जंगल मे् शराब पाट््ी का आरोप झूठ -वकंजल विंह लखीमपुर की कलेक्टर वििादो् मे् पेज- 3
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वर्ष 1 अंक 5 n पृष्: 16 n 04-10 दिसंबर 2015 n नयी दिल्ली n ~ 5
तो अमित शाह की छुट्ी होगी?
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नई लिल्िी. भाजपा अधंयिंं अकमत शाह के भकवषंय पर पंंशंन कचंह लग गया है. पाटंंी के अंदर दबे संवरोंमेंयह चचंाण शुरं हो गयी है कक कंया उनंहें अधंयिंं पद का एक और कायंणकाल कमल पायेगा? इसकी वजह संघ और नरेंदं मोदी, दोनों की ही नजरों में तेजी से घटी उनकी उपयोकगता है. उनका भकवषंय बहुत कुछ गुजरात पंचायत चुनावों के नतीजों पर कनभंणर करेगा. संघ के भरोसेमंद सूतंों के मुताकबक अकमत शाह से उनका भरोसा उठने लगा है. इसकी असली वजह हाल के कबहार चुनाव नतीजे हैंजहां उनंहेंअपनी मनमानी के फैसले लेने की छूट कदये जाने के बावजूद राजंय मेंभाजपा की वही दुगकणंत हुई जो कक लोकसभा चुनाव मेंकांगंेस की हुई थी. उनके मुताकबक कदलंली कविानसभा चुनाव के बाद भी यह महसूस ककया गया था कक राजिानी मेंरहते हुए रच-बस जाने के बाद भी वे इस बात का अनुमान नहीं लगा पाये कक आम मतदाता कंया सोच रहा है? पर तब इसके कलए कदलंली के ही एक आला नेता अरंर जेटली ने उनंहें ककरर बेदी को मुखंयमंतंी पद का उमंमीदवार पंंोजेकंट करने की गलत सलाह देने का दोरी मानकर इस मामले को वहींसमापंत कर कदया गया था. पर अब यह संसथकत नहीं है. बाकी पेज 2 पर
n घने जंगल को उजाड़ने की तैयारी n बदनाम कंपनी पर मेहरबान िरकार
हीरा कंपनी पर मेहरबान शिवराज धीरज चतुि्ेदी
छतरपुर. उचंं नंयायालय ने छतरपुर कजले के बकसंवाहा मेंहीरा कंपनी करयो कटंटो के पेडंोंकी कटाई पर रोक लगा दी है. पहल संसंथा की याकचका पर उचंं नंयायालय ने इसे पयंाणवरर और जीव जंतुओं के कलए नुकसानदायक बताया. हीरा कंपनी करयो कटंटो को मई 2006 में बकसंवाहा के जंगलों को काटकर हीरा ढूंढने का लाइसेंस कदया था. ये जंगल करीब 2329 हेकंटेयर में फैला हुआ है. बुंदेलखंड से जुडा ये पूरा इलाका सूखे की मार झेलता रहता है. पर यहां जंगलोंकी कोख मेंबेशकीमती हीरे के कमलने के आसार हैं. ऐसे में गरीबी की मार झेल रहे इस िंंेतंपर सरकार की नजर यहां के बेशकीमती हीरे पर गडंगयी है. इसकलए इस जंगल को उजाडंने की भी तैयारी हो रही है. मधंय पंंदेश में आने वाले बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर के लोगों को कवकास का सपना कदखाकर अब तबाह करने का खाका तैयार कर चुकी है. इसका कजमंमा सरकार ने करयो कटंटो कंपनी को कदया है. मुखंयमंतंी कशवराज कसंह चौहान कंपनी के पंंोसेकसंग पंलांट का उदंघाटन भी कर गये हैं. कंपनी के साथ मुखंयमंतंी भी बुंदेलखंड के अकत कपछडे़
छतरपुर कजले के बकंसवाहा इलाके में कवकास की गंगा बहा देने का सपना भी कदखा गये है.ं लेककन उस तबाही की अनदेखी हो रही है. जो दशकों तक गरीबी, भुखमरी और बंजर के रंप में इस िंंेतं को झेलनी पडेग़ ी. मुखयं मंतंी की आंखे हीरे की चमक से चौंकिया गयी हैं. तभी तो माइकनंग लीज के कलए हीरा कंपनी 954 हेकंटेयर जमीन के कलए आवेदन देती है और उसे करीब 1200 हेकंटेयर जमीन देने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. मधंयपंंदेश सरकार इस कदर मेहरबान है कक करयो कटंटो के कारनामों पर रोक लगाने वाले छतरपुर के दो कलेकटं रों
गोवा से मुंह फेर रहे ववदेशी सैलानी!
पणजी. गोवा में साल का सबसे महतंवपूरंण महीना कदसंबर शुरं हो चुका है पर राजंय के पयंणटन उदंंोग से जुडे लोग अभी भी आशंककत है. गोवा लगातार दूसरे वरंणमंदी के दौर से गुजर रहा है. जबसे रंसी पयंणटकों ने मुंह मोडा है उनंहें यह राजंय अपनी ओर आककंरणत नहीं कर पा रहा है. इस वरंण देश के कवकभनंन कहसंसों में हुये सामाकजक तनाव की घटनाओंने भी कवदेशी सैलाकनयोंकी आवाजाही पर असर डाला है. इनमे बीफ कववाद पंंमुख है. गोवा मेंबीफ का इसंंेमाल सैलानी के साथ संथानीय लोग भी करते है. पर जबसे यह कववाद बढ़ा कवदेशी सैलानी जंयादा आशंककत हुये. कुछ वजह संथानीय भी है. परजी मेंरेसंरां चलाने वाले डैकनयल इसकी वजह यहां बढ़ंती गंदगी, खराब सडंकें और महंगा होता रहन सहन मानते है. कपछले साल की तरह इस बार भी
n विरोध पर कलेक्टरो् के बतादले
पयंणटकों की संखंया में कमी आयी है. पर राजंय सरकार को पयंटण न वंयवसाय से अचंछी कमाई की उमंमीद है. पयंणटकोंकी संखंया मेंआयी कगरावट की वजह ककराये की कैब और टैकंसी ऑपरेटरों के बीच चल रहा संघरंण भी है. लाइसेंस
कमलने में होने वाली देरी भी इसमें इजाफा करती है. गौरतलब है कक वीमेन कैब को लेकर पहले ही बहुत कववाद हो चुका है और आम टैकंसी वालों को इसका खाकमयाजा भी उठाना पडा है. मकहला कैब को सुरकंंित और बाकी पेज 2 पर
के तबादले ककये जा चुके है.ं अब पंश ं ासकनक अकिकारी न चाहते हुए भी इस बदनाम हीरा कंपनी के पंंकतकनकि के रंप में काम करते कदख रहे हैं. गौरतलब है कक पहले यह कंपनी अपने कायंंोंको लेकर संकदगंि रही है. वहींदूसरी तरफ कई लोगोंकी आवाजेंदबा दी जा रही हैं. जो सडंकोंपर उतरकर जंगलों की कटाई और दूसरे खतरों से आगाह कर रहे हैं. छतरपुर कजले के बकसंवाहा के जंगलों में ऑसंटंेकलया की बंलैक कलसंटेड कंपनी की मौजूदगी बीते कुछ सालों से कववादोंको जनंम दे रही है. वन भूकम मेंअवैि
उतंखनन को लेकर 5 साल पहले कलेकंटर उमाकांत उमराव ने कारंणवाई करते हुए कंपनी के उतंखनन पर रोक लगा दी थी. करयो कटंटो की पंंदेश सरकार में घुसपैठ का ही नतीजा था कक कलेकंटर का ततंकाल तबादला कर कदया गया. इन चचंाणओं को बल कमलने के कई कारर हैं. कजनमें से एक कलेकंटर ई रमेश कुमार के कजले का पंंभार संभालते ही करयो कटंटो को दोबारा उतंखनन की अनुमकत देना भी है. दूसरा अकंटूबर 2009 को कंपनी के हीरा पंंोसेकसंग पंलांट का खुद मुखंयमंतंी ने आकर उदंघाटन कर कदया.
खट््ी हो गयी मेघालय की स्ट्ाबेरी जलवायु परिवर्तन से संकट मे्रकसान
सोहलिया. मेघालय के ककसानों के कलए संटंॉबेरी की फसल खटास देने लगी है. मौसम में आये बदलाव के चलते ककसानों को भारी नुकसान उठाना पडंरहा है. ऐसे में संटंॉबेरी उतंपादक ककसानों को भारी कीमत इसके उतंपादन की चुकानी पडं रही है.राजंय में करीब तीन लाख लोग संटंॉबेरी की खेती करते हैं. सरकारी आंकडंों के मुताकबक यह तीसरा सबसे बडंा संटंॉबेरी उतंपादक राजंय है. औसतन करीब 500
कमकंंटक टन की संटंॉबेरी का उतंपादन 15 सौ हेकंटेयर (करीब 37 सौ एकडं) जमीन पर होता है. संटंॉबेरी की खेती की शुरंआत साल 1990 के दशक में कुछ ककसानोंने शुरंकी थी. इसके मुनाफे से उतंसाकहत होकर अनंय ककसानोंने भी इसकी खेती शुरं की. एक ककसान के मुताकबक उन कदनों इससे होने वाली आदमनी लॉटरी की तरह थी. बाकी पेज 2 पर