26 गुड न्यूज विकास के पथ पर अग्रसर है पूर्वोत्तर डॉ. जितेन्द्र सिंह से मुलाकात की 09 - 15 अक्टूबर 2017
अरुणाचल प्रदेश के छात्रों के एक दल ने आज यहां केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह से मुलाकात की
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रेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की प्राथमिकता पूर्वोत्तर क्षेत्र है। पूर्वोत्तर के लिए विभिन्न पहलों को उजागर करते हुए, केंद्रीय पूर्वोत्तर विकास राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने
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पूर्वोत्तर में रेल, सड़क और वायु संपर्क को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ईटानगर में नए हवाई अड्डे का निर्माण जल्द शुरू होने वाला है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि
अरुणाचल प्रदेश में दूसरे भारतीय फिल्म और प्रशिक्षण संस्थान (एफटीआईआई) की स्थापना की जाएगी, पहला फिल्म संस्थान पुणे, महाराष्ट्र में है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए क्षेत्र आधारित सड़क विकास योजना ‘‘पूर्वोत्तर सड़क क्षेत्र विकास योजना’’ (एनईआरएसडीएस) की शुरूआत की जा चुकी है, ताकि ऐसी सड़कों का रखरखाव, निर्माण और उन्नयन किया जा सकें, जो दो राज्यों को आपस में जोड़ने वाली सड़कों के कारण उपेक्षित रहती हैं, बिना स्वामित्व के रहने के परिणामस्वरूप उन्हें ‘‘अनाथ सड़कें’’ कहा जाता है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के बारे में उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति, जीवन शैली और खान-पान की आदतें पड़ोसी देशों से मिलती हैं। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर राज्यों को ऐसे उत्पादों के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए, जिन्हें बाजार में स्थान मिल सके और पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार को बढ़ावा मिले।
इंग्लैंड में 14 साल का प्रोफेसर
इंग्लैंड की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में ईरानी मूल का 14 साल का याशा एस्ले गणित का प्रोफेसर है
त्र 14 साल की उम्र में बच्चों को गलियों या ग्राउंड में खेलते देखना आम बात है, लेकिन किसी 14 साल के बच्चे को यूनिवर्सिटी जाते देखना और वहां जाकर अपने से बड़े बच्चों की क्लास लेना कुछ खास होने की कहानी बयां करता है। जी हां, वाकया इंग्लैंड की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी का है जहां ईरानी मूल का 14 साल का मुस्लिम किशोर यूनिवर्सिटी में गणित का प्रोफेसर बन बच्चों की क्लास ले रहा है। इस मुस्लिम किशोर का नाम है याशा एस्ले, जो लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में बतौर अतिथि शिक्षक के रूप में चयनित हुआ है। इतना ही नहीं, वह इस यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाने के साथ यहां से अपनी डिग्री भी ले रहा है। यूनिवर्सिटी ने उसकी इस काबिलियत को देखते हुए उसे सबसे कम उम्र के छात्र और सबसे कम उम्र के प्रोफेसर का उपनाम दिया है। याशा के पिता मूसा एस्ले उसकी इस काबिलियत पर गर्व करते हैं और रोजाना उसे अपनी कार से
छोड़ने यूनिवर्सिटी जाते हैं। याशा की गणित में बहुत रुचि है, गणित में अविश्वसनीय ज्ञान को देखते हुए उसके अभिभावकों ने उसे ‘मानव कैल्कुलेटर’ नाम दे रखा है। याशा अपनी डिग्री कोर्स खत्म करने के करीब है और जल्द ही पीएचडी शुरू करने वाला है।
याशा कहते हैं कि उन्होंने 13 साल की उम्र में यूनिवर्सिटी से इस बारे में संपर्क किया था। यूनिवर्सिटी ने उनकी कम उम्र को देख सवाल किए, लेकिन जब जवाब उम्मीदों से आगे मिले तो गणित पैनल उनके ज्ञान को देखकर अंचभित हो गया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने याशा को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त किया। यूनिवर्सिटी को ईरानी मूल के याशा को अतिथि शिक्षक का पद देने के लिए मानव संसाधन विकास विभाग से विशेष अनुमति लेनी पड़ी। यूनिवर्सिटी ने जब यह अनुमति लीसेस्टर परिषद के सामने रखी तो परीषद को यकीन ही नहीं हुआ कि 14 साल के किसी बालक के पास इतना
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा युवाओं से जुड़ी पहलों के बारे में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए बराक छात्रावास और बेंगलूरू में पूर्वोत्तर की लड़कियों के लिए छात्रावास की आधारशिला रख दी गई है। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली के द्वारका इलाके में जल्द ही पूर्वोत्तर सांस्कृतिक सूचना केन्द्र स्थापित किया जाएगा। इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के युवकों ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की तर्ज पर उनके द्वारा बनाई गई मिट्टी की एक प्रतिमा भेंट की। डॉ. सिंह ने स्वदेशी निर्माण और सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देने की इस अनोखी पहल के लिए युवकों को बधाई दी, जिसका उद्देश्य देश के युवाओं को रोजगार प्रदान करना है। उन्होंने युवकों से अपील की कि वे स्वदेशी निर्माण की दिशा में प्रयास करें, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी। (आईएएनएस)
एक नजर
याशा एस्ले लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में ही आगे की पढ़ाई भी कर रहे हैं
गणित ज्ञान को देखते हुए अभिभावक उन्हें ‘मानव कैल्कुलेटर’ कहते हैं याशा से 13 साल की उम्र में ही प्रोफेसर बनने के लिए संपर्क किया
ज्ञान हो सकता है और वह क्लास में खड़ा होकर अपने से अधिक उम्र के बच्चों को पढ़ा सकता है। लेकिन जब परिषद के अधिकारी याशा से मिले तो आश्चर्यचकित रह गए। यूनिवर्सिटी में नौकरी मिलने के बाद याशा एस्ले ने कहा कि यह साल मेरे जीवन का सबसे अच्छा साल है। याशा ने कहा, ‘मुझे नौकरी मिलने से ज्यादा अच्छा यह लगता है कि मैं दूसरे छात्रों की मदद करूं और उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करूं।’ इतनी कम उम्र में याशा ने दुनिया के सामने एक नजीर पेश की है कि किसी के पास ज्ञान, दूसरों की मदद और आगे बढ़ने की लालसा हो तो दुनिया उसका साथ देने में पीछे नहीं हटती। (आईएएनएस)