सुलभ स्वच्छ भारत - वर्ष-2 - (अंक 11)

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26 फरवरी - 04 मार्च 2018

फोटो फीचर

चेहरे पर उल्लास और गुलाल में लिपटी इस महिलाओं के जीवन का रंग कब का उड़ चुका था। अपने परिवार से परित्यक्त कान्हा के चरणों में बैठ कर उम्र के बचे हुए दिन गुजार रही इन महिलाओं के जीवन में रंगों का यह उत्सव सुलभ प्रणेता डॉ. पाठक के प्रयासों से संभव हुआ, जो विधवाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं

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