Kendriya Vidyalaya mehsana,E-Ptrika

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विद्यालय पविका VIDYALAYA PATRIKA

2021-22 के न्द्रीय विद्यालय ओ एन जी सी, मेहसाना

KENDRIYA VIDYALAYA ONGC, MEHSANA


क क े ेन्द्रीय न्द्रीयविधालयओ.एन.जी.सी.मे विद्यालय ओ.एन.जी.सी.मेहहसाना साना विद्यालय पविका KENDRIYA VIDYALAYA ONGC, MEHSANA

Chief Patrons

Sh. Sudip Gupta ED & Asset Manager, ONGC Mehsana & Chairman, VMC, KV ONGC Mehsana

Dr. Jaideep Das Dy. Commissioner KVS, RO, Ahmedabad

Patrons

Smt. Vinita Sharma Assistant Commissioner, KVS R.O. Ahmedabad Region, Gandhinagar, Gujarat

Smt. Shruti Bhargava Assistant Commissioner, KVS R.O. Ahmedabad Region, Gandhinagar, Gujarat Sh. Anand Prakash Rai Principal Kendriya Vidyalaya ONGC Mehsana

संपादक – मंडल/Editorial Board

Chief Editor Sh.Suresh Chand Bairwa PGT –Hindi

वहन्दी/संस्कृत विभाग/अंग्रेजीविभाग (1).श्री भािे श चौहान, टीजीटी वहन्दी

(2).Sh. Suresh Magarvadiya, PGT-English

(3).श्री रमेश चंद मीना, टीजीटी वहन्दी

(4).Sh. NareshThakor, TGT-English

(5).श्रीमती सु मन कुमारी शमा​ा , टीजीटी सं स्कृत (6).Sh. P PMakawana, TGT-English

Cover Page Design And Photography (1).Shri.Pankaj patel, TGT Drawing (2).Sh.Shashivadan S Shrimali, Librarian (3).Sh.M.K.Meena,Primary Teacher


डॉ. जयदीप दास, उपायु क्त

केन्द्रीय विद्यालय संगठन

Dr.Jaideep Das Deputy Commissioner

KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN अहमदाबाद संभाग/Ahmedabad Region Sector-30 Gandhinagar,Gujarat- 382030

Dr. Jaideep Das Deputy Commissioner

सन्दे श




आनन्द प्रकाश राय

केन्द्रीय विद्यालय ओ एन जी सी, मेहसाना

ANAND PRAKASH RAI

KENDRIYA VIDYALAYA ONGC, MEHSANA

प्राचाया/ PRINCIPAL

Near Circuit house, Mehsana-384002

सन्द्दश े विद्यालय पविका विद्यार्थियों की सृजनात्मक प्रविभा को प्रदर्शि​ि करने और उसमें वनखार लाने का सशक्त एिं प्रभािशाली माध्यम है | यूँ िो विद्यार्थियों में रचनाशीलिा वनसर्ि​ि: विद्यमान होिी है, आिश्यकिा इस बाि की होिी है कक उन्द्हें उवचि मार्िदशिन वमले | यकद विद्यार्थियों को रचनात्मकिा की कदशा में मोड़ कदया जाए िो बड़ी सहजिा से िे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो जािे हैं | इस कड़ी में विद्यालय पविका विद्यार्थियों के मनोभािों के प्राकट्य का प्रयास है | इसके माध्यम से न के िल विद्यार्थियों की रचनात्मकिा िरन् विद्यालय में आयोवजि समस्ि कियाकलाप और र्विविवियाूँ सहज रुप में पररलवि​ि होिी हैं | इसमें बाल-मन की उमंर्,कल्पना एिं िैचाररकिा को कवि​िा ,लेख,कहानी के रूप में लेखनीबद्ध कर पन्नों पर उके रा र्या है । आशा है विद्याथी अपने विचारों को पाठकों िक पहूँचाने में सफल रहेंर्ें | पविका प्रकाशन हेिु के न्द्रीय विद्यालय संर्ठन के समस्ि पदाविकारी एिं अध्यि विद्यालय प्रबन्द्िन सवमवि आकद अविकाररयों के आशीि​िचन एिं मार्िदशिन के वलए मैं उनका हृदय िल से आभार प्रकट करिा हूँ | इस कायि को पर्ि करने में संपादक मंडल के सभी सदस्यों, विद्यार्थियों एिं उदीयमान रचनाकारों का पर्ि सहयोर् वमला है, वजसके वलए िे सभी प्रशंसा एिं बिाई के पाि हैं । पुनश्च, शुभकामनाओं सवहि (आनन्द्द प्रकाश राय) प्राचायि


संपादक की कलम से

आदरणीय पाठक िृंद, विद्यालय पविका, आपके समि प्रस्िुि करिे हए हमें असीम आनंदानुभवि हो रही है। जीिन सद्कमों से सुसवि​ि होिा है, लेककन उसमें वनखार उवचि अिसर वमलने से आिा है और अनुकल अिसर का सबसे अच्छा समय है विद्याथी जीिन । विद्याथी जीिन में अपनी प्रविभाओं का विस्िार करने का सुनहरा अिसर वमल जाए और स्िानुभवियों को एक कदशा वमल जाए िो विचारों में प्रिाह आ जािा है। इसउद्देश्य के साथ विद्यालय पविका का प्रकाशन हआ है िाकक विद्याथी चचंिनशील एिं संिेदनशील बनें िथा उनकी दि​िाएूँ और उपलवधि​ियाूँ प्रकाश में आएूँ ।के न्द्रीय विद्यालय ओ.एन.जी.सी.मेहसाना के प्राचायि श्री आनंद प्रकाश राय का मैं हृदय से आभारी हूँ, वजन्द्होंने यह र्ुरूिर कायि मुझे सौंपा, साथ ही साथ इस कायि हेिु हमें कु शल मार्िदशिन कदया िथा पविका प्रकाशन हेिु एक सुवनयोवजि कायि​िम बनाकर सफलिा के आयाम िक पहंचाया। मैं के न्द्रीय विद्यालय ओ.एन.जी.सी. मेहसाना, समस्ि पररिार का आभारी हूँ, वजन्द्होंने अपने विचार पविका के माध्यम से आप िक पहूँचाए । आप अिश्य इन सुविचारों को सराहेंर्े एिं विद्यार्थियों का उत्साह ि​ि​िन कर सृजनात्मक प्रविभा के विकास में योर्दान करें र्े। आपके सुझाि सहर्ि आमंवि​ि हैं। उज्ज्िल भविष्य की शुभेच्छा सवहि । "उठािी है जो खिरा हर कदम पर डब जाने का िही कोवशश समंदर में खजाने ढूँढ लेिी है।" सिन्द्यिाद । सुरेश चन्द्द बैरिा स्नािकोत्तर वशिक (वहन्द्दी)


स्काउटस / गाइडस आं दोलन के उद्दे श्य,नीति,तनयमि था संगठन भारि स्काउट्स एिं र्ाइड्स देश के नौजिानों को देश का एक वजम्मेदार नार्ररक बनाने हेिु स्ियं सेिी, र्ैर राजनैविक एक शैविक आंदोलन है। वजसका मुख्य उदेश्य देश के युिक-युिवियों की पर्ि रूप से शारीररक,मानवसक और नैविकिा से चररि​िान एिं सामावजक िथा आध्यावत्मक शवक्तयों का विकास करके राष्ट्रीय एिं अंिरािष्टीय समुदायों के रूप में प्राप्त करना | बुवनयादी वसद्धांि : स्काउट्स एिं र्ाइड्स आंदोलन का वसद्धांि मुख्यि: अपनी प्रविज्ञा एिं वनयम पर आिाररि है। ईश्वर के प्रवि कि​िव्य : ईश्वर के प्रवि कि​िव्य को स्िीकार करके ,आध्यावत्मक वसद्धांिों के प्रवि अपनी कि​िव्य वनष्ठा, सेिािमि के प्रवि िफ़ादारी की भािनाओं को अवभव्यक्त करना। दसरों के प्रवि कि​िव्य : स्थानीय स्िर पर शांवि एिं भाईचारा की भािनाओं से समन्द्िय रखिे हए स्थानीय,राष्टृ के प्रवि समपिर् एिं अंिरािष्ट्रीय स्िर पर अपने देश के प्रवि िफादार रहने की भािनाओं प्रर्ट करना। स्ियं के प्रवि समपिर् :- अपने आप को आर्े बढ़ाने के वलए अपनी वजम्मेदाररयों िहन खुद करना और अपना विकास करना। स्ियं वशिा की प्रर्ाली : स्काउट्स एिं र्ाइड्स स्ियं वशिा की एक बेवमसाल परं परार्ि र्विशील प्रर्ाली है वजसके माध्यम से प्रविज्ञा, वनयम के नौ भार्ो का पालन खुद करके सीखना एिं ियस्क नेिृत्ि के अिीन छोटे छोटे समहों की सदस्यिा वजनमें उत्तरदावयत्ि का सिा​ांर्ी एिं प्रर्विशील अन्निेर्र् एिं स्िीकृ वि जैसे आत्मानुशासन के वलए चररि वनमािर् की ओर वनर्दिष्ट स्िािलंबन, वजसमे विश्वसनीयिा कायम हो, नेित्ृ ि की िमिा को हाूँवसल करना और साथ एिं सहकार की भािनाओ को विकवसि करना। इस प्रकार स्काउट्स एिं र्ाइड्स की विवभन्न प्रकार की र्विविवियों में वजस प्रकार की रूवच हो उसके अंिर्ि​ि िो खेल,और अन्द्य उपयोर्ी कौशलों िथा सबसे ज्यादा बाह्य िािािरर् में प्रकृ वि के संपकि में रहकर सामुदावयक सेिा का भी विकास कर सकिे है. शवशिदन एस श्रीमाली, लीडर ट्रेनर ( स्काऊट) के .वि.एस. राज्य, भारि स्काउट्स एिं र्ाइड्स पुस्िकालयाध्यि, के .वि.ओ.एन.जी.सी.मेहसाना।


ई-ग्रंथालय - क्लाउड एक स्िचावलि लाइि सॉफ्टिेर आज के वडवजटल नेट िर्कां र् िकनीकी के युर् में देश के पुस्िकालयों को परी िरह से स्िचावलि करने के मुख्य उदेश्य से राष्ट्रीय सचना विज्ञान कें र, इलेक्ट्रॉवनक्स और सचना प्रौद्योवर्की मंिालय, भारि सरकार द्वारा विकवसि और बनाए रखा र्या एक वडवजटल प्लेटफ़ॉमि के िहि एन.आई.सी द्वारा सबंवि​ि संस्थाओ के अविकारी के अनुरोि पर सरकारी पुस्िकालयों को दी जाने िाली ई-ग्रंथालय स्िचावलि पुस्िकालय मॉड्यल सॉफ्टिेयर प्रदान करिा हैं । वजसके िहि आज हमारे सभी के न्द्रीय विद्यालय ई-ग्रंथालय-सॉफ्टिेर के साथ जुड़कर पर्ि रूप से ई-ग्रंथालय के माध्यम से स्िचावलि सेिाएूँ प्रदान कर रहे है | आज के ऑनलाइन िकनीकी युर् मे एक िावन्द्िकारी कदम आर्े बढ़ािे हए एन आई सी ने एक नया संस्करर् ई-ग्रंथालय बनाया है, जो की यह परी िरह से पुस्िकालय प्रबंिन सॉफ्टिेयर प्रदान करिा है। यह सॉफ्टिेयर एक क्लाउड रे डी एप्लीके शन है; और एक मुक्त स्रोि DBMS – PostgreSQL का उपयोर् करिा है। सॉफ्टिेयर बहभार्ी है, UNICODE अनुरूप है, पुस्िकालय के मानकों के साथ ऑनलाइन डेटा प्रविवष्ट, समािान और अनुपालन प्रदान करिा है। इस ऑनलाइन इ-ग्रंथालय क्लाउड वसस्टम के साथ जुड़ने का हमें र्ि​ि है। वजससे आने िाले समय में हम लॉकडाउन के दौरान आभासी किाओं के द्वारा प्राप्त की र्ई वशिा की िरह इसे भी अपने उपकरर्ों के माध्यम से अपने पुस्िकालयों की सची के साथ साथ एन आई सी के साथ जुड़े िो देश एिं दुवनया के िो सभी पुस्िकालयों के पुस्िक के बारे में जानकारी प्राप्त करके अपने विद्यालय के पुस्िकालय को और अविक विवि​ि​िापर्ि पठन सामग्री की सची प्रदान करके पुस्िकालय में उपयोर्ी पुस्िके उपलधि​ि कराने में सहयोर्ी बनोंर्े।इसके अलािा यह पर्ि रूप से ऑनलाइन इ-ग्रंथालय क्लाउड वडवजटल पुस्िकालय के माध्यम से आप अपने नाम लेन-देन ककिाबों की सची अपने ई-मेल ,एस.एम.एस के द्वारा अपने मोबाईल,या अन्द्य उपलधि​ि माध्यम से प्राप्त कर सकिे है और इस प्रकार हम वडवजटल इंवडया के स्िप्न को पर्ि कर के नए भारि के वनमािर् करने में सहभार्ी बनेर्।ें

शवशिदन एस श्रीमाली पुस्िकालयाध्यि के .वि.ओ.एन.जी.सी.मेहसाना।


गुरु हूँसिी र्ािी बस्िी अपनी, वजसने अनुशासन का पाठ पढाया, अज्ञानी से ज्ञानी बना दे, िही सच्चा वशिक कहलाया | मारा पीटा,खेल वखलाया वलखा पढ़ा अफ़सर बनाया, शुद्ध आत्मा,शुद्ध काया, िही िो असली वपिा कहलाया | चोट पर महरम हमें लर्ाया , मान, स्िावभमान बचाकर, आूँचल में आपने हमें सुलाया | दया,करुर्ा,ममिा की सरि, लर्िी जैसे हो ईश की मरि ज्यों प्रभु ने दजा रूप बनाया, भाग्य खुल र्ए उनके मानो , वजसने आपको मािा बुलाया| राह पर काूँटे आिे जािे, हिा में फल वखलवखलािे, बचपन को जो स्िर्ि बनाया ऐसे र्ुरु को नमन है मेरा |

अच्छे-बुरे का ज्ञान वसखाकर , दुवनयादारी को हमें बिाकर , सारे र्ुरु हैं एक समान, वजनकी आत्मा है सिोच्च महान || चप्रंसी शाह –XII ब


ऑनलाइन क्लास विद्यालय हम आिे हैं, अच्छी वशिा पािे हैं | जो करिे हैं क्लास ऑनलाइन, समझ न पािे एक भी लाइन | ऑनलाइन में कभी होिे जॉइन, नहीं िो होिे रहिे ररजॉइन | ररजॉइन में लर्ािे समय, इसवलए रह जािे हैं पीछे हर समय | टीचर पछे प्रश्न के उत्तर, िब हो जािे बच्चे घनचक्कर | टीचर बोले क्या हआ? बोले बच्चे स्पीकर ऑन नहीं हआ | टीचर बोले चलो कोई नहीं अब आर्े बढ़िे हैं, और बच्चे भी अन्द्य काम में लर्िे है | टीचर की आिी आिाज , कहिे हावजरी लर्ानी जरुरी है आज | बच्चे पछे सर जी क्या है आज ? सर बोले अभी िक िो नही थी साफ़ आिाज़ , अब कै से हो र्ई स्पीकर की िेज आिाज़ ? सर ने लर्ाई जब डाूँट, बच्चे कफर से र्ए भार् | ऐसा है ऑनलाइन क्लास का हाल, मि पछो बच्चों के संर् टीचर है बेहाल | इसवलए स्कल जाओ रोज़ ,मनाओ मौज | विद्यालय हम जाएूँर्,े अच्छी वशिा पाएूँर्े || - याशी यादि -XI अ


सड़क सुरक्षा हेलमेट या सीट बेल्ट सब, सड़क सुरिा है। सड़क सुरिा, सड़क सुरिा, जीिन रिा है। यािायाि के वनयम ककिने, सुन्द्दर और सरल है। इनसे होिी जीिन रिा, सबकी यही पहल है। सफ़र उसी का सफल सावथयों, वजसने वनयम पाल रखा है। सड़क सुरिा, सड़क सुरिा, जीिन रिा है। रोज हमारा अपने पथ पर,बायीं और सफ़र हो। सड़क पार जब करनी हो िो, चारों और नजर हो। सफ़र सुरवि​ि उसका वजसने, पथ पर चलना सीखा है। सड़क सुरिा, सड़क सुरिा, जीिन रिा है। सड़क हादसों की खबरें िो, कदन कदन बढ़िी जािी । कफर भी हमको यािायाि की,यािायाि के वनयम पालें, कफर सुन्द्दर हर नक्शा हैं। सड़क सुरिा सड़क सुरिा, जीिन रिा है। मकदरा पीकर िाहन कभी ना,पथ पर आर्े बढ़ाए । हर वनयम पर नजरें रखकर, सुरवि​ि िाहन चलाए । र्वि हमारे काब में हो, नजर डर्र पर ही जीिन रिा है । आयुर् पाण्डेय 11 ब


स्वस्थ भारि स्वच्छ भारि चार ं ओर गन्दगी, कूडे - करकट का साम्राज्य था । कण –कण, कतरा –कतरा बदबू मारते यही नजारा चहुँ ओर था। गं ध मारती गवलयाुँ - चौबारे नाक पे कपडा बाुँ ध इं सान था । मैं साफ़ क् ं करू? वजम्मेदार त ि नाकारा जमादार था । तभी गं ध मारता काला स्याह धु​ुँ आ मान छुँ टने लगा। साथ में और भी हाथ वदखने लगे , वदन विरे झाडू –िटके के बाजार सजने लगे । क्ा नेता क्ा अवभनेता हर क ई हाथ में झाडू वलए नज़र आता था। स्वच्छ ि स्वस्थ भारत का मेरा सपना कीचड में कमल की भाुँ वत खखल रहा है । बस आिश्यकता है त दृढ –विश्वास की, यकीन की, उस –उस की उम्मीद की जब मैं मैं से हम बन जाये गा उस भारत दु वनया के वशखर पर तारे की भाुँ वत जगमग जगमगाएगा। एक अकेले से ना बात बनेगी यार , वमल जुल कर हाथ उठें गे , तभी त इं वडया क्लीन ह गा मेरे प्यार म दी जी कहते है “ मेरे प्यारे भाइय और बहन ʼʼ अगर सिा सौ कर ड वदल ं ने कुछ करने की ठान ली । त भारत की सु पर शखक्त का ल हा दु वनया का हर जन भी मान ले । त आओ ‘जन –गन –मन ʼ की अचेत ह ती भािना क , विर से निचेतन कर दे । हर दे श ह भारत के आगे नतमस्तक, आओ कुछ ऐसा करदे –आओ कुछ ऐसा करदे ।। स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत नाम : भक्ति भण्डारी कक्षा : सािवी-(ब)


तवश्व में पढ़ाई तलखाई का अभाव पढ़ाई वलखाई हर इंसान का मौवलक अविकार है । हर इंसान को पढ़ना जरुरी है । पढ़े वबना इंसान को उसके मौवलक अविकार के बारे में भी जानकारी नहीं होिी वजस कारर् उसे उसके मौवलक अविकार नहीं वमलेंर्े और उनके साथ भेद भाि होने लर्ेर्ा। देश में कई ऐसे लोर् है वजनके साथ ऐसा व्यिहार ककया जािा है ।एक ररपोटि द्वारा यह पिा चला है की विश्वभर में लर्भर् ७ करोड़ बच्चे प्राथवमक विद्यालय नहीं जािे और लर्भर् ७० करोड़ ियस्क पढ़े वलखे नहीं है। अनपढ़ रहने के कारर् १. कम स्कल और स्कल के जरुरी भार् जैसे अध्यापक , ककिाबें, और बाकी बहि-सी जरुरी चीजें सही िक्त , जर्ह और मािा में उपलधि​ि नहीं है । २. पढ़ाई वलखाई की समझ न होने के कारर् - आर्थिक वस्थवि अच्छी न होने की िजह से बच्चों को पररिार की मदद करने के वलए काम करना पड़िा है । वजस कारर् उनके पास स्कल जाने के वलए िक्त और पैसे भी नहीं होिे । ३. पैसो की कमी होने के कारर् - भारि में आर्थिक वस्थवि ठीक न होने के कारर् कई पररिार अपने घर के बच्चों को स्कल नहीं भेजिे हैं । एक ररपोटि के अनुसार लर्भर् ३० करोड़ बच्चे जो ५ से १७ की उम्र के हैं िह अपने पररिार की आर्थिक वस्थवि में सुिार के वलए काम करिे हैं । ४. भेद भाि - कई स्कलों में बच्चे के पररिार आर्थिक वस्थवि ि उसके िमि के वहसाब से उसे भिी ककया जािा है , न कक उसकी कावबवलयि और उसके अंदर पढाई करने का जोश । इस िजह से भी कई बच्चे स्कल नहीं जा पािे । ५. अध्यापक अच्छे न होना - परे विश्व में कई ऐसे स्कल हैं वजनके अध्यापक बच्चों को पढ़ाने में सिम नहीं होिे । सही प्रकार की ककिाब ना वमलना भी एक कारर् है । इसी कारर् जो बच्चे स्कल जा भी रहे हैं िह सही ज्ञान प्राप्त करने में असिम है । पढे वलखे ना होने के नुकसान १. र्रीबी - कोई आदमी अर्र पढ़ा वलखा न हो िो उसे कोई कु छ काम नहीं देर्ा वजस कारर् िह पैसे नहीं कमा पाएर्ा और र्रीबी के अंिकार में डबिा चला जाएर्ा । िह खुद का और खुद के पररिार के पेट नहीं भर सके र्ा । २. काम ना वमलना - पढ़ा वलखा ना होने के कारर् और र्रीब होने के कारर् उसे कोई काम नहीं देना पसंद करे र्ा और िह और र्रीब हो जाएर्ा । ३. कम िेिन - अर्र कोई उसे ( जो पढ़ा वलखा ना हो ) नौकरी पर रख भी लेर्ा, िो िह उसे बहि कम िेिन में काम करिाएर्ा और पैसो के लालच में िह काम भी कर लेर्ा । पर कई बार पढ़े वलखे ना होने की िजह से उन्द्हें उनकी मेहनि की कमाई नहीं वमलिी और अपने मौवलक अविकारों की जानकारी के अभाि में िह उसके वखलाफ कोई ररपोटि भी दजि नहीं करिा पायेर्ा । आयुर् नैयर , किा -आठिीं अ


* िायु प्रदर्र् को लेकर दो दोस्िों के बीच संिाद - * • राहल – हाय महेश ! कै से हो? बहि कदनों बाद वमलना हआ। • महेश - हेलो राहल! मैं ठीक हूँ।िुम कै से हो? • राहल - मैं भी ठीक हूँ यार। बस आजकल िायु प्रदर्र् के कारर् इिनी बीमारी फै ल रही है कक पछो मि! घर से वनकलने से पहले भी सोचना पड़िा है। • महेश – हाूँ यार! इसी िजह से मैं भी दो चार कदन बाद घर से वनकला हूँ।िो भी मज़बरन घर के कु छ समान लेने के वलए। • राहल – इस परे शानी के कारर् भी हम ही लोर् है क्योंकक हम सभी वबना ककसी ज़रूरि के ही िाहनों का उपयोर् करिे हैं। इससे न के िल ईंिन नष्ट होिा है परन्द्िु िायु भी दवर्ि होिा है। • महेश - हाूँ, बाि िो िुम सही कह रहे हो ।परन्द्िु िाहन िो लोर्ों के जीिन का एक अहम वहस्सा बन चुका है।लोर्ों को िाहन के वबना एक जर्ह से दसरी जर्ह जाने के वलए काफ़ी करठनाईयां होर्ी। • राहल – माना कक िाहन हमारे जीिन में बहि महत्िपर्ि है, परन्द्िु हमें हमारी ज़रूरि के वहसाब से िाहन का इस्िेमाल करना चावहए।जैसे यकद एक ही व्यवक्त का काम है िो हमें चार पवहयों िाले बडी र्ाड़ी की कोई आिश्यकिा नहीं है। • महेश - हाूँ भाई ! अब मैं समझ र्या।मैं आज से ही वजिना हो सके उिना िाहन का कम इस्िेमाल करू​ूँर्ा। • राहल - यकद दुवनया के सभी व्यवक्त ऐसे ही सोचने लर्े िो िायु प्रदर्र् का हमारे देश से जल्द ही अन्द्ि हो जाएर्ा। • महेश - हम्म ! िैसे बाि करिे – करिे काफ़ी िक्त हो र्या है ।अब हमें चलना चावहए। • राहल – हाूँ ! सही कह रहे हो , काफ़ी िक्त हो र्या है।अब चलना चावहए , घर पे सब इं िजार कर रहे होंर्े। • महेश - बाय! कफर जल्द ही वमलेंर्े।घर में सब को मेरी याद देना। • राहल - हाूँ ज़रूर! बाय, कफर वमलेंर्े। नाम - पलक जेना, किा - आठिीं - ब कक्षा - आठवी ं - ब


विद्यालय की एक झलक




विद्यालय की एक झलक


पे ड़ लगाओं िरिी की बस यही पुकार, पेड़ लर्ाओ पेड़ लर्ाओ आओ वमलकर कसम खाएूँ, अपनी िरिी को हररि बनाएूँ िरिी पर हररयाली हो जीिन में खुशहाली हो पेड़ िरिी की शान हैं जीिन की मुस्कान है | पेड़ पौिों को पानी दो, जीिन की यही वनशानी है | आओ पेड़ लर्ाएूँ हम पेड़ लर्ाकर, जर् महकाकर जीिन सुखी बनाएूँ हम, आओ पेड़ लर्ाएूँ हम - हेमि ं पंिार किा छठी ‘ब’

वसंि आई िसन्द्ि ऋिु आई चारों िरफ हररयाली छाई रं र् वबरं र्े फल वखले फलों पर भौरें मंडराएूँ मस्िी से वि​िली भी नाचे नाचे र्ाएूँ खुशी मनाएूँ कै सी कै सी मस्िी है छाई आई िसंि ऋिु आई । - स्नेह पटेल, किा दसिीं ‘ब’


फास्ट फड़ फास्ट फड यानी िुरंि भोजन | वजिना स्िाद में अच्छा होिा है,उिना ही सेहि के वलए हावनकारक भी होिा है | वपिा,बर्िर,वचप्स,नडल्स आकद फ़ास्ट फड कहलािे हैं | ये चीजें ज्यादािर ककसी होटल या ककसी जश्न या पाटी में खािे हैं | हम फास्ट फड ज्यादािर इसवलए खािे हैं वजससे समय की बचि हो और हमें जल्दी खाना वमल सकें | ज्यादा फास्ट फड खाने से हमारे शरीर को हावन पहूँच सकिी है | इससे हम िीरे -िीरे फास्ट फड के आदी होने लर्िे हैं जो हमारे शरीर के वलए ठीक नहीं है | ज्यादा फ़ास्ट फड खाने से हम िरह-िरह की बीमाररयों के भोर् बन सकिे हैं | हमें फास्ट फड का उपयोर् संभि​ि: टालना चावहए |

- वप्रयम कु मार किा –साि​िीं ‘अ’


आजादी ये मेरा भारि र्ि​ि से कहिा हूँ, एक आजाद देश है , जहाूँ सत्यम- वशिम -सुंदरम कभी िन्द्दे मािरम और कभी पंजाब चसंि र्ुजराि मराठा रविड उत्कल बंर्ा है। ये मेरा भारि है जहाूँ साि समुंदर पार परदेवशयों को भाइयों और बहनों कहके बुलािा है। हमारा भारि महान है िीर र्ाथाओं की शान है । सलाम है उन स्ि​िंि​िा सेनावनयों को वजन्द्होंने इस भारि को आजाद कराया । हर्र्िल राठिा आठिीं ‘अ’

प्रकृति यकद जीिन से है स्नेह िो प्रकृ वि को करो प्यार प्रकृ वि ही िो जीिन देिी है न करें इसका संहार प्रकृ वि है बहि सुन्द्दर जंर्ल में रहिे शेर, हाथी और बन्द्दर करें प्रकृ वि का संरिर् यकद जीिन से है स्नेह ,जीिन से है स्नेह |

-पदमश्री कक्षा-सािवी ं ‘ब’


कोरोना क र ना िैला पूरी दु वनया में , हम सबक इसक हराना ह गा। इससे लडने के वलए कुछ, उपाय क अपनाना ह गा। शरीर क साि रखना ह गा, हाथ क ध ते रहना ह गा। बाहर जाते िक्त मुख पर, मास्क लगाना ह गा। प खिक खाना खाना ह गा, शरीर क स्वस्थ बनाना ह गा। -अंतशका तसंह (सािवी ं ब)

पया​ा िरण पेड पौधे लगाएुँ गे,पया​ा िरण क बचाएुँ गे जल क प्रदू वित ह ने से बचाएुँ गे , अपनी दु वनया क शुद्ध और स्वच्छ बनाएुँ गे िूल जैसे ह ते हैं ,िैसी रं ग वबरं गी दु वनया बनाएुँ गे हिाएुँ जैसे चलती है , िैसी पविय ं के उडने िाली दु वनया बनाएुँ गे पेड पौधे लगाएुँ गे, पया​ा िरण क बचाएुँ गे द्वारा-आध्या प्रजापति कक्षा-VII-ब


तवद्यालय और महामारी रोज सुबह जािे थे विद्यालय , वमलिे - जुलिे थे वमिों से । होिी कफर विद्यालय प्राथिना , करके कफर वशिक को प्रर्ाम । देिे िब हर विर्य पर ध्यान , र्वर्ि,अंग्रेजी,समाज विज्ञान वहन्द्दी,संस्कृ ि और विज्ञान । वमलजुलकर ररसेस में खाना खािे, समय बचिा िो खेलने जािे । जब छु ट्टी की घंटी बजिी, घर जाने की सबको जचिी । घर आकर होिा यह कायि, करिे हर विर्य का र्ृहकायि क्यूँ न जाने आई महामारी , विपदा हो कोईि सब पर भारी । वमलना-जुलना, खेलना-कदना , िो हो र्ई दर की बाि । अब िो है दो र्ज की दरी , और मास्क पहनना भी है जरूरी । जैसा भी हो समय बीि ही जाएर्ा, िो समय कफर लौट के आएर्ा । हराएर्े इस बीमारी को वमलके , हर वनयम का पालन करके , कफर िही कदन िापस आएूँर्े, जब सभी विद्यालय जाएूँर्े । वनमेर् सािी [VIII B]


कपटी बाज एक बाज पेड़ पर रहिा था । उसी पेड़ की खोह में एक लोमड़ी रहिी थी। एक कदन जब लोमड़ी अपनी खोह से वनकली िो बाज उसमें घुस र्या और अपने बच्चों को वखलाने के वलए लोमड़ी के बच्चों को उठाकर ले र्या । जब लोमड़ी लौटी िो उसने बाज से अनुरोि ककया कक उसके बच्चे लौटा दो । बाज जानिा था कक लोमड़ी उसके घोंसले िक नहीं पहूँच पाएर्ी। उसने लोमडी के अनुरोि पर कोई ध्यान नहीं कदया । लोमड़ी पास के एक मंकदर में र्ई और िहाूँ से जलिी हई लकड़ी लेकर आई । उसने पेड़ के नीचे आर् लर्ा दी । आर् की र्रमी और िुएं से बाज डर र्या। अपने बच्चों की जान बचाने के वलए िह जल्दी से लोमड़ी के पास र्या और उसके बच्चे लौटा कदए । सीख- वनदियी व्यवक्त वजसका दमन करिा है, उनसे उसे हमेशा खिरा रहिा है। - कृ ष्र्राज कक्षा : दसवी ं ‘ब’

वसंि ऋिु दे ख िसं त ऋतु है आई अपने साथ मीठे मीठे आम लाई हर जगह सु नहरी धू प है छाई िसं त ऋतु की लावलमा है लाई पतझड में पत्ते वगरने लगे है मनम हक कवलया अब खखलने लगी है हररयाली का रूप सु नहरा बाग ं में जैसे िूल का गहना झूमे पंछी क यल गाए जैसे रं ग वबरं गे त्य हार आए त्य हार ं का मौसम अन खा कही पूजा त कही रं ग ं का खेल अन खा मस्तानी यह ऋतु है आई जैसे घर-घर में खुवशयाुँ है छाई

तनसगग जोशी (दसवी ं ‘ब’)


होगी नई भोर हे! नर ना हो वनराश बचाए रख जीिन में आस । जल्द होर्ी नई भोर वमटेर्ा चारों ओर का शोर। कफर से लौटेंर्े िे कदन खुशहाल मि कर इस र्ुजरिे समय का मलाल। बस संयम से जी साि​िानी बरि घर पर ठहर वमट जाएर्ी कोरोना की लहर। चजंदर्ी की आस को बरकरार रख वनयमों की पालना कदमार् में रख। प्रभु से हेि लर्ा मि दे ककसी को दर्ा। सकारात्मक सोच हटा मन की मोच वखलेंर्े खुवशयों के फल जाओर्े सब भल चजंदर्ी की रख आस ना हो वनराश मन में रख विश्वास जल्द होर्ी नई भोर।।

सुरेश चन्द्द बैरिा , स्नािकोत्तर वशिक, वहन्द्दी


“दो शब्द फूल पर" काूँटों से वघरा रहिा है फल, पर फल इिना अच्छा है, जो कक कभी ना देिा शल और मन को करिा हैं प्रफु ल्ल । फल शधिद में है अिर कम, पर इसके उपयोर् से कु छ होिे हैं खुश, िो कु छ की आूँखें होिी है नम। कु छ लोर्ों को शायद यह लर्े थोड़ा बुरा, पर होिा है ऐसे इस्िेमाल, िो क्यों डरना या डराना। इसके प्रयोर् करने के हैं कई उपाय, कोई पािे इन्द्हें जब होिे है जश्न, िो कोई पािे हैं जब बढ़िी है िरक्की और होिी है आय। की फल के इस्िेमाल करने के ढंर् है ज्यादा, कु छ अच्छे मौके पर, िो कु छ बुरे जब अपने कहिे हैं अलविदा। यह दो शधिद हैं फल के प्रवि मेरे जोकक मेरे मन और मेरी चेिना को उके रे ।। — कुमार आतदत्य (कक्षा– 11‘ब’)


मन सपनों से भरा हआ िो मन ककस्मि की लकीरों से अनजान था ख्िावहशों के बादलों में एक नया आया मेहमान था रोज सोचिा था कक वमलेर्ा मौक़ा आज उसे और उसकी भी परी हो सके र्ी सारी ख्िावहशें मर्र सपनों से भरा हआ िो मन ककस्मि की लकीरों से अनजान था इस बुरी सी दुवनया में अभी वसफि एक नन्द्हीं सी जान था कोवशशें िो बहि की पर हर जर्ह उसकी कोवशशे नाकाम रही जब नहीं हो सका कु छ भी उसके मन का कफर िो भी समझ र्या कक रब ने भी सोचा होर्ा कु छ उससे भी अच्छा |

-आयुषी शमाग कक्षा –दसवी ं ‘ब’


"भाव उमड़िे मन में ऐसे " भाि उमड़िे मन में ऐसे िरुओं में नि पल्लि जैसे। भार् रही हैं दुवनयाूँ ऐसे भि पड़ा हो पीछे जैसे। िन ही हो र्या बड़ा कै से ? वबन िन के लर्िा अपरािी जैसे। िन से बनिे ररश्िे, मनचाहे जैसे वबन िन के वनभिे जैस-े िैसे। मल्य बचे ना पुरखो जैसे नई पीढ़ी को राह वमली ये कै से ? भाि उमड़िे मन में ऐसे िरुओं में नि पल्लि जैसे।। दौड़ रहा खाने को ऐसे भखा है सकदयों से जैसे सब कु छ पचा रहा है ऐसे पेट दैत्य सा हो र्या जैसे भाि उमड़िे मन में ऐसे िरुओं में नि पल्लि जैसे।।

महेंर कु मार प्राथवमक वशिक


सुरभारति दे तव! सुरभारवत दे वि सरस्ववत हे ! प्रणमावम सदा ति पादयुगम्। विदु िां मवतदे , गवतदे , स्वरदे | जयदे , विमले , धिले, िरदे । जडता हरभारवत बुखद्धगतां । प्रणमावम सदा ति पादयुगम्।। 1 ।। अवयकण्ठवनिावसवन हे शुभदे ! जनमानसिासविलावसवन हे ! जगदीश्वरर हे शतचन्द्रशुभे! प्रणमावम सदा तिपादयुगम्।। 2 ।। अपहाय जटत्ववमदं वनखखलं। पररपूररतभानवनधनयुतम् कुरुदे वि! सुरेश्वरर मे हृदयं प्रणमावम सदा ति पादयुगम।॥3॥ मनसा िचसा िपुिा सततं ति पूजनमद्य मयावियते। मम िावच सदा ति नाम भिेत् प्रणमावम सदा ति पादयुगम्॥ 4 ॥ भिसागरपारमह नु कथं मम यास्यवत जीिनयानवमदम्। कविताकरणे मम यातु वदनं प्रणमावम सदा तिपादयुगम्।। 5 ।। संकलनकता​ा खुश्बू शमा​ा किा –VII B


स्िामी वि​िेकानन्द्दः

भारिस्य िरपुिाः येर्ु अविस्मरर्ीयः स्िामी वि​िेकानन्द्दः विश्विमिसम्मेलने भारिीय संस्कृ िेः श्रेष्ठिां प्रादशियि् बङ्र्प्रान्द्िस्य कोलकािानर्रे १८६३ िमे िर्े जनिरी मासस्य द्वादशे कदने एिस्य जन्द्म अभि​ि्। िस्य वपिा श्री विश्वनाथदत्तमहोदयः | पिां िस्य नाम नरे न्द्रनाथदत्तः इवि स्म। अध्ययनपटुरयं नरे न्द्रः शास्त्रीयसङ्र्ीिस्य अभ्यासं करोवि स्म |प्रविकदन व्यायामं करोवि स्म। ध्यानवसद्धः अयं भ्रमध्ये ज्योविरे कं पश्यवि स्म| ईश्वर- वजज्ञासुः अयं सिािन् पृच्छवि स्म यि् ककं भिान् ईश्वरं दृष्टिान? इवि | ईश्वरं ज्ञािुं पाश्चात्यदशिनस्य भारिीयदशिनस्य च र्ंभीरम् अध्ययनं कु ि​िन् अयं नरे न्द्रः विश्वविद्यालयस्य स्नािकपदिीम् अविर्ि​िान्। अवस्मन्नेि समये दैियोर्ाि् दविर्ैश्रिरस्िे कालीमवन्द्दरे परमहंसस्य रामकृ ष्र्देिस्य दशिनं िेन प्राप्तम् | रामकृ ष्र्मुकद्दश्य नरे न्द्रःपृष्टिान वकं भिान् दृष्टिान्? इवि |'आम्,त्िावमि ईश्वरमवप पश्यावम' इवि श्री रामकृ ष्र्देिः स्मयमानः अिदि् ।एर्:एि महापुरुर्: नरे न्द्रस्य अध्यात्म-र्ुरु:अभि​ि्। सन्द्यासदीिानन्द्िर नरे न्द्रस्य नाम वि​िेकानन्द्दः इवि अभि​ि् । अयं च नरे न्द्रः भारिभ्रमर् योर्सािना च कृ त्िा १८९३ िमे िर्े अमेररकादेशस्य वशकार्ोनर्रे विश्विमिसभायां भारिस्य र्ौरि प्रविष्ठावपि​िान्। ि​ि सभास्थले विवि​ि िमिग्रन्द्थाः एकस्य उपरर एकः इवि िमेर् स्थावपिाः आसन्। संयोर्िशाि् श्रीमद्भर्िद्गीिा सिेर्ाम् पुस्िकानाम् अिः आसीि्। एक अमेररकािासी उपहासपि​िकम् अिदि् स्िावमन्द्भि​िां र्ीिा सिेर्ां िमिग्रन्द्थानाम् अिः ि​ि​ि​िे इवि प्रत्युत्पन्नमविः स्िामी वि​िेकानन्द्द- हसन्नेि प्रत्यिदि्आम्। सत्यम् आिारवशला िु अिः एि भिवि। सा यकद बवहः स्िीकियेि िर्हि समग्रम् अिः पविष्यवि इवि ।विदेशेर्ु िेदान्द्ि​िमिस्य प्रचार कृ त्िा भारि प्रत्यार्िः सः देशोद्धाराय युिकान् प्रेररि​िान्। जनसेिा, स्िास्​्यरिा,स्त्रीवशिा, आिुवनक प्रौद्योवर्की प्रभृविर्ु िेिेर्ु असािारर् कायां किुां रामकृ ष्र्वमशन् इवि संस्था संस्थाप्य जनेर्ु शवक्तजार्रर्ं कृ ि​िान्। स्िावमवि​िेकानन्द्दस्य अयं सन्द्दश े : अद्यावप भारिीयान् प्रेरयवि- “उवत्तष्ठि, जाग्रि,प्राप्य िरावन्नबोि​ि”|

संकलन किाि विश्व ि​ि​िन चसंह राठौड किा –IX B


संस्कृतभािाया​ाः महत्त्वम् संस्कृता पररष्कृता पररशुद्धा व्याकरणसंबखिद िावदरवहता भािा संस्कृतभािेवत वनगद्यते | सिाविधद िसशू न्यत्वावदयं भािा दे िभािा,सुरभािा इत्यावदवभाः शब्ै ाः संब ध्यते | संस्कृत भािा विश्वस्य सिा​ा सु भािासु प्राचीनतमा सिोत्तमसावहत्यसंयुक्ता चाखस्त |संस्कृतभािाया उपय वगता एतस्मात् कारणाद् िताते यद् एिैि सा भािा अखस्त यताः सिा​ा सां भारतीयानाम् आयाभािाणाम् उत्पवत्त: अभित् |सिाभािाणां मूलरूपज्ञानाय एतस्या आिश्यकता भिवत|प्राचीने समये एिैि भािा सिा साधारणा आसीत् ,सिे जना​ाः संस्कृतभािां एि िदखि स्म | संस्कृतभािायामेि विश्वसावहत्यस्य सिा प्राचीनग्रन्ा​ाः चत्वार िेदा​ाः सखि ,येिां महत्त्वम् अद्यावप सिोपरर िताते |िेदेिु मनुष्याणां कत्ताव्याकत्ताव्यस्य सम्यकतया वनधा​ा रणं िता ते |तदनिरम् अध्यात्मवि​ियप्रवतपवदका उपवनिद: सखि, यासां मवहमा पाश्चात्यै रवप वनाः संक चं गीयते |ततश्च भारतगौरिभूता​ाः िड् दशानग्रन्ा​ाः सखि ,ये विश्वसावहत्ये अद्यावप सिामान्या​ाः सखि | महविा : िाल्मीवककृत िाल्मीवकरामायणस्य,महविा :व्यासकृतमहाभारतस्यच रचना विश्वसावहत्ये अपूिा​ा घटना आसीत् |संस्कृतभािैि भारतस्य प्राणभूताभािा अखस्त |एिैि समस्तं भारति​िाम् एकसूिे बध्नावत |भारतीयगौरिस्य रिणाय एतस्या​ाः प्रचाराः प्रसार: चसिैरेिकताव्य:| संकलनकता​ा पलक दरजी किा –XB


गु रो​ोः मतहमा १. गुरुर्ब्ाह्मा ग्रुरुविाष्ुाः गुरुदे ि महे श्वराः । गुरुाः सािात् परं र्ब्ह्म तस्मै श्री गुरिे नमाः ॥ २.धमाज्ञ धमाकता​ा च सदा धमापरायणाः । तत्त्वेभ्याः सिाशास्त्राथा​ा देशक गुरुरुच्यते ॥ ३.वनितायत्यन्यजनं प्रमादताः स्वयं च वनष्पापपथे प्रिताते । गुणावत तत्त्वं वहतवमच्छु रं वगनाम् वशिावथानां याः स गुरु वनागद्यते ॥ ४.नीचं शय्यासनं चास्य सिादा गुरुसंवनधौ । गुर स्तु चिुविािये न यथेष्टासन भिेत् ॥ ५.वकमि बहन क्तेन शास्त्रक वट शतेन च । दु लाभा वचत्त विश्राखिाः विना गु रुकृपां परम् ॥ ६.प्रेरकाः सूचकश्वैि िाचक दशाकस्तथा । वशिक ब धकश्चैि िडे ते गुरिाः स्मृता​ाः ॥ ७.गुकारस्त्विकारस्तु रुकार स्तेज उच्यते । अिकार वनर धत्वात् गुरुररत्यवभधीयते ॥ ८.गुशब्स्त्विकारे स्यात् रु शब्स्तवनर धके । अिकारवनर वधत्वाद् गुरुररत्याते ।। ९.अखण्डमण्लाकारं व्याप्तं येन चराचरम्। तत्पदं दवशातं येन तस्मै श्रीगुरिे नमाः ।। १०.आवचन वत वह शास्त्राथा माचारे स्थापयत्यवप। स्वयमाचरते यस्मादाचाया ाः पररकीत्याते।। संकलनकता​ा दीया पटे ल किा –XB


तवद्याथीजीवनम् 1.छािजीिनमेि मानिजीिनस्य प्रभाि​िेला आिारवशला च ि​ि​ि​िे । 2.समस्िजीिनस्य विकासस्य ह्रासस्य िा कारर्म् एि​िीिनमेिावस्ि। 3.िस्िुिः विद्यार्थिजीिनं सािनामय जीिनम् | अध्ययनं परमं िप उच्यिे। 4.छािजीिने पररश्रमस्य महिी आिश्यकिा ि​ि​ि​िे। 5.यः छाि आलस्यं त्यक्त्िा पररश्रमेर् विद्याध्ययनं करोवि स एि साफल्यं लभिे। 6.अिएि छािैः प्रािः काले ब्रह्ममुहिे एि उत्थािव्यम् | 7.ि​िः प्रविवनिृत्य स्नानोपासनाकदकं वि​िाय अध्ययन कत्तिव्यम् । 8. िदन्द्िरं च लघुसावत्िक भोजनं दुर्ि ् ं च र्ृहीत्िा विद्यालयं र्न्द्िव्यम्। 9.ि​ि र्त्िा र्ुरुन् नत्िा अध्ययनं कत्तिव्यम्। 10.छािै: असत्यिादं न कदावप कत्तिव्यम् । 11.छािजीिनं पर्ि​िः अनुशासनबद्ध:भिवि। 12.विद्यार्थिजीिने एिं समस्िानां मानिोवचिर्ुर्ानां विकास: एिं राष्ट्रस्ययानुपमा वनविरवस्ि। 13.अिः छािार्ां शारीररकं चाररविकं विकासं अत्यन्द्िावनिायिम् | 14.विद्यार्थिजीिनमेि सम्पर्िजीिनस्य आिारवशला। अिः िेर्ां सम्यक् रिर्ं पोर्र्म् च कत्तिव्यम् ।

संकलनकिाि आयुर्ी चौिरी किा –VIIB


सुन्दरसुरभाषा मुवनिरवसकवसतकवि​िरविलवसत मञ्जुलमञ्जूिा, सुन्दरसुरभािा। अवयमातस्तिप िणिमता ममिचनातीता, सुन्दरसुरभािा | मुवनिर....!! िेदव्यास- िाल्मीवक-मुवननां कावलदासबाणावद-कविनां पौरावणक-सामान्यजनानां जीिनस्यआशा, सुन्दरभािा।।मुवनिर....!! श्रुवतसुखवननदे सकलप्रम दे स्मृवतवहतिरदे सरसविन दे गवत-मवत-प्रेरक-काव्यविशारदे तिसंस्कृतवतरे िा, सुन्दरभािा | मुवनिर....!! निरसरुवचरालकवतधारा िेदवि​िय-िेदािविचारा िैद्य-व्य म-शास्त्रावद-विहारा विजयतेधराया, सुन्दरभािा | मुवनिर।। संकलनकता​ा यान्शु किा –VIIB


संस्कृिं मे तप्रयम् संस्कृ िं संस्कृ िं संस्कृ िं संस्कृ िम्| संस्कृ िंमे वप्रयं भारिम् मे वप्रयम्|| संस्कृ िे िाचनं संस्कृ िे भार्र्म् संस्कृ िे पाठनं संस्कृ िे लेखनम्| संस्कृ िे र्ायनं संस्कृ िे संभार्र्म् संस्कृ िे मे वप्रयं भारिं मे वप्रयम्|| संस्कृ िे जीिनम् संस्कृ िे वचन्द्िनम् संस्कृ िे मापनं संस्कृ िे खेलनम्| संस्कृ िेसािनंसंस्कृ िे योर्ासनम् संस्कृ िे मे वप्रयं भारिं मे वप्रयम्|| संस्कृ िं संस्कृ िं संस्कृ िं संस्कृ िम्| संस्कृ िं मे वप्रयं भारिं मे वप्रयम्|| संकलनकिाि पर्लिन सन्द्याल किा –IXA


तकं तकं किगव्यं पर पकाराः कताव्यम् | पर जन मारं हताव्यम्| स्वच्छे नीरे स्नातव्यम्| स्वच्छ समीरे भ्रवमतव्यम्| स्वच्छ िसनं पररधेयम्| सिं व्यसनं पररहे यम्| वनज कताव्यम् विज्ञेयम्| वहतकर िचनं िक्तव्यम्| मधुरं िचनं श्र तव्यम्| सुजन समीपे स्थातव्यम्| स्वच्छे दीपे पवठतव्यम्| संकलनकता​ा ख़ुशी ज शी किा –IXA

प्रकृवत: प्रकृवत माता सिेिां बहूनां अवप िलानां बहूनां अवप िृिाणां पुष्पानाम चावप मातेयं|| भ्रमराणां , पशूनां पविणां च माता अखस्त जनेभ्याः जीिनम् सदा ददावत प्रकृवताः माता || अखस्त सा तु मन हरी मातृणाम् अवप माताखस्त नम स्तुते मािे प्रकृत्यै || संकलनकता​ा अवधश्री किा –VIIIA


समयोः समयस्यपालनम् अखस्त अस्माकं कताव्यम् | अनेनपालनेन भिवत जीिनम् सिलम् || मनुष्य जीिनम् अमूल्यम् समस्यगवततीव्रम् | याः कर वत अस्य पररहारं तस्यजीिनम् वनरथा कम्|| समयम् अल्पम् अताः अत्यंत आिश्यकं समस्यपालनम् |

सं कलनकता​ा वनसगा ज शी किा –X B


Missing special person I’ve been looking for you since very long Time, But one thing kept holding me back That being I didn't know where to look for you, Unknowingly searched for you here and there Finally the moment arrived got to meet you, And had the best chat of my life with you. Felt like heaven is here for me far from hell, Want to have this moment for the rest of my life But I messed up and ended up losing you, I might have never told you but you were special to me. We didn’t spend much time together, But I will always remember you in the hopes, Of meeting you alive one last time -AbhayNegi (XI A)


Student Life During a Global Pandemic

The pandemic that began in the year 2020 had a drastic impact on all our lives in different ways. But the impact it had on student lives went deeper than most people think. School life before the pandemic had a pattern. It provides children with a schedule. It gave their life structure. Each morning, they would wake up at a fixed time, got ready and were on their way to school. The familiarity of every day’s timetable, designated seats in the classroom, and the company of friends shaped our school-lives. But with the onset of the pandemic, everything changed. During the initial stage, students were delighted at the prospect of a 2-week-long holidays, which unfortunately lasted longer. They fell into the schedule of online classes, falling out of their everyday routine. Online classes were easy to get distracted from. It was nothing like studying in a proper classroom with friends. Staying at home for days; staring at a screen for hours (not to mention battling with network issues) trying to grasp what was being taught; unable to meet friends and family, worrying for their safety as well as trying not to catch COVID was bound to take a toll on one’s education. And thus, it has become harder to get back into the same study pattern during the short periods when schools would reopen. Cramming for offline exams turn out to be harder than expected. That is why a little consideration and kindness can go a long way in helping students get back on track. Hopefully this will all end soon, and things will go back to what they were. -Abhimanyu Singh (XI-B)


ENVIRONMENT Do not pollute; water and air, Don’t throw garbage; here and there, Search a solution; stop the pollution, Do not cut trees; never and ever, Say no to plastic; protest plastic, Plant more trees; everywhere, Let us go green to get our world green Save paper Save trees Save environment -Dharm Patel (XI-B)


Success The way to success in life is best with dangers and uncertainties and only those persons can enjoy the glory of success who can understand risks and put endeavor to overcome it. The people who do not dare to take risk and give up their attempts at the first sight of danger and difficulties can never attain success. We had heard the names of Santosh Yadav and Maria Sharapova. Santosh Yadav, youngest woman scaled Mt. Everest. Santosh wanted to study in high school but her parents not allowed to send her because of prevailing custom. But Santosh decided to fight against the system. She also politely informed her parents about her plans to earn money; Maria Sharapova, number one position in women's tennis. Maria also took many risks. She went for training when she was ten years old. She managed all things on her own. She also faced the humiliation of people. But her mental toughness led her to success It is true that without taking any risk we never reach the height of success. Life is full of challenges. Those who accept these challenges, they will definitely succeed. So, we must take risk and encounter the dangers and difficulties with courage, Perseverance, and patience. It is possible that we may fail for some time, but by trying we get success. Princee Shah (XII-B)


L

CYBER SAFETY Cyber safety refers to a safe and responsible use of internet to ensure safety and security of personal information and not posing threat to anyone else's information. Now a days we all are aware about the lot of frauds happening online. Nearly the entire world has excess of internet connection in mobile. Cyber safety is important because anyone can be exposed to Internet fraud and malware is present at many locations on the internet. Cyber safety helps us to know how this cyberattack can impact us and what we should do to prevent it. Here are some example of cyber-attacks: identity theft, password sniffing, stolen hardware etc. Here are some ways to keep our data and our devices safe from these types of attacks: We have to keep our software and systems fully up to date. We should never share our data to unknown websites, if it is not secure website. We should use incognito tab because of this website can’t collect our cookies and information. We should not share our location and address to unknown website. We should not open the unknown link it may cause virus in your device and collect your mobile data. We should keep the backup of our data in case of cyber-attack in our device. Securing your wi-fi networks and hiding them is one of the safest thing you can do. We should not give the access of our device to any app or website they can stole data. We should not share our bank details to online website which are not secure. This are a few ways to keep our data safe. Vansh Patel (XI-A)


TRIAL

Everything is possible when you believe in yourself. Keep looking up, Aim is path to success knowing is not enough We must do labour to overcome our setbacks. Keep your eye on the prize, every day is a second chance. You have to run behind your goals, the goal will not run behind you. Always be ready to make your goal successful, Time is very precious it will never come back, Never quit, you will fail many times, but you will gain experience. Failure makes a man perfect in life, never be afraid of your failure. If you want to succeed in your life, you have to see your goal uphead your fear Trial means to learn from your mistakes and for gain

-NandaniSoni (XI-A)


NATURE Everything is nature, God has given us this feature, Birds fly in the sky, And mountains are so high, Trees are green, And water is so clean, We are not kind to it, We are only harming it, But it never betrays, It always give us right way. Please leave it as it is, Don't try to play with it. -Sunil (XI-B)

THE DREAM Dream for productive, You will achieve it. Dream for expensive, You will achieve it. Set your prospective, You can do it. Subham Rajput (XI-B)


COVID VACCINATION

Congratulations it's time for celebration, We have COVID vaccination, It's in the form of a potion, Of COVID's definition. Congratulations it's time for celebration, We have COVID vaccination, It is a time of caution, If you don't get vaccination. Congratulation it's time for celebration, We have COVID vaccination, If you are vaccinated, You will be congratulated. Congratulation it's time for celebration, We have COVID vaccination. - Sanidhya Magarvadiya (VI A)


The wish of dying Soldier On My lips dropped a tear from my mother’s eyes. You held me in your arm and raised my coffin. Leaving the women with whom I can’t get back I was young for you and will always remain. Thank you father for lifting my spirit unto the vibrant sky. I’m leaving this place forever, dear friends. Do not distress, it’s not the end. One day I will again take a birth. Promise me you will show the united Earth. I am grateful for protecting my mother India till the death. And now the time has come to leave this world. I am strong and I was strong when I was at border, but now it’s your turn to stay strong. Let’s lay this body in the deep crust. Hold up tears, don’t let them burst. One day we will treat this world as a whole. Also humans are not attached with hearts but with souls. Jai hind! -BhagyashreeJakhar (XI-A)


A Sunny Morning Another sunny morning of the new year, Walking down the street with no fear, I see people, I see children, everywhere, Celebrating their triumph over the scariest nightmare, Their glittery eyes shine brighter than the sky, As they were waiting for the night to pass by, I hope those days never come back. Who would have thoughtThat one can be locked in his own place, Even if he tries to leave, He cannot see a single face, Sanitization was the only protection, Mask up! Hands down! Was the only instruction. Imagine how you'll feel, Seeing thousands of people losing their lives. Imagine how you'll feel, In a supermarket with empty aisles. Talking about a sunny morning, Even the sunlight appeared much weak. To all the people living in that time, I want you to know, That this is a part of life, Everything will be alright, The sunny morning will come. When you can throw away your masks, And breathe the sweet smell of victory. Pratishtha (XII A)


HAPPINESS IS WHEN

Today was the worst day ever But I found a little courage I asked myself just like never, What is the real happiness? Where should I search it for? Happiness is when you are real not perfect, It's when you don't pretend to be happy, It's when you smile because of yourself, It's in the colour of sunset, It's in the smell of fresh coffee, It's in the picnic with friends, In your favourite music, At last just for a spice for fun, I poured myself in hope and laughter, And told myself, It isn't what you are, who you are, where you are, What you have and what you are doing, That makes you happy It's your choice to BE HAPPY.

-KhushiParsania (XII B)


SPRING Spring has arrived, Nature is revised, Snow has been chastised Nature’s beauty has been revived All are surprised Spring has arrived.... Divine looking earth All species got re-birth The beauty of the spring has no worth.... Spring has arrived -Ashish.V (XI A)


HOPE Hope gives me hope, Hope I can do it Hope that I can face it Hope they support me. Hope gives you hope Hope you get what you want Hope you work hard Hope they trust you. Hope gives up hope Hope we overcome our problems Hope the hard days passes swiftly Hope to be optimistic Kalpana (XI-A).

FREEDOM Feel the touch of the sky, Feel like a bird. If the bird is imprisoned, So help it fly. If it’s in the dark sky, Then light up from the lamp. Mind is just…, Touch the sky and Remember the freedom.

-Yashi Yadav (XI A)


Strings Strings strings everywhere Wonder if they have knots Where do they get tied Time isn’t considered! Strings strings connecting Everything you see Everything you don’t see Is also connected by strings You can’t see them Cause they are insanely small But you can pick one If you can feel them String strings vibrate And create melodies Of reality You can and can’t perceive BansareeGurjar (XI-A)


TAKE TIME 15 Interesting Facts about English 1.

The most common letterTake in English is "e". time for now.

2.

The most common English is "e", followed by "a". Thisvowel is theinonly moment you are sure of.

3.

The most common consonant in English is "r", followed by "t".

Take time for friends.

4.

Every syllable in English must have a vowel (sound). Not all syllables have They will help you through the very worst day. consonants.

Take time for family.

5.

Only two English words in current use end in "-gry". They are "angry" and "hungry". You will miss them , immeasurably , when they are gone. 6.

The word "bookkeeper" (along itsfor associate Takewith time work. "bookkeeping") is the only unhyphenated English word with three consecutive double letters. 7.

But don't let work , take all of your time.

More English words begin with the letter "s" than with any other letter.

Take time to laugh.

8.

The word "uncopyrightable" is the longest English word in normal use that contains no letter more Laughter than once.raises spirits and lift the gloom. 9.

A sentence that contains allTake 26 letters of the alphabet is called a "pangram” time for music.

10.

The longest English word without a true vowel (a, e, i, o or u) is "rhythm".

11.

Longest word is “Pneumonoultramicroscopicsilicovolcanoconiosis”

It will feed your soul and bring you joy. Take time for you.

12.

The only word in English that ends with the letters "-mt" is "dreamt" (which is If you keep dividing yourself , what will be left ? a variant spelling of "dreamed") - as well of course as "undreamt") 13.

Take time to understand.

The shortest complete sentence in English is the following. "I am."

That we4can't save time we can just try to use it wisely. There are only English words in ,common use ending in "-dous": hazardous, horrendous, stupendous, and tremendous. 14.

Take time to live.

15.

The word "alphabet" comes from the first two letters of the Greek alphabet: [Attributed to Liam Porter] “alpha, bēta”.

By, Meshwi Patel (class 10th A) (Source : Internet)

Name: Vardhan Chirag Shah Class: X - A


SOME BASIC FULL FORMS MD- Doctor of Medicine PDF - Portable Document Format AIDS - Acquired immunodeficiency Syndrome ATM - Automated teller machine BSF - Border security Force Bcc - Blind carbon copy CBSE - Central Board of Secondary Education CNG - Compressed natural Gas DNA - Deoxyribonucleic acid DVD - Digital versatile disc FIR - First Information Repost FCI - Food Corporation of India GPS - Global positioning System GPRS-General Packet Radio Service HIV - Human immunodeficiency Viruses HTML - Hypertext Markup Language IAS - Indian Administrative Service IPS - Indian Police Service JPEG - Joint Photographic Experts Group LIC - Life insurance Corporation of India MBBS - Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery NCERT - National council of Educational Research and Training ONGC - Oil and Natural Gas Corporation Limited RTI - Right to Information GDP - Gross domestic product NEET - National Eligibility cum Entrance Test

KHUSHVI PRAJAPATI 10TH A


MORPHOLOGY AND ROOTS * SOME HINDI WORDS ACCEPTED IN ENGLISH DICTIONARY 1)

CUSHY - not burdensome or demanding

2)

DUNGAREE - a coarse durable fabric, or pants made from that fabric

3)

BANDANA - a large and brightly colored handkerchief

4)

CHIT - the bill in a restaurant

5)

PUNCH - normally served in a punch bowl

6)

CUMMERBUND - a broad pleated sash worn at the waist with a tuxedo

7)

SARI - a draped dress worn primarily by Hindu women

8)

PUNDIT - someone who has been admitted to membership in a field

9)

SHAMPOO - the act of washing your hair with shampoo

10)

LOOT - goods or money obtained illegally

11)

JUGGERNAUT - a massive inexorable force

12)

JUNGLE - an impenetrable equatorial forest

13)

SEERSUCKER - a light puckered fabric that is usually striped

14)

COT - a small bed that folds up for storage or transport HIYANSH (6 A)


प्रेरक वनबंि प्रेरर्ा एक आिश्यक कारक है जो सकारात्मक विचार को ित्काल किया में बदल देिा है। यह एक महान विचार को किया में बदल देिा है और वनस्संदह े आपके आस-पास की दुवनया को प्रभावि​ि कर सकिा है। हालांकक, सभी प्रेरर्ा के साथ पैदा नहीं होिे हैं। लोर्ों को कभी-कभी खुद पर अविश्वास होिा है; िे अक्सर कहिे हैं, "मैं ऐसा नहीं कर सकिा" या "समय सही नहीं है।" वडमोरटिेट होने का मिलब है एक खराब हो चुकी मशीन की िरह जीिन जीना। वबना ककसी चचंर्ारी के आपका जीिन नीरस हो जाएर्ा। इसवलए, जीिन में आंिररक शांवि और संिुवष्ट प्राप्त करने के वलए, आपको हमेशा प्रेररि रहना चावहए। प्रेरर्ा आपको अपने सपने की ओर िके लने की िाकि है। अर्र स्टीि जॉधिस में ऐप्पल लॉन्द्च करने की प्रेरर्ा की कमी होिी, िो आपको आईफोन या आईपैड नहीं वमलिा। यह आपको चेहरे पर हमेशा मुस्कान के साथ जीने का एक उद्देश्य देिा है। इस प्रकार, अपने आत्म-प्रेरर्ा कौशल को साकार करना और उस पर काम करना आपको जीिन के विवभन्न पहलुओं पर वनयंिर् करने में सिम बनाएर्ा। आत्म-प्रेरर्ा के महत्िपर्ि ित्ि लचीलापन और आशािाद हैं। पि​ि आपको करठन समय के दौरान िापस उछालने में मदद करे र्ा, जबकक बाद में, आप आपको आर्े एक उि​िल पि कदखाएंर्े। इस िरह, आप अपनी भािनाओं को वनयंवि​ि करने में सिम होंर्े जो आपको रोक रहे हैं। आपको अपनी चचंर्ारी िापस पाने के वलए सही प्रेरर्ा खोजने की जरूरि है। आप प्रभािी स्रोिों की एक विस्िृि श्रृंखला से प्रेरर्ा पा सकिे हैं, उदाहरर् के वलए, उद्धरर्, ककिाबें, िीवडयो, मािा-वपिा, वशिक और यहां िक कक प्रकृ वि से। अंि​िः, जब आप जीिन में प्रेररि होिे हैं, िो आप नकारात्मक भािनाओं को दर करने के वलए िकि संर्ि सोच सीखेंर्े। प्रेरर्ा आपको जीिन में सकिय बनाने में भी मदद करिी है। आप अपने लक्ष्यों को परा करने के वलए अविक संघर्ि करें र्े। एक स्ि-प्रेररि व्यवक्त हमेशा ककसी कायि को परा करने के मार्ि में बािा डालने िाले मुद्दों को समझने का एक िरीका खोजिा है। इसके अलािा, उन्द्हें अपने करीब एक चुनौिीपर्ि कायि को परा करने के वलए अन्द्य लोर्ों के समथिन की आिश्यकिा नहीं होिी है। इसवलए, प्रेरर्ा आपके जीिन के ककसी भी चरर् में सफल होने के वलए महत्िपर्ि कारकों में से एक है। चाहे व्यवक्तर्ि या व्यािसावयक घटनाएूँ दोनों ही व्यवक्त को लक्ष्यों को प्राप्त करने के वलए सकारात्मक बने रहने की माूँर् करिी हैं। एक प्रेररि व्यवक्त के रूप में, आप हमेशा अपनी सीमाओं को आर्े बढ़ाने और हर कदन अपने प्रदशिन के स्िर को विकवसि करने का प्रयास करें र्े। इसके अलािा, आप हर कायि के दौरान अपना सि​िश्रेष्ठ देने के वलए वनरं िर प्रयासरि रहेंर्े। आप देखेंर्े कक आप जीिन के उद्देश्यों के प्रवि समर्पि​ि और प्रर्विशील बने हए हैं। अंि में, आपके सपने और लक्ष्य परे होंर्े जैसा आपने हमेशा लक्ष्य रखा था। इसवलए, वबना उम्मीद खोए जीिन में हमेशा प्रेररि रहें। जब आप हर कदन प्रेररि रहिे हैं, िो यह आपको आपके लक्ष्यों के करीब ले जाएर्ा। जब आप ककसी करठन कदन से र्ुज़रें िो शांि रहना सीखें। यह एक उत्कृ ष्ट आदि है और इसे जीिन में लार् ककया जाना चावहए। निीजिन, आपके सभी नकारात्मक विचार दर होने लर्ेंर्े। नाम: सव्या ठक्कर किा: आठिी ब


विद्यालय पविका ग्राविक्स एं ड वडजाइन - श्री.शवशिदन एस श्रीमाली , लाइर्ब्े ररयन, के.वि.मेहसाना।


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