D E VOT I O N
माúताओं को छोड़कर, सरलपने से िनëपटता से पढ़ना चािहए. इसके बाद मुvा points िलख कर िवचारणा चािहए की
hानी के कहने का ममd [ा है . इसके बाद tally करना चािहए की हमने जो समझा है वह सही है न? अपने सìंग लीडर से चचाd करके या गु: वाणी या गु: शाL पढ़कर, इसके पsात जो पढ़ा है उसका सारे िदन िवचार या आलोड़न
(churning) चलनी चािहए.
माG "ानी के आHय तथा आशीवा,द से सब सुधर नही ं जाता;
परKु उनके िदए Mए वचन के इरादे (आशय) पर पुAषाथ, करने से दशा >ाR होती है - पूU पVाजी
जब से पू'य)ी क, आ.ा अनुसार पदाथ6 7व.ानं पढ़ना शु< =कया तब से अथ6पूण6 तर@के से पढ़ना या वांचन करना
समझ आया. तीन बार पढ़ने क, आ.ा मD ऐसा लगा जैसे हर बार कोई नया ह@ गढ़ ू रहLय सामने आता था. मेरे भिOत के Captain के PQत अहो भाव जागे और )Sधा बढ़@. पू'य)ी क, आ.ा “सुबह 2 घंटे का वांचन और उस पर
पूरे Xदन 7वचार” मD गूढ़ रहLय छुपा है आिZमक 7वकास के [लए. सत और असत का 7ववेक ह@ नह@ं था. अपना
अिLतZव इस लोकाकाश मD Oया है वह समझने क, श^ ु आत हुई. Lव को जानने क, श^ ु आत हुई इस Pभावशाल@ वांचन से.
4) सOंग करना चािहए
सìंग तो ^ के प{रचय की आग मO कूदने का आमंÉण है . यह ऐसी आग है जो हमे नहीं जलायेगी, पर वह जलायेगी जो
हम नहीं ह\ . सìंग (आ( का संग ) का मतलब है सरकना. सìंग üादातर सद् गु: की company मO होता है इसीिलए सìंग का अथd है िकसी सत आ(ा, शुf आ(ा का संगत करना. मेरी भाव दशा सरकनी चािहए. गु: के मन को भी समझने की kमता उ]1 करता है सìंग. सìंग वह जो सत (आ(ा) का प{रचय कराये, जहां आ(ा का िवचार आये, और सद् गु: पर जो आिÖत ह\ उनका संग िमले.
सWंग नो रस चाख,
>ाणी, तू तो सWंग नो रस चाख | >थम लागे तीखो ने कडवो, पछी आं बा केरी शाख | - मीराबाई
सìंग करने से उसका माहाÅ समझ आया. पूXÖी कौन ह\ , उनकी आhा का महT [ा है . यह सभी का ममd समझ मO आया. बáत बार सìंग /ा° होने के बाद भी कुछ समझ नहीं आता [ोंिक पाÉता नहीं होती. सìंग मO आने के बाद आ(ा के िवषय मO जानने को िमला. इस अ_पी चीज़ जो िदखती नहीं है उसके िलए ¢ास जागी. आज आँ ख मO आँ सू आ जाते ह\
परमा(ा के िलए या उनके सामने; सìंग के कारण! [ोंिक इस सìंग ने अंदर के कई तार िहला िदए ह\ . “जोग नथी सìंग नो नथी सìेवा जोग …” का अथd समझ आया. जब कोई जीव मधुशाला से बाहर िनकलता है तो वह संसार का सुख दु ः ख सब भूल जाता है शराब के असर के कारण. बस इस ही तरह जब जीव सìंग से बाहर आये तो ऐसा आनंद और ख़ुशी िमलनी चािहए और जब कोई सìंग मO जाए तो सुब सुख दु ः ख बाहर छोड़ कर घुसना चािहए सत के संग मO. Immersion is the key. और जब तक हम वह नहीं करO गे, वह लाभदायक नहीं होगा. इसके िलए भी योbता चािहए.
(To be continued in the June 2022 issue of Jain Digest) 46