मताराग वेषाभनवेशा: लेशाः ॥ 3 ॥

अव या म रेषां स ततनवि छ नोदाराणाम ॥ 4 ॥

अन याशचदःखाना मस न यशचसखा म यातरव या ॥ 5 ॥

दशनश योरेका मतवाि मता ॥ 6 ॥

सखानशयी रागः ॥ 7 ॥

दःखानशयी वेषः ॥ 8 ॥

वरसवाह वदषोऽप तथा ढोऽभनवेशः ॥ 9 ॥

ते त सवहयाः स माः ॥ 10 ॥

यानहेया तदव यः ॥ 11 ॥

लशमलः कमाशयो टा टज मवेदनीयः ॥ 12 ॥

सत मल तदवपाको जा यायभगाः ॥ 13 ॥

ते लादपरतापफलाः प याप यहत वात ॥ 14 ॥

परणामतापसं कारदःखगणव वरोधा च दःखमव सवववेकनः ॥15 ॥

हय दःखमनागतम ॥ 16 ॥

ट ययोः सयोगो हयहतः ॥ 17 ॥

काश याि थतशील भति या मकं भोगापवगाथ यम ॥ 18 ॥

वशेषावशेषल

समाधपाद के अनंतर साधनपाद है साधन पाद जनसामा य के लये नद ट है जबक समाधपाद पछले ज म म योग स ध रहे योग ट लोग के लये है जो वतमान ज म म अ प यास से ह उ च समाध क अव था को ा त कर लत ह । इस लेख म म य प से लोक 16 और 26 पर यान आक ट कया गया है क हय दःखमनागतम और ववेक यातरव लवा हानोपा यः के मा यम से नवेदन कया गया है क जो दख अभी आया नह है उसक जानकार हो जाने पर उसको फलत होने से रोका जा सकता है और कन कन क ट को आने से रोका जा सकता है यह भी वणत है िजसक या या अनंतर हैयह
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गमा ाल गान गणपवाण ॥ 19 ॥ टा शमा ः श धोऽप ययानप यः ॥ 20 ॥ तदथ एव य याऽ मा ॥ 21 ॥ कताथ त न टम यन टं तद यसाधारण वात ॥ 22 ॥ व वामश योः व पोपलि धहतः सयोगः ॥ 23 ॥

त य हतरव या ॥ 24 ॥

तदभावा संयोगाभावो

त शेः कैव यम

ववेक यातरव लवा हानोपायः ॥ 26 ॥

त य स तधा ा तभमः ा ॥ 27 ॥

योगा गान ठानादश ध ये ानदि तराववेक यातेः ॥ 28 ॥

यमनयमासन ाणायाम याहारधारणा यानसमाधयोऽ टाव गान ॥ 29 ॥

अहसास या तेय मचयापर हाः यमाः ॥ 30 ॥ जातदेशकालसमयानवि छ नाः सावभौमाः महा तम ॥ 31 ॥

वा याये वर

याफला य वम ॥ 36 ॥

अ तेय त ठायां सवर नोप थानम ॥ 37 ॥

मचय त ठायां वीयलाभः ॥ 38 ॥

अपर ह थय ज मकथंतासंबोधः ॥ 39 ॥

शौचा वा गजग सा परैरसंसगः ॥ 40 ॥

स वश ध सौमन यैका येि यजया मदशन यो य वान च ॥ 41 ॥

सतोषादन मःसखलाभः ॥ 42 ॥

कायेि यस धरश ध या तपसः ॥ 43 ॥

वा यायाद टदेवतासं योगः ॥ 44 ॥

समाधस धर वर णधानात ॥ 45 ॥

ि थरसखमासनम ॥ 46 ॥

य नशैथ यान तसमाप याम ॥ 47 ॥

ततो व वानभघातः ॥ 48 ॥

ति म सत वास वासयोगतव छेदः ाणायामः ॥ 49 ॥

बा या य तर त भव दशकालसं याभःपर टो दघस मः ॥ 50 ॥

बा या य तरवषया पी चतथः ॥ 51 ॥

ततः ीयते काशावरणम ॥ 52 ॥

धारणास च यो यता मनसः ॥ 53 ॥

ववषयास योगे च य व पानकार

॥ 25
हानं
णधानान नयमाः ॥ 32 ॥ वतकबाधने तप भावनम ॥ 33 ॥ वतकाहसादयः कतकारतानमोदता लोभ ोधमोहपवका मदम
तफला
भावनम
॥ अहसा त
सि
यागः
॥ स
शौचसंतोषतपः
या पधमा ा दःखा ानान
इत तप
॥ 34
ठायां त
नधौ वैर
॥ 35
य त ठायां
इवि याणां याहारः ॥ 54 ॥ ततः परमा व यतेि याणाम ॥ 55 ॥ इसके अनंतर वभत पाद 1 से 54 लोक म ह पन च कैव यपाद लोक 1 स 34 लोक म तत ह नवेदक : पि डत धीरे नाथ म , माच 01 ,2023

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