माहनामा अबक़री मैगज़ीन
के जून 2016 के एहम मज़ामीन हहिंदी ज़बान में
www.ubqari.org
आप भी दन्ु या के काम्याब तरीन इिंसान बन सकते हैं!
rg
(इिंसान की काम्याबी दन्ु या व आख़ख़रत में ससफ़त उसी को समली स्जन्हों ने वक़्त की एहसमयत को जाना। बेक़द्री करने वाला कुछ ना पा सका। पस ् इिंसान पर लास्ज़म है कक वो वक़्त का क़दर शनास बने और
(नज्मा आसमर, गोजराूँवाला)
ar i.o
अपनी स्ज़िंदगी के तमाम मआ ु म्लात को वक़्त के मत ु ाबबक़ अिंजाम दे ।)
bq
मोहतरम क़ाररईन! आज कल के मशीनी दौर में हर इिंसान मुस्श्कलात और मसाइल का सशकार है इन
rg
मसाइल में है हर बन्दा हर मसले में वक़्त की कमी का सशक्वा करता है लेककन वक़्त की क़दर शायद ही
w .u
कोई करता होगा तक़्दीर् का धनी और मुक़द्दर का शेहन्शाह वो ही बना स्जस ने वक़्त की एहसमयत और
i.o
क़दर व मिंस्ज़लत को समझा। इिंसान की काम्याबी दन्ु या व आख़ख़रत में ससफ़त उसी को समली स्जन्हों ने
वक़्त की एहसमयत को जाना। बेक़द्री करने वाला कुछ ना पा सका। पस ् इिंसान पर लास्ज़म है कक वो वक़्त
ar
w w
का क़दर शनास बने और अपनी स्ज़न्दगी के तमाम मआ ु म्लात को वक़्त के मत ु ाबबक़ अिंजाम दे । तभी वो
bq
इिंसान वक़्त का ससकिंदर केहलाएगा। हर गुज़रने वाला लम्हा हमारी स्ज़न्दगी का एक ऐसा लम्हा है जो दब ु ारह कभी वापस नहीिं आएगा। अगर आप ने उस को ढिं ग से इस्ट्तेमाल ना ककया तो ये आप को छोड़ कर
.u
आगे ननकल जाएगा कफर कोसशश के बावजूद हाथ नहीिं आएगा। आख़ख़रत की स्ज़न्दगी लाफ़ानी है ये स्ज़न्दगी आख़ख़रत के बैंक का चेक है स्जसे फाड़ कर ज़ायअ कर दें या कैश करा लें , आख़ख़रत का पेपर
w
हमारे हाथ में है और हमें वक़्त भी हदया गया है कक ये स्ज़न्दगी है इस में अपना पेपर हल कर लो। पेपर
w
हल का सारा तरीक़ा भी अस्ट्वा हसनह के ज़ररए क़ुरआन और अहादीस के ज़ररए बता हदया गया है ।
w
दन्ु यावी पेपर हल करते वक़्त हम बार बार टाइम की कफ़ि करते हैं कक कहीिं वक़्त ख़त्म ना हो जाए और पेपर अधरू ा ना रह जाए। आख़ख़रत के पेपर की हमें कोई पवात नहीिं। वक़्त गुज़रता जा रहा है , खाते पीते
Page 40 of 51 www.ubqari.org
facebook.com/ubqari
twitter.com/ubqari