विश्व हिंदी समाचार जून 2022

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डॉ. श्ीमती लीला देिी लकीनारायण, विक्ा, ततीयक

विक्ा, विज्ान एि प्रौद्ोवगकी मत्ालय की स्ायी सविि, श्ीमती िबीना

लोतन एि प्बधक (विक्ा) श्ी वनरजन वबगन त्ा भारतीय उचिायोग

रूप में उपवस्त रिे। पृ. 2 ‘विदी के िवश्वक प्रसार में रामकथा की भवमका’

विषयक अतरा्ण ष्ट्ीय सगोष्ी

11 मई, 2022 को विश्व विदी सवििालय विारा ‘विदी के िरैवश्वक प्सार में रामक्ा की भवमका’

विषयक अतराराष्ट्ीय सगोष्ी का

आयोजन वकया गया। कायराक्रम में

मखय अवतव् के रूप में कला एि सासकवतक धरोिर मत्ी, माननीय श्ी अविनाि वतलक और वििेष अवतव् के रूप में भारतीय उपउचिायक्त,

विषयक एक वदिसीय काय्ण शाला

22 जन, 2022 को विश्व विदी सवििालय ने भारत की सितत्ता

की 75िीं िषरागाँठ के उपलक्य में

विदी में वयगय-लेखन विषय पर एक

वदिसीय कायरािाला आयोवजत

की। कायरािाला के अवतव् िक्ता, भारत के स्ावपत विदी लेखक, सपादक एि विखयात वयगयकार, डॉ. प्म जनमेजय रिे। का यरािाला के उपरात 23 जन, 2022 को सवििालय ने ‘एक िाम, विदी वयगय के नाम’ कायराक्रम का आयोजन वकया। पृ. 4-7

‘विदेशों में विदी अविगम की िनौवतयाँ’

विषयक िेब सगोष्ी 8 मई,

पिरा िररष् विदी वयाखयाता, यवनिवसराटी ऑि टेकसस और कोलवबया यवनिवसराटी, अमेररका, श्ी गगाधरवसि गलिन सखलाल, िररष् प्ाधयापक एि अधयक्, भाषा ससाधन कें द्, मिातमा गाधी सस्ान, मॉरीिस त्ा डॉ. राम प्साद भट्ट, रीडर एि सीवनयर ररसिरा एसोवसएट, एवियन-अफ़्ीका इसटीटयट, िरैमबगरा विश्वविद्ालय, जमरानी उपवस्त ्े।

पृ. 10 डॉ. वदनेश पाठक ‘शवश’ की दो

‘देिीिकर अिस्ी सममान’ से अलकत वकया गया। श्ी अचयतानद वमश् को यि परसकार उनकी आलोिना पसतक ‘कोलािल में

कविता की आिाज’ के वलए वदया गया।

पृ. 15

जाने-माने विद्ान डॉ. रमाकात शकल का वनिन 11 मई, 2022 को देि के जाने माने ससकत के विविान डॉ. रमाकात िकल का 82 िषरा की आय में वनधन िो गया। िषरा 2015 में भारत सरकार ने उनि पद्मश्ी से सममावनत वकया ्ा। विश्व विदी सवििालय त्ा समसत विदी जगत की ओर से पणयातमा

विश्व विदी सवििालय के मित्िपर्ण आयोजन विदी में सिरवित गीतों की प्रसतवत 20 अप्रैल, 2022 को विश्व विदी सवििालय ने ‘विदी में सिरवित गीतों की प्सतवत’ का आयोजन वकया, वजसमें कला एि सासकवतक धरोिर मत्ालय की स्ायी सविि,
की ववितीय सविि (विदी एि ससकवत) श्ीमती सनीता पािजा समारोि में गणमानय अवतव् के
श्ी जनेि केन उपवस्त रिे। पृ. 3-4 ‘विदी में वयगय-लेखन’
2022 को केंद्ीय विदी सस्ान, अतराराष्ट्ीय सियोग पररषद त्ा विश्व विदी सवििालय के ततिािधान में िरैवश्वक विदी पररिार विारा ‘विदेिों में विदी अवधगम की िनरौवतयाँ’ विषय पर एक िेब सगोष्ी का आयोजन वकया गया। इस अिसर पर विविष्ट िक्ता के रूप में प्ो वजष्ण िकर,
पसतकों का लोकाप्णर 24 अप्रैल, 2022 को म्रा में राष्ट्िादी िररष् सावितयकार डॉ. वदनेि पाठक ‘िवि’ के लघक्ासग्रि ‘सतय का बोध’ त्ा अग्रेजी बाल किानी-सग्रि ‘्ैंकय मम’ का लोकापराण विलम अवभनेत्ी और सासद, माननीया श्ीमती िेमा मा वलनी के िा्ों वकया गया। पृ. 12 श्ी अचयतानद वमश् को प्रवतवष्त देिीशकर अिसथी सममान 4 अप्रैल, 2022 को रिींद् भिन में वस्त सावितय अकादमी सभागार में आयोवजत समारोि में सावितयकार अचयतानद वमश् को प्वतवष्त
को
श्दाजवल। पृ. 15 इस अक में आगे पढ़ें : • कार्यशाला/सगोष्ठी/गोष्ठी/वेब सगोष्ठी/ कावर गोष्ठी/ सवाद/रचना-पाठ/चचा्य प. 7-12 • लोकाप्य ण प. 12-15 • सम्ान एव परसकार प . 14-15 • श्रदाजलल प. 15 • सपादकीर प. 16 ISSN 1694-2485 वष: 15 अंक: 58 जून, 2022 लव श्व ल ि द ठी स लच वाल र , ् ार ठी शस का त्रै ् ा लस क स चना-प त् Vishwa Hindi Samachaar व व श्व हि दी समाचार Vishwa Hindi Samachaar लव श्व ल ि द ठी स लच वाल र , ् ॉर ठी शस का त्रै ् ा लस क स चना-प त् Newsletter WHS June 2022 v2.indd 1 07/06/2023 11:50:35
भािभीनी

2022 को विश्व विदी सवििालय ने विक्ा, ततीयक विक्ा, विज्ान एि प्रौद्ोवगकी मत्ालय त्ा भारतीय उचिायोग, मॉरीिस के सयक्त ततिािधान में और कला एि सासकवतक धरोिर मत्ालय, साविवतयक, सासकवतक िोध सस्ा, रामायण सेंटर एि

रामायण सेिा सदन के सियोग से ‘विदी के

िरैवश्वक प्सार में रामक्ा की भवमका’ विषयक

अतराराष्ट्ीय सगोष्ी का आयोजन वकया।

सगोष्ी का िभारमभ दीप-प्जजिलन से िआ।

मखय अवतव् के रूप

में उपवस्त कला एि

सासकवतक धरोिर

मत्ी, माननीय श्ी

अविनाि वतलक ने सवििालय की इस

गवतविवध की सरािना की। उनिोंने अपने

उद्ोधन में किा वक “्यलद हम अपनी भाषा -

लहदी को जील्वत रखना िाहते हैं, तो इसका उत्तरदाल्यत्व माता-लपता का है। हमें ही पहि करनी िालहए। हमें रामा्यण के माध्यम से लहदी को बढ़ा्वा देने का सकलप िेना िालहए। रामा्यण के ्यद्ध की भाँलत हमारे दैलनक जी्वन

में भी हम ्यद्ध का सामना करते रहते हैं, परत धम्य रूपी धनष के माध्यम से हम अपने दैलनक जी्वन के इस ्यद्ध पर ल्वज्य पा सकते हैं।”

वििेष अवतव्, भारतीय उपउचिायक्त, श्ी

जनेि केन ने अपना िक्तवय देते िए रामक्ा

को आदिरा जीिन

की क्ा बताया।

उनिोंने किा वक

“जी्वन के हर पहि

में रामक्ा की

झिक पाई जाती है

त्ा ्वह भारती्य ससकलत का मिाधार है।

रामक्ा भारत और मॉरीशस जैसे देशों की

अलसमता है। तिसीदास ने रामिररतमानस की

रिना आसान भाषा में की, लजससे श्ी राम जी

का सदेश हर लकसी के पास पहिा।”

समारोि के आरभ में विश्व विदी सवििालय

की उपमिासविि, डॉ. माधरी रामधारी ने

रेखावकत वकया और किा “लहदी सालहत्य की स्ववोत्तम रिना रामिररतमानस के आधार पर ल्वश्व में रामक्ा का प्रििन हआ। जहाँ भी रामक्ा के सा् जड़ने का उतसाह जागा,

भी करता है।”

की प्ासवगकता पर प्काि डालते िए किा वक “रामिररतमानस की रिना कई शताल्द्याँ पहि हई, पर ्यह ग्् उतना ही न्या है, लजतना भलति ्यग में ्ा। आज भी जन-कल्याण के िक््य

आज के यग

(विक्ा), श्ी वनरजन वबगन ने अपना सदेि देते िए बचिों के वयाििाररक जीिन में माता-वपता के कतरावयों त्ा रामक्ा एि विदी के अतससंबध पर बल वदया और किा “्यलद मातालपता िाहते हैं लक उनके बचिे कि प्रगलत करें, तो उनह अपने बच िों के व्यलतित्व-लनमा्यण ए्व िररत्रलनमा्यण में लन्वेश करना िालहए, तालक उनका एक सखद भल्वष्य बने।

एक ्वट-्वक् है, तो लहदी उसकी छा्या है। लहदी का उनन्यन रामक्ा के उनन्यन में लनलहत है।”

साविवतयक, सासकवतक िोध सस्ा के सविि त्ा सठाई कॉवलज एि मबई विशिविद्ालय के विदी विभागाधयक्, श्ी प्दीप कमार वसि ने सस्ा की जानकारी देते िए किा वक “सालहलत्यक,

इस अिसर पर रामायण सेंटर के विद्ाव्यों ने रामिररतमानस के ‘भरत वमलाप’ और ‘अयोधया िापसी’

भाषा को विश्व भाषा के रूप में प्वतवष्त कराने में रामक्ा के योगदान पर बात की। उनिोंने किा वक “श्ी रामिररतमानस के गा्यन, मनन, अनपािन के माध्यम से ही ल्वश्व सतर पर लहदी भाषा का प्रिार-प्रसार हो रहा है। हमारे प्व्यजों ने दारुण पररलस्लत्यों को झेिते हए भी रामिररतमानस को सजोए रखा।”

इस अिसर पर रामायण सेिा सदन की सदसयाओ ने रामिररतमानस के ‘सदरकाणड’ प्सग के आधार पर एक दोिा और एक िरौपाई की मनभािन प्सतवत की।

प्सतवत के उपरानत, रामायण सेिा सदन की अधयक्ा, डॉ. राजिती मातावदन ने ‘विदी के प्िार में रामायण सेिा सदन की

3 वष: 15 अंक: 58 जून, 2022 पृष्ठ: में रामायण सेंटर की भवमका’ विषय पर िक्तवय वदया। उनिोंने किा वक “रामा्यण सेंटर न के ्वि रामा्यण के आदशशों और मल्यों के प्रिार-प्रसार में, बललक लहदी भाषा के उनन्यन में भी का्य्यरत है, लजनमें रामिररतमानस का सिारु रूप से पठन त्ा व्याख्या की कक्ाएँ सल्मलित हैं। ्यह सेंटर लन्यलमत रूप से राम क्ा पर आधाररत पसतकों का प्रकाशन और रे लि्यो पर ्वाता्यओ का प्रसारण
सासकलतक शोध सस्ा रामक्ा के प्रिार में परे ल्वश्व में भ्रमण कर रही है। इस दौरान हमने पा्या लक भाषा के सा्-सा् हमें हर जगह राम ससकलत ही लमिी। रामक्ा का ल्वश्व सदभ्य में लनमा्यण करना सस्ा का िक््य ्ा। इस सदभ्य में प्र्म खणि ‘िोकगीत और िोकक्ाओ में रामक्ा का ल्वश्व सदभ्य कोश’ का िोकाप्यण लक्या जा िका है। इसका लविती्य, तती्य और ित््य खणि इस ्वष्य के अत में िोकालप्यत लक्या जाएगा। राम की क्ा परे ल्वश्व में फै िी हई है।” इसके पश्ात भारत से आए सेिावनित् पी.सी.एस. अवधकारी, श्ी सरे ि िद् वतिारी ने विदी
लहदी जानने, सीखने और समझने की ििक भी उतपनन हई।
से ल्वश्व भर की अनेक सस्ाएँ प्रत्यक् रूप से रामक्ा और अप्रत्यक् रूप से लहदी भाषा के प्रिार में सिगन हैं।” विक्ा, ततीयक विक्ा, विज्ान एि प्रौद्ोवगकी मत्ालय के प्बधक
भवमका’ पर िक्तवय को
्वहाँ
” उनिोंने
में रामिररतमानस
रामिररतमानस
प्सग के आधार पर दोिा 3 और 4 की सदर प्सतवत दी। रामायण सेंटर की अधयक्ा, डॉ. विनोद बाला अरुण ने िीवडयो के माधयम से ‘विदी के िरैवश्वक प्सार 11
मई,
विदी को रामिररतमानस से जोड़ते िए उसके मित्ि ‘हंदी के ्वचविक प्रसॉर में रॉमकथॉ की भचमकॉ’ ह्वषयक अतरॉराष् ीय सगोष्ी Newsletter WHS June 2022 v2.indd 3 07/06/2023 11:50:40

वदया। उनिोंने रामायण सेिा सदन के उद्शय का

उललेख वकया और किा वक “से्वा सदन लहदी

भाषा और ससकलत के

माध्यम से बचिों में

मान्वी्य गण पलषपत और

पलिल्वत करता है। लहदी

भाषा ए्व ससकलत को

बढ़ाने के लिए रामक्ा

की भलमका को सदृढ़

बनाकर सदन राम के प्रसगों का मिन करके जन

मानस पर लिरस्ा्यी प्रभा्व िािता है।”

इसके बाद, साविवतयक, सासकवतक िोध सस्ा के

अधयक्, डॉ. बनिारीलाल जजोवदया ‘य्ा्रा’ ने

अपना आलेख प्सतत वकया। उनिोंने किा वक

“राम क्ा धालम्यक

होते हए भी, स्वतत्र

रूप से सत्य की खोज

भी है। उसमें तक्य शास्त्र

और प्रमाणशास्त्र का

समोलित प्र्योग हआ

है और िोक-कल्याण

का ध्यान रखा ग्या है। रामिररतमानस में लनलहत

लहदी स्वादों ने ही लहदी के ्वलश्वक प्रसार में महती

भलमका लनभाई है।” उनिोंने रामिररतमानस में

मयारावदत जीिन दिरान के आधार पर विश्व मानि धमरा

सविधान बनाने का प्सताि रखा, वजसके अतगरात

वबना जावत धमरा के सािराजवनक जीिन िेत समान

वनयम लाग वकए जाएँ।

टी.एम.बी. विशिविद्ालय, भागलपर, वबिार के

सदरिती मविला कॉवलज के विदी विभाग की

एसोवसएट प्ोिेसर, डॉ. आिा वतिारी

ओझा ने अपने वििार

वयक्त करते िए किा

वक “लहदी मात्र एक

भाषा ही नहीं, ्वरन

एक ससकलत त्ा एक

ससकार भी है। जहाँ-जहाँ रामक्ा है, ्वहाँ-्वहाँ

लहदी भाषा तरलगत होती रहती है। रामिररतमानस ने

िोक ्वाङ्म्य में रामक्ा को जन-जन तक पहिा्या

और लहदी को ल्वश्व मि पर प्रलतलष्ठत कर लद्या।”

लोक गीतों की

गावयका एि

लेवखका, डॉ. नीत

कमारी निगीत ने

‘लोक गीतों में प्भ

श्ी राम और माता

सीता का जीिन’ विषय पर वयाखयान वदया। उनिोंने

लोक गीत सनाकर श्ी राम और माता सीता के

जीिन में जड़ाि को सगीतबद वकया और किा वक

“रामिररतमानस के माध्यम से आने ्वािी पीढ़ी में

भलति, ससकार, िेतना, नैलतकता और मान्व मल्यों

का सिरण हो सकता है।”

अवतव्यों को विश्व कोि, िीलड त्ा दिाला से सममावनत वकया गया।

के अत में गोरखपर

है, जो गित होता है और सही बात की तरफ़ इशारा करता है।”

कायरािाला के अवतव् िक्ता, स्ावपत विदी लेखक, सपादक एि विखयात वयगयकार, डॉ. प्म जनमेजय ने अपना िक्तवय प्सतत करते िए ‘वयगय की अिधारणा’

विषय पर बात की। उनिोंने वयगय को िेतना के रूप में पररभावषत वकया और किा वक “व्यग्य मनष्य के सलशलक्त होने और भाषा की शलति का पररिा्यक है। व्यग्य बौलधक िेतना का शखनाद है। लजसे व्यग्य की समझ न हो, व्यग्य उसके लिए नहीं है। व्यग्य एक हल््यार है, जो व्यलति और पररलस्लत के अनसार अलभव्यति होता आ्या है और अपने स्वरूप को ल्वकलसत करता आ रहा है। पहि तो व्यग्य मात्र एक श्द-शलति ्ा, परत ्वह ्वाक्यों, प्रसगों त्ा अब एक रिना के रूप में सब के समक् आ्या है।”

विक्ा, ततीयक विक्ा, विज्ान एि प्रौद्ोवगकी मत्ालय के प्बधक (विक्ा), श्ी वनरजन वबगन ने अपना िक्तवय वदया। उनिोंने किा “लजस

सादगी से व्यग्य को प्रसतत लक्या जाता है, उसका

प्रभा्व सीधे हृद्य पर पड़ता है। व्यग्य मीठी छरी की तरह है।” उनिोंने वयगय विधा को मनष्य के मवसतष्क

सवििालय की उपमिासविि, डॉ. माधरी रामधारी ने अपना सिागत िक्तवय वदया। उनिोंने विद्ाव्यों के वलए वयगय-लेखन पर बात करते िए किा “मॉरीशस में लहदी सालहत्य का अध्य्यन माध्यलमक

को प्भावित करने िाली िरैली के रूप में पररभावषत वकया।

कायराक्रम के दरौरान मॉरीिस विश्वविद्ालय एि मिातमा गाधी सस्ान के बी.ए. विदी - प््म िषरा के विद्ाव्यों सश्ी खिब नरौजी, सश्ी मीनाक्ी देिी दोमा, सश्ी सजना जद एि सश्ी भावयिी रामेसर इमररत ने वयगयकार, डॉ. प्म जनमेजय

4 वष: 15 अंक: 58 जून, 2022 पृष्ठ: इस उपलक्य में आमवत्त अवतव्यों के िा्ों रामायण सेिा सदन के उपाधयक् और अधयक्ा त्ा साविवतयक, सासकवतक िोध सस्ा के सविि को प्माण-पत् वदया गया। सा् िी, साविवतयक, सासकवतक िोध सस्ा की ओर से गणमानय
के वसविल कोटरा के एडिोकेट, श्ी रमा िकर िकल ने धनयिाद-ज्ापन वकया। लवश्व लिदठी सलचवालर की ररपोर ‘हंदी में
22 जन, 2022 को विश्व विदी सवििालय विारा भारत की सितत्ता की 75िीं िषरागाँठ के उपलक्य में ‘विदी में वयगय-लेखन’ विषय पर एक वदिसीय कायरािाला आयोवजत की गई। कायरािाला के उद्ाटन सत् में विश्व विदी
पाठशािाओ में और ल्वश्वल्वद्ाि्यी सतर पर लक्या जाता है। माध्यलमक पाठशािा में ल्वद्ा्थी कहानी, नाटक और उपन्यास पढ़ते हैं और ल्वश्वल्वद्ाि्यी सतर तक पहिने पर ्व सालहत्य के अन्य रूपों से अ्वगत होते हैं और व्यग्य ल्वधा का अध्य्यन करते हैं। इस का्य्यशािा के माध्यम से व्यग्य-िेखन में उनका ज्ान बढ़ेगा।” इस अिसर पर भारतीय उचिायोग की ववितीय सविि, श्ीमती सनीता पािजा ने अपना िक्तवय वदया। उनिोंने किा वक “व्यग्य, सालहत्य की ऐसी ल्वधा है, लजसका आिोिनातमक प्रभा्व होता है। व्यग्य उस पर िोट करता
समारोि
वयगय-लेखन’ ह्वषयक एक हद्वसीय कॉयराशॉलॉ
‘विदी मा् की
नामक लघक्ा का नाटय
विारा रवित
वबदी’
Newsletter WHS June 2022 v2.indd 4 07/06/2023 11:50:43

प्सतत वकया, वजसने सभी को मत्मगध

वदया।

बी.ए. विदी - ववितीय िषरा के विद्ाव्यों ने वयगय

के माधयम से डॉ. प्म जनमेजय की वयगय-

को दिाराया। श्ी लविि वसि रोघिा, श्ी

कमार रामवदन एि सश्ी श्ािणी वबिारी ने

‘िि गध किाँ िरै’ िीषराक वयगय की सदर प्सतवत

की।

बी.ए. विदी - ततीय िषरा के विद्ाव्यों सश्ी पिारा

देिी रामवदन, सश्ी िेश्वरी देिी राजकमार, सश्ी भारती दिोनारायण त्ा सश्ी परीना परसोनला ने

डॉ. प्म जनमेजय विारा रवित वयगय नाटक ‘सोते

रिो’ की प्सतवत की।

विश्व विदी सवििालय की उपमिासविि, डॉ.

माधरी रामधारी ने उद्ाटन-सत् के समापन में

आभार-ज्ापन वकया।

कायरािाला के ववितीय सत् और ततीय सत् में डॉ.

प्म जनमेजय ने ‘विदी में वयगय-लेखन - सिरूप

एि परपरा’ विषय पर बात करते िए किा वक

“व्यग्य का मि स्वर ल्वरोध होता है। लजस रिना में

ल्वरोध नहीं है, ्वह व्यग्य रिना नहीं है। व्यग्य एक

ल्व्वशताजन्य हल््यार है। सामालजक आदशशों से

्यति, गहन लिता स्पनन त्ा लदशा ्यति अचछी

रिना लिखना कलठन होता है। मान्व समाज को

एक अचछी लदशा देना त्ा सम्य की ल्वसगलत्यों

को उद्ालटत कर आिोिनातमक दृलटि से लदशा

्यति सा््यक व्यग्य रिना एक अचछी रिना होती

है।” उनिोंने ससकत सावितय, विदी सावितय एि

पाश्ातय सावितय में वयगय की उतपवत् पर बात की।

उनिोंने उपयक्त वयगयकार की पररभाषा देते िए किा

“व्यग्यकार की सबसे बड़ी िनौती ्यही है लक ्वह

कैसे आिोिनातमक त्ा आक्रोशपण्य भा्व को

प्रघात लिलकतसा में परर्वलत्यत करे।” उनिोंने विदी

सावितय के विवभनन कालों में विविानों को उदत करते िए वयगय-लेखन के बदलते सिरूप को रेखावकत वकया।

ववितीय सत् का मि-सिालन मिातमा गाधी सस्ान के विदी विभाग की वयाखयाता, डॉ. तनजा पदार्वबिारी ने वकया त्ा ततीय सत् का मि-सिालन मिातमा गाधी सस्ान के विदी विभाग की िररष् वयाखयाता, डॉ. लक्मी झमन ने वकया।

का सभी ने िाभ

में व्यग्य का प्र्योग हआ। मनोल्वज्ान तो व्यग्यकार का ही होगा, व्यग्य तो श्दों में उस मनोल्वज्ान की अलभव्यलति मात्र है। लफर पाठक का मनोल्वज्ान आता है लक ्वह कैसे व्यग्य को ग्हण करता है।” ित्रा सत् के अतगरात डॉ. जनमेजय ने ‘विदी में वयगय-लेखन - भाषा एि िरैली’ पर अपना िक्तवय वदया। उनिोंने किा वक “भाषा का किातमक रूप

पराना रूप ग्ीक और रोमन सालहत्य में लमिता है, लजसे लमलिलप्यन शैिी कहा जाता है। पहि त्ा आज

व्यग्य की भाषा सभ्य बनने िगी।” ित्रा सत् का मि-सिालन मिातमा गाधी सस्ान के विदी विभाग की िररष् वयाखयाता, डॉ. अलका धनपत ने वकया। सा् िी, सवििालय की उपमिासविि, डॉ. माधरी रामधारी ने समापन-िक्तवय देते िए डॉ. प्म जनमेजय विारा वदए गए वििारों को पन: प्सतत वकया -“व्यग्य हल््यार है, आप हल््यार बदर के हा् में देंगे, तो ्वह आपको काट देगा, हल््यार सैलनक के हा् में भी होता है और हल््यारे के हा् में भी होता है, बलद्धमान व्यलति सैलनक बनकर हल््यार का प्र्योग करता है।” आगे उनिोंने

किा“व्यग्य जहाँ आर्भ होता है, ्वही समाप्त होता

है। व्यग्य रिना नाल्वक के लिए तीर के समान है।

व्यग्य को आक्रातमक बनाने ्वािी, उसकी भाषा है

त्ा व्यग्य की भाषा बहते नीर की तरह है। व्यग्य में

एका््य नहीं होता अन्या््य होता है। व्यग्य पाठक को ल्वरोध का ससकार देता है।” उनिोंने कायरािाला की सा्राकता सपष्ट की। मिातमा गाधी सस्ान की वनदेविका, डॉ. विद्ोतमा

कजल ने अपना

उठा्या।”

‘विदी में वयगय-लेखन’ विषयक एक वदिसीय कायरािाला के दरौरान आयोवजत पररििारा-सत्ों के अतगरात डॉ. प्म जनमेजय ने विद्ाव्यों विारा पछे

गए प्श्ों को सलझाया। सा् िी, कई विक्कों ने भी प्श् वकए, वजनके उत्र डॉ. प्म जनमेजय विारा प्सतत वकए गए।

कायरािाला के अत में प्वतभावगयों को प्माण-पत्

प्दान वकया गया। डॉ. अलका धनपत ने धनयिादज्ापन वकया।

लवश्व लिदठी सलचवालर की ररपोर

एक शॉम, हंदी वयगय के नॉम

23 जन, 2022 को विश्व विदी सवििालय ने भारत की सितत्ता की 75िीं िषरागाँठ के उपलक्य में ‘एक िाम, विदी वयगय के नाम’ का आयोजन वकया। कायराक्रम का आयोजन विक्ा, ततीयक विक्ा, विज्ान एि प्रौद्ोवगकी मत्ालय और भारतीय उचिायोग, मॉरीिस के ततिािधान में त्ा कला एि सासकवतक धरोिर मत्ालय और मिातमा गाधी

5 वष: 15 अंक:
जून, 2022 पृष्ठ:
कर
58
रूपातरण
प्सतवत
प्वतभा
यगम
ततीय सत् ‘वयगय का मनोविज्ान’ विषय पर त्ा ित्रा सत् ‘विदी में वयगय लेखन - भाषा एि िरैली’ पर
डॉ.
पर
दैलनक जी्वन में व्यग्य का प्र्योग हआ, लफर िोक जी्वन में आ्या। ततपश्ात सालहत्य
भी
का
भी लमलिलप्यन शैिी व्यग्य के लिए प्र्योग में आने ्वािी उग् भाषा पद्धलत है। तब धीरे-धीरे
आधाररत रिा।
जनमेजय ने ‘वयगय का मनोविज्ान’ विषय
बात करते िए किा वक “पहि
्वह सालहत्य रिना में भा्व को आगे ल्वकलसत
करता है। पलश्मी सालहत्य में व्यग्य की भाषा
सबसे
िक्तवय देते िए किा वक “व्यग्य-िेखन अपने ल्विार को व्यति करने का एक सफि ्व सशति माध्यम बन ग्या है। व्यग्य के माध्यम से कहानी, कल्वता ्या लकसी भी ल्वधा का प्रभा्व बढ़ जाता है।” मिातमा गाधी सस्ान के विदी विभाग की अधयक्ा त्ा िररष् वयाखयाता, डॉ. अजवल वितामवण ने कायरािाला में उठाए गए वबदओ का समािार प्सतत वकया और किा वक “व्यग्य की इस का्य्यशािा
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सस्ान के सियोग से वकया गया। समारोि का

आरमभ दीप-प्जजिलन से िआ।

समारोि के आरमभ में विश्व

विदी सवििालय की

उपमासविि, डॉ. माधरी

रामधारी ने अपना सिागत

िक्तवय वदया और किा

वक“मनष्य के जी्वन को

लनखारने और समाज का लहत करने के उद्श्य से

उपहास और आिोिना को सा् िेकर लहदी में

व्यग्य लिखा जाता है। आज के का्य्यक्रम में इस मि

से भारत और मॉरीशस के सालहत्यकारों की

प्रलतलनलध व्यग्य-रिनाएँ प्रसतत की जाएँगी।”

विश्व विदी सवििालय की िासी पररषद के सदसय, मॉरीिसीय विदी सावितयकार और विदी सगठन के अधयक्, डॉ. उदय नारायण गग ने ‘मेरे परखों की

भाषा’ वयगय-कावय का पाठ

वकया। इस वयगय में उनिोंने

विदी भाषा पढ़ने से सबवधत

परखों के ििन को समरण

करने का प्ोतसािन वदया।

मॉरीिस के िररष्

सावितयकार, डॉ. बीरसेन

जागावसि ने अपनी वयगय

रिना ‘समझरौता का फेर’ का

पाठ वकया। इस वयगय रिना

में इस बात की पवष्ट की गई िरै वक समझ-समझकर

यवद न समझेंगे, तो समझ का फेर िोता िरै त्ा

नासमझी का पररणाम भगतना िी पड़ता िरै।

स्ावपत मॉरीिसीय सावितयकार, श्ी रामदेि

धरधर ने सिराप््म अपने वििार रखते िए यिा

पीढ़ी को वयगय की रिना

करने िेत प्ररत वकया और

किा “्यलद हमारे ल्वद्ा्थी

व्यग्य ल्वधा में रुलि िेकर

व्यग्य लिखें, तब मॉरीशस

का लहदी सालहत्य अलधक

पररषकत होगा।” ततपश्ात उनिोंने अपनी दो

रिनाओ ‘अटकलबाजी में भगिान’ एि ‘पािाली

का िीरिरण’ का पाठ वकया।

स्ावपत विदी लेखक, डॉ.

िेमराज स नदर ने अपनी दो

वयगय रिनाओ ‘पॉकेटमार

सतों से सािधान’ और ‘यि

कया बात िई जनाब?’ का

पाठ वकया। उनिोंने वयगय के

माधयम से पॉकेटमार सतों के प्वत सािधानी बरतने

का परामिरा वदया

और अपनी दसरी रिना में

वयगयातमक िरैली में कटाक् वकया।

स्ावपत विदी लेवखका, श्ीमती कलपना लालजी ने

‘कोविड’ वयगय िाइक का

पाठ वकया। इसमें उनिोंने

निोवदत विदी लेखक, डॉ. सोमदत् कािीना्

मवलटपपवोस एजके िनल एसोवसएिन की अधयावपका त्ा छात् सश्ी कविता गोबदन, श्ी रे िि लखन, सश्ी मीठी वकष्टो त्ा सश्ी खिी खेद ने विदी वयगयकारों की दसरी

श्ी अरविद भजन, श्ी यिीराज सनमखया एि श्ी वििाल नापोल (यत्िादक), डॉ. िेलाना रामड (नतय-वनदिक, अधयक्ा, सी.पी.डी., एम.जी.आई.), श्ीमती मनीषा विारका, श्ीमती वित्ा वमतआ, श्ीमती वमता वबिारी, श्ीमती जबीन रामगलाम लोवबन, श्ीमती अरुणा देिी ित् और श्ीमती िकीला िलाि (नतय कलाकार, एम.जी.आई.) ने भारतीय वयगयकारों में प्वसद, श्ी वगरीि पकज विारा रवित गजल की रमणीय प्सतवत दी।

श्ी ररतेि मोिाबीर, सश्ी पजा रामदािोर त्ा सश्ी रवक्ता रामधारी ने भारत के प्खयात सपादक, लेखक और वयगयकार, डॉ. प्म जनमेजय कत ‘कयों िप तेरी मिविल में?’ वयगय नाटक का मिन वकया। इस मिन विारा प्रौद्ोवगकी के बढ़ते प्भाि त्ा समय के अभाि पर बल वदया गया। इस अिसर पर डॉ. प्म जनमेजय एि श्ीमती आिा कद्ा जनमेजय के िा्ों डॉ. उदय नारायण गग, डॉ.

6 वष: 15 अंक: 58 जून, 2022 पृष्ठ:
‘कोविड’ मिामारी के प्भाि को
दिाराया।
ने ‘भया, पररवस्वत बदल गई’ िीषराक पर वयगय कविता का पाठ वकया। इसमें उनिोंने पररवस्वत के सा् लोगों के बदलते सिभाि का बखान वकया। निोवदत विदी रिनाकार, सश्ी प्रणा आयरानायक ने ‘अब किीं न आना-जाना, ऑनलाइन िो गया जमाना’ का पाठ वकया। इसमें उनिोंने ऑनलाइन िोने की प्िवत् के कारण पररवस्वत में आए बदलाि को रेखावकत वकया। अवतम प्सतवत डॉ. प्म जनमेजय की रिी। उनिोंने अपनी वयगय-रिना ‘कबीरा कयों खड़ा बाजार में’ का पाठ वकया, वजसमें उनिोंने कबीरा को मासक लगाने त्ा उतारने से जोड़ा िरै। सा् िी, उनिोंने वयगय में बाजारिाद पर भी अपने वििार वयक्त वकए। कायराक्रम में आधवनक विदी सावितय के जनक, श्ी भारतेंद िररश्द् विारा रवित ‘अधेर नगरी िरौपट राजा’ का मिन वकया गया। िाकिा रग भवम कला मवदर के कलाकारों, श्ी राजेश्वर वसतोिल, श्ी मणाल घराि एि श्ी कष्णानदवसि रामधनी ने वयगय नाटक का सदर मिन
बदाबन
पीढ़ी में प्वसद श्ी िररिकर परसाई कत ‘समझरौता’ वयगय रिना का मिन वकया। डॉ. राके ि श्ीवकसन त्ा श्ी जयगणेि दाउवसि ने भारतीय वयगयकारों में तीसरी श्णी में आने िाले श्ी नरें द् कोिली विारा रवित ‘रामलभाया की परे िानी’ का सदर मिन वकया। श्ी इद्सेन आनद घनिाम त्ा श्ी प्काि िरनोम ने वयगयकारों में तीसरी पीढ़ी में आने िाले श्ी िररि निल विारा रवित ‘ितरामान समय और िम’ का मिन वकया। इस वयगय-रिना की प्सतवत विारा लोगों को ईमानदारी प्ाप्त करने की सीख दी गई। समारोि के दरौरान श्ी वििाल मगरू (गायक, एम. जी.आई.), श्ी आनद ित्,
वकया।
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वििार वयक्त वकए। समारोि में कई गणयमानय

अवतव् उपवस्त रिे। धन यिाद-ज्ापन डॉ. िावलनी

पाणडे य ने त्ा मि-सिालन डॉ. अिराना वत्पाठी

ने वकया।

साभार : डॉ. अलनल सलभ की ररपोर

डॉ. मोिन बैरागी को वमला प्रकाड

विद्ान रािल सासक्यायन सममान

14 जन, 2022 को इवजपट, काविरा ििर के वगजा

में वस्त वपरावमड पाकरा ररसोटरा में एक भवय

आयोजन में मधय प्देि, उजजरैन के डॉ. मोिन

बरागी को विदी के प्काड विविान रािल साकतयायन

सममान से विभवषत वकया गया। डॉ. मोिन बरागी

विारा अलप समय में विदी में विवभनन विधाओ में

लेखन त्ा उतकष्ट सावितय के वलए यि सममान

वदया गया। यि सममान वमस्र देि त्ा भारत के

विविानों ि सावितयकारों त्ा प्िासवनक

अवधकाररयों के कर-कमलों से वदया गया।

भारतीय प्िासवनक सेिा त्ा छत्ीसगढ़ लोक

सेिा आयोग के अधयक् श्ी टॉमन वसग सोनिानी, िररष् विविान सावितयकार श्ी जिािर गगिार, डॉ.

सखदेि, छत्ीसगढ़ लोकसेिा आयोग के सविि

श्ी जीिनवकिोर ध्ि, उत्र प्देि, भारत सरकार से

यि भारती सममान प्ाप्त डॉ. रामकष्ण राजपत, डॉ.

जयप्काि मानस, ममताज, उचि विक्ा विभाग

उत्राखड की वनदेिक डॉ. सविता मोिन ि अनय

विविानों की उपवस्वत में कायराक्रम समपनन िआ।

साभार : सालितर कज.ने र

डॉ. रामदरश वमश् को वमला

सरसिती सममान

श्रदॉजलल

डॉ. रमाकात शकल

27 जन, 2022 को सावितय अकादेमी, नई वदलली

के सभागार में सममान समारोि का आयोजन वकया

गया। इस अिसर पर सावितय अकादेमी के पिरा

अधयक् एि ‘दसतािज’ पवत्का के सपादक प्ो

विश्वना् प्साद वतिारी विारा यिसिी सावितयकार

डॉ. रामदरि वमश् को िषरा 2015 में प्कावित उनके

प्वसद कविता-सग्रि ‘मैं तो यिाँ िँ’ के वलए के. के.

अकादमी सभागार में आयोवजत समारोि में सावितयकार अचयतानद वमश् को प्वतवष्त ‘देिीिकर अिस्ी सममान’ से अलकत वकया गया। श्ी अचयतानद वमश् को यि परसकार उनकी आलोिना पसतक ‘कोलािल में कविता की आिाज’ के वलए वदया गया। यि परसकार सप्वसद आलोिक डॉ. विश्वना् वत्पाठी, िररष् सावितयकार मदला गगरा, कवि-आलोिक अिोक िाजपेयी के िा्ों प्दान वकया गया। इस अिसर पर देिी िकर अिस्ी पर एकाग्र विलम और वििेक की खोज की प्सतवत िई। इस अिसर पर कई िररष् सावितयकारों और सावितय प्ेवमयों की उपवस्वत रिी। कायराक्रम में मि-सिालन सावितयकार रिींद् वत्पाठी ने वकया। साभार : जागरण.कॉ्

श्ी गरुदीन िमा्ण को ‘अभयदय लेखक सममान 2022’

11 मई, 2022 को देि के जाने माने ससकत विविान डॉ. रमाकात िकल का 82 िषरा की आय में वनधन िो गया। िषरा 2015 में भारत सरकार ने उनि पद्मश् ी से सममावनत वकया ्ा। वदलली विश्वविद्ालय के अतगरात आने िाले राजधानी कॉवलज के विदी विभाग से ि लबे समय तक जड़े रिे। िषरा 2005 में यिाँ से सेिावनित् िोने के बाद उनिोंने ससकत भाषा

6 जन, 2022 को आगरा उत्र प्देि में उतकष्ट सावितय-लेखन के वलए सावितयकार एि मीवडया प्भारी श्ी गरुदीन िमारा को ‘अभयदय लेखक सममान 2022’ से विभवषत वकया गया। प्रणा विदी प्िार सभा के सस्ापक, कवि श्ी सगम वत्पाठी ने अपने वििार वयक्त करते िए बताया वक श्ी गरुदीन

12 जन, 2022 को विदी के ियोिद सावितयसेिी और वबिार विदी सावितय सममेलन के िरीय उपाधयक् श्ी नपेंद्ना् गप्त का वनधन िो गया। ि 88 िषरा के ्े। उनके वनधन का समािार फलते िी सावितय और प्बद-समाज में िोक की लिर फल गई। श्ी नपेंद्ना् गप्त साविवतयक त्रैमावसकी भाषा भारती सिाद के प्धान सपादक भी ्े। विदी के वलए उनके मन में जो तयाग की भािना ्ी, िि दसरों में कम िी वदखाई देती िरै। उनिोंने सकड़ों लोगों को विदी

15 वष: 15 अंक: 58 जून, 2022 पृष्ठ: वबड़ला िाउडे िन का िषरा 2021 के 31ि सरसिती सममान से अलकत वकया गया। साभार : अलका लसनिा का फ़ेसबक पष् सावि्यकार श्ी अचयतानद वमश् को प्रवतवष्त दे िीशकर अिसथी सममान 4 अप्रैल, 2022 को रिींद् भिन में वस्त सावितय
िमारा एक कवि के सा्-सा् एक किल, सवक्रय एि कमराठ मीवडया प्भारी भी िैं। साभार : द ग्ा् रडे
नरज़पेपर.कॉ्
के प्िार-प्सार की ओर धयान देना िरू वकया। ससकत भाषा के उत्ान से जड़ी सस्ा देििाणी पररषद
साभार : जागरण.कॉ् श्ी नपेंद्रनाथ गप्त
के ि सस्ापक ्े। इसके अलािा पवडत राज मिोतसि का आयोजन उनकी देखरेख में िोता ्ा।
और सावितय की ओर उनमख वकया। साभार : लाइव लिदसिान.कॉ् विश्व विदी सवििालय तथा समसत विदी जगत की ओर से पणया्माओ को भािभीनी श्दाजवल। Newsletter WHS June 2022 v2.indd 15 07/06/2023 11:50:57
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