अपठित गद्यांश कक्षा 12 हिंदी MCQ Questions with Answer

Page 1

अपठत गयांश का 12 हद MCQ Questions with

Answer

अपठत गयांश का 12 हद MCQ covers the significant bit of the Hindi paper. It contains around 25% imprints weightage in the test.Along these lines, students who need to score good grades in Class 12 Hindi should rehearse the understanding entry preceding the test. To help them in their planning, we have given the CBSE Unseen Passages to Class 12 Hindi.Students should go through them and tackle the inquiries dependent on these appreciation sections.

ह। आज इस रोग स दश का यक वववयालय पीडत ह। आज इस असतोष क कारण नदान सहत इस कार ह-

यह असतोष म बह जान स भटक जाता ह। दश स म करना उसका कतय होना चाहए।

उपत एवं लय वहन शा- आज हदयहन शक क कारण यवा शित उपा का वषपान

कर रह ह। आज सरकार क लाल फताशाह

को और अधक भड़का

चन हए एक स एक ट तनध शासन म पहचत ह। चन जान क बाद य तनध रवत वारा धन पदा करत ह और जनता

01. ननलखत अपठत गयांश को यान स पढ़ और न का उर द : वातव म दशावहन यवा पीढ़ को अपन लय का बोध शा कराती ह कत आज क शा इस उदय क पत म मापदड क घट जान स लाचार सी हो गई ह। आज शा पाकर भी यवा वग बकार क भट म झलस रहा ह। वह न अपना ह हत सोच पा रहा ह और न रा का ह। इस िथत म असतोष उसक हदय म जड़ जमाता जा रहा ह। यवा पीढ़ म असतोष क कारण तथा नदान- इस असतोष का मय कारण आज क समयाओ का सह समाधान न होना
, कत
रा म का अभाव- वयाथ का काय अययन क साथ-साथ रा जीवन का नमाण करना भी ह
रह ह। शा का दसरा दोष उदय रहत होना ह। आज का यवक, शा तो हण करता ह, कत वह वयं यह नह जानता क उस शा पण करन क बाद या करता ह। वतं यवसाय क लए कोई शा नह द जाती। आज सरकार को अययन क उपरांत कोई शण दकर वयाथ को अपन काय म लगाना चाहए। ट शासन
वारा
क दख दद को ताक पर रख दत ह। लाल फताशाह चाह अयाचार ह य न कर, य नता इसको बढ़ावा दत ह। फलतः यवा वग म असतोष क लहर दौड़ जाती ह। वकत जात- आजाद क बाद हमार राय कणधार न लोकतांक यवथा को अपनाया। य नता ट तरक स अनाप शनाप धन यय कर शासन म पहचत ह। फर वयं को जनता का तनध न समझकर राजप को नतापवक छा को समझाकर कसी उपन समया का समाधान करना चाहए।
वयाथय
- आज जनता

. यवा पीढ़ म असंतोष क कारण ह- रा म का आभाव, उपत एवं लय वहन शा, ट

शासन, वकत जात, वकत चलच जगत, समाचार प तथा आकाशवाणी, सांकतक

संकार का अभाव|

(ग) ट शासन क कारण यवा पीढ़ म असंतोष कस कार उपन हो रहा ह?

उर. जनता वारा चन हए ट तनध शासन म पहचत ह। चन जान क बाद य तनध रवत वारा धन

करत

रख दत ह। लाल फताशाह चाह अयाचार ह य न कर, य नता इसको बढ़ावा दत ह। फलतः यवा वग म असतोष क लहर दौड़ जाती ह। (घ) यवा पीढ़

वकत चलच जगत- आज चलच जगत बड़ा ह दषत ह। आज हर च म मार धाड़ और कामकता तथा जोश क च दखाए जात ह। वततः चलच का उपयोग वयाथ को ान तथा अय वषय क शा क लए होना चाहए। समाचार प तथा आकाशवाणी- य दोन यवापीढ़ क लए वरदान क साथ साथ अभशाप भी ह। जहाँ एक वववयालय क वयाथ असतट हए, वहाँ समाचार प एवं आकाशवाणी क मायम स यह खबर सभी जगह फल जाती ह, िजसस यवा पीढ़ म आोश भड़क उठता ह। सरकार को ऐस समाचार प पर तबंध लगा दना चाहए। आज शासन सा क वरोधी दल वववयालय क वयाथय को भड़काकर अपना उल सीधा करन म लग ह। सांकतक संकार का अभाव- आज यवा पीढ़ म सांकतक संकार का अभाव ह। िजनक कारण व दसर को अपन स अलग समझकर उन पर आोश करत ह। अतः वववयालय म भी नतक शा अनवाय होनी चाहए। आज क यग म वव तर पर भारत को रखकर शा णाल वव म सबस अधक ह। इसलए हमार रा नमाताओ
क व वववयालय का सधार कर, ताक
उपरोत गयांश क आधार पर ननलखत नो क उर लखए(क) उपरोत गयांश का उचत शीषक लखए| उर. इस गयांश का उचत शीषक 'यवा पीढ़ म अशंतोष' ह| (ख) आज क यवा पीढ़ म असंतोष क कारण लखए? उर
को यह ढ़ संकप कर लना चाहए
यवा पीढ़ म असतोष न बढ़ सक।
म बढ़त असंतोष को दर करन क लए या करना चाहए? उर. यवा पीढ़ म असंतोष को दर करन का लए (1) यवाओ म दश म क भावना उपन करना| (2) सरकार को अययन क उपरांत कोई शण दकर वयाथ को अपन काय म लगाना चाहए। (3) टाचार को समात करना
पदा
ह और जनता क दख दद को ताक पर

(4) छा को समझाकर

(5) चलच का उपयोग

(ड़) 'शासन' और 'तनध'

उर. (1) '' उपसग 'शासन' मलशद

(2) 'त' उपसग 'नध' मलशद|

Also read:-Unseen Passage class 11

अभी तक वयकता म वश नह कया ह लकन व

अपनी बचपन क उ को पर कर चक ह। आधनक यवक या आज क यवा पछल पीढ़य क

स काफ अलग ह। यवाओ क वचारधाराओ और संकत म एक बड़ा बदलाव हआ ह। इसका समाज पर सकारामक और नकारामक दोन तरह का भाव पड़ा ह।

मानसकता और संकत म परवतन क लए एक कारण पिचमी संकत का भाव ह और दसरा तकनीक क म बढ़ती उनत ह।

पहल ज़मान क लोग एक-दसर

उपन समया का समाधान करना चाहए।
कसी
को ान तथा अय वषय क शा क लए होना चाहए।
वयाथ
शद म उपसग तथा मल शद बताइय|
02. ननलखत अपठत गयांश को यान स पढ़ और न का उर द : यवा उस पीढ़ को संदभत करता ह िजहन
यितय
क जगह पर जात थ और साथ म अछा वत बतात थ। जब भी कोई ज़रत होती थी तो पड़ोसी भी एक-दसर क मदद क लए इकठा होत थ। हालांक आज क यवाओ को यह भी पता नह ह क बगल क घर म कौन रहता ह। इसका मतलब यह नह ह क व लोग स मलना जलना पसंद नह करत ह। व सफ उह लोग क साथ मलत-जलत ह िजनस व सहज महसस करत ह और ज़र नह क व कवल कसी क रतदार या पड़ोसी ह हो। तो मल प स यवाओ न आज समाज क नधारत मानदड पर संदह जताना श कर दया ह। आधनक यवक अपन बजग वारा नधारत नयम क अनप नह चलत ह। व अपन माता-पता और अभभावक का साथ तो चाहत ह लकन हर कदम पर उनका मागदशन नह चाहत। आज क यवा पीढ़ नई चीज सीखना चाहती ह और दनया म खद को तलाश करना चाहती ह। आज क यवा काफ बस और उतावल भी ह। य लोग तरत सब कछ करना चाहत ह और अगर चीज उनक हसाब स नह चलती ह तो व जद नाराज हो जात ह। हालांक आधनक यवाओ क बार म सब कछ नकारामक नह ह। मनय का मन भी समय क साथ वकसत हआ ह और यवा पीढ़ काफ तभाशाल ह। आज क यवक उसक और रत ह। आज क यवाओ का समह काफ़ होशयार ह और अपन लय को हासल करना अछ तरह स जानता ह। व परपराओ और अधववास स खद को बांध नह रखत ह। कोई भी बाधा उह उन चीज़ को ात करन स नह रोक सकती जो व चाहत ह।

सीढ़य क बजाए लट का इतमाल

कया जा रहा ह, गैस टोव क बजाए माइोवव और एयर ायस म खाना पकाया

हम

का गलाम नह बनना चाहए।

उपरोत गयांश क आधार पर ननलखत नो क उर लखए(क) उपरोत गयांश का उचत शीषक लखए?

उर उपरोत गयांश का उचत शीषक 'आज का यवा’ ह| (ख) यवाओ

वाला हो चका ह आधनक यवक अपन बजग वारा नधारत नयम क अनप

नह चलत ह। व अपन माता-पता और अभभावक

ौयोगक क म उनत क साथ-साथ वभन गैजस क आगमन स जीवन शल और जीवन क त सम रवया बदल गया ह और आबाद का वह हसा जो इसस सबस यादा भावत हआ ह वह यवा ह। इन दन यवा अपन मोबाइल फोन और सोशल मीडया म इतन तलन रहत ह क व यह भल गए ह क इसक बाहर भी एक जीवन ह। आज क यवा वयं क बार म बहत चतत होत ह और सोशल मीडया क मायम स वह सब कछ दखाना और बताना चाहत ह जो उनक पास ह। हर ण का आनंद लन क बजाए वह यह दखाना चाहत ह क उनका जीवन कसा रहा ह। ऐसा लगता ह क कोई भी वातव म खश नह ह लकन हर कोई दसर को यह बताना चाहता ह क उसका जीवन बहद दसर क तलना म अछा और मज़दार ह। मोबाइल फोन और सोशल मीडया लटफाम क अलावा जो आधनक यवाओ क जीवन पर बहत बड़ा भाव डाल रह ह वह ह अय गैजस और अय तकनीक प स उनत उपकरण िजहन लोग क जीवन शल म बहत बड़ा बदलाव लाया ह। आज क यवा सबह पाक म घमन क बजाए िजम म कसरत करना पसंद करत ह। इसी कार जहाँ पहल ज़मान क लोग अपन कल और कायथल तक पहचन क लए मील क दर चलकर पर करत थ वह आज का यवा कार का उपयोग करना पसंद करता ह भल ह उस छोट सी दर का राता परा करना हो।
जा रहा ह और पाक क जगह मॉल पसंद कय जा रह ह। सार बात का नचोड़ नकाल तो तकनीक यवाओ को कत स दर ल जा रह ह। पिचमी चकाचध स अध हो चक भारत क यवाओ को यह एहसास नह ह क हमार भारतीय संकत हमशा स बहत अछ थी। हालांक अधववास स अपन आप को बाँधना अछा नह ह लकन हम हमार संकत स अछ संकार लन चाहए। इसी तरह कसी क जीवन म वकास क लए ौयोगक का उपयोग कया जाना चाहए।
ौयोगक
क मानसकता और संकत म परवतन क कारण बताइय? उर यवाओ क मानसकता और संकत म परवतन का कारण पिचमी
ह और दसरा तकनीक क म बढ़ती उनत ह। पहल ज़मान म लोग एक दसर स मलत थ और एकदसर क काम म हाथ बाटत, बात करक अपनी समयाओ को खम करत थ परत आज का यवा अपन काम स काम रखन
संकत का भाव
का साथ तो चाहत ह लकन हर कदम पर उनका मागदशन नह चाहत। आज क यवा पीढ़ नई चीज सीखना चाहती ह और दनया म खद को तलाश करना चाहती ह। आज क यवा काफ बस और उतावल भी ह। (ग) आधनक यवा क सोच सकारमक कस कार ह? उर. मनय का मन भी समय क साथ वकसत हआ ह और यवा पीढ़ काफ तभाशाल ह। आज क यवक उसक और रत ह। आज क यवाओ का समह काफ़ होशयार ह और अपन लय को

ात कया ह, उनम दरदशन का थान अयत

महान और उच ह। दरदशन का आवकार 19वीं शताद क आस पास ह समझना चाहए।

टलवजन दरदशन का अजी नाम ह। टलवजन का अवकार महान वानक वयड न कया ह।

टलवजन को सवथम लंदन म सन 1925 म दखा गया। लंदन क बाद इसका चार सार इतना

बढ़ता गया ह क आज यह वव क यक

क टलवजन वभाग का उदघाटन कया था।

साद न आकाशवाणी

टलवजन या दरदशन का शािदक अथ ह- दर क वतओ या पदाथ का य का य आख वारा

दशन करना। टलवजन का वश आज घर घर हो रहा ह। इसक लोकयता क कई कारण म स

एक कारण यह ह क एक रडयो कबनट क आकार कार स तनक बड़ा होता ह। इसक सभी सट

रडयो क सट स मलत जलत ह। इस आसानी स एक जगह स दसर जगह या थान पर ल जाया जा

सकता ह। इस दखन क लए हम

हासल करना अछ तरह स जानता ह। व परपराओ और अधववास स खद को बांध नह रखत ह। कोई भी बाधा उह उन चीज़ को ात करन स नह रोक सकती जो व चाहत ह। (घ) ौयोगक क उनत स यवाओ म या नकारमकता आई ह? लखए| उर यवा अपन मोबाइल फोन और सोशल मीडया म इतन तलन रहत ह क व यह भल गए ह क इसक बाहर भी एक जीवन ह। आज क यवा वयं क बार म बहत चतत होत ह और सोशल मीडया क मायम स वह सब कछ दखाना और बताना चाहत ह जो उनक पास ह। हर ण का आनंद लन क बजाए वह यह दखाना चाहत ह क उनका जीवन कसा रहा ह। ऐसा लगता ह क कोई भी वातव म खश नह ह लकन हर कोई दसर को यह बताना चाहता ह क उसका जीवन बहद दसर क तलना म अछा और मज़दार ह। (ड़) पिचमी चकाचध स अध हो चक भारत क यवाओ को कस बात का एहसास होना चाहए? उर. पिचमी चकाचध स अध हो चक भारत क यवाओ को यह एहसास नह ह क हमार भारतीय संकत हमशा स बहत अछ थी। हालांक अधववास स अपन आप को बाँधना अछा नह ह लकन हम हमार संकत स अछ संकार लन चाहए। इसी तरह कसी क जीवन म वकास क लए ौयोगक का उपयोग कया जाना चाहए। हम ौयोगक का गलाम नह बनना चाहए। Also read:-Unseen
03 ननलखत अपठत गयांश को यान स पढ़ और न का उर द : वान क वारा मनय न िजन चमकार को
Passage class 10
भाग म बहत लोकय हो गया ह। भारत म टलवजन का आरभ 15 सतबर सन 1959 को हआ। तकालन रापत डा राज
न कसी कार क चम या मनोभाव या अययन आद क आवयकताए पड़ती ह। इसक लए कसी वशष वग क दशक या ोता क चयन करन क आवयकता नह पड़ती ह, अथात इस दखन वाल सभी वग या णी क लोग हो सकत ह। टलवजन हमार जीवन क यक को बड़ी ह गभीरतापवक भावत करता ह। यह हमार जीवन क काम आन वाल हर वत या पदाथ क न कवल जानकार दता ह अपत उनक काय-यापार, नीत ढग और उपाय को भी मश बड़ी ह आसानीपवक हम दखाता ह। इस कार स दरदशन हम एक स

चहा-चाक स लकर अतर क कठन ान क पर पर जानकार दता रहता ह।

दरदशन वारा हम जो ान वान ात होत ह। उनम कष क ान वान का कम थान नह ह।

आधनक कष यं स होन वाल

-बजान, कला, संगीत, पयटन, यापार, साहय, धम, दशन, राजनीत आद लोक परलोक क ान वान क रहय

करक बतलाता ह और इसका समाधान भी करता ह। दरदशन स सबस बड़ा लाभ तो यह ह क इसक वारा हमारा पण प स मनोरजन हो जाता ह।

तो होता ह ह, इसक साथ ह साथ ववध कार क दखाए जान वाल धारावाहक

स भी हमारा कम मनोरजन नह होता ह। इसी तरह स बाल-बच, वध, यवक सहत वशष कार क शत और अशत वग क लए दखाए जान वाल दरदशन क कायम स हम अपना

मनोरजन बार बार करत ह। इसस ान काश क करण भी फटती ह।

िजतनी दरदशन म अछाई ह, वहाँ उतनी उसम बराई भी कह जा सकती ह। हम भल ह इस सवधा

सपन होन क कारण भल

पात ह। दरदशन क खराब होन स इसक मरमत करान म काफ खच भी

पड़ जात ह। इस कार दरदशन स बहत हानयाँ

एक बढ़कर जीवन क समयाओ और घटनाओ को बड़ी ह सरलता क साथ आवयक प म तत करता ह। जीवन स सबिधत य घटनाए-यापार काय आद सभी कछ न कवल हमार आस पास पड़ोस क ह होत ह, अपत दर दराज क दश और भाग स भी जड़ होत ह। य कसी न कसी कार स हमार लए जीवनोपयोगी ह सध होत ह। इस िटकोण स हम यह कह सकत ह क दरदशन हमार लए ान वधन का बहत बड़ा साधन ह। यह ान क सामाय परखा स लकर गभीर और वशट परखा क बड़ी ह सगमतापवक तत करता ह।
इस अथ स दरदशन हमार घर क
कष स सबिधत जानकार का लाभ शहर कषक स बढ़कर ामीण म रहन वाल कषक अधक उठात ह। इसी तरह स कष म होन वाल नवीन आवकार, उपयोगताओ, वभन कार क बीज, पश पी, पड़-पौध, वनपतयाँ आद का परा ववरण हम दरदशन स ह ात होता ह। दरदशन क वारा पव, योहार, मौसम, खल, तमाश, नाच, गान
एक एक करक खल जात ह। दरदशन इन सभी कार क तय का ान हम दान करत हए इनक कठनाइय को हम एक एक
तदन कसी
आयोिजत और ायोिजत
अपना मनोरजन करक वशष उसाह और रणा ात करत ह। दरदशन पर दखाई जान वाल फम स हमारा मनोरजन
न कसी कार क वषय
कायम क वारा हम
जाए, लकन दरदशन क लाभ क साथ साथ इसस होन वाल कछ ऐसी हानयाँ ह, िजह हम अनदखी नह कर सकत ह। दरदशन क बार बार दखन स हमार आख क रोशनी मंद होती ह। इसक मनोहर और आकषक कायम को छोड़कर हम अपन और इसस कह अधक आवयक काय को भल जात ह। दरदशन स सारत कायम कछ तो इतन अलल होत ह क इनस न कवल हमार यवा पीढ़ का मन बगड़ता ह, अपत हमार अबोध और नाबालग बच भी इसक दभाव स नह बच
और बराइयाँ ह, फर भी इसस लाभ अधक ह। यह कारण ह क यह अधक लोकय हो रहा ह। उपरोत गयांश क आधार पर ननलखत नो क उर लखए(क) उपरोत गयांश का उचत शीषक लखए| उर. इस गयांश का उचत शीषक 'दरदशन एक वरदान' ह| (ख) दरदशन तथा टलवज़न का अथ बताइय?

जानकार ात होती ह| दरदशन क वारा हम

वभन पव, खल -तमाशो क जानकार ात कर सकत ह| दरदशन स सबस बड़ा लाभ तो यह ह

क इसक वारा हमारा पण प स मनोरजन हो जाता ह।

(घ) दरदशन क कछ हानयाँ भी ह, लखए?

उर दरदशन क बार बार दखन स हमार आख क रोशनी मंद होती ह। इसक मनोहर और आकषक

कायम

का सबस शितशाल और समध रा अमरका भी इसस बच नह पाया ह। कछ वष पहल िजस कार उस पर आतंकवाद

उर टलवजन या दरदशन का शािदक अथ ह- दर क वतओ या पदाथ का य का य आख वारा दशन करना। टलवजन का वश आज घर घर हो रहा ह। इसक लोकयता क कई कारण म स एक कारण यह ह क एक रडयो कबनट क आकार कार स तनक बड़ा होता ह। इसक सभी सट रडयो क सट स मलत जलत ह। इस आसानी स एक जगह स दसर जगह या थान पर ल जाया जा सकता ह। इस दखन क लए हम न कसी कार क चम या मनोभाव या अययन आद क आवयकताए पड़ती ह। (ग) दरदशन एक वरदान क प म कस कार ह? उर. दरदशन हमार जीवन म काम आन वाल हर वत या पदाथ क न कवल जानकार दता ह अपत उनक काय-यापार, नीत ढग और उपाय को भी मश बड़ी ह आसानीपवक हम दखाता ह। दरदशन क वारा हम ान वान क बहत सी
को छोड़कर हम अपन और इसस कह अधक आवयक काय को भल जात ह। दरदशन स सारत कायम कछ तो इतन अलल होत ह क इनस न कवल हमार यवा पीढ़ का मन बगड़ता ह, अपत हमार अबोध और नाबालग बच भी इसक दभाव स नह बच पात ह। (ड़) दरदशन का अवकार कब और कस न कया? उर दरदशन
शताद म हआ| टलवजन का अवकार महान वानक वयड न कया ह। टलवजन को सवथम लंदन म सन 1925 म दखा गया। Also read:-Unseen
04 ननलखत अपठत गयांश को यान स पढ़ और न का उर द : आतंकवाद एक अयंत भयावह समया ह िजसम परा वव ह जझ रहा ह। आतंकवाद कवल वकासशील या नधन रा क समया हो, ऐसी बात नहं। वव
हमला हआ, उसस उसक जड़ हल गई। ‘आतंक’ कर अथ ह – भय अथवा दहशत। अमानवीय तथा भय उपन करन वाल ऐसी गतवध िजसका उदय नजी वाथ पत या अपना दबदबा बनाए रखन क उदय स या बदला लन क भावना स कया गया काम हो – आतंकवाद कह जाती ह। इस कार आतंकवाद मल म किसत वाथ वत, णा, वष, कटता और शता क भावना वरोध क भावना होती ह। अपना राजनतक दबदबा बनाए रखना, अपन धम को अय धम स ठ सध करन क भावना तथा कटर धमाधता भी आतंकवाद को बढ़ावा दता ह। आज वव म िजस कार का आतंकवाद फल-फल रहा ह, उसक
का अवकार 19वीं
Passage class 9

, अखंडता क लए खतरनाक गतवधयाँ होती रहती ह। अनक सनक को अपनी जान स हाथ धोना पड़ता ह।

जानत हए भी उह सय

सहायता द रहा ह िजसस उसक हसल और बलंद हो गय ह। वह आतंकवाद

को बढ़ावा दन क लए धामक भावनाओ का सहारा लत ह। जम म रघनाथ मंदर और गजरात क

अरधाम मंदर पर हए आतंकवाद

जनमत क अवहलना करक भी आतंकवाद शण शवर को समल नट करना

होगा तथा आतंकवाद को जड़ स

पीछ सांदायक धमाधता एवं कटरता एक मख कारण ह। आज वव म कछ इस कार क संगठन वयमान ह िजनका उदय ह आतंकवाद को फलाना ह। व इस आतंकवाद क सहार ह अपना वचव सध करना चाहत ह। इस कार क संगठन यवाओ को दशा मत करक, उह धम, राजनीत या सांदायकता क नाम पर गमराह करक उनक दय म रता, कटरता तथा घणा का ज़हर घोलकर बगनाओ का खन भन क लए रत बहान म सफल हो जात ह। ‘फ़दाइन’ हमल इस बात का माण ह क य दशा मत यवक अपनी जान पर खलकर भी खन क होल खलन म नह झझकत और मासम का खन बहाकर भी इनका कलजा नह पसीज़ता। इनका दय पाषाण जसा कठोर हो जाता ह, इनक मानवीय चतना लत हो जाती ह और व कसी भी कार का घनोना कया करना वयं को धय समझत ह। औसमां बन लादन जस आतंकवाद आज पर वव क लए आतंक का चहरा बन हए ह। अमरका को भी उस पकड़न म दस साल स यादा लग। आज भी उसका आतंक नटवक पर वव म फला हआ ह। अमरका क दो टावर को वत करन क योजना भी उसी न बनाई थी। भारत भी आतंकवाद स जझता आ रहा ह। पहल पंजाब म आतंकवाद पनपा। जब वहां समात हआ तो आज दश क अनक महानगर म फला गया ह। मंबई बमकांड, असम क उफा उवाद संगठन, बोडो संगठन, नागालड, मजोरम,सिकम आद राय म नसल संगठन भारत क एकता
जब आतंकवादओ न भारतीय संसद पर ह हमला कर दया, तो भला और कौन सा थान सरत होगा। आतंकवाद क कारण ह कमीर क लाख पंडत अपना घर-बार तथा यापर छोड़न को ववश हए तथा आज वथापत का जीवन जीन को मजबर ह। जम कमीर क आतंकवाद संगठन को अनक ऐस दश स सहायता एवं शण मलता ह जो नह चाहत क भारत उनत कर तथा एक शित क प म उभर। इस अमानषक काय म पडोसी दश का भी सहयोग ह, अमरका
हमल इसका माण ह। आतंकवाद क कारण मानवता का अितव ह खतर म पड़ गया ह। आतंकवाद को मटन क लए ढ़ संकप तथा कठोर कायवाह आवयक ह। यद भारत को अपनी छाती स आतंकवाद को मटाना ह तो उस वव
उखाड़ना फकन क लए िजस कार क कायवाह क आवशयकता हो उसक लए कतसंकप होना पड़गा। इस समया का समाधान शांत स संभव नह ह यक लात क भत बात स नह मानत। उपरोत गयांश क आधार पर ननलखत नो क उर लखए(क) उपरोत गयांश का उचत शीषक लखए? उर उपरोत गयांश का उचत शीषक ‘आतंवाद’ ह| (ख) आतंकवाद या ह बताइय?

हो उसक लए कतसंकप होना पड़गा। इस समया का

समाधान शांत स संभव नह ह यक लात क भत बात स नह मानत। (ड़) शण तथा वरोध म शद म मलशद और उपसग बहाइय?

उर. शण- उपसग तथा शण मलशद तथा वरोध- व उपसग तथा ोध मलशद |

Click to read more..

उर. ‘आतंक’ कर अथ ह – भय अथवा दहशत। अमानवीय तथा भय उपन करन वाल ऐसी गतवध िजसका उदय नजी वाथ पत या अपना दबदबा बनाए रखन क उदय स या बदला लन क भावना स कया जाता ह – आतंकवाद कह जाती ह। (ग) हमार दश म आतंकवाद कस कार बढ़ता जा ह? उर आतंकवाद मल म किसत वाथ वत, णा, वष, कटता और शता क भावना, वरोध क भावना होती ह। अपना राजनतक दबदबा बनाए रखना, अपन धम को अय धम स ठ सध करन क भावना तथा कटर धमाधता भी आतंकवाद को बढ़ावा दता ह। आज वव म िजस कार का आतंकवाद फल-फल रहा ह, उसक पीछ सांदायक धमाधता एवं कटरता एक मख कारण ह। आज वव म कछ इस कार क संगठन वयमान ह िजनका उदय ह आतंकवाद को फलाना ह। व इस आतंकवाद क सहार ह अपना वचव सध करना चाहत ह। इस कार क संगठन यवाओ को दशा मत करक, उह धम, राजनीत या सांदायकता क नाम पर गमराह करक उनक दय म रता, कटरता तथा घणा का ज़हर घोलकर बगनाओ का खन भन क लए रत बहान म सफल हो जात ह। (घ) तत गयांश क आधार पर आतंकवाद को रोकन क उपाय बताइय? उर आतंकवाद को मटन क लए ढ़ संकप तथा कठोर कायवाह आवयक ह। यद भारत को अपनी छाती स आतंकवाद को मटाना ह तो उस वव जनमत क अवहलना करक भी आतंकवाद शण शवर को समल नट करना होगा तथा आतंकवाद को जड़ स उखाड़ना फकन क लए िजस कार क कायवाह क आवशयकता
Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.