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by P.K. Sharma
मरीजों के लिए यूं वरदान बनी वर्सियस नेक्स्ट जेनरेशन रोबोटिक सर्जरी, 93,000 से अधिक सर्जरी कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
लखनऊ। तीस साल पहले मेडिकल फील्ड के लोगों ने ओपन सर्जरी से आगे बढ़ते हुए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के रूप में एक बड़ा बदलाव देखा। इसने मिनिमली इनवेसिव तकनीक के साथ सर्जरी की प्रक्रिया में क्रांति ला दी। इस तकनीक से सर्जरी में कम दर्द होता है, तुरंत रिकवरी होती है और सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने में आसानी होती है। साथ ही अच्छे कॉस्मेटिक रिजल्ट आते हैं और कम समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है। वहीं सर्जरी के दिन मरीज इधर उधर मूव भी कर सकता है।
इस सर्जरी से इंफेक्शन का खतरा होता है कम
इस बाबत जानकारी देते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल साकेत (नई दिल्ली) में मैक्स इंस्टिट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, मेटाबोलिक एंड बेरिएट्रिक सर्जरी के चेयरमैन डॉक्टर प्रदीप चौबे ने बताया कि इस तकनीक की मदद से सर्जरी के बाद होने वाली इंफेक्शन जैसी दिक्कतों में कमी आई, जो ओपन सर्जरी होने से अस्पताल में लंबे समय तक रहने के चलते काफी ज्यादा होती थीं। डॉक्टर चौबे के मुताबिक वह नेक्स्ट जेनरेशन रोबोट वर्सियस की मदद से मरीजों को हाई क्वालिटी ट्रीटमेंट दे रहे हैं।
रोबोट असिस्टेंड सर्जरी काफी समय से चल रही हैं, लेकिन अब तक रोबोट का उपयोग ज्यादातर मूत्र रोग विशेषज्ञों और ऑन्कोलॉजिस्ट ही कर रहे थे। हालांकि अब नेक्स्ट जेनरेशन रोबोटिक सिस्टम के साथ पित्ताशय की थैली की सर्जरी, हर्निया, वजन घटाने की सर्जरी, एपेंडिसाइटिस, फंडोप्लिकेशन जैसी समस्याओं के लिए रोबोट सर्जरी का फायदा उठाया जा सकता है। इसकी मदद से सटीकता और सर्जरी की सुरक्षा में काफी सुधार होता है। डॉ. चौबे ने बताया कि मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाओं को करने के लिए मरीज के पेट में तीन से चार छोटे चीरे लगाए जाते हैं।
93,000 से अधिक सर्जरी कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
रोबोट की मदद से सर्जन के हाथ, कलाई और उंगली का मूवमेंट होता है जिससे सर्जरी के उपकरण मरीज पर बहुत ही सटीकता से चलते हैं। जिन हिस्सों में सर्जरी करना आसान नहीं होता, वहां भी बहुत ही सुरक्षित ढंग से उपकरण पहुंच जाते हैं। इस सिस्टम की एडवांस और मजबूत तकनीक के साथ सर्जन की स्किल्स बढ़ती हैं और सर्जरी के दौरान गलतियां भी नहीं होती हैं।
बताया गया कि ज्यादा सटीकता और सेफ्टी की वजह से रोबोटिक सर्जरी नॉर्मल सर्जरी की तुलना में ज्यादा इस्तेमाल की जाने लगी है। उल्लेखनीय है कि डॉक्टर प्रदीप चौबे ने भारत और उपमहाद्वीप में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी तकनीक का बीड़ा उठाया था। उन्होंने और उनकी टीम ने 93,000 से अधिक सर्जरी की हैं। अब नेक्स्ट जेनरेशन की रोबोटिक सर्जरी में सफल हाथ आजमा रहे डॉक्टर चौबे को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा मान्यता दी गई है।