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सर्वाइकल कैंसर के प्रति महिलाओं को जागरूक करना जरूरी

रोहतक: सर्वाइकल कैंसर का रोग यूं तो ठीक किया जा सकता है बावजूद इसके ये भारतीय महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है जो कुल कैंसर मामलों का 10 फीसदी है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग (नई दिल्ली) के डॉक्टरों ने इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों, इससे बचाव के तरीकों और उपलब्ध इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

सर्वाइकल कैंसर, सर्वाइकल कोशिकाओं के अनियंत्रित प्रसार के कारण पैदा होने वाली स्थिति होती है. ये लंबे समय से एक ग्लोबल हेल्थ इशू रहा है. लेटेस्ट लैंसेट स्टडी से पता चलता है कि एशिया में सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा भारत में हैं और कुल मौतों की 23 फीसदी मौतें यहां होती हैं.

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में सर्जिकल गायनेकोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉक्टर अल्का दहिया ने सर्वाइकल कैंसर के लक्षण, रिस्क फैक्टर, अर्ली स्क्रीनिंग और एचपीवी वैक्सीनेशन की जानकारी देते हुए कहा, ''सर्वाइकल कैंसर एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) के कारण होता है, जो सेक्सुअल संबंधों के कारण होने वाले इंफेक्शन से होता है. लगातार मुंह से गर्भनिरोधक गोलियां खाने, स्मोकिंग करने, एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर होने और इम्यूनोसप्रेशन के कारण एचपीवी इंफेक्शन होता है. योनि से खून आना, सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान दर्द और पेल्विक पेन जैसे लक्षणों की पहचान करना बेहद अहम है. पैप स्मियर और एचपीवी टेस्टिंग के अलावा 10 से 26 साल की लड़कियों को एचपीवी टीका लगवाना सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ एक बड़े सुरक्षा कवच का काम करता है.

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के वाइस चेयरमैन, चीफ रोबोटिक सर्जरी डॉक्टर सुरेंद्र कुमार डबास ने हाल के वक्त में हुई तकनीकी प्रगति और लेटेस्ट ट्रीटमेंट मॉड्यूल के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ''इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर की स्टेज क्या है, मरीज की ओवरऑल हेल्थ क्या है और मरीज की प्राथमिकताएं क्या हैं. शुरुआती स्टेज में आमतौर पर कॉनिजेशन, ट्रैकेलेक्टॉमी और हिस्टेरेक्टॉमी जैसी सर्जरी का विकल्प चुना जाता है. रोबोटिक सर्जरी की प्रगति ने सर्वाइकल कैंसर के इलाज में क्रांति ला दी है, और मिनिमली इनवेसिव तकनीक से सटीक इलाज के विकल्प मिले हैं. रोबोटिक रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी और रोबोटिक ट्रैकेलेक्टॉमी के जरिए टारगेटेड कैंसर टिशू को हटाया जाता है और फर्टिलिटी को संरक्षित किया जाता है.

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित ने कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी जैसे एडवांस ट्रीटमेंट मॉड्यूल के बारे में बताया. एडवांस स्टेज के मामलों  में कीमो-रेडिएशन इलाज के सबसे विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. कीमोथेरेपी में इंजेक्शन या ओरल मेडिकेशन के जरिए इलाज किया जाता है और बॉडी के अंदर मौजूद कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाया जाता है. जबकि दूसरी तरफ टारगेटेड थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को स्पेसिफिक तरीके से टारगेट किया जाता है और ट्रेडिशनल थेरेपी की तुलना में इसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं. इस तरह के एडवांसमेंट से मरीजों को उम्मीद मिली है.

भारतीय महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूक करने की जरूरत है ताकि वो शुरुआती जांच करा सकें, रेगुलर स्क्रीनिंग कराएं और एचपीवी वैक्सीन जैसे बचाव के तरीके अपना सकें. सर्वाइकल कैंसर के इलाज में जो प्रगति हो रही हैं, वो दुनियाभर की महिलाओं के लिए बेहतर समाधान और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करेगी.

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