Shukrawaar newspaper 2016

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सुख-दुख बांटता प्​्ेम पेज- 13

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वर्ष 2 अंक 10 n पृष्: 16 n 8-14 जनवरी 2016 n नयी दिल्ली n ~ 5

ककसी को पता नहीं कौन कंया कर रहा !

शरद गुप्ता

नयी दिल्ली. पठानकोि मे्एयरफोस्ष स्िश े न पर हमला करने वाले आतंकवाटदयो् के टखलाफ 80 घंिे तक चला ऑपरेशन दूसरी ख़्ाटमयो् के साथ-साथ अपनी बदइंतज्ामी के टलए हमेशा याद रखा जायेगा. ख़्ासतौर पर जब आतंकवाटदयो्के प्​्वेश की सूचना उनके पहुंचने से लगभग 24 घंिे पहले टमल गयी थी और पहले चार आतंकी शुर्आती कुछ घंिो्मे्ही मार टदये गये थे. पहली बात यह टक पठानकोि मे् कम से कम पांच-छह फ्ोस्षएक साथ लड़् रही थी् लेटकन टबना टकसी तालमेल के. पंजाब पुटलस, टडफेस ्ं टसक्योटरिी कोर, राष्​्ीय सुरक्​्ा गाड्ष(एनएसजी), बीएसएफ्, एयर फ्ोस्षऔर सेना के जवान. सुरक्​्ा टवशेरज्​्ो् का मानना है टक टकसी भी ऑपरेशन मे्एक स्पष्​्चेन ऑफ्कमांड होनी चाटहए. सभी को मालूम होना चाटहए टक कमांडर कौन है और उसी की बात माननी होगी. ऑपरेशन की सफलता या टवफलता के टलए उसी की ट्जम्मेदारी होगी. यानी एक एक्सपि्षकी ही ज्र्रत होती है. लेटकन पठानकोि मे्कम से कम चार

कमांडर अपनी-अपनी िुकट्ड़यो्को संभाल रहे थे लेटकन टकसी को मालूम ही न था टक दूसरा क्या कर रहा है. यही वजह है टक छह आतंकवादी सात जवानो्को मार टगराने मे् सफल रहे. जबटक सुरक्​्ा बलो्ने तीन टदन से ज्यादा समय तक तले अटभयान मे्पांच आतंकवादी मारे. इनमे् से दो को मारने के टलए एक दो-मंट्जला इमारत को ही रॉकेि के ज्टरए ध्वस्​् कर टदया गया. इसमे् कै्द दो मे्से एक ही आतंकवादी की लाश टमली है. दूसरे के बारे मे् बताया जा रहा है टक रॉकेि लगने से उसकी लाश के िुकड़्ेिुकड़्े हो गये और इमारत के मलबे मे् ही दब गया. वही् एक आतंकवादी को तो एयरफ्ोस्ष बेस के एक रसोइये ने उसी की रायफ्ल छीन कर मार टगराया. यह इसके बावजूद टक हमले से बारह घंिे पहले एनएसजी के 168 जवान टवशेर तौर पर एयर बेस की सुरक्​्ा के टलए पठानकोि मे् तैनात टकये जा चुके थे. उनकी कमान उनके आईडी (ऑपरेशंस) के हाथ मे् थी. उनसे पहले ही एक ट्​्बगेटडयर के नेतृत्व मे्दो कॉलम यानी 50 सेना के जवान वहां तैनात टकये गये थे. बाकी पेज 2 पर

पठानकोट हमला

तो डोवाल ने कराई फजीहत

वववेक सक्सेना नयी दिल्ली. पठानकोि मे् वायु सेना के अड्​्ेपर हुए आतंकवादी हमले को लेकर टजस तरह से राष्​्ीय सुरक्​्ा सलाहकार अजीत डोवाल और गृह मंत्ालय ने भूटमका टनभाई उसने रक्​्ा मंत्ी मनोहर पट्रक ष र काफी नाराज है. समझा जाता है टक उन्हो्ने प्​्धानमंत्ी नरे्द्मोदी को भी अपनी पीड़्ा से पटरटचत करवा टदया है. उन्हे् दुख इस बात का है टक इतनी बड़्ी घिना होने पर भी कैटबनेि की सुरक्​्ा संबंधी सटमटत की बैठक क्यो्नही्बुलाई गयी. उन्हे्ही घिनाक्​्म के दौरान टवश्​्ास मे्टलया ही नही्गया. रक्​्ा मंत्ी के करीबी सूत्ो् के मुताटबक मनोहर पट्रक ष र का मानना है टक राष्​्ीय रक्​्ा

...पर उन्हे् अपनो् की खबर नही्

अंबरीश कुमार

बकी खबर दे, सबकी खबर ले का नारा. पर उन्हे् अपनो् की ही खबर नही्. यह टिप्पणी जनसत्​्ा के एक वटरष्​् साथी ने जनसत्​्ा के समाचार संपादक रह चुके और प्लांि यूटनयन के जुझार् नेता अरटवंद उप्​्ेती के गुजर जाने की सूचना न टमलने पर की. तल्ख़ होकर आगे बोले, क्या फायदा सारा जीवन खपा देने का जब सक्कुलर मे्बदल चुका पत्​्भी सूचना न दे. वर्ष 1988 मे् जब जनसत्​्ा ज्वाइन करने गया तो स्थानीय संपादक बनवारी ने कहा टक मै्डेस्क पर चीफ सब एटडिर अरटवंद उप्​्ेती से टमलूं और अख़बार ज्वाइन करने की टरपोि्षदूं .वे ही अरटवंद उप्​्ेती इस साल की शुर्आत के दूसरे टदन चले गये .पर देश प्​्देश मे् बहुत से लोगो् को खबर नही् हुई क्यो्टक वे टजस अख़बार मे्आधा जीवन खपा टदये थे और चार टदन पहले तक वहां के आयोजनो् मे् शाटमल हुए उसमे् कोई

खबर नही्थी. इस अख़बार का मूल वाक्य था, ' सबकी खबर दे,सबकी खबर ले’. इसे साथी कुमार आनंद ने गढ़ा था. वर्ष87 ,88 और 89 मे् हम जैसे बहुत से नौटसटखए पत्​्कारो् ने जब जनसत्​्ा ज्वाइन टकया तो

हमारे पहले टशक्क ् पांच चीफ सब थे, श्​्ीश चंद्टमश्​्,मनोहर नायक ,शम्भनू ाथ शुकल ्, अभय कुमार दुबे और अरटवंद उप्​्ेती. ये सब हमे्तब पत्क ् ाटरता के नायक लगते थे. सबका व्यक्कतत्व भी अद्​्त महसूस होता. भरपूर उज्ाष ,साहस और जानकारी से लैस .और सबके ऊपर थे प्​्भार जोशी .यह थी प्​्भार जोशी की डेस्क की वह िीम टजसने पूरे देश मे्जनसत्​्ा को टहंदी पत्​्काटरता का पहला ब्​्ांड बना टदया. प्​्भार जोशी जब डेस्क पर आते थे तो सन्नािा छा जाता था. पर वे अपने ही अंदाज मे् आते और लोगो् से टमलते. जब भी टकसी आयोजन का काड्ष बांिना हो तो प्​्भार जोशी डेस्क पर अपने चपरासी से हाथ टमलकर पहला काड्षउसे देते. यह उस पटरवार के तौर तरीके की एक बानगी है. इन सभी चीफ सब मे्सबसे सख्त अगर अभय कुमार दूबे थे तो सबसे सहज और पहले टदन ही टमत्​् बन जाने वाले अरटवंद उप्​्ेती रहे. जो ट्​्ेड यूटनयन लीडर बाकी पेज 2 पर

सलाहकार और गृह मंत्ालय के कारण ही न टसफ्क इस आतंकवादी हमले मे् सात रक्​्ा कट्मषयो् को अपनी जाने गंवानी पड़्ी बक्लक जो ऑपरेशन एक टदन मे् समाप्त हो सकता था वह इतना लंबा टखंच गया. जब वहां आतंकवाटदयो् के घुसने की खबर आयी तो रक्ा् मंत्ी चाहते थे टक इस हमले से टनपिने के टलए पठानकोि मे् तैनात सेना की दो इनफै्िरी टडवीजन की मदद ली जाये. पर उनसे सलाह ही नही्ली गयी और सारा मामला अजीत डोवाल ने अपने हाथ मे्ले टलया. वहां सेना घंिे भर मे् पहुंच सकती थी. पर उसकी जगह नेशनल टसक्योरिी गाड्षस को भेजा गया और उसके वहां पहुंचने मे्आठ घंिे लग गये. सेना के न होने के कारण शुर्आती मुकाबला टडफे्स

टसक्योरिी कॉप्स (डीएससी) के लोगो् से हुआ टजसमे् ज्यादातर सेना के टरिायर हुए सदस्य होते है्. यह लोग आम पहरेदारी तो कर सकते है्पर आतंकवाटदयो्का मुकाबला करने का इन्हे्प्​्टशक्​्ण नही्टदया गया होता है. यही वजह थी टक इस हमले मे् मारे गए सात लोगो्से चार डीएससी के थे. इतना ही नही्इस हमले के दौरान ऑपरेशनल कमांड गटठत न टकये जाने के कारण समन्वय का अभाव रहा. सूत्ो् के मुताटबक मनोहर पट्रषकर को गृह सटचव और गृह मंत्ी का इस पूरे प्​्करण मे् प्​्ेस को ब्​्ीफ करना भी पसंद नही् आया है. आमतौर पर ऐसे मामलो् मे् सेना का ही कोई अटधकारी ब्​्ीटफंग करता है. बाकी पेज 2 पर

बंद न हो जाये बातचीत

बड़ी अथ्षव्यवस्था और सामटरक शक्कत के र्प मे् स्वीकृटत के र्प मे् टलया जाना चाटहए था. पर दुभ्ाषग्य से मोदी के सलाहकारो्ने इसका उपयोग उनकी छटव को टवश्​् स्​्र के राजनेता के र्प मे् वीएन राय बनाने के प्​्यास के र्प मे्टकया. यह छटव वाल मौजूं है टक पठानकोि के बाद भी एक ऐसे दबंग राजनेता की थी टजसके क्या? क्या भारत-पाटकस्​्ान के बीच इशारे पर पूरी दुटनया न सही दट्​्कण एटशया टवदेश सटचव स्​्र की प्​्स्ाटवत वात्ाष को तो चलना ही है. मोदी सरकार की टवदेश नीटत जनवरी 2016 मे् होगी या इसका भी वही हश्​् होगा जो इसके पहले टवदेश मंत्ी, इसी ग्लतफ्हमी की नी्व पर खड़ी हुई टवदेश सटचव या राष्​्ीय सुरक्​्ा सलाहकार और जल्दी ही उसमे् झोल भी नजर आने लगे है्. ख़ास तौर से नेपाल और पाटकस्​्ान स्​्र की बैठको्का हुआ था. भाजपा सरकार बनने के बाद से ही के मामलो् मे् इस नीटत की खाटमयां साफ भारत की टवदेश नीटत एक ख़ास तरह टदखने लगी है्. दरअसल राष्​्ीय स्वयं के टवभ्​्म की टशकार रही है. मोदी ने सेवक संघ और अपने उग्​् टहंदुत्व वादी अपने शपथ ग्​्हण समारोह को एक साक्क समथ्षको् को ध्यान मे् रख कर बनायी उत्सव की तरह मनाने का फैसला गयी टवदेश नीटत सुटचंटतत और दीघ्ष टकया और बांग्लादेश को छोड़ कर सभी काटलक टहतो् को सामने रखकर नही् रची दट्​्कण एटशयाई देशो् के राष्​्ाध्यक्​् इसमे् गयी थी. इसकी टनट्मषटत मे्अहंकार, आवेग बाकी पेज 5 पर शरीक हुए. इसे भारत को उभरती हुई एक


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