Wasim Barelvi: Mera kya

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मे र ा क्या था, मै टू टा िक िबखरा रहा मेरा क्या था, मै टू टा िक िबखरा रहा तेरे हाथों मे तो इक िखलौना रहा इक ज़रा-सी अना के िलये उम्र-भर तुम भी तनहा रहे, मै भी तनहा रहा तेरे जाने का मंज़र ही ग़मख़्वार था िज़न्दगी-भर जो आं खों से िलपटा रहा मेरा एहसास सिदयों पे फ़ैला हु आ ऐसा आं सू, जो पलके बदलता रहा घर की सब रौनक़ मुझसे और मै 'वसीम' ताक़ पर इक िदये-जैसा जलता रहा

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