Wasim Barelvi: Mera kya

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तमाम उम्र न जुड ने का ग़म उठाते है तमाम उम्र न जुडने का ग़म उठाते है वो ऐतबार के िरश्ते, जो टू ट जाते है तुम अपने चेहरे का हम से िहसाब ले लेना ये आइने तो कोई िदन मे टू ट जाते है जो एक प्यास को पानी न दे सका, िफ़र भी उसी को लोग समन्दर बताये जाते है 'वसीम' रश्क से देखूं न क्यों पिरन्दों को ये शाम होते घरों तो तो लौट आते है

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