Vaigyanik Oct-Dec2021

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ISSN 2456-4818

अक्टू बर-दिसंबर 2021 वर्ष: 53

अंक: 4

वैज्ञानिक

50

वैज्ञानिक

दिं िी ववज्ञाि सादित्य पररर्ि की पविका

अमृत मिोत्सव ववशेर्ांक

75 वर्ों में ववज्ञाि की उपलब्धिया​ाँ

1 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


वैज्ञानिक सनमनत मुख्य संपािक डॉ. कुलवंत नसंि

श्री राजेश कुमार नमश्र

सम्पाि​ि मंडल

डॉ. रब्मम वार्ष्णेय

श्री िरें द्र करिािी

श्री रामप्रकाश कुशवािा

मुख्य व्यवस्थापक श्री िमषराज मौयष

श्री वविोि कुमार

व्यवस्थापि मंडल श्री ओमप्रकाश कुशवािा

2 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)

श्री संजू वमाष


वैज्ञानिक वर्ष - 53

अिुक्रमब्णका संपािकीय

अंक - 4

- 5

लेख

अक्टू बर-दिसंबर 2021

1.

ववज्ञाि के क्षेि में स्वािीि भारत की उपलब्धिया​ाँ-2 -

 मुख्य संपािक 

2.

डॉ. कुलवंत नसंि

डॉ. रब्मम वार्ष्णेय भारतीय अंतररक्ष कायषक्रम - स्वब्णषम युग

3.

 सम्पाि​ि मंडल 

िरें द्र कुमार करिािी, डॉ. कुलवंत नसंि

4.

डॉ. िीपक कोिली डॉ. मिुछन्िा चक्रवती

6.

श्री िमषराज मौयष

डॉ. कुलवंत नसंि

7.

डॉ. श्रीमती स्वानत चड्ढ़ा

8.

- 32

अमेररका की राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं

-

श्री वविोि कुमार श्री ओमप्रकाश कुशवािा श्री संजू वमाष

- 22

ववज्ञाि अिुसंिाि और नशक्षा - रार्ष्र-प्रगनत के मुख्य आिार

-

व्यवस्थापि मंडल

- 19

ववज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी में भारत की उपलब्धियां

-

मुख्य व्यवस्थापक

- 16

वि िी जीवि, वि िी संपिा

5.

िरें द्र कुमार करिािी, डॉ. कुलवंत नसंि ि​िकुमार मदिलांग

- 44

ववज्ञाि कववता

- 46

व्यविगत : रु 1000

प्रकृ नत की करुणा / करािते बािल

: रे खा भादटया

भुगताि : स्टे ट बैंक आफ इं दडया

ऐसा ववश्व

: सुर्मा भंडारी

वबंि ु / िपषण

: नि​िाल चन्द्र नशविरे

संस्थागत : रु 2000

डी.एि.ए.

खाता संख्या : 34185199589 IFS Code : SBIN0001268

कृ ते: दिं िी ववज्ञाि सादित्य पररर्ि Pay to: Hindi Vigyan Sahitya Parishad कृ पया सिस्यता िे तु भुगताि की रसीि ईमेल से/ चेक अपिे पते के साथ पिाचार के पते पर भेजें.

पिाचार: 2601, ववंग-3, लोढ़ा अमारा, कोलशेट रोड, थािे-400607 मिाराष्ट्र

hvsp.sachiv@gmail.com सभी पि अवैतनिक िैं वैज्ञानिक में छपी रचिाओं का िानयत्व लेखकों का िै .

मूल्य रु 50/-

- 36

पुस्तकालय जागरूकता

-

सिस्यता शुल्क आजीवि

- 11

वन्य जीवों का पयाषवरण संरक्षण में योगिाि

-

श्री राजेश कुमार नमश्र डॉ. रब्मम वार्ष्णेय श्री िरें द्र करिािी श्री रामप्रकाश कुशवािा

- 7

केन्द्रक

: ऋचा नसन्िा

: अिीता श्रीवास्तव

ववज्ञाि समाचार – िीवपका करिािी, राब्जंिर अरोरा 1.

प्रनतरक्षा 'प्रिरी' कोनशकाओं ……

2.

िई िवा संयोजि ……

3.

स्पेस-क्राफ्ट पाकषर सूरज तक पिुंचा

4.

जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप

- 49

ववज्ञाि पुस्तक समाचार/ समीक्षा

- 54

मिोगत

- 55

अंतररक्ष की सैर सूयष का भू-चुंबकीय झंझावात

डॉ. रब्मम वार्ष्णेय

- 58

यािा प्लूटो की

प्रो. अनिल कुमार

- 61

3 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


4 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


संपािकीय स्वतन्िता के 75 वर्ष - सम्पूणष भारतवर्ष में ‘आजािी का अमृत मिोत्सव’ मिाया जा रिा िै . स्वतन्िता प्राप्त करिे में लाखों भारतीयों द्वारा दकए गए बनलिािों को स्मरण करिे का यि अवसर िै . 75 वर्ों में प्राप्त उपलब्धियों तथा प्रगनत को मुड़कर िे खिे का समय िै , साथ िी भववर्ष्य निमाषण के नलये संकल्प लेिे का. िमें आिे वाले वर्ों में भारत के मूलभूत ववकास के साथ-साथ ववज्ञाि और प्रौद्योनगकी को उस नशखर पर ले जािा िै , ब्जससे िम ववकनसत भारत का स्वप्ि पूरा कर सकें. भारत िे वपछले 75 वर्ों में कई क्षेिों में वृि​ि उन्िनत की िै . स्वास्​्य, नशक्षा, पररवि​ि, संचार, कृ वर्, ववज्ञाि इत्यादि. लेदकि िमें अभी बिुत प्रयास करिे िैं , िागररकों के उत्कृ ष्ट-जीवि के नलये, राष्ट्र-समृवि के नलये, ववज्ञाि और प्रौद्योनगकी में अग्रणी भूनमका के नलए.

वपछले 75 वर्ों में भारत िे जि स्वास्​्य सुिार में पयाषप्त उपलब्धियां िानसल की िैं . नशशु मृत्यु िर में उल्लेखिीय कमी आई िै . भारतीय नचदकत्सा अिुसंिाि और स्वास्​्य में आश्चयषजिक प्रगनत की िै . निरं तर अिुसंिाि और जमीिी स्तर पर कायाषन्वयि के माध्यम से भारत भारत चेचक, पोनलयो, याज, नगिी-वमष और िवजात दटटिेस जैसे रोगों को समाप्त करिे में सक्षम रिा िै . िै जा, कोढ़, टीबी, मलेररया, काला-जार, लसीका फाइलेररया, जैसे रोग काफी ि​ि तक नियंवित कर नलए गए िैं , और उन्िें समाप्त करिे का लक्ष्य रखा गया िै . िाल के वर्ों में, इन्द्रि​िुर् नमशि की शुरूआत तथा स्वच्छ भारत, उज्जज्जवला योजिा, आयुर्ष्माि भारत और पोर्ण अनभयाि जैसी योजिाओं से आश्चयषजिक प्रभाव पड़ रिा िै . इं स्टीट्यूट ऑफ जीिोनमक्स एंड इं टीग्रेदटव बायोलॉजी िे कोववड-19 जांच दकट का ववकास दकया, और टाटा के साथ इस उत्पाि को ररकाडष समय में बाजार में लािे में सफल रिा. वैज्ञानिक और औद्योनगक अिुसि ं ाि पररर्ि का बिुत से उद्योगों के साथ िीर्ष सियोग रिा िै . इि प्रयोगशालाओं िे छि माि में सौ कोववड तकिीकों का निमाषण दकया. और 60 से अनिक तकिीकों को उद्योगों को िस्तान्तररत दकया. भारत िे कुछ सस्ती एंटी एचआईवी और्नियां उत्पादित की िैं . इसका श्रेय राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला तथा भारतीय रासायनिक प्रौद्योनगकी संस्थाि को जाता िै . कोववड-19 मिामारी के िौराि भारतीय रासायनिक प्रौद्योनगकी संस्थाि िे फेवववपराववर के नलए कम लागत की प्रदक्रया ववकनसत की तथा नसप्ला को िस्तांतररत की. यि िवाइयां थोड़े समय में िी बाजार में आ गयीं. भारत के पास पारम्पररक ज्ञाि की समृि ववरासत िै . बिुत-सी पुराति नचदकत्सा पिनतयों को प्रलेब्खत दकया जा चुका िै . दकंतु आिुनिक वैज्ञानिक दृवष्टकोण से इसे वैिता प्रिाि

करिे की आवमयकता िै . इस संिभष में, सीएसआईआर बिुत से आयुवदे िक सूिाीकरण के नचदकत्सीय परीक्षण में

संलग्ि िै तथा कुछ पािप आिाररत और्नियों को पुिः स्थावपत दकया िै . कोववड-19 के िौराि फोटोफामाषस्यूदटकल नचदकत्सीय प्रयोग को सि फामाष तथा इं टरिेशिल सेंटर फार जेिेररक इं जीनियररं ग एंड बायोटै क्िोलाजी के सियोग से पूणष दकया गया. आयुर् मंिालय के साथ सीएसआईआर आिुनिक तथा वैज्ञानिक पररप्रेक्ष्य से पारम्पररक और्नियों तथा भारतीय और्नि प्रणानलयों - आयुवि े , नसिा को वैिता िे िे में लगी िै .

2020 में पिली बार भारत िे िींग की कृ वर् आरम्भ की. ववश्व में िींग का सबसे बड़ा उपभोिा िोिे के बावजूि, इसकी भारत में खेती ि​िीं की जाती थी, इसे आयात दकया जाता था. सीएसआईआर का एक अन्य योगिाि - ब्जसिे िजारों दकसािों की आय में वृवि की िै तथा सैंकड़ों उद्योगों का सृजि दकया िै , वि िै अरोमा नमशि. और्िीय तथा सगंि पौिों की खेती का सूिापात. वपछले वर्ों में एिएएल िे तेजस और ववमाि​ि क्षेि के नलए बिुत-सी जदटल प्रौद्योनगदकयों का ववकास दकया िै . केन्द्रीय चमष अिुसंिाि संस्थाि िे चमष क्षेि को 5 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


बिुत-सी प्रौद्योनगदकयां प्रिाि की िैं . ब्जज्ञासा कायषक्रम वैज्ञानिक तथा नशक्षकों को एकजुट िोकर युवा मब्स्तर्ष्कों

को पोवर्त करिे के नलए एक अदद्वतीय मंच िै . 2021 में भारत िे अपिा 40वां अंटाकषदटका वैज्ञानिक अनभयाि लान्च दकया. जैव प्रौद्योनगकी ववभाग िे ववनभन्ि ठोस, तरल और गैसीय कचरे को अक्षय ईंि​ि, ऊजाष और उपयोगी उत्पािों जैसे भोजि, चारा, पानलमर और रसायिों में बिलिे के नलए ववनभन्ि प्रौद्योनगकी प्लेटफामष ववकनसत दकए िैं . राष्ट्रीय कृ वर् खाद्य जैव प्रौद्योनगकी संस्थाि द्वारा एंथोसायनि​ि समृि बायो-फोदटष फाइड रं गीि गेिूं की दकस्में

ववकनसत की गईं, ब्जन्िें कई कंपनियों के साथ अिुबंि खेती िे तु समझौते दकये गए. कृ वर् क्षेि में मक्का, चावल, गेिूं, सोयाबीि सदित कई िई फसल दकस्में जारी की गई िैं . ब्जसमें बैक्टीररयल धलाइट प्रनतरोिी सांबा

मंसूरी चावल, उच्च पोर्क तत्वों से भरपूर मक्का, उच्च जस्ता समृि चावल, उच्च उपज और सूक्ष्म पोर्क तत्व युि गेिूं और डु रम गेिूं शानमल िै . वपछले कुछ वर्ों में, भारत िे वेलकम (Wellcome), लंि​ि ब्स्थत शोि निनि, और ववत्त पोर्ण एजेंसी यूके ररसचष एंड इिोवेशि (UKRI) जैसे संस्थािों के साथ ववशाल ववज्ञाि पररयोजिाओं और अंतरराष्ट्रीय साझेिारी में भारी निवेश दकया िै . भारत सरकार का मेगा साइं स ववजि स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय सियोग का समथषि और बढ़ावा िे ता िै . ववज्ञाि और प्रौद्योनगकी ववभाग िे वपछले कुछ वर्ों में कई दद्व- और बिुपक्षीय सियोगात्मक

ववत्त पोर्ण योजिाएं शुरू की िैं . भारत अंतरराष्ट्रीय अिुसंिाि-ववत्त पोर्ण निकायों, जैसे मािव सीमांत ववज्ञाि कायषक्रम और यूरोपीय आणववक जीव-ववज्ञाि संगठि के साथ भी सब्म्मनलत िो गया िै . निश्चय िी िम प्रगनत की राि पर िैं .

कुलवंत नसंि

फोटो सीमैप से साभार

फोटो कृ वर् जागरण से साभार

6 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ववज्ञाि के क्षेि में स्वािीि भारत की उपलब्धिया​ाँ-2 डॉ. रब्मम वार्ष्णेय (... गतांक से आगे) वर्ष 1972 से 1996 तक वर्ष 1972 : िीलनगरर श्रेणी के युिपोत (दिगेट) आईएिएस िीलनगरर को भारतीय िौसेिा के बेड़े में शानमल दकया गया था. वर्ष के मध्य तक पिुाँचतेपिुाँचते अिषल श्रेणी के जंगी जिाज आईएिएस अिषल

तथा आईएिएस एन्रोथ भी सब्म्मनलत िुए, जबदक इसी श्रेणी का आईएिएस अंजिीप िे वर्ा​ांत में अपिा कायषभार साँभाला. वर्ष 1973 : वेला श्रेणी के आईएिएस वेला और आईएिएस बगीर पिडु ब्धबया​ाँ भारतीय िौसेिा में शानमल िुईं. अिषल श्रेणी के जंगी जिाज आईएिएस

अंडमाि िे कायषशील िोिे के बाि से वर्ष 1990 के तूफाि में लापता िोिे तक अपिी सेवाएाँ िीं . वर्ष 1974 : यि वर्ष भारत को आत्मववश्वास से सराबोर करिे वाला वर्ष रिा, जब उसिे 18 मई को

असंयोब्जत स्तर पर आयषभट्ट मसाले और नतलि​ि के क्षेिों में अिुसंिाि कायष िे तु राष्ट्रीय अंतववषर्यी ववज्ञाि तथा प्रौद्योनगकी संस्थाि की स्थापिा नतरुअिंतपुरम में की गई.

पोखरण में परमाणु ववस्फोट कर के िानभकीय शवि का प्रिशषि दकया. वेला श्रेणी के आईएिएस वागली पिडु धबी भी भारतीय िौसेिा में सब्म्मनलत कर ली गई. वर्ा​ांत तक वेला श्रेणी के आईएिएस बगशीर पिडु धबी िे अपिी सेवाएाँ िे िी आरं भ कर िी थीं . िीलनगरर श्रेणी के युिपोत आईएिएस दिमनगरर िे

भारतीय िौसेिा में अपिी जगि बिाई. अिषल श्रेणी

जल-थल

के जंगी जिाज आईएिएस अमीिी भी कायषशील

आईएिएस र्ोरपड़, केसरी औऱ शािष ल ू को भारतीय

िुआ.

में

उभयचारी

युि-पोत

(कुंभीर

श्रेणी)

िौसेिा में कायषशील दकया गया. िौसेिा िे इस वर्ष

वर्ष 1975 : वर्ष 1975 भारत की मेिा का परचम

का समापि और िव वर्ष का स्वागत िीपक श्रेणी के

ववश्व ि​िीं, अंतररक्ष में लिरािे की दृवष्ट से अत्यंत

आईएिएस शवि को अंगीकार कर के दकया.

मित्वपूणष वर्ष रिा, जब अप्रैल की 19 तारीख को

वर्ष 1976 : िीलनगरर श्रेणी के युिपोत आईएिएस

भारत के पिले कृ विम उपग्रि आयषभट्ट को छोड़ा

उियनगरर िे भारतीय िौसेिा को अपिी सेवाएाँ िे िा

गया था, जो पूणत ष या भारत में िी अनभकब्ल्पत तथा

शुरु दकया. वर्ा​ांत तक िग ु ष श्रेणी के जंगी जिाज

संववरनचत था. इसका िामकरण भारत के ववख्यात खगोलववि आयषभट्ट के िाम पर दकया गया था.

आईएिएस ववजयिग ु ष िे भी िौसेिा के िाथ मजबूत दकए. द्रत ु प्रिारक याि (चमक श्रेणी) आईएिएस

7 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


प्रताप, प्रचंड, प्रबल, प्रलय, चपल और चमक िे

आईएिएस भाविगर के आगमि का साक्षी रिा.

िौसेिा को िई ऊाँचाइया​ाँ प्रिाि की. जल-थल में

पिले

उभयचारी युि-पोत (कुंभीर श्रेणी) आईएिएस शरभ

भास्कर-1 का निमाषण दकया गया. इससे प्राप्त नचिों

िे कायाषरंभ दकया.

का लाभ जल ववज्ञाि और वानिकी के क्षेि में िुआ.

वर्ष 1977 : जैव रासायनिक केंद्र (सीबीटी) की स्थापिा की गई, ब्जसिे प्रकायाषत्मक ब्जिोनमकी की तरफ किम बढ़ाते िुए, वर्ष 2002 में सीएसआईआर

प्रायोनगक

िरू स्थ

सुग्रािी

(संवेिी)

उपग्रि

समीर से प्राप्त प्रचुर वैज्ञानिक आाँकड़े समुद्र ववज्ञाि का अध्ययि करिे के नलए अत्यंत उपयोगी नसि िुए थे. इसी वर्ष अंतररक्ष में रोदिणी प्रौद्योनगकी पेलोड भी

– ब्जिोनमकी और समवेत जीव ववज्ञाि संस्थाि

छोड़ा गया था, जो भारत का पिला प्रमोचि वाि​ि

(आईजीआईबी) का स्वरूप ले नलया.

था. वर्ष 1980 : राजपूत श्रेणी के ध्वंसक-पोत आईएिएस राजपूत को भारतीय िौसेिा में शानमल दकया गया. िीलनगरर श्रेणी का युिपोत आईएिएस तारानगरर भी िौसेिा से जुड़ा. पांदडचेरी श्रेणी के मिासागर में सुरंग िटािे

वाला

जिाज

आईएिएस

रत्नानगरर

और

आईएिएस एलेपे भी िौसेिा में समाववष्ट िुए. जलथल कोनशकीय

एवं

आणववक

जीवववज्ञाि

केन्द्र

(सीसीएमबी) की स्थापिा अिष -स्वायत्त संस्थाि के

रूप में िै िराबाि में की गई थी, जो आज प्रगत जीवववज्ञाि के क्षेि में अग्रणी अिुसंिाि संस्थाि िै . िीलनगरर श्रेणी के युिपोत आईएिएस ि​ि ु ानगरर की सेवाएाँ भारत को नमलिी प्रारं भ िुईँ. िग ु ष श्रेणी के

जंगी जिाज आईएिएस नसंिुिग ु ष को िौसेिा में शानमल दकया गया. द्रत ु प्रिारक याि (चमक श्रेणी)

आईएिएस नचराग और चटक से िौसेिा को काफी बल नमला. भारी पािी की पिली बूाँि का उत्पाि​ि

में

उभयचारी

युि-पोत

(एलसीयू

श्रेणी)

आईएिएस लैंदडं ग क्राफ्ट टैं क L-33 व 34 को िौसेिा में शानमल दकया गया. भारत के पिले स्विे शी उपग्रि रोदिणी आरएस-1 का प्रमोचि दकया गया.

वर्ष 1981 : प्रगत पिाथष तथा प्रक्रम अिुसंिाि संस्थाि

(एएमपीआरआई)

की

स्थापिा

'क्षेिीय

अिुसंिाि प्रयोगशाला' के रूप में की गई थी. यि संस्थाि एल्यूनमनियम-ग्रैफाइट िातु आव्यूि सब्म्मश्र (मैदरक्स कंपोनसट) तथा प्राकृ नतक तंतुओं के संश्लेर्ण तथा अनभलक्षणि संबंिी कायों से जुड़ा िुआ िै .

कर के भारी पािी संयंि, बड़ौिा िे इस क्षेि में भारत को आत्मनिभषर बिाया. वर्ष 1978 : िग ु ष श्रेणी के जंगी जिाज आईएिएस

िोसिग ु ष को भारतीय िौसेिा में शानमल दकया गया. पांदडचेरी श्रेणी के मिासागर में सुरंग िटािे वाला

जिाज आईएिएस पांदडचेरी और आईएिएस पोरबंिर िे

इस

वर्ष

के

आरं भ

और

अंत

को

क्रमश:

गौरवाब्न्वत दकया. जल-थल में उभयचारी युि-पोत (एलसीयू

श्रेणी)

आईएिएस

उतराई

टैं क-याि

उपयोनगता-31 को िौसेिा में शानमल दकया गया. वर्ष 1979 : यि वर्ष पांदडचेरी श्रेणी के मिासागर में सुरंग

िटािे

वाला

जिाज

आईएिएस

बेिी

और

िीलनगरर श्रेणी के युिपोत आईएिएस ववंध्यनगरर िे सेवारं भ

दकया.

जल-थल

में

उभयचारी

युि-पोत

(एलसीयू श्रेणी) आईएिएस लैंदडं ग क्राफ्ट टैं क L-32

8 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


को

िौसेिा

में शानमल

दकया

गया.

िौसेिा

में

टॉरपीडो पुि:प्रानप्त जलयाि आईएिएस ए-72 शानमल

संिायक श्रेणी का सवेक्षण पोत आईएिएस संिायक

दकया गया.

शानमल दकया गया.

दिमालयी

एसएलवी-3

के

पिले

ववकासात्मक

प्रमोचि

से

जैवसंपिा

का

लाभ

उठािे

के

नलए,

दिमालय जैवसंपिा प्रौद्योनगकी संस्थाि (आईएचबीटी),

रोदिणी आरएस-डी1 को छोड़ा गया, ब्जसमें ठोस

पालमपुर की स्थापिा की गई.

अवस्था वाले कैमरे लगा िुआ था. इसी क्रम में,

इिसेट-1ए का प्रक्षेपण दकया गया, जो अत्यंत सफल

एररयि पैसेंजर पेलोड प्रयोग (एप्पल) छोड़ा गया था.

क्षेि में क्रांनत ला िी थी. इसके अलावा, रोदिणी

भारत के पिले स्विे शी प्रायोनगक संचार उपग्रि

रिा था और इसिे टी.वी., रे दडयो तथा िरू संचार के आरएस-डी2 को छोड़ा गया, ब्जसमें स्माटष संवेिी कैमरा लगा िुआ था.

वर्ष 1984 : लेसर तथा त्वरक के क्षेिों में प्रगत अिुसंिाि कायों के नलए इं िौर में राजा रामन्िा प्रगत प्रौद्योनगकी केंद्र की संस्थापिा की गई. वैज्ञानिक

तथा

औद्योनगक

(सी.एस.आई.आर.)

टे क), भोपाल की स्थापिा सूक्ष्मजीव प्रौद्योनगकी, आिुवंनशक अनभया​ाँविकी, जीि पूल संसाि​िों, जैव रासायनिक अनभया​ाँविकी के क्षेि में कायष करिे के साथ-साथ औद्योनगक पौिों के नलए अनभकल्प और अनभया​ाँविकी के नलए की गई. िौसेिा में अस्त्रवादि​िी श्रेणी के टॉरपीडो पुि:प्रानप्त ए-71

शानमल

दकया

गया.

िौसेिा में समुद्रोन्मुख रक्षा िौका श्रेणी के गमती जलयाि आईएिएस सीवाडष शानमल दकया गया. इिसेट-1ए

का

प्रक्षेपण

दकया

गया,

में

सूक्ष्मजीव

मािी श्रेणी के समुद्रतट में सुरंग िटािे वाले जिाज

वर्ष 1982 : सूक्ष्मजीव प्रौद्योनगकी संस्थाि (आईएम-

आईएिएस

चंडीगढ़

पररर्ि

प्रौद्योनगकी संस्थाि (आईएम-टे क) की स्थापिा की.

एप्पल को ले जाते िुए

जलयाि

िे

अिुसंिाि

जो

पिला

आईएिएस मुल्की, मगिल और मलपे िे िौसेिा को अपिी सेवाएाँ िे िा प्रारं भ दकया. िौसेिा में मकर श्रेणी के सवेक्षण पोत आईएिएस मकर, नमथुि, मीि और मेर् शानमल दकए गए. िौसेिा में अस्त्रवादि​िी

श्रेणी का टॉरपीडो पुि:प्रानप्त जलयाि आईएिएस ए73 शानमल दकया गया. वर्ष 1985 : वर्ा​ांत तक गोिावरी श्रेणी के युिपोत आईएिएस गंगा को भारतीय िौसेिा के बेड़े में शानमल कर नलया गया था. जल-थल में उभयचारी युि-पोत (कुंभीर श्रेणी) आईएिएस मिीर् का साथ नमला.

प्रचालिात्मक बिुउद्दे मयीय संचार तथा मौसम ववज्ञाि

वर्ष 1986 : पांदडचेरी श्रेणी के मिासागर में सुरंग

वर्ष 1983 : राजपूत श्रेणी के ध्वंसक-पोत आईएिएस

आईएिएस काकीिाडा िे िौसेिा में शानमल िो कर

संबंिी उपग्रि िै .

रणजीत िे अपिी सेवाएाँ िे िा प्रारं भ दकया. गोिावरी श्रेणी के युिपोत आईएिएस गोिावरी का आगमि

िटािे

वाला

जिाज

आईएिएस

कारवार

और

अपिी सेवाएाँ िे िा आरं भ दकया. वर्ष 1987 : आईएिएस ववराट के रूप में िनमषस

भारतीय िौसेिा में िुआ. मािी श्रेणी के समुद्रतट में

जिाज सामिे आया. यि सेन्टॉर श्रेणी का वायुयाि

और मािी से िौसेिा सब्ज्जजत िुआ. िौसेिा में

चक्र िामक परमाणु पिडु धबी िे अपिी सेवाएाँ िे िी

शानमल दकया गया. िौसेिा में अस्त्रवादि​िी श्रेणी का

वीर को भी िौसेिा में शानमल दकया गया. पांदडचेरी

सुरंग िटािे वाले जिाज आईएिएस मलवाि, मंगरोल संिायक श्रेणी का सवेक्षण पोत आईएिएस नि​िे शक

वािक जिाज िै . इसी वर्ष चाली श्रेणी के आईएिएस शुरु की थीं. वीर श्रेणी के जंगी जिाज आईएिएस श्रेणी के मिासागर में सुरंग िटािे वाला जिाज

9 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


आईएिएस कैिोिेयर और आईएिएस कडलोर िे भी

अवलोकि उपग्रि की आईआरएस श्रृख ं ला का उपग्रि

अपिी भूनमका का निवषि​ि करिा आरं भ दकया.

1बी छोड़ा गया.

अंतररक्ष के क्षेि में स्रोस्स-1 प्रक्षेवपत दकया गया.

वर्ष 1992 : भारत में निनमषत िस ू री पीढ़ी के इिसेट-

वर्ष 1988 : सीएसआईआर िे वैज्ञानिक ववश्लेर्ण तथा

2 श्रृख ं ला का पिला उपग्रि 2ए प्रक्षेवपत दकया गया.

प्रौद्योनगकीय अनभकल्प के क्षेिों की जदटल प्रणानलयों

इसके अलावा, इिसेट-2डीटी का प्रमोचि अरबसेट-

की संरचिा तथा ववकास पर प्रकाश डालिे में

1सी के रूप में दकया गया. स्रोस्स-सी को भी छोड़ा

नि​िशषिों के मित्व को भा​ाँप कर, बैंगलुरु में गब्णतीय

गया, जो अपिे साथ गामा-दकरण खगोनलकी, पृ्वी

नि​िशषि तथा अनभकनलि अिुकार केंद्र (सीमैक्स :

ररमोट

सी.एम.एम.ए.सी.एस) की स्थापिा की.

प्रयोग पेलोड ले कर गया था.

वर्ा​ांत तक नसंिुर्ोर् श्रेणी की पिडु धबी आईएिएस नसंिुवीर और वीर श्रेणी के जंगी जिाज आईएिएस निपट िे अपिी सेवाएाँ िे िी प्रारं भ कर िी थीं. पांदडचेरी श्रेणी के मिासागर में सुरंग िटािे वाला जिाज आईएिएस कोंकण के शानमल िोिे के बाि

इस श्रेणी के अंनतम मिासागर में सुरंग िटािे वाला जिाज आईएिएस कोब्झकोड िे भी वर्ा​ांत तक अपिी सेवाएाँ िे िा आरं भ कर दिया था. पृ्वी अवलोकि उपग्रि की आईआरएस श्रृख ं ला का उपग्रि 1ए और 1सी छोड़ा गया. इसके अलावा, स्रोस्स-2 भी प्रक्षेवपत दकया गया. वर्ष 1989 : ववदकरण और आइसोटोप प्रौद्योनगकी बोडष (विट)

की

संस्थापिा

ववनभन्ि

क्षेिों

में

रे दडयो

समस्थानिक के अिुप्रयोगों के नलए व्यावसानयक स्तर पर उत्पाि​ि के प्रयोजि से की गई. वर्ष 1990 : पृ्वी अवलोकि उपग्रि की आईआरएस श्रृख ं ला का उपग्रि 1डी छोड़ा गया. वर्ष 1991 : िौसेिा में सुकन्या श्रेणी के गमती जिाज आईएिएस

सरयू

शानमल

दकया

गया.

पृ्वी

सेंनसंग

और

ऊपरी

वायुमंडलीय

निगरािी

वर्ष 1993 : पृ्वी अवलोकि उपग्रि की आईआरएस श्रृख ं ला का उपग्रि 1ई छोड़ा गया. साथ िी, इिसेट-2 श्रृख ं ला का िस ू रा उपग्रि 2बी प्रक्षेवपत दकया गया.

वर्ष 1994 : पृ्वी अवलोकि उपग्रि की आईआरएस श्रृख ं ला का उपग्रि पी2 छोड़ा गया. इस वर्ष स्रोस्ससी2 भी प्रक्षेवपत दकया गया था. वर्ष 1995 : नलएंडर श्रेणी का युिपोत एंरोमेडा अपिे िए अवतार आईएिएस कृ र्ष्ण के रूप में सामिे आया.

पृ्वी

अवलोकि

उपग्रि

की

आईआरएस

श्रृख ं ला का उपग्रि 1सी छोड़ा गया. इसके अलावा इिसेट श्रृख ं ला के 2सी का प्रक्षेपण दकया गया, ब्जसकी पिुाँच भारतीय सीमाओं को पार करते िुए काफी आगे तक िै .

वर्ष 1996 : पृ्वी अवलोकि उपग्रि की आईआरएस श्रृख ं ला का उपग्रि पी3 छोड़ा गया. इसी वर्ष कानमिी परमाणुभट्ठी िे क्रांनतकता प्राप्त की थी. यि ववश्व का पिला थोररयम आिाररत प्रयोगात्मक परमाणु भट्ठी िै और यूरेनियम-233 का उपयोग करता िै .

10 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)

(क्रमश: ...)


भारतीय अंतररक्ष कायषक्रम - स्वब्णषम युग िरें द्र कुमार करिािी सेवानिवृत्त वैज्ञानिक, भाभा परमाणु अिुसन्िाि केंद्र, मुंबई

डॉ. कुलवंत नसंि 2601, ववंग-3 लोढ़ा अमारा, कोलशेट रोड, ठाणे, मिाराष्ट्र भारतीय

अंतररक्ष

अिुसंिाि

संगठि

(इसरो)

की

1960 के िशक में जब संयुि राज्जय अमेररका उपग्रिों

िरू िनशषता िै - अंतररक्ष ववज्ञाि में अिुसंिाि व ग्रिीय

के अिुप्रयोग के प्रायोनगक चरणों में था, उस समय

अन्वेर्ण के साथ-साथ राष्ट्रीय ववकास में अंतररक्ष प्रौद्योनगकी का प्रयोग, ब्जसमें यि संगठि बिुत खरा उतरा िै .

अंतररक्ष तक पिुंच बिािे के नलए प्रक्षेपण वाि​िों

व तत्संबंनित प्रौद्योनगदकयों का अनभकल्पि व ववकास 

भू-पयषवेक्षण, संचार, दिशा नि​िे शि, मौसम ववज्ञाि तथा

अंतररक्ष

तत्संबंनित

ववज्ञाि

के

प्रौद्योनगदकयों

नलए

का

उपग्रिों

अनभकल्पि

ववकास 

िरू संचार,

टे नलववज़ि

प्रसारण

तथा

ववकास

संबंनित अिुपयोगों के नलए भारतीय रार्ष्रीय उपग्रि (इन्सेट) कायषक्रम 

उपग्रि अिाररत नचिों द्वारा प्राकृ नतक संसािािों के प्रबंि​ि तथा पयाषवरण मानिटरि के नलए भारतीय सुिरू संवेि​ि उपग्रि (आई.आर.एस.) कायषक्रम

सामाब्जक

ववकास

तथा

आपिा

प्रबंि​ि

में

सिायता के नलए अंतररक्ष आिाररत अिुप्रयोग 

अंतररक्ष

गईं. संयुि राज्जय अमेररका द्वारा संचार उपग्रिों की शवि

एवं उिके लक्ष्य िैं 

अंतररक्ष अिुसंिाि में गनतववनिया​ाँ भारत में शुरू की

ववज्ञाि

तथा

ग्रिीय

अन्वेर्ण

में

अिुसंिाि एवं ववकास कायष अपिे इि सभी अभीष्ट लक्ष्यों में इसरो िे िमेशा कामयाबी के झंडे गाड़े िैं .

का प्रिशषि करते िुए अमेररकी उपग्रि 'नसंकॉम-3' द्वारा 1964 के टोक्यो ओलंवपक खेलों का लाइव प्रसारण

करके िनु िया के समक्ष एक अिूठा उिािरण प्रस्तुत दकया. 'नसंकॉम-3', 1964 में लॉन्च दकया गया िनु िया का पिला भूब्स्थर उपग्रि था. भारतीय अंतररक्ष कायषक्रम के जिक और संस्थापक डॉ. ववक्रम साराभाई िे भारत के नलए अंतररक्ष प्रौद्योनगदकयों के लाभों को तत्काल पिचािा. पिले किम के रूप में, 1962 में डॉ. साराभाई और डॉ. रामिाथि

के

िेतत्ृ व

में

INCOSPAR (अंतररक्ष

अिुसंिाि के नलए भारतीय राष्ट्रीय सनमनत) का गठि दकया गया. बाि में 15 अगस्त 1969 को भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगठि (ISRO) का गठि दकया गया. इसरो का मुख्य उद्दे मय अंतररक्ष प्रौद्योनगकी का ववकास करिा और ववनभन्ि राष्ट्रीय आवमयकताओं के नलए इसके अिुप्रयोग को ववकनसत करिा िै . यि िनु िया की छि सबसे बड़ी अंतररक्ष संस्थाओं में से एक िै . अंतररक्ष ववभाग (DOS) और अंतररक्ष आयोग की स्थापिा 1972 में िुई थी और इसरो को 1 जूि 1972 को DOS के अंतगषत लाया गया.

आइये एक दृवष्ट डालते िैं इसरो के स्वब्णषम इनतिास और उिकी प्रमुख उपलब्धियों (माइलस्टोंस) पर.

स्थापिा के बाि से, भारतीय अंतररक्ष कायषक्रम को अच्छी तरि से व्यवब्स्थत दकया गया िै , और इसमें

11 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


तीि अलग-अलग तत्व िैं -

1975-76 के िौराि, इसरो िे िासा के सियोग से,

(1) संचार और ररमोट सेंनसंग के नलए उपग्रि,

टीवी प्रसारण के नलए अंतररक्ष संचार प्रणाली का

(2) अंतररक्ष पररवि​ि प्रणाली और

उपयोग

(3) अिुप्रयोग कायषक्रम

पररणाम

करिे

के

स्वरूप

साि​ि

ववकनसत

दकए. इसके

प्रोजेक्ट

सैटेलाइट

इं स्रक्शिल

टे लीववजि एक्सपेररमेंट (SITE) का निमाषण िुआ. यि

िो प्रमुख पररचालि प्रणानलयां स्थावपत की गई िैं (1) िरू संचार, टे लीववजि प्रसारण और मौसम संबंिी सेवाओं के नलए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रि (इिसैट) और

(2) प्राकृ नतक संसाि​िों की निगरािी और आपिा प्रबंि​ि के नलए भारतीय ररमोट सेंनसंग सैटेलाइट

भारतीय गांवों और ब्जलों को कवर करिे वाला एक साल का कायषक्रम था. साइट का मुख्य उद्दे मय जिता को नशब्क्षत करिे के नलए उपग्रि प्रसारण का प्रयोग करिा था. "साइट", ब्जसे 'िनु िया में सबसे बड़ा समाज

(आई.आर.एस.)

शास्त्रीय प्रयोग' किा जाता िै , िे लगभग 2,00,000

भारतीय अंतररक्ष कायषक्रम में प्रमुख मील के पत्थर

को कवर दकया. इसके नलए अमेररकी प्रौद्योनगकी

लोगों को लाभाब्न्वत दकया, छि राज्जयों के 2400 गांवों

भारतीय अंतररक्ष कायषक्रम, नतरुविंतपुरम के पास थुंबा में ब्स्थत थुम्बा इक्वेटोररयल रॉकेट लॉब्न्चंग स्टे शि (TERLS) से शुरू िुआ. टल्सष की स्थापिा 1962

में

थुंबा

में

भारत

के

िब्क्षणी

नसरे

पर

नतरुअिन्तपुरम ब्जले में की गई थी. थुंबा को रॉकेट लॉब्न्चंग स्टे शि के नलए चुिा गया, क्योंदक यि पृ्वी के चुंबकीय भूमध्य रे खा के बिुत करीब िै . 21

िवंबर,

को

1963

टल्सष

से

पिला

ध्वनि

(sounding) रॉकेट प्रक्षेवपत दकया गया था. पिला रॉकेट, िाइके-अपाचे, अमेररका से खरीिा गया था. एक साउं दडं ग रॉकेट या रॉकेट सोंडे , ब्जसे कभी-कभी एक शोि रॉकेट या एक सब-ऑवबषटल रॉकेट किा जाता िै , एक उपकरण ले जािे वाला रॉकेट िै , ब्जसे इसकी उप-कक्षीय

उड़ाि

के

िौराि

ऊपरी

वायुमंडल

के

उपग्रि (ए.टी.एस.-6) का उपयोग कर के ववकास उन्मुख कायषक्रमों को प्रसाररत दकया. जिवरी, 1977 - जिवरी, 1979 के िौराि, िेंको-जमषि नसम्फिी उपग्रि का उपयोग करते िुए इसरो एवं डाक और

टे लीग्राफ

पररयोजिा,

ववभाग

सैटेलाइट

(P&T) िरू संचार

की

प्रयोग

एक

संयुि

पररयोजिा

(STEP) को िाथ में नलया गया था. SITE की अगली कड़ी के रूप में इसकी कल्पिा की गई, जो टे लीववजि पर केंदद्रत थी, STEP िरू संचार प्रयोगों के नलए था.

भास्कर-I: पृ्वी अवलोकि के नलए एक प्रायोनगक उपग्रि 7 जूि, 1979 को लॉन्च दकया गया था. सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल-3 (SLV-3) भारत का पिला लॉन्च व्िीकल िै .

भौनतक मापिं डों का आकलि/माप लेिे और वैज्ञानिक

रोदिणी प्रौद्योनगकी पेलोड के साथ एसएलवी-3 का

प्रयोग करिे के नलए दडजाइि दकया जाता िै .

पिला प्रायोनगक प्रक्षेपण (10 अगस्त, 1979) को दकया

सैटेलाइट टे ली-कम्युनिकेशि अथष स्टे शि की स्थापिा 1 जिवरी 1967 को अिमिाबाि में की गई थी. भारत का पिला स्विे शी साउं दडं ग रॉकेट RH-75, 20 िवंबर, 1967 को लॉन्च दकया गया था. आयषभट्ट: पिला भारतीय उपग्रि आयषभट्ट 19 अप्रैल, 1975 को प्रक्षेवपत दकया गया था. इसका प्रक्षेपण (पूव)ष सोववयत संर् से दकया गया था. इससे भारत को उपग्रि प्रौद्योनगकी सीखिे और दडजाइनिंग का आिार नमला.

गया. रोदिणी प्रौद्योनगकी उपग्रि जो दक ऑिबोडष पेलोड के साथ था, कक्षा में स्थावपत ि​िीं दकया जा सका. 18 जुलाई, 1980 को रोदिणी उपग्रिए एसलवी-3 का िस ष कक्षा में ू रा प्रायोनगक प्रक्षेपण सफलता पूवक स्थावपत दकया गया.

एररयि पैसेंजर पेलोड एक्सपेररमेंट (APPLE), एक प्रायोनगक भू-ब्स्थर संचार उपग्रि को 19 जूि, 1981 को सफलता पूवक ष लॉन्च दकया गया था. यि भववर्ष्य की संचार उपग्रि प्रणाली का अग्रित बि गया. ू भारतीय राष्ट्रीय उपग्रि प्रणाली (इिसैट)- 1ए को 10

12 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


अप्रैल 1982 को लॉन्च दकया गया था. यि प्रणाली

चंद्रमा के नलये अंतररक्षयाि. चंद्रयाि-1 पिला भारतीय

संचार, प्रसारण और मौसम ववज्ञाि के नलए थी.

ग्रि ववज्ञाि और अन्वेर्ण नमशि था. चंद्रयाि-1, 28

2 अप्रैल 1984 को पिला भारत-सोववयत मािव युि

अगस्त 2009 तक 312 दि​िों के नलए पररचानलत था.

अंतररक्ष नमशि लॉन्च दकया गया था. राकेश शमाष अंतररक्ष में जािे वाले पिले भारतीय िागररक बिे. वे सोववयत-भारतीय तीि सिस्यीय चालक िल में से एक थे. उन्िोंिे सोववयत रॉकेट सोयुज टी-11 में उड़ाि भरी. 24 माचष 1987 को, संवनिषत उपग्रि प्रक्षेपण याि (ASLV) का पिला ववकासात्मक प्रक्षेपण िुआ, ब्जसका

पेलोड SLV-3 की तुलिा में ज्जयािा था और लागत भी कम थी. पिला ऑपरे शिल इं दडयि ररमोट सेंनसंग सैटेलाइट, IRS-1A का प्रक्षेपण 17 माचष, 1988 को िुआ था.

आई.आर.एस.-पी2 के साथ ध्रुवीय उपग्रि प्रक्षेपण याि (पी.एस.एल.वी.) का िस ू रा ववकासात्मक प्रक्षेपण 15

5 िवंबर, 2013 - पी.एस.एल.वी.- सी25 िे श्रीिररकोटा से मासष ऑवबषटर नमशि (मंगल-याि) अंतररक्ष याि का सफलता पूवक ष प्रक्षेपण दकया.

अक्टू बर 1994 को िुआ. उपग्रि को ध्रुवीय समकानलक कक्षा (Polar Synchronous Orbit) में सफलता पूवक ष स्थावपत

दकया

गया.

पी.एस.एल.वी.

अपिी

ववश्वसिीयता और लागत िक्षता के कारण अभूतपूवष अंतरराष्ट्रीय सियोग को बढ़ावा िे िे के कारण ववनभन्ि िे शों के उपग्रिों के नलए एक पसंिीिा वािक बि गया. जीसैट-1 के साथ ब्जयो-नसंक्रोिस सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल (जी.एस.एल.वी.)-डी1 का पिला ववकासात्मक प्रक्षेपण 18 अप्रैल, 2001 को श्रीिररकोटा से शुरू िुआ.

इसे भारी और अनिक मांग वाले ब्जयो-नसंक्रोिस संचार उपग्रिों को ध्याि में रखते िुए ववकनसत दकया

गया था. 2130 दकलोग्राम वजिी इन्सैट-4 सी.आर. और 2 नसतंबर 2007 को जी.एस.एल.वी.-एफ4 द्वारा प्रक्षेवपत दकया गया. यि भारत से प्रक्षेवपत तब तक का सबसे भारी उपग्रि था. पी.एस.एल.वी.-सी11

िे

15 फरवरी, 2017 को, PSLV-C37, ISRO के 39वें नमशि (PSLV भारत का वकषिॉसष लॉन्च व्िीकल िै ), में इसरो िे इनतिास रचा जब इसरो के काटोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट (वजि 714 दकलोग्राम) और िो ISRO िैिो-उपग्रिों INS-1A (8.4 दकग्रा) और INS-1B (9.7 दकग्रा) को और छि अन्य िे शों के 101 िैिोउपग्रिों को सफलतापूवक ष लांच दकया. इन्िें 97.46 दडग्री के झुकाव के साथ पृ्वी से 506 दकमी की िरू ी

22

अक्टू बर,

2008

को

श्रीिररकोटा से चंद्रयाि-1 का सफलता पूवक ष प्रक्षेपण दकया. चंद्रयाि-1 अंतररक्ष याि द्वारा, चंद्रमा के बारे में वैज्ञानिकी जांच के नलए प्रक्षेवपत दकया गया था. चंद्रयाि का अथष िै - "चंद्र-चंद्रमा, याि-वाि​ि", अथाषत

सूय-ष तुल्य-कानलक कक्षा (Sun Synchronous Orbit -

एस.एस.ओ.) में स्थावपत दकया गया. िैिो-उपग्रिों का द्रव्यमाि 1 से 10 दकलोग्राम तक था. पी.एस.एल.वी.सी37 पर सभी 104 उपग्रिों का कुल वजि 1378 दकलोग्राम था.

13 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


पी.एस.एल.वी.-सी38/

काटोसैट-2

सीरीज

सैटेलाइट

के 'एक्स.एल.' ववन्यास का उपयोग बीसवीं बार दकया

नमशि को 23 जूि, 2017 को सतीश िवि अंतररक्ष

गया. IRNSS-1I, NavIC िेववगेशि उपग्रि तारामंडल

केंद्र, शार, श्रीिररकोटा से लॉन्च दकया गया था.

में शानमल िोिे वाला आठवां उपग्रि िै , और इसे 12

भारत के ध्रुवीय उपग्रि प्रक्षेपण याि िे अपिी 40वीं

अप्रैल, 2018 को लॉन्च दकया गया था.

उड़ाि (पी.एस.एल.वी.-सी38) में पृ्वी के अवलोकि

पी.एस.एल.वी.-सी42 िे 16 नसतंबर, 2018 को सतीश

के नलए 712 दकलोग्राम काटोसैट-2 श्रृख ं ला उपग्रि

िवि अंतररक्ष केंद्र, शार, श्रीिररकोटा से िो वविे शी

लॉन्च दकया. और 30 सि-गामी उपग्रिों को एक साथ

उपग्रिों का सफलता पूवक ष प्रक्षेपण दकया. इस नमशि

प्रक्षेवपत दकया. इि छोटे सि-गामी उपग्रिों का कुल

को िो पृ्वी अवलोकि उपग्रि, िोवा-एस.ए.आर.

वजि 243 दकलोग्राम था, और इसे 505 दकमी िरू ी

(NovaSAR) और एस1-4 (एक साथ लगभग 889

पर ध्रुवीय सूयष नसंक्रोिस ऑवबषट (एस.एस.ओ.) में

दकलोग्राम वजि) को लॉन्च करिे के नलए दडजाइि

छोड़ा गया.

दकया गया था.

29 जूि, 2017 को भारत का िवीितम संचार उपग्रि,

PSLV-C43 िे 29 िवंबर, 2018 को सतीश िवि

जीसैट-17 को इन्सैट/ जीसैट प्रणाली में एररयि-5 वीए-

अंतररक्ष केंद्र शार, श्रीिररकोटा के पिले लॉन्चपैड

238 द्वारा कुरौ, िेंच गुयािा से शानमल दकया गया.

(FLP) से उड़ाि भरी और भारत के िाइपर स्पेक्रल

उत्थापि के समय 3477 दकलोग्राम वजिी जीसैट-17

इमेब्जंग सैटेलाइट (HysIS) और 30 अंतराषष्ट्रीय सि-

ववनभन्ि संचार सेवाएं प्रिाि करिे के नलए सामान्य

गामी उपग्रिों को सफलता पूवक ष लॉन्च दकया.

सी-बैंड, ववस्ताररत सी-बैंड और एस-बैंड में पेलोड के साथ था. जीसैट-17 मौसम ववज्ञाि संबंिी डे टा, ररले के नलए उपकरण और पिले के इिसैट उपग्रिों द्वारा प्रिाि की जा रिी उपग्रि आिाररत खोज और बचाव सेवाओं का भी वि​ि करता िै .

भारत के अगली पीढ़ी के उच्च थ्रू-पुट (throughput) संचार उपग्रि, GSAT-11 को 5 दिसंबर, 2018 को एररयि-5 VA-246 द्वारा कुरौ लॉन्च बेस, िेंच गुयािा से सफलता पूवक ष लॉन्च दकया गया था. लगभग

5854 दकलोग्राम वजिी जीसैट-11 इसरो द्वारा निनमषत

भारत के ध्रुवीय उपग्रि प्रक्षेपण याि िे अपिी

सबसे भारी उपग्रि िै . जी.एस.एल.वी.-एफ11 िे 19

बयालीसवीं उड़ाि (PSLV-C40) में, पृ्वी अवलोकि

दिसंबर, 2018 को सतीश िवि अंतररक्ष केंद्र शार,

के नलए 710 दकलोग्राम काटोसैट-2 श्रृख ं ला उपग्रि और

श्रीिररकोटा से इसरो के 39वें संचार उपग्रि जीसैट-7ए

30 सि-गामी उपग्रिों को सफलता पूवक ष लॉन्च दकया,

का सफलता पूवक ष प्रक्षेपण दकया. GSLV-F11 भारत

30 सि-गामी उपग्रिों का कुल वजि लगभग 613

के ब्जयो-नसंक्रोिस सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल (GSLV)

दकलोग्राम था. पी.एस.एल.वी.-सी40/ काटोसैट-2 सीरीज

की

सैटेलाइट नमशि शुक्रवार, 12 जिवरी, 2018 को लॉन्च

अपरस्टे ज (CUS) के साथ इसकी 7वीं उड़ाि थी.

दकया गया.

GSLV-F11 तीि चरणों वाला इसरो का चौथी पीढ़ी

जी.एस.एल.वी.-एफ8 ब्जयो-नसंक्रोिस सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल की 12वीं उड़ाि और स्विे शी क्रायोजेनिक स्टे ज के साथ छठी उड़ाि को GSLV-F08 / GSAT6A नमशि के अंतगषत गुरुवार, 29 माचष, 2018 को प्रक्षेवपत दकया गया. भारत के ध्रुवीय उपग्रि प्रक्षेपण याि िे एक्स.एल. ववन्यास में अपिी तैंतालीसवीं उड़ाि (PSLV-C41) में IRNSS-1I उपग्रि का प्रक्षेपण दकया. पी.एस.एल.वी.

13वीं

उड़ाि

थी

और

स्विे शी

क्रायोजेनिक

का प्रक्षेपण याि िै . यि केयू-बैंड (Ku Band) में संचार

रांसपोंडर

ले

जािे

वाला

एक

भूब्स्थर

(geostationary) उपग्रि िै . इस सैटेलाइट को भारतीय क्षेि में उपयोग कताषओं को संचार क्षमता प्रिाि करिे के नलए बिाया गया िै . भारत के िरू संचार उपग्रि, GSAT-31 को 6 फरवरी,

2019 को एररयि-5 VA-247 द्वारा िेंच गुयािा के कुरौ लॉन्च बेस से सफलता पूवक ष लॉन्च दकया गया.

14 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


भारत के PSLV-C46 िे 22 मई, 2019 को सतीश िवि अंतररक्ष केंद्र शार, श्रीिररकोटा से RISAT-2B

उपग्रि को सफलता पूवक ष लॉन्च दकया. इस उपग्रि का उद्दे मय कृ वर्, वानिकी और आपिा प्रबंि​ि को सेवाएं प्रिाि करिा िै .

22 जुलाई, 2019 को आंध्रप्रिे श के सतीश िवि

अंतररक्ष केंद्र, श्रीिररकोटा से चंद्रयाि-2 अंतररक्ष याि

को ले जािे वाले ब्जयो-नसंक्रोिस सैटेलाइट लॉन्च

पर उतरिे िी वाला था, नसफष 2 दकलोमीटर िरू रिते

िुए उसका संपकष इसरो से टू ट गया. िालांदक इसरो

का नमशि पूरी तरि से िाकाम ि​िीं रिा. लेदकि ब्जस कामयाबी की उम्मीि थी, वो िानसल ि​िीं िो सकी. अब उसे िानसल करिे की तैयारी िो रिी िै . इसमें चंद्रयाि-3 शुरू करिे से लेकर गगि-याि नमशि भी शानमल िै .

व्िीकल, GSLV MkIII-M1 रॉकेट को लॉन्च दकया गया

गगि-याि

था. इसमें पूरी तरि से स्विे शी ऑवबषटर, लैंडर (ववक्रम)

गगि-याि कायषक्रम को मंजरू ी िे िी िै . िो मािव

लैंडर के अंिर रखा गया था. चंद्रयाि-2 में चंद्रमा की

गई िै . पिले चरण के खचष का अिुमाि 9023 करोड़

ववस्तृत समझ की सुवविा के नलए कई ववज्ञाि पेलोड

संस्थाओं, उद्योग, राष्ट्रीय एजेंनसयों और अन्य वैज्ञानिक

ववक्रम सफलता पूवक ष लैंड ि​िीं कर पाया, जबदक

स्थावपत करे गा.

था. चंद्रयाि-2 चंद्रमा के नलए भारत का िस ू रा नमशि

कैवबिेट िे भारतीय मािव अंतररक्ष उड़ाि पिल-

और रोवर (प्रज्ञाि) शानमल थे. रोवर प्रज्ञाि को ववक्रम

रदित और एक मािव सदित उड़ाि की योजिा बिाई

उत्पवत्त और ववकास (origin & evolution) की अनिक

रुपये

(science payloads) रखे गये. चंद्रयाि-2 का लैंडर

संगठिों के बीच सियोग के नलए एक व्यापक ढांचा

ऑवबषटर अपिा कायष सुचारु रुप से कर रिा िै . इस

भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगठि (इसरो) आदित्य

नमशि से बिुत कुछ सीखिे को नमला जो भववर्ष्य में अंतररक्ष कायषक्रमों को िए आयाम िे गा.

िै .

गगि-याि

कायषक्रम

इसरो,

शैक्षब्णक

और गगियाि सदित कई नमशि लॉन्च करिे की तैयाररयों में जुटा िै . इसरो िे आिे वाले समय के

27 िवंबर, 2019 को सतीश िवि अंतररक्ष केंद्र

नलए कई बड़े लक्ष्यों को नि​िाषररत दकया िै . आदित्य

काटोसैट-3 और 13 वाब्णब्ज्जयक िैिो उपग्रिों का

छलांग लगािे की कोनशश करे गा विीं गगियाि

(SDSC) शार, श्रीिररकोटा से भारत के PSLV-C47

नमशि के जररए इसरो जिां सूरज के पास तक

सफलता पूवक ष प्रक्षेपण दकया गया.

नमशि के द्वारा पिली बार भारतीय यािी को अंतररक्ष

इसी बीच अगले िो सालों में इसरो िे चार और

में भेजिे की तैयाररयों को परखा जाएगा.

प्रक्षेपण दकए और अब शुक्र-याि की तैयारी में लगा िै .

इसरो (ISRO) 12 अगस्त, 2021 की सुबि पौिे छि बजे

िया

इनतिास

रचिे

से

चूक

गया.

अथष

ऑधजरवेशि सैटेलाइट (EOS-3) को लेकर GSLV-

F10 रॉकेट िे उड़ाि भरी. प्रक्षेपण 12 अगस्त, 2021

को नि​िाषररत समय 0543 बजे IST पर िुआ. पिले और िस ू रे चरण का प्रिशषि सामान्य रिा. िालांदक, क्रायोजेनिक अपर स्टे ज इब्ग्िशि तकिीकी ववसंगनत

के कारण ि​िीं िुआ. उद्दे मय के अिुसार नमशि को पूरा ि​िीं दकया जा सका. नमशि कंरोल सेंटर को रॉकेट के तीसरे स्टे ज में लगे क्रायोजेनिक इं जि से नसग्िल और आंकड़ें नमलिे बंि िो गए थे. भववर्ष्य के कायषक्रम सबसे बड़ी र्ोर्णा तो यिी िै दक इसरो चंद्रयाि-3 शुरू करिे जा रिा िै . चंद्रयाि-2 का लैंडर चांि की सति

आिे वाले साल भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगठि के नलए बेि​ि अिम रि​िे वाले िैं . इसके नलए इसरो िे कुछ बड़ी योजिाएं बिा रखी िैं . इसरो वतषमाि में एक साथ 25 से ज्जयािा नमशि में लगा िै . स्रोत: इसरो, ववदकपीदडया, ववकासपीदडया से साभार

15 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


वन्य जीवों का पयाषवरण संरक्षण में योगिाि डॉ. िीपक कोिली संयुि सनचव, उत्तर प्रिे श शासि, 5/104, ववपुल खंड, गोमती िगर, लखिऊ ववकास की िौड़ में इं साि इतिी तेजी से आगे निकल चुका िै , दक कई अिम चीजों को िजरअंिाज कर चुका िै , वो ये भूल चुका िै दक अपिा अब्स्तत्व बिाए रखिे के नलये, उसको उि सभी का संतुलि बिाए रखिा िोगा, जो उसे प्राकृ नतक रूप से नमलता िै , ब्जसे िम पाररब्स्थनतकी तंि या इको-नसस्टम किते िैं . आज मािव-जानत का अब्स्तत्व इसनलये भी खतरे में िै , क्योंदक इं साि िे पाररब्स्थनतकी तंि को िी वबगाड़ दिया

िै .

बढ़ती

आबािी

और

जंगलों

में

िोते

शिरीकरण िे मािव जानत को पति की ओर िकेल

दिया िै . इं साि स्वाथी बि खुि से इतिा प्रेम करिे लगा िै दक वि उि साि​िों के स्रोत को िी भूल चुका िै , ब्जसके वबिा उसका जीवि असम्भव िै . जंगलों को काटिा शुरू दकया, तो वन्य जीवों को भूल गया. मािव-जानत की ये िखलअंिाजी वन्य जीवों को बेर्र करती चली गई. इं साि की िखल अंिाजी से परे शाि वन्य जीव आबािी वाले इलाके में जािे लगे, वन्य जीवों का भटकिा भी इं साि को िापसंि आया और िीरे -िीरे िालात इतिे खराब िो गए दक वन्य जीवों की कुछ

वन्य जीवि को ज्जयािा िुकसाि पिुाँचािे वाले िम इं साि िी िैं . वन्य-जीवों की असंख्य प्रजानत या तो लुप्त िो चुकी िै या लुप्त िोिे की कगार पर िै . पूरी िनु िया में जीवों की लगभग 130 लाख प्रजानतयों में से अब तक लगभग 10,000 प्रजानतया​ाँ ववलुप्त िो चुकी िैं . जो इस बात का इशारा भर िै दक जल्ि िी इं साि भी अपिा वजूि खो िे गा. इं साि िर उस चीज को लालच और ववकास की िोड़ में बबाषि कर रिा िै जो लम्बे वि से, वबिा दकसी मेि​ित के प्रकृ नत से उसे उपिार स्वरूप नमल रिा िै . सोिे की नचदड़या किे जािे वाला भारत, ऐसे िी सोिे की नचदड़या ि​िीं किलाया. वन्य जीव जन्तुओं की प्रजानतयों के नलये भी भारत ववशाल िै , िनु िया में पायी जािे वाली लगभग 130 लाख वन्य प्रजानतयों में से लगभग 76,000 प्रजानतया​ाँ अकेले िमारे िे श में पायी जाती िैं , जोदक एक बड़ी बात िै और संकेत िै दक िमें अपिी इस अमूल्य ववरासत को बचािा िोगा. दिमालय और पब्श्चमी तटीय क्षेि में सवाषनिक जैव वववविता पाई जाती िै . िाल िी के सालों में इि िोिों िी क्षेिों में

जानतया​ाँ तो िमारा नशकार िुईं, कुछ प्राकृ नतक आवास

जीव जन्तुओं की कुछ िई प्रजानतया​ाँ भी पाई गई िैं

पाररब्स्थनतकी तंि में आए बिलाव की वजि से

पिले से िमारे पास मौजूि िै , उसे संरब्क्षत करिे के

पर अनतक्रमण की वजि से लुप्त िो गईं, तो कई

जोदक एक अच्छा संकेत िै . लेदकि जो जैव वववविता

ववलुप्त िो गईं, तो कुछ लुप्त िोिे की कगार पर िैं .

नलये सरकार द्वारा दकये गये प्रयास कारगर सावबत

वन्य जीवों के लुप्त िोिे के िो कारण िैं , एक प्राकृ नतक

ि​िीं िो रिे , मािव लगातार प्रकृ नत के साथ ब्खलवाड़

और

करता जा रिा िै , कुछ साल पिले उत्तराखण्ड के

िस ू रा

मािवीय.

दफर

भी

प्राकृ नतक

कारण,

मािवीय कारणों की तुलिा में कम िानिकारक नसि िुए. वो इसनलये क्योंदक प्राकृ नतक कारक एक िीमी

प्रदक्रया िै . जैसे डायिासोर का लुप्त िोिा, ये करीब 7 करोड़ वर्ष पिले िुआ और सि​िवीं शताधिी से आज तक 120 पक्षी प्रजानतया​ाँ ववलुप्त िो चुकी िैं . इसीनलए

केिारिाथ में िुई िासिी इसी का ितीजा िै , बावजूि इसके लोग अभी भी प्रकृ नत के साथ ब्खलवाड़ कर रिे िैं और लगातार प्राकृ नतक संसाि​िों का िोि​ि कर रिे िैं .

16 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


भारतवर्ष में वन्य जीवों को ववलुप्त िोिे से बचािे के

वन्य जीव अभयारण्य िैं . इिके अलावा लगभग 65

नलये

कंजवेशि

पिला

कािूि

1872

में

“वाइल्ड

एलीकेंट

ररजवष, 4

कम्युनिटी

ररजवष और

702

प्रोटे क्शि एक्ट” बिाया गया. इसके बाि वर्ष 1927

संरब्क्षत क्षेि िैं , जो वन्यजीवों के संरक्षण का काम

में “भारतीय वि अनिनियम” बिाया गया. ब्जसमें

कर रिे िैं . भारत में िेशिल पाकष और वन्यजीव

वन्य जीवों के नशकार और विों की अवैि कटाई को

अभयारण्यों की तािाि वपछले िो िशक में काफी

अपराि मािा गया और इसमें सजा का भी प्राविाि

तेजी से बढ़ी िै , िमारी सरकार वन्य-जीव संरक्षण की

रखा गया. विीं आजािी के बाि भारत सरकार िे

दिशा में तेजी से काम भी कर रिी िै . वन्य-जीव और

‘इं दडयि बोडष फॉर वाइल्ड लाइफ’ बिाया. दफर 1956

पयाषवरण संरक्षण के नलये कई आंिोलि भी चलाए

में एक बार दफर ‘भारतीय वि अनिनियम’ पाररत

गए जैसे ‘नचपको आंिोलि’ और िब्क्षण भारत में

िुआ, 1972 में “वन्य जीव संरक्षण अनिनियम” पाररत

‘एब्प्पको आंिोलि’. वन्य-जीव संरक्षण के काम में

िुआ, ब्जसमें ववलुप्त िोते वन्य जीवों और िस ू रे लुप्त

नमलिे वाली कामयाबी के पीछे , इि आंिोलिों के

िोते प्राब्णयों के संरक्षण का प्राविाि िै . िमारे

साथ-साथ कई पररयोजिाओं का भी िाथ रिा. इिमें

संवविाि में 42वें संशोि​ि (1976) अनिनियम के

बा​ाँिा

द्वारा िो िए अिुच्छे ि 48 और 51 को जोड़कर वन्य

पररयोजिा, थानमि पररयोजिा, िाथी पररयोजिा, नगर

जीवों से सम्बब्न्ित ववर्य को सूची में शानमल दकया

नसंि अभयारण्य पररयोजिा शानमल िैं . वन्य-जीव

गया. वन्य जीवों की वबगड़ते िालात के सुिार और

संरक्षण के नलये अपिाए गए ये उपाय काफी कारगर

संरक्षण के नलये “राष्ट्रीय वन्य जीव योजिा ”1983 में

सावबत िुए, कुछ लुप्त िोते जीवों को बचाया गया और

शुरू की गई. इि अनिनियम और कािूिों के अलावा

पररयोजिा,

कस्तूरी

मृग

पररयोजिा,

िं गुल

कुछ की र्टती आबािी वाले जीवों को बढ़ाया गया.

जरूरत थी ऐसी जगि की, जिा​ाँ वन्य-जीव सुरब्क्षत रिें और इं सािी अनतक्रमण ि िो. इसनलये िेशिल पाकष

और वन्य प्राणी अभयारण्य बिाए गये. िे श का सबसे पिला िेशिल पाकष 1905 में असम में बिाया गया, ब्जसे काजीरं गा िेशिल पाकष किा जाता िै और जो खास लुप्त िोते, एक सींग वाले राइिोसोर यानि गैंडे के नलये बिाया गया. 90 के िशक में भारत और िेपाल में इिकी तािाि कुल नमलाकर 1,870 और 1,895 के बीच थी. लेदकि ताजे आाँकड़ों के अिुसार इिकी तािाि बढ़कर 3,555 िो चुकी िै .

कई बार वन्य प्राणी भोजि की तलाश में शिरी इलाके में र्ुस आते िैं . कई बार आिार की तलाश में खेतों को भी बबाषि कर िे ते िैं . ऐसे में खेत के मानलक जािवरों पर िमला बोल िे ते िैं , अगर वन्यजीवों द्वारा बबाषि िुई फसल का मुआवजा उस खेत मानलक को नमल जाए तो शायि इं साि और वन्यजीव के बीच ये शिुता कम िो जाए. इसके अलावा

िस ू रा िेशिल पाकष 1936 में उत्तराखण्ड में बिा, ब्जम

िमें कुछ जंगलों को भी आपस में जोड़िा िोगा, कोई

नलये बिाया गया. इसी तरि वन्यजीव संरक्षण के

आराम से पार कर सके, क्योंदक कई बार ये वन्य

काबेट िेशिल पाकष, जो लुप्त िोते बंगाल टाइगर के

नलये वन्य-जीव अभयारण्य भी बिाए गए. अब तक भारत में लगभग 103 िेशिल पाकष और लगभग 530

पुल या ऐसा रास्ता बिािा िोगा, ब्जसे ये वन्य प्राणी प्राणी सड़क पार करते वि िर् ष िा का भी नशकार िो ु ट जाते िैं .

17 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ि समझे, बब्ल्क अपिा वजूि बिाए रखिे का सिारा समझे.

सि 1972 में वन्यजीव संरक्षण अनिनियम पाररत करके बार्ों के नशकार पर रोक तो लगाई, लेदकि िालात अभी भी वैसे िी बिे िुए िैं , अगर कुछ

बुनियािी बातों पर गौर दकया जाए तो पररणाम बिल सकते िैं . बार्ों के अवैि नशकार पर कड़ी िजर, लोगों में इस बात की जागरुकता पैिा करिा दक बार्ों का संरक्षण मािव जानत के िी दित में िै , क्योंदक इकोनसस्टम में संतुलि और विों के पास रि​िे वाले लोगों की रोजमराष की जरूरत को िे खते िुए बार्ों का िोिा भी जरूरी िै . वन्य जीव संरक्षण के नलये उठाए

गए किम कुछ ि​ि तक कारगर सावबत िुए, भारत में वपछले एक िशक के िौराि पिली बार बार्ों की

संख्या बढ़ी िै और 2,226 तक पिुाँच गई, जो काफी खुशी की बात िै . बात नसफष बार् के संरक्षण की ि​िीं , बब्ल्क कई और िल ष जीवों के संरक्षण की भी िै , ु भ अलग-अलग

िेशिल

पाकष

और

वाइल्ड

लाइफ

सैंक्चुरीज अलग-अलग प्रजानत का संरक्षण कर रिी िैं .

िमें िमारे वन्य जीवि को अमूल्य संपवत्त के रूप में िे खिा िोगा. उिके बचाव के बारे में सोचिा तभी

संभव िै , अगर िम ि केवल वन्य जीवि को बचाएं बब्ल्क उन्िें पिपिे का अवसर भी प्रिाि करें . यदि आवमयक िो तो िमें उन्िें उनचत वातावरण में रखकर

उिकी संख्या बढ़ािे में योगिाि िे िा िोगा. राष्ट्रीय

और अंतराषष्ट्रीय स्तरों पर अभ्यारण्य, वन्यजीव पाकष, राष्ट्रीय उद्याि आदि शानमल िैं . भारत में विों और वन्यजीवों की सुरक्षा के नलए 'पयाषवरण संरक्षण

अनिनियम', 'वि संरक्षण अनिनियम', 'राष्ट्रीय वन्य जीव कायष योजिा', 'टाइगर पररयोजिा', 'राष्ट्रीय उद्याि और अभयारण्य', 'जैव-क्षेिीय ररजवष कायषक्रम' आदि चल रिे िैं . इि योजिाओं के कारण कुछ प्रजानतयों

को ववलुप्त िोिे से बचाया गया िै . इसमें शेर, बधबर शेर, एक सींग वाला गेंडा, िाथी, मगरमच्छ आदि

शानमल िैं . ि केवल ये सब पशु बब्ल्क कई प्रकार के पौिे और पेड़ों िे भी एक िया जीवि प्राप्त करिा शुरू

कर दिया िै . अब उि सभी के जीवि को बचाए

रखिा आवमयक िै . आज ब्जस तरि से मािवीय

िस्तक्षेप के कारण पयाषवरण खराब िो रिा िै , उसके नलए जंगलों को सख्ती से बचािे और बिाए रखिे की बिुत बड़ी जरूरत िै . केवल ऐसा करिे से िम सभी जीवों के भववर्ष्य को बचा सकते िैं .

इं साि को समझिा िोगा दक मािव जीवि तभी तक बच सकता िै जब तक जल, जंगल और जािवर बचेंगे. प्रकृ नत से छे ड़-छाड़ मािव को वविाश की ओर ले जा रिा िै . इसनलये प्रकृ नत से छे ड़-छाड़ करिा बंि करिा

िोगा

और

पयाषवरण

प्रेमी

बिकर

उसका

संरक्षण करिा िोगा. इं साि जािवर को मिज जािवर 18 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


वि िी जीवि, वि िी संपिा डॉ. मिुछन्िा चक्रवती बेंगलुरु, किाषटक मिुर्ष्य और वि का संबंि: जब से प्रकृ नत में मिुर्ष्यजानत का निमाषण िुआ िै , मािव-जानत अपिे भरणपोर्ण एवं बौविक ववकास के नलए कई प्राकृ नतक स्रोतों पर निभषर करता आया िै . िीरे -िीरे उसिे प्रकृ नत एवं अपिे आस-पास से खाद्य सामग्री के नलए

फल-सब्धजया​ाँ एवं अिाज, शरीर को ढकिे के नलए

चमड़े के पररिाि से लेकर सूती एवं ऊिी कपड़े , रक्षण एवं निमाषण कायष के नलए पत्थरों से बिे औजारों से लेकर लोिे और अन्य पिाथों के बिे कई

औजार तक प्रकृ नत से प्राप्त करिा सीख नलया. मिुर्ष्य िे आदि काल से अपिी बुवि का प्रयोग करते

िुए प्रकृ नत द्वारा इि सभी वस्तुओं को प्राप्त दकया िै . आज मिुर्ष्य ववकास की चरम तक पिुाँच चुका िै , दफर भी इस ववकास गनत को बिाए रखिे के नलए तथा स्वयं के भरण-पोर्ण के नलए अभी भी वि

प्रकृ नत पर पूरी तरि से निभषर िै . इसी प्रकृ नत का सबसे बड़ा उपािाि िैं - वि एवं वन्य-पशु. वि से

नमलिे वाली खाद्य सामग्री (फल, सब्धजया​ाँ), और्िीय सामग्री, लकदड़या​ाँ, मूल्यवाि पत्थर एवं िीरे -जवािरात

इत्यादि ऐसी कई वस्तुएाँ िै , जो मिुर्ष्य को वि के द्वारा िी प्राप्त िुई िै . यिा​ाँ तक की मिुर्ष्य िे अपिे स्वाि और पेट-क्षुिा के नलये एवं अपिी िािा प्रकार की इच्छाओं की पूनतष के नलए वन्य पशुओं तक का

भी उपभोग दकया िै और अब भी कर रिा िै . स्पष्ट रूप से किा जाए तो मािव सभ्यता का एक अिम दिस्सा सिा से वि तथा वन्य समाज रिे िैं .

ववडम्बिा िै दक अपिे जीवि का अिम दिस्सा िोते िुए भी आज िम अपिे इस दिस्से के साथ अन्याय पूणष व्यविार कर रिे िैं . ववकास के नलए िमें जो-जो चादिए िम वि से तो ले लेते िैं , पर ये अि​िे खा कर िे ते िैं दक िमिे दकतिा वविाश दकया िै . आज िम

जिा​ाँ किी भी जाते िैं तो इस वविाश के नचह्न िे ख

पाते िैं . भूस्खलि, वन्य क्षेिों का संकुचि, जल स्रोतों

की कमी एवं सूखा, वन्य पशुओं की मृत्यु िर में तेजी आिा, जलवायु पररवतषि, प्रिर् ू ण, पयाषवरण में काबषि उत्सजषि का अनिक िो जािा इत्यादि कई ऐसी बातें िै जो ये िमें बताती िै दक अब समय आ

चुका िै , िमें साविाि िो जािा चादिए. ववकास के साथ िोिे वाले वविाश को रोकिा अब िमारा सबसे पिला कतषव्य िै . वविष्ट िो चुके अपिे पयाषवरण एवं विों का पुिः निमाषण एवं संरक्षण िमारा कतषव्य िै .

वि संरक्षण एवं भारतीय जीवि में वि एवं वन्यसमाज का मित्व: भारतीय जीवि में वि का मित्व ववकास के स्रोत के अलावा सांस्कृ नतक रूप से तथा

आध्याब्त्मक रूप में भी रिा िै . आज पूरा ववश्व पयाषवरण दिवस

मिाकर

पयाषवरण एवं वि की

नचन्ता पर समाज को जागरूक करिे पर जोर िे रिा

िै . पेड़ काटिे, पशुओं को मारिे इत्यादि का पुरजोर ववरोि जता रिा िै . लेदकि वास्तववक ब्स्थनत क्या

िै ? दकतिी बिली िै ? किीं यि भ्रामक सी छवव गुमराि करिे की कोनशश तो ि​िीं िै ? क्या वास्तव में

जो किा जा रिा िै , वि दकया जा रिा िै ? भारतीय समाज प्राचीि काल से िी पयाषवरण एवं वि को अपिे जीवि का एक अिम दिस्सा बिा कर जीता

रिा िै . गोविषि पूजा, आंवला िवमी, तुलसी वववाि,

वटवृक्ष पूजा, गंगा पूजा, गाय, बतख, शेर, िाथी जैसे पशुओं को ववनभन्ि िे वी-िे वताओं के वाि​ि के रूप में पूजिा इत्यादि सब यिी जादिर करते िैं दक भारतीय जीवि में वि एवं वन्य जीव-जन्तुओं का दकतिा

मित्व रिा िै . िै िंदि​ि जीवि में तुलसी के और्िीय

गुणों के कारण ये पौिा इतिा मित्व रखता िै दक प्राय: िर र्र में तुलसी का पौिा नमलेगा. विीं

वटवृक्ष की भी मित्ता इतिी िै दक उसे जलािे िे तु

कभी काटा ि​िीं जाता िै , क्योंदक वटवृक्ष बड़ी पवत्तया िोिे की वजि से जलवायु से काबषि को अनिक

सोखता िै . तकरीबि िर िे व स्थाि में वटवक्ष रिता

िै तथा उसकी अलग से पूजा प्रनतदि​ि िोती िै . उसी प्रकार िदियों को भी माता का िजाष दिया गया िै . इि सबको पूजा के माध्यम से इसनलए जोड़ा गया तादक िम इिका संविषि करें , इिको िष्ट ि करें एवं पयाषवरण संतुलि बिा रिे .

मािव-पशु संर्र्ष: मिुर्ष्य िे अपिे ववकास के नलए सिै व िी स्वाथी िोकर प्रकृ नत का शोर्ण दकया िै .

उसी प्रकार उसिे पशुओं को भी अपिे नलए प्रयोग

19 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


दकया. िानथयों द्वारा बड़े -बड़े पत्थरों को ब्खंचवािा,

(Light Detection and Ranging-LiDAR) सवेक्षण.

इत्यादि. तो विीं अपिे मिोरं जि के नलए शेर, िाथी,

चारे की किां-किां दकतिी-दकतिी कमी िै , उसकी

बैलों

द्वारा खेत जोतिा, र्ोड़ों

द्वारा

रथ िांकिा

समुद्री जीवों को उसिे सकषस में भी िचािा शुरू कर दिया. पशुओं की िो प्रकार की श्रेब्णया​ाँ िैं . एक पालतू

जािवर, िस ू रे जंगली जािवर. वन्य पशुओं के नलए

इस सवेक्षण की मि​ि से वन्य क्षेिों में पािी और जािकारी जाएगी.

जुटायी

जाएगी

तथा

उसकी

पूनतष

की

पररब्स्थनतया​ाँ इतिी सरल ि​िीं रिी. ववकास िे तु आवासीय

िुकसाि, जलवायु

पररवतषि

के

कारण

सूखते जंगल, भू-जल में कमी तथा चारे की कमी

आदि के कारण ये मािव तथा पशु वगष में एक संर्र्ष की ब्स्थनत पैिा कर रिा िै . यि वास्तव में नचन्ता

का ववर्य िै . कई बार वन्य-जीव, नशकाररयों द्वारा भी मार नगराये जाते िैं . िस ू री नचन्ता का ववर्य ये िै

दक वतषमाि समय में जलवायु पररवतषि के कारण

कम वर्ाष िो रिी िै , ब्जससे वन्य-क्षेिों में पािी की

नलडार सवेक्षण कैसे दकया जाता िै ? LiDAR उपकरण

वृक्षों के कटिे, लकदड़यों के नलए पेड़ों के कटिे तथा

ररसीवर िोता िै . बड़े क्षेिों के ऊपर नलडार डाटा प्राप्त

वन्य जीवों को कई प्रकार के कष्टों का सामिा करिा

प्रयोग िोता िै . नलडार का नसिांत सरल िै . यि पृ्वी

तनमलिाडु के िीलनगरर इलाके में कम वर्ाष िोिे से

फेंकता िै , और प्रकाश के लौटिे के समय का

िानथयों की मौत िो गयी (1). यिी कारण िै दक कई

का पता लगा लेता िै . इससे दकसी वस्तु की सटीक

अक्सर ररिाईशी इलाकों में भी र्ुस आते िैं . ब्जससे

(2).

तथा चारे की कमी आिे लगी िै . अक्सर फलिायी

में एक लेजर, एक स्कैिर और एक ववशेर् GPS

जंगलों में आग लगिे एवं सूखे जैसी पररब्स्थनत में

करिे के नलए िवाई जिाजों और िे नलकॉप्टरों का

पड़ता िै . 2017 की एक ररपोटष में बताया गया िै दक

की सति पर ब्स्थत दकसी वस्तु पर लेजर प्रकाश

सूखे की ब्स्थनत पैिा िो गयी थी ब्जसके कारण कई

आकलि करता िै , और इस प्रकार उस वस्तु की िरू ी

बार वन्य जीव-जन्तु प्रायः पािी की तलाश में

िरू ी का पता ववश्वसिीय रूप से तेजी से िो जाता िै

लोगों और जािवरों के बीच ि चािते िुए भी संर्र्ष की ब्स्थनत उत्पन्ि िो जाती िै . अक्सर ऐसी कई र्टिाएाँ िोती िै जिा​ाँ जािवर भोजि की तलाश में मुख्य सड़क तक चले आते िैं और िर् ष िा का ु ट नशकार िो जाते िैं . कई बार ररिाईशी इलाकों में भी

तेन्िए ु ं, शेर जैसे मांस भक्षण करिे वाले पशु भी चले आते िैं और उि इलाकों में रि​िे वाले लोगों के नलए

या तो खतरा बि जाते िैं या दफर खुि खतरे में पड़ जाते िैं . जंगली इलाकों में पािी और चारे की कमी

के कारण ि केवल वन्य पशुओं का िुकसाि िो रिा िै , बब्ल्क इससे पयाषवरण को भी िुकसाि िो रिा िै . इको-नसस्टम को सुंतलि में रखिे के नलए ब्जस

प्रकार पेड़-पौिों की आवमयकता िोती िै , उसी प्रकार पशुओं की सभी प्रजानतयों की भी आवमयकता िोती िै .

यिी कारण िै दक भारत सरकार िे अपिे पयाषवरण

तथा जंगलों एवं वन्य समाज के संरक्षण िे तु एक

अिोखा और कारगर किम उठाया िै . वि िै नलडार

नलडार का उपयोग आमतौर पर सवेक्षण, भूगब्णत, भूववज्ञाि, पुरातत्त्व, भूगोल, भूववज्ञाि, भू-आकृ नत ववज्ञाि (Geomorphology),

भूकंप

ववज्ञाि,

वानिकी,

वायुमंडलीय भौनतकी, लेज़र मागषिशषि, िवाई लेज़र

स्वाथ मैवपंग (Airborne Laser Swath MappingALSM) और लेज़र अल्टीमेरी में अिुप्रयोगों के साथ उच्च-ररज़ॉल्यूशि मािनचि के नलये दकया जाता िै .

25 जूि‚ 2021 को भारत के तत्कालीि केंद्रीय

पयाषवरण, वि और जलवायु पररवतषि मंिी श्री प्रकाश जावड़े कर िे एक ऑिलाइि कायषक्रम के िौराि िस

20 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


राज्जयों में वि क्षेिों के ‘नलडार’ (LiDAR) आिाररत

विा​ाँ की मृिा की ववशेर्ताओं के अिुरूप मृिा एवं

िस राज्जयों में शानमल िै - असम‚ वबिार‚ छत्तीसगढ़‚

संरचिाओं के निमाषण के नलये स्थािों व संरचिाओं

सवेक्षण की ववस्तृत पररयोजिा ररपोटष जारी की. इि गोवा‚

झारखंड‚

मध्य

िगालैंड तथा विपुरा. 

प्रिे श‚

मिाराष्ट्र‚

मब्णपुर‚

इस पररयोजिा का दक्रयान्वयि भारत सरकार के

जल शवि मंिालय के अंतगषत‘ WAPCOS’ (Water and Power Consultancy Services) िामक सावषजनिक क्षेि के उपक्रम द्वारा दकया जा रिा िै . 

इस पररयोजिा में ‘LiDAR’ (Light Detection

and Ranging) तकिीक का उपयोग दकया गया िै ‚ जो दक वि क्षेि में पािी तथा चारे की उपलधिता बढ़ािे में मि​ि करे गी. 

इसके माध्यम से मािव एवं पशुओं के बीच

नलए

भारत

विीकरण

सरकार

प्रबंि​ि

सभी एवं

राज्जयों

योजिा

को

प्रनतपूरक

प्रानिकरण

(Compensatory Afforestation Management and

Planning Authority- CAMPA) निनि प्रिाि करे गी. ब्जसके द्वारा पररयोजिा शुरू की जा सकती िै और वे

विस्पनतयों और जीवों की जरूरतों को पूरा करिे के

साथ चारा वृवि के नलए जंगलों के भीतर जल संसाि​िों को बढ़ा सकते िैं (3).

का िस ू रा उद्दे मय ये भी िै दक स्थािीय समुिायों को

WAPCOS िे LiDAR तकिीक का उपयोग िै ‚

ब्जसमें

3-डी

दडब्जटल

एनलवेशि

व्यवस्था के नलए िी ि​िीं िै बब्ल्क इस पररयोजिा

भी जल आपूनतष करायी जाए. वतषमाि समय में वन्य प्रिे शों में रि​िे वाले लोगों के नलए पीिे के पािी की

मॉडल‚ इमेजरी‚ पररयोजिा क्षेिों की परतों का

समस्या बिुत अनिक िो चली िै . वन्य क्षेिों में रि​िे वाले लोग भी वि पर पूरी तरि से निभषर िैं . झरिें

प्रकार की मृिा एवं जल संरक्षण संरचिाओं की

पररवतषिों एवं प्राकृ नतक र्टिाओं की वजि से सूखते

उपयोग‚ एिीकट‚ गोवबयि आदि जैसी ववनभन्ि नसफाररश करिे के नलए दकया जाता िै .

ये संरचिाएं वर्ाष के पािी को संरब्क्षत करिे

तथा उसकी िारा को बि​िे से रोकिे में मि​ि करे गी‚ ब्जसके फलस्वरूप भूजल के पुिभषरण में मि​ि नमलेगी.

WAPCOS िे राज्जय वि ववभागों की भागीिारी के साथ इि राज्जयों में वि धलॉक के भीतर िर

राज्जय में 10 िजार िे क्टे यर की भूनम का चयि दकया िै . 

चयि दकया िै . इस पररयोजिा को पूरा करिे के

उपलधि कराई जाएगी.

दकया

10,000 िे क्टे यर के औसत क्षेिफल की भूनम का

ये पररयोजिा केवल वन्य क्षेिों में जल और चारे की

करके इि ववस्तृत पररयोजिा ररपोटों को तैयार

की पिचाि करिे के उद्दे मय से प्रत्येक राज्जय में

संर्र्ष को कम करिे‚ भू-जल का पुिभषरण करिे के साथ-साथ स्थािीय समुिाय को सिायता 

जल संरक्षण की उपयुि एवं व्याविाररक सूक्ष्म

इस पररयोजिा को 26 राज्जयों में कुल 2,61,897 िे क्टे यर से अनिक क्षेि में कायाषब्न्वत करिे के

नलए जुलाई‚ 2020 में 18.38 करोड़ रुपये की लागत से WAPCOS को सौंपी गई थी.

इसके तित शेर् 16 राज्जयों की ववस्तृत पररयोजिा

ररपोटष भी शीघ्र िी जारी की जाएगी. WAPCOS िे

राज्जय वि ववभागों की भागीिारी के साथ इि राज्जयों में वि धलॉक के भीतर एक बड़े वि-क्षेि की पिचाि करिे के साथ ववस्तृत पररयोजिा ररपोटष तैयार करिे

और स्थाि ववशेर् के भूगोल, उसकी स्थलाकृ नत तथा

और जलाशय िीरे -िीरे

पयाषवरण में आये िािा

जा रिे िैं . विीं अक्सर वर्ाष जल के साथ-साथ नमट्टी का बिाव िो जािे से जंगली इलाकों में पािी का पुिभषरण ि​िीं िो पाता िै . गंिला पािी िोिे के कारण पशुओं के स्वास्​्य पर भी असर पड़िे लगा िै

और स्थािीय समुिायों के नलए भी जल संकट (ववशेर्कर पीिे का पािी) का सामिा करिा पड़ रिा

िै . ऐसे में जंगलों में रि​िे वाले प्राब्णयों के नलए भी संकट

की

ब्स्थनत

उत्पन्ि

िो

चुकी

िै .

लीडार

आिाररत सवेक्षण की मि​ि से जािकारी जुटायी

जाएगी तथा इि जािकाररयों की मि​ि से वन्य क्षेिों

में जल पुिभषरण, चारा बढ़ािे तथा नमट्टी की

समस्या को भी िरू दकया जा सकेगा. इि समस्याओं का समािाि इस अिोखे प्रयास से दकया जा सकेगा.

संिभष 1. https://www.thehindu.com/news/national/animals -struggling-to-cope-with-driestyear/article18282704.ece 2. https://www.sansarlochan.in/lidar-light-detectionand-ranging-hindi/ 3. https://moef.gov.in

21 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ववज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी में भारत की उपलब्धियां डॉ. कुलवंत नसंि 2601, ववंग-3, लोढ़ा अमारा, कोलशेट रोड, ठाणे, मिाराष्ट्र

वैब्श्वक स्तर पर भारत की ववज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी के क्षेि

एक िै जो दक 20 नमनलयि अरब सूयष ब्जतिा बड़ा िै . यि

में अिेकों उपलब्धियां िैं , ब्जन्िोंिे िनु िया भर में ववज्ञाि

एक पथ प्रिशषक खोज िै और इस समूि का िाम

एवं प्रौद्योनगकी की सीमाओं को आगे बढ़ािे में मि​ि की.

'सरस्वती' रखा गया. यि सबसे बड़े ज्ञात खगोल आकारों

आज भारत वैज्ञानिक अिुसंिाि के क्षेि में िनु िया के शीर्ष

में से एक िै . यि पृ्वी से 400 लाख प्रकाश वर्ष िरू िै . यि

िे शों में से एक िै . ऐसी कई वैज्ञानिक एवं प्रौद्यौनगकी

लगभग 10 अरब वर्ष से अनिक पुरािा समूि िै .

उपलब्धियां िैं , ब्जि पर िर भारतीय को गवष िोिा चादिए. आइये ऐसी िी कुछ प्रौद्योनगदकयों पर दृवष्ट डालते िैं . परमाणु र्ड़ी मई 2018 में परमाणु र्ड़ी (एटॉनमक क्लॉक) के ववकास िे इसरो को िनु िया के कुछ अंतररक्ष संगठिों में से एक बिा

दिया िै , ब्जसिे इस पररर्ष्कृ त तकिीक को प्राप्त दकया िै . इसका उपयोग, प्राप्त दकए गए डे टा के सटीक स्थाि को मापिे के नलए िेववगेशि उपग्रिों में दकया जाएगा. इसरो वतषमाि में यूरोपीय एयरोस्पेस निमाषता एब्स्रयम से परमाणु र्दड़यों का आयात करता िै . परमाणु र्ड़ी एक

104 उपग्रिों का सफलतापूवषक लॉन्च

प्रकार की र्ड़ी िै जो इलेक्रो-मेग्िेदटक स्पेक्रम की माइक्रो-वेव, ऑब्प्टकल या अल्रा-वायलेट रीजि में इलेक्राि रांजीशि िीक्वेंसी का प्रयोग टाइम कीवपंग के स्टै ण्डडष एनलमेंट के रूप में करती िै . परमाणु र्दड़यां सबसे

सटीक समय और आवृवत्त मािक िैं , और इन्िें अंतरराष्ट्रीय समय ववतरण सेवाओं के नलए प्राथनमक मािकों के रूप में उपयोग दकया जाता िै , तादक टे लीववजि प्रसारण की लिर आवृवत्त को नियंवित दकया जा सके और वैब्श्वक िेववगेशि सैटेलाइट नसस्टम जैसे जी.पी.एस. में भी इसका प्रयोग दकया जाता िै . आकाशगंगाओं के एक बिुत बड़े सुपर क्लस्टर की खोज

भारतीय खगोलवविों की एक टीम िे जुलाई 2017 में आकाशगंगाओं के एक बिुत बड़े सुपर क्लस्टर की खोज

की. यि िह्ांड के पास सबसे बड़ी ज्ञात संरचिाओं में से

इसरो िे एक िी रॉकेट पर ररकॉडष 104 उपग्रिों को 15 फरवरी, 2017 को सफलतापूवक ष लॉन्च करके जदटल नमशिों को संभालिे की अपिी क्षमता का प्रिशषि दकया. यि िनु िया के दकसी भी िे श द्वारा दकसी एक नमशि में अब तक प्रक्षेवपत दकए गए उपग्रिों की सबसे अनिक संख्या िै . जी.एस.एल.वी.- एम.के. III

22 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


इसरो िे िे श का सबसे भारी रॉकेट जी.एस.एल.वी.-एमके

के ववकास के नलए केंद्र (सी-डै क) की स्थापिा उच्च गनत

III लॉन्च दकया, ब्जसका क्रायोजेनिक इं जि स्विे शी रूप

कम्प्यूटेशिल जरूरतों को पूरा करिे के नलए एक स्विे शी

से ववकनसत दकया गया था. 5 जूि, 2017 को

सुपर कंप्यूटर ववकनसत करिे के नलए की गई थी. भारत

जीएसएलवी एमके III की पिली सफलतापूवक ष उड़ाि

का पिला स्विे शी सुपर-कंप्यूटर, परम-8000 वर्ष 1991

िल ष उपलब्धि िै . रॉकेट को अपिी तरि के पिले अंतररक्ष ु भ

में C-DAC द्वारा बिाया गया था.

नमशि में ’गेम-चेंजर’ के रूप में वब्णषत दकया गया िै , और यि िे श के अंतररक्ष कायषक्रम में आत्मनिभषर िोिे की दिशा में एक और बड़ा किम िै .

आयषभट्ट आयषभट्ट भारत का पिला उपग्रि था, ब्जसे मिाि भारतीय खगोल-शास्त्री के िाम पर रखा गया. यि सोववयत संर् द्वारा 19 अप्रैल 1975 को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाि​ि द्वारा कास्पुनति यार से प्रक्षेवपत दकया गया था. यि भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगठि (इसरो) द्वारा निमाषण और अन्तररक्ष में उपग्रि संचालि में अिुभव प्राप्त करिे िे तु बिाया गया था. यि 619 दकमी की भू-िरू स्थ और 563 दकमी की भू-समीपक कक्षा में स्थावपत दकया

गया था. भारत द्वारा निनमषत यि पिला उपग्रि भारत के अंतररक्ष कायषक्रम में एक मित्वपूणष उपलब्धि थी. यि एक्स-रे , खगोल ववज्ञाि और सौर भौनतकी में प्रयोगों के संचालि के नलये बिाया गया था. और इसिे इसरो के नलए िई संभाविाएं खोली थीं. ’कलाम-सैट’ एक ववश्व का सबसे िल्का और लर्ु कृ विम उपग्रि िै , ब्जसका िामांकरण भारतीय पूवष राष्ट्रपनत व वैज्ञानिक एपीजे अधिल ु कलाम के िाम पर दकया गया. यि ववश्व का पिला 3-डी वप्रंटर से तैयार उपग्रि भी िै . इस

उपग्रि का वजि 64 ग्राम िै . अमेररकी अंतररक्ष संस्था द्वारा वालोप्स अंतररक्ष केंद्र से एसआर-4 रॉकेट के माध्यम से कलाम सैट का प्रक्षेपण दकया गया. इस उपग्रि को मूलतः तनमलिाडु के करूर ब्जले में पल्लापट्टी के रफीक शािरुख एवं उिकी टीम िे बिाया. िासा और आई डू डल लनिांग िे अंतररक्ष से संबंनित एक 'क्यूब इि स्पेस' िामक प्रनतयोनगता करवाई थी, ब्जसमें 57 िे शों से 86 िजार दडजाइिें प्राप्त िुईं. इि दडजाइिों में से शािरुख के उपग्रि का चयि िुआ था.

िह्ोस िह्ोस एक रै मजेट सुपरसोनिक क्रूज नमसाइल िै , ब्जसे पिडु धबी, युिपोत, लड़ाकू ववमािों और जमीि से भी लॉन्च दकया जा सकता िै . िह्ोस नमसाइल को भारत और रूस के संयुि उपक्रम के तित ववकनसत दकया गया िै . शुरुआत में इसकी रें ज 290 दकलोमीटर थी. इसकी क्षमता

परम भारत का पिला स्विे शी सुपर कंप्यूटर आिुनिक भारत की तकिीकी यािा में एक प्रमुख मील का पत्थर था. 80 के िशक में भारत को एक प्रौद्योनगकी-अस्वीकार शासि का सामिा करिा पड़ा. यि तब था जब उन्ित कंप्यूदटं ग

को बढ़ाकर 400 दकलोमीटर से ज्जयािा दकया गया िै . अिुमाि के मुतावबक, सुपरसोनिक क्रूज नमसाइल 450 दकलोमीटर तक िमु मि के टारगेट को तबाि कर सकती िै . िह्ोस िनु िया की सबसे तेज और सबसे िज े एंटी-नशप ु य क्रूज नमसाइल िै . यि सुपरसोनिक नमसाइल के नलए एक

23 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


बड़ी उपलब्धि और सफलता का प्रतीक िै . िह्ोस के समुद्री

मासष ऑवबषटर नमशि (मंगल-याि)

तथा थल संस्करणों का पिले िी सफलतापूवक ष परीक्षण दकया जा चुका िै तथा भारतीय सेिा एवं िौसेिा को सौंपा जा चुका िै . िह्ोस भारत और रूस द्वारा ववकनसत की गई अब तक की सबसे आिुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली िै और इसिे भारत को नमसाइल तकिीक में अग्रणी िे श बिा दिया िै . क्रूज प्रक्षेपास्त्र उसे किते िैं जो कम ऊाँचाई पर तेजी से उड़ाि भरती िै और इस तरि से रडार की आाँख से बच जाती िै . िह्ोस की ववशेर्ता यि िै दक इसे जमीि से, िवा से, पिडु धबी से, युिपोत से यािी दक लगभग किीं से भी िागा जा सकता िै .

मासष ऑवबषटर नमशि (मंगल-याि) िे भारत को अपिे पिले प्रयास में मंगल पर पिुंचिे वाला िनु िया का एकमाि यिी ि​िीं, इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्पररक प्रक्षेपक के अलावा उध्वषगामी यािी दक वदटष कल प्रक्षेपक से भी िागा जा सकता िै . िह्ोस के मेिुवरे बल संस्करण का िाल िी में सफल परीक्षण दकया गया. ब्जससे इस नमसाइल की मारक क्षमता में और भी बढोत्तरी िुई िै . मेिुवरे बल

तकिीक यािी दक िागे जािे के बाि अपिे लक्ष्य तक पिुाँचिे से पिले मागष को बिलिे की क्षमता. उिािरण के नलए टैं क से छोड़े जािे वाले गोलों तथा अन्य नमसाइलों का

लक्ष्य पिले से निब्श्चत िोता िै और वे विीं जाकर नगरते िैं . या दफर लेज़र गाइडे ड बम या नमसाइल िोते िैं जो लेजर दकरणों के आिार पर लक्ष्य को सािते िैं . परं तु यदि कोई लक्ष्य लगातार गनतशील िो तो उसे निशािा बिािा कठीि िो सकता िै . यिीं, यि तकिीक काम आती िै . िह्ोस मेिुवरे बल नमसाइल िै . िागे जािे के बाि लक्ष्य तक पिुाँचते पिुाँचते यदि लक्ष्य मागष बिल ले तो यि नमसाइल भी अपिा मागष बिल लेती िै और उसे निशािा बिा लेती िै .

राष्ट्र बिा दिया. मंगलयाि-1, स्विे श निनमषत अंतररक्ष

जांच, अंतग्रषिीय अंतररक्ष में भारत का पिला उद्यम िै . इससे मंगल की सति तक पिुंचिे वाला भारत एनशया में

पिला और िनु िया में चौथा िे श बि गया. मंगलयाि, (Mars Orbiter Mission), भारत का प्रथम मंगल

अनभयाि िै . यि भारत का पिला ग्रिों के बीच का नमशि िै . वस्तुत: यि भारतीय अंतररक्ष अिुसंिाि संगठि की एक मित्वाकांक्षी अन्तररक्ष पररयोजिा थी. मंगल ग्रि की पररक्रमा करिे िे तु छोड़ा गया यि उपग्रि ध्रुवीय उपग्रि प्रक्षेपण याि (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा 5 िवम्बर 2013 को सफलतापूवक ष छोड़ा गया था. इसके साथ िी भारत भी उि िे शों में सब्म्मनलत िो गया, ब्जन्िोंिे मंगल पर अपिे याि भेजे िैं . वैसे अब तक मंगल को जाि​िे के नलये शुरू दकये गये िो नतिाई अनभयाि असफल भी रिे िैं . परन्तु 24 नसतंबर 2014 को मंगल पर पिुाँचिे के साथ िी

भारत ववश्व में अपिे प्रथम प्रयास में िी सफल िोिे वाला पिला िे श तथा सोववयत रूस, िासा और यूरोपीय अंतररक्ष एजेंसी के बाि िनु िया का चौथा िे श बि गया.

24 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


इसके अनतररि ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता नमशि भी था. इससे पिले चीि और जापाि अपिे मंगल

केन्द्र से प्रक्षेवपत दकया गया. इसे चन्द्रमा तक पिुाँचिे में 5 दि​ि लगे, और चन्द्रमा की कक्षा में स्थावपत करिे में

अनभयाि में असफल रिे थे. वस्तुतः यि एक प्रौद्योनगकी

15 दि​िों का समय लगा. चंद्रयाि ऑवबषटर का मूि

प्रिशषि पररयोजिा िै ब्जसका लक्ष्य अन्तर-ग्रिीय

इम्पैक्ट प्रोब (MIP) 14 िवंबर 2008 को चंद्र सति पर

अन्तररक्ष नमशिों के नलये आवमयक दडजाइि, नियोजि,

उतरा, ब्जससे भारत चंद्रमा पर अपिा झंडा लगािे वाला

प्रबन्ि​ि तथा दक्रयान्वयि का ववकास करिा िै . ऑवबषटर

िनु िया का चौथा िे श बिकर उभरा. चंद्रयाि का उद्दे मय

अपिे पांच उपकरणों के साथ मंगल की पररक्रमा कर रिा

चंद्रमा की सति के ववस्तृत िक्शे और पािी के अंश और

िै और वैज्ञानिक उद्दे मय को प्राप्त करिे के नलए आंकड़े व

िीनलयम की तलाश करिा था. चंद्रयाि-1 (525 दकग्रा का

तस्वीरें पृ्वी पर भेज रिा िै . अंतररक्ष याि पर वतषमाि में

एक उपग्रि) चंद्रमा से 100 दकमी ऊपर ध्रुवीय कक्षा में

इसरो टे लीमेरी, रै दकंग और कमांड िेटवकष (इस्रै क),

स्थावपत दकया गया. इस उपग्रि िे अपिे ररमोट सेंनसंग

बंगलौर के अंतररक्षयाि नियंिण केंद्र से भारतीय डीप

(िरू -संवेिी) उपकरणों के जररये चंद्रमा की ऊपरी सति के

स्पेस िेटवकष एंटीिा की सिायता से िजर रखी जा रिी िै . मंगल ग्रि की लगातार सात वर्ष पररक्रमा कर मासष ऑवबषटर नमशि अंतररक्ष में भारतीय कौशल का िया सुबूत बि गया िै . मािा गया था दक यि नमशि छि मिीिे काम करे गा. लेदकि इसिे काम पर अपिे सात वर्ष पूरे कर नलए िैं . इसरो के अिुसार नमशि िे मंगल ग्रि के तीि वर्ष पूरे दकए िैं , क्योंदक विां का एक वर्ष िमारे करीब िो वर्ष ब्जतिा िै . साथ िी िमिे मंगल पर मौसमों के असर को समझा िै . नमशि लांच के समय इसरो के चेयरमैि रिे के. रािाकृ र्ष्णि िे इसे ‘संतोर्जिक

उपलब्धि’ बताया. उन्िोंिे किा दक भारत के पिले मंगल नमशि िे सभी उद्दे मय पाए और भारतीय तकिीकी कौशल का प्रिशषि दकया. इसके जररए इसरो िे अंतररक्ष नमशि के दडजाइि, नसस्टम व सब-नसस्टम का उपयोग, अंतरग्रिीय प्रक्षेपण, दकसी अन्य ग्रि के पररक्रमा कक्षा पथ में प्रवेश, अंतररक्ष याि व वैज्ञानिक उपकरणों का मंगल ग्रि के इिष -नगिष उपयोग सीखा. इसिे भारत को अंतररक्ष में प्रमुख मिा-शवियों में से एक बिा दिया िै . चंद्रयाि भारत के पिले चंद्र अन्वेर्ण नमशि चंद्रयाि-1 िे इसरो के नलए भू-स्थैनतक कक्षा से आगे जािा संभव बिाया. इसिे िे श में बुनियािी ववज्ञाि और इं जीनियररं ग अिुसंिाि को आवमयक बल भी प्रिाि दकया. इस अनभयाि के अन्तगषत एक मािव-रदित याि को 22 अक्टू बर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया और यि 30 अगस्त, 2009 तक सदक्रय रिा. यि याि ध्रुवीय उपग्रि प्रमोचि याि (पोलर सेटलाईट लांच वेदिकल, पी.एस.एल.वी.) के एक संशोनित संस्करण वाले राकेट की सिायता से सतीश िवि अंतररक्ष

नचि भेजे.

22 जुलाई, 2019 को चंद्रयाि-2 अंतररक्ष याि को लॉन्च दकया गया. चंद्रयाि-2 का ऑवबषटर अपिा कायष सुचारु रुप से कर रिा िै . स्क्रैमजेट इं जि भारतीय अंतररक्ष अिुसंि​ि संगठि (इसरो) िे 28 अगस्त 2016 को स्क्रैमजेट इं जि का सफलतापूकष परीक्षण दकया. यि वायु-श्वास प्रणोि​ि (Air breathing propulsion) में एक सफल तकिीक िै . वायु-श्वास रॉकेट नसस्टम अपिे पररवेश से वायुमंडलीय ऑक्सीजि का उपयोग करते िैं . जबदक

पारं पररक

रासायनिक

रॉकेट

नसस्टम

में

ऑक्सीडाइजर और ईंि​ि िोिों को ले जािा पड़ता िै . वायुश्वास प्रणोि​ि वायुमंडलीय िवा का उपयोग करके ऑक्सीडाइजर के उपयोग को समाप्त करते िैं और पेलोड अंश में काफी सुिार करते िैं . इस उच्च-प्रौद्योनगकी प्रणाली के ववकास से भारत की भववर्ष्य की अंतररक्ष पररवि​ि जरूरतों को पूरा करिे में काफी मि​ि नमलेगी. इसे सुपरसोनिक कॉमधयूशि रै मजेट इं जि के िाम से भी जािा जाता िै . इस इं जि को आंध्र प्रिे श के श्रीिररकोटा सतीश िवि स्पेस सेंटर से लॉन्च दकया गया था. इसे नतरुअिंतपुरम ब्स्थत ववक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में ववकनसत दकया गया. वैज्ञानिकों का कि​िा िै दक रीयूजेबल लॉन्च व्िीकल (आर.एल.वी.) में िाईपर-सोनिक स्पीड (ध्वनि की गनत से तेज) पर इस इं जि का उपयोग दकया जाएगा. इस टे स्ट के साथ िी भारत िे िासा, रूस और यूरोवपयि यूनियि की बराबरी कर ली िै . इस स्क्रैमजेट इं जि का वजि 3,277 दकलोग्राम था. रॉकेट को जमीि से 20 दकलोमीटर ऊपर भेजा गया. विां इं जि िे

25 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


नलब्क्वड िाइरोजि फ्यूल को जलािे के नलए 5 सेकंड तक

एस.आर.ई.-1 की पुिःप्रानप्त के प्रचालि िे वायु-तापी

वातावरण से ऑक्सीजि ली. इसके बाि वि बंगाल की

संरचिाओं, मंिी और प्लवि-शीलता प्रणानलयों, िौ-

खाड़ी में नगर गया.

संचालि, मागष-िशषि और नियंिण जैसे मित्वपूणष प्रौद्योनगदकयों में भारत की क्षमता का प्रिशषि दकया िै . अंतररक्ष ववज्ञाि और प्रौद्योनगकी में सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों के नलए कम लागत वाले प्लेटफॉमष प्रिाि करिे और अंतररक्ष से िमूिा वापस लािे के नलए एसआरई-1 मित्वपूणष शुरुआत िै .

स्क्रैमजेट इं जि की ववशेर्ताएं : 

यि वजि में िल्का िोिे के कारण अन्तररक्ष खचष में लगभग 90 प्रनतशत की कमी आएगी.

यि एयर िीदिं ग टे क्िोलॉजी पर काम करे गा.

रॉकेट से अनिक पेलोड भेजा जा सकेगा तथा इसे िोबारा इस्तेमाल दकया जा सकेगा.

स्क्रैमजेट इं जि की सिायता से रॉकेट ध्वनि के मुकाबले छि गुिा तेजी से आगे बढ़ सकता िै .

इस तकिीक के पूणत ष या ववकनसत िो जािे पर आकार में बड़े सेटेलाईटों को छोटे वाि​ि से भी प्रक्षेवपत दकया जा सकेगा. एयर िीदिं ग प्रोपलसि नसस्टम (एबीपीएस) वातावरण से िी ऑक्सीजि लेकर रॉकेट में ईंि​ि भरता िै ब्जससे इसकी

क्रायोजेनिक इं जि प्रौद्योनगकी क्रायोजेनिक इं जि प्रौद्योनगकी के उपयोग के सफल प्रिशषि िे भारत को ऐसे केवल पांच अन्य िे शों की लीग में डाल दिया. GSLV-D5 के सफल प्रक्षेपण के साथ, भारत िे वविे शी सिायता के वबिा भारी उपग्रिों को लॉन्च करिे की क्षमता िानसल कर ली िै . यि िे श की भववर्ष्य की लॉन्च लागतों के नलए बड़ी बचत का मागष भी प्रशस्त करे गा.

कायषप्रणाली और भी आसाि िो जाती िै . अंतररक्ष कैप्सूल पुिप्राषनप्त प्रयोग नमशि अंतररक्ष कैप्सूल पुिप्राषनप्त प्रयोग नमशि िे एक पररक्रमा करिे वाले उपग्रि को पुिप्राषप्त करिे के नलए भारत की तकिीकी क्षमता स्थापिा की. यि एक उल्लेखिीय उपलब्धि थी और इस प्रौद्योनगकी का उपयोग भववर्ष्य के मािव

और

रोबोदटक

नमशिों

के

नलए

पुिप्राषनप्त

प्रौद्योनगदकयों को ववकनसत करिे के नलए दकया जाएगा. सतीश िवि अंतररक्ष केंद्र के शार, श्रीिररकोटा से ध्रुवीय उपग्रि प्रमोचि वाि​ि (पी.एस.एल.वी.-सी 7) द्वारा 10 जिवरी 2007 को अंतररक्ष कैप्सूल पुिःप्रानप्त प्रयोग (एस.आर.ई.-1) का प्रमोचि दकया गया, और 22 जिवरी, 2007 युवि-कौशल द्वारा पृ्वी के वायुमंडल में दफर से प्रवेश करिे और बंगाल की खाड़ी में लगभग 140 दकमी पूवष श्रीिररकोटा में सफलतापूवषक पुिप्राषप्त दकया गया. सफल प्रमोचि, ऑिबोडष के प्रयोग और पुि: प्रवेश और

क्रायोजेनिक ईंि​ि क्या िैं ? क्रायोजेनिक का मतलब िै कम तापमाि. क्रायोजेनिक को बेि​ि कम भंडारण तापमाि की आवमयकता िोती िै . इस प्रकार के ईंि​ि का उपयोग आमतौर पर अंतररक्ष में दकया जाता िै क्योंदक तापमाि कम िोता िै . अंतररक्ष का वातावरण ि​ि​ि का समथषि ि​िीं कर सकता िै . और इसनलए, अत्यनिक कम तापमाि वाले ईंि​ि की आवमयकता िोती िै . आमतौर पर क्रायोजेनिक इं जि, ईंि​ि के रूप में नलब्क्वड िाइरोजि

26 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


और ऑक्सीडाईजर के रूप में नलब्क्वड ऑक्सीजि का

दिस्से में इसके उपयोगकताष को सटीक ब्स्थनत की सूचिा

उपयोग करते िैं . ऑक्सीजि को -183 दडग्री सेब्ल्सयस से

िे िा िै . सात उपग्रिों वाली इस प्रणाली में चार उपग्रि िी

िीचे तरल अवस्था में रखा जा सकता िै . और तरल

निगषत कायष करिे में सक्षम िैं , लेदकि तीि अन्य उपग्रि

िाइरोजि को -253 दडग्री सेब्ल्सयस पर रखा जाता िै .

इसकी द्वारा जुटाई गई जािकाररयों को और सटीक

तरल ऑक्सीजि अत्यनिक प्रनतदक्रयाशील िै और अनिक

बिायेगें. िौवि​ि उपग्रि के अिुप्रयोगों में िक्शा तैयार

भार उठािे के नलए एक प्रणोिक के रूप में इस्तेमाल दकया

करिा, ब्जयो-डे दटक आंकड़े जुटािा, समय का वबल्कुल

जाता िै . यि प्रौद्योनगकी अंतररक्ष के क्षेि में प्रगनत में मि​ि

सिी पता लगािा, चालकों के नलए दृमय और ध्वनि के

करती िै . क्रायोजेनिक ईंि​ि अत्यनिक दकफायती िोते िैं ,

जररये िौवि​ि की जािकारी, मोबाइल फोिों के साथ

वे वजि में िल्के िोते िैं . क्रायोजेनिक प्रौद्योनगकी स्वच्छ

एकीकरण, भूभागीय िवाई तथा समुद्री िौवि​ि तथा

िै .

यावियों तथा लंबी यािा करिे वालों को भूभागीय िौवि​ि की जािकारी िे िा आदि िैं . ववनभन्ि क्षेिों जैसे आपिा

इन्सैट प्रणाली भारत की इन्सैट (भारतीय राष्ट्रीय उपग्रि) प्रणाली एनशयाप्रशांत क्षेि में दकसी भी िे श के स्वानमत्व वाली सबसे बड़ी र्रे लू संचार उपग्रि प्रणानलयों में से एक िै . इसिे भारत के संचार क्षेि में एक बड़ी क्रांनत की शुरुआत की. वतषमाि में, यि िरू संचार, नशक्षा और मौसम ववज्ञाि सदित िमारी

अथषव्यवस्था के कई मित्वपूणष क्षेिों की सेवा कर रिी िै . इन्सैट इसरो द्वारा शुरू बिुउद्दे शीय भू ब्स्थर उपग्रिों की

एक श्रृख ं ला िै . इसकी शुरुआत 1983 में की गई. यि

प्रबंि​ि, वाि​िों का पता लगािे, समुद्री िौवि​ि में मि​ि करिा आदि कायष भी इसके आाँकड़े ववश्लेर्ण करिे पर पता चलेंगे. इसरो के मुतावबक यि प्रणाली 2 तरि से सुवविायें प्रिाि करे गी. जिसामान्य के नलये सामान्य िौवि​ि व ब्स्थनत सेवा व िस ू री प्रनतबंनित या सीनमत सेवा जो

मुख्यत: भारतीय सेिा, भारत व सुरक्षा संस्थािों के नलये िोगी. परम नसवि

भारत सरकार के अंतररक्ष ववभाग, िरू संचार ववभाग, भारतीय मौसम ववज्ञाि ववभाग, आकाशवाणी और

िरू िशषि चैिल का एक संयुि उद्यम िै . इिसैट उपग्रि

भारत के टीवी और संचार आवमयकताओं की सेवा करिे के नलए ववनभन्ि बैंड में रांसपोंडर (सी, एस, ववस्ताररत सी और यू) प्रिाि करते िैं . इसरो अंतराषष्ट्रीय कोसपस-सारसट (Cospas-Sarsat) कायषक्रम के एक सिस्य के रूप में िब्क्षण एनशयाई और दिं ि मिासागर क्षेि में खोज और बचाव अनभयाि के नलए संकट चेताविी संकेतों को प्राप्त करिे के नलए उपग्रिों के रांसपोंडर का इस्तेमाल करते िैं . क्षेिीय

िेववगेशि

सैटेलाइट

सुपर-कंप्यूटर प्रणाली िै ब्जसे राष्ट्रीय सुपर-कंप्यूदटं ग

नमशि (National Supercomputing Mission-NSM)

भारतीय क्षेिीय िेववगेशि सैटेलाइट नसस्टम भारतीय

‘परम नसवि’ उच्च प्रिशषि वाली आदटष दफनशयल इं टेनलजेंस

नसस्टम

(आई.आर.एि.एस.एस.) िे भारत को एक स्वतंि उपग्रि िेववगेशि क्षमता रखिे के अपिे सपिे को साकार करिे में मि​ि की. भारतीय क्षेिीय िौवि​ि उपग्रि प्रणाली इसरो द्वारा ववकनसत, एक क्षेिीय स्वायत्त उपग्रि िौवि​ि प्रणाली

िै . प्रिािमंिी िरें द्र मोिी िे इसका िाम भारत के मछुवारों को समवपषत करते िुए िाववक रखा िै . इसका उद्दे मय िे श तथा िे श की सीमा से 1500 दकलोमीटर की िरू ी तक के

के तित सी-डै क (C-DAC) में स्थावपत दकया गया िै . 16

िवंबर, 2020 को जारी ववश्व के शीर्ष 500 सबसे शविशाली िॉि-दडस्रीधयूटेड कंप्यूटर प्रणानलयों (Non-

distributed Computer Systems) में ‘परम नसवि’ िे 63वा​ाँ स्थाि िानसल दकया. 77वें िंबर पर प्रत्युश िै जो दक

भारतीय उर्ष्ण-कदटबंिीय मौसम ववज्ञाि संस्थाि, पुणे में स्थावपत िै . यि डीप लनिांग, ववजुअल कंप्यूदटं ग, वचुअ ष ल ररयल्टी

एक्सेलेरेटेड

कंप्यूदटं ग

और

वचुअ ष लाइज़ेशि में मि​िगार सावबत िोगा.

27 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)

ग्रादफक्स


यि एआई प्रणाली एडवांस मैटेररयल, कंप्यूटेशिल केनमस्री तथा एस्रोदफब्जक्स जैसे क्षेिों में एप्लीकेशि

की शुरूआत में भेजा जाएगा और िस ू रे नमशि को साल के अंत तक भेजे जािे की योजिा िै . गगि-याि भारतीय

डे वलपमेंट पैकेज को मजबूत बिाएगी. राष्ट्रीय सुपर

मािव-युि अंतररक्ष याि िै . अंतररक्ष कैप्सूल तीि लोगों

कंप्यूदटं ग नमशि के अंतगषत इस प्लेटफामष के माध्यम से

को ले जािे के नलए तैयार दकया गया िै . और उन्ित

रग दडजाइि, निवारक स्वास्​्य सेवा प्रणाली जैसे अिेक

संस्करण डॉदकंग क्षमता से लैस दकया जाएगा. अपिी

पैकेज ववकनसत दकये जा रिे िैं . मुंबई, दिल्ली, चेन्िई,

पिली मािवयुि नमशि में, यि 3.7 टि का कैप्सूल तीि

पटिा तथा गुवािाटी जैसे बाढ़ की संभाविा वाले शिरों के

व्यवि िल के साथ सात दि​िों के नलए 400 दकमी की

नलये बाढ़ पूवाषिुमाि प्रणाली ववकनसत की जा रिी िै .

ऊंचाई

इससे COVID-19 से निपटिे के नलये अिुसंिाि एवं

एयरोिॉदटक्स नलनमटे ड द्वारा निनमषत इस क्रू मॉड्यूल िे

ववकास में तेजी आएगी. यि सुपर-कंप्यूदटं ग प्रणाली

18 दिसंबर 2014 को अपिा पिला मािवरदित प्रायोनगक

भारतीय जिता एवं स्टाटष अप ववशेर् रूप से MSME के

उड़ाि दकया.

नलये वरिाि सावबत िो रिी िै .

पर

पृ्वी

की

पररक्रमा

करें गे.

दिं िस् ु ताि

अंतररक्ष स्टे शि भारत सरकार की योजिा 2030 तक एक अंतररक्ष स्टे शि स्थावपत करिे की िै जो अपिी तरि का अिोखा अंतररक्ष स्टे शि िोगा. अंतररक्ष स्टे शि एक ऐसे स्थाि अथवा सुवविा (Facility) के रूप में समझा जाता िै , जो अंतररक्ष में स्थायी रूप से उपब्स्थत िोता िै एवं ब्जसका उपयोग अंतररक्ष यािी निवास स्थाि के रूप में करते िैं . अंतररक्ष स्टे शि को उसके आकार और वजि के अिुसार कई दिस्सों में अंतररक्ष में भेजा जाता िै . इि दिस्सों को मोडयूल (Module) किा जाता िै . इि दिस्सों को अंतररक्ष

में िी डॉदकंग तकिीक से आपस में जोड़ दिया जाता िै .

C32 LH2 प्रोपेलेंट टैं क C32 LH2, दिं िस् ु ताि एयरोिॉदटक्स नलनमटे ड द्वारा

बिाया गया सबसे बड़ा क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट टैं क िै . यि टैं क इसरो को दडलीवर दकया गया. इसे इसरो के ब्जयोनसंक्रोिस सैटेलाइट लॉन्च व्िीकल माकष III (GSLV Mk III) की पेलोड क्षमता को 4 टि से बढ़ाकर 6 टि करिे के

नलए दडजाइि दकया गया िै . यि एल्यूमीनियम नमश्र िातु से बिा एक क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट टैं क िै . इस टैं क में 5,755 दकलोग्राम प्रोपेलेंट ईंि​ि लोड िो सकता िै . इससे पिले, भारत भारी संचार उपग्रिों (5 से 6 टि) को लॉन्च

अंतररक्ष स्टे शि की स्थापिा पृ्वी की निम्ि कक्षा (Low Earth Orbit - LEO) में की जाती िै . इस कक्षा की रें ज पृ्वी से 2000 दकमी तक िोती िै . अंतररक्ष यािी स्टे शि में रिकर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में ववनभन्ि ववर्यों जैसे- जीव ववज्ञाि, नचदकत्सा, खगोल ववज्ञाि, मौसम ववज्ञाि आदि से संबंनित प्रयोगों को करते िैं . साथ िी अंतररक्ष के गि​ि अध्ययि के नलये भी ऐसे स्टे शि उपयोगी िैं . भारतीय कृ वर् अिुसंिाि पररर्ि

करिे के नलए अब तक िेंच गयािा पर निभषर िै . C32 LH2 भारी उपग्रिों को लांच के नलए िस ू रे िे शों पर भारत की निभषरता को समाप्त कर िे गा. गगि-याि 2023 तक भारत की, गगि-याि भेजिे की योजिा िै और उसके पिले िो मािव रदित नमशि भेजे जाएंगे. यि एक रोबोदटक नमशि िोगा, उिमें से एक नमशि अगले साल 28 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


भारतीय कृ वर् अिुसंिाि पररर्ि द्वारा अपिे अिुसंिाि एवं प्रौद्योनगकी ववकास के माध्यम से भारत में िररत

िानभकीय प्रौद्योनगकी पोखरण-2 का सफल परीक्षण कर ववश्व की परमाणु शवि

क्राब्न्त प्रारम्भ करिे एवं तिप ु रांत प्रगनत करिे में अग्रणी

वाले िे शों की पंवि में आ खड़े िुए िैं . इसके अनतररि

खाद्यान्ि उत्पाि​ि, बागवािी फसलों, माब्त्स्यकी, िग्ु ि

िानसल की िैं , एवं ववश्व के अग्रणी िे शों के साथ खड़े िैं .

िै . ब्जसका िमारी राष्ट्रीय खाद्य एवं पोर्क सुरक्षा पर

की िै . परमाणु ऊजाष का मुख्यतः उपयोग कृ वर् और

भूनमका अिा की गई िै ब्जससे 1950-51 के बाि से िे श में

ववदकरण एवं िानभकीय क्षेिों में अिेकों उपलब्धियां

उत्पाि​ि, अण्डा उत्पाि​ि इत्यादि में अिेकों गुणा वृवि िुई

भारत िे परमाणु ऊजाष के क्षेि में भी आश्चयषजिक प्रगनत

सकारात्मक प्रभाव पड़ा िै . 1970 में ववश्व में पिली बार

नचदकत्सा जैसे शांनतपूणष कायों के नलए दकया जा रिा िै .

बाजरा और कपास के संकरों का ववकास भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा दकया गया. अन्य फसलों में भी संकरों का ववकास दकया गया. जैसे अपारम्पररक फसलें- अलसी, कुसुम, िाि, अरिर और तोररया-सरसों; क्वानलटी प्रोटीि मक्का (क्यूपीएम) और बेबी कॉिष में अनिक उपज के साथ उच्च पोर्ण माि वाले एकल क्रॉस संकरों का ववकास; कई फसलों में वन्य प्रजानतयों से िबाव सदिर्ष्णु और क्वानलटी जीि का समावेशि; िलि​िों और अन्य फसलों में ियी फसल पिनतयों के नलए उपयुि पािप दकस्मों का ववकास; कई फसलों में संकर दकस्मों के ववकास के नलए प्रभावी िर बंध्य पिनतयों का ववकास; इत्यादि. इं दडयि इन्फोमेशि नसस्टम (INDUS) सॉफ्टवेअर का उपयोग करके लुप्तप्राय दकस्म डे टाबेस को दडब्जटल दकया गया. भारतीय पररब्स्थनतयों में 35 फसलों के DUS (Distinctness, Uniformity and Stability) परीक्षण माि​िं डों का ववकास दकया गया. मेगा बीज प्रोजेक्ट द्वारा वर्ष 2006-07 में एक वर्ष में उन्ित दकस्मों के बीज का उत्पाि​ि िग ु ुिा करके

6,06,000 ब्क्वंटल दकया गया; इस प्रकार खेती के नलए जारी दकस्मों में बढोतरी संभव िुई. ववनभन्ि कृ वर् पाररब्स्थनतयों के नलए 3300 उच्च उत्पािक दकस्मों/ संकरों

का

ववकास;

अब्खल

भारतीय

समब्न्वत

प्रायोजिाओं के िेटवकष द्वारा आवमयक प्रौद्योनगदकयों की पिचाि; 1960 और 1990 के मध्य िररत और पीत क्रांनत के िौराि प्राप्त िुई उपरोि उपलब्धियां. 33 प्रमुख फसलों

की डीएिए दफंगर-वप्रदटं ग; 2215 दकस्मों की दफंगरवप्रदटं ग की गई. पररर्ि द्वारा कृ वर् में उच्च नशक्षा में उत्कृ ष्टता को बढ़ािे में भी मित्वपूणष भूनमका अिा की गई िै . यि ववज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी ववकास के अनत िवीि क्षेिों में संलग्ि िै , और इसके वैज्ञानिकों को अपिे क्षेिों में अंतराषष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त िै .

इलेक्रॉनिकी उद्योग ववश्व के चौथे सबसे बड़े उद्योग इलेक्रॉनिकी िे समूचे भारत में क्रांनत ला िी िै . इसके उत्पाि​ि में तेजी लािे के नलए सि ् 1970 में भारत सरकार िे इलेक्रॉनिकी ववभाग की स्थापिा की. सूचिा प्रौद्योनगकी, ववशेर् रूप से कंप्यूटर तथा संचार की दिशा में िो रिे ववकास िे िरू संचार तथा

कंप्यूटर उद्योग में क्रांनत ला िी िै . दडजीटल प्रौद्योनगकी पर आिाररत मोबाइल, सेलुलर, रे दडयो, पेब्जंग, इं टरिेट के आगमि िे सूचिा और संचार के क्षेि में काफी पररवतषि ला दिया िै . प्रत्यक्ष प्रमाण आज िमारे सामिे िैं . इलेक्रॉनिक ववभाग का संकल्प इसका लाभ जीवि के प्रत्येक क्षेि में पिुाँचािा और प्रत्येक भारतीय के जीवि को बेितर बिािा िै .

सूचिा प्रौद्योनगकी भारत िे सूचिा प्रौद्योनगकी के क्षेि में आश्चयषजिक प्रगनत की िै . सुपर कंप्यूटर बिाकर िम इस क्षेि में अग्रणी िे शों की पंवि में आ गए िैं . िम अब सूचिा प्रौद्योनगकी से संबंनित उपकरणों का नियाषत ववकनसत िे शों को भी कर रिे िैं . भारत के सूचिा प्रौद्योनगकी में प्रनशब्क्षत इं जीनियरों

की अमेररका, विटे ि, जमषिी और यूरोप जैसे ववकनसत िे शों में भारी मा​ाँग िै . भारत सूचिा प्रौद्योनगकी सेवाओं के सबसे बड़े केंद्रों में से एक िै . िनु िया की शीर्ष 20 सवषश्रष्ठ े

सूचिा प्रौद्योनगकी कंपनियों में से 5 कंपनियां भारतीय

29 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


कंपनियां िैं . इि कंपनियों में टीसीएस, इं फोनसस, ववप्रो,

रान्सजेनिक िै , यािी इसका ववकास एक वंशाणु के

कॉब्ग्िजेंट और एचसीएल टे क्िोलॉजीज शानमल िैं . इि

स्थािान्तरण से दकया गया िै , जो नमट्टी में ब्स्थत

पांच कंपनियों के अलावा िम नसनलकॉि वैली में भारत के

जैववक फॉस्फोरस का उपयोग करिे में मि​ि करता िै . इस

जबरिस्त योगिाि से भी पररनचत िैं .

वंशाणु को पिले चावल की एक पारम्पररक प्रजानत से अलग दकया गया और दफर इसे चावल की िस ू री तथा

आिुनिक प्रजानत में प्रववष्ट कराया गया. चावल की पारम्पररक प्रजानत का िाम िल ु ार िै , ब्जसमें वंशाणु अनिक सदक्रय िैं . वैज्ञानिकों िे इस ब्स्थनत का लाभ उठाया और िल ु ार के सकारात्मक पिलू तथा आिुनिक

प्रजानत की आवमयकताओं का प्रभावशाली मेल कराया. इस वंशाणु का िाम OsPAP21b िै , जो एक एन्जाइम उत्पन्ि करता िै . ये एन्जाइम एक प्रोटीि िोता िै , ब्जसका ररसाव पौिों की जड़ के रास्ते नमट्टी में िोता िै .

जैव-प्रौद्योनगकी के क्षेि में ववकास 30 जूि 2017 को ववज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी मंिालय िे जैवप्रौद्योनगकी ववभाग तथा वबराक (जैव प्रौद्योनगकी उद्योग अिुसंिाि सिायता पररर्ि) के सियोग से राष्ट्रीय बायोफामाष नमशि की शुरुआत की. इसका उद्दे मय िे श के स्वास्​्य जगत में आमूलचूल पररवतषि लािा तथा भारत को ववश्व स्तरीय जैव-प्रौद्योनगकी केन्द्र के रूप में स्थावपत करिा िै . इस कायषक्रम में युवा वैज्ञानिकों, शोि अध्येताओं तथा उद्यनमयों को िवीि ववचार तथा खोज से पररचय कराया जाता िै , तादक वो सस्ते तथा वि​ि योग्य टीकों और िवाओं के ववकास के नलए राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय निकायों के मागषिशषि में एक सामूदिक मंच साझा करें .

संचार एवं सुिरू संवेि​ि में बढ़ते किम

4 अगस्त 2017 को भारत िे सामररक तथा अन्य क्षेिों में िे श को अमेररकी ग्लोबल पोब्जशनिंग नसस्टम या जीपीएस से मुि कर आत्मनिभषर बिािे की दिशा में एक मित्त्वपूणष किम उठाया. इसरो िे वैज्ञानिक तथा औद्योनगक अिुसंिाि पररर्ि के अन्तगषत राष्ट्रीय भौनतक प्रयोगशाला के साथ एक मित्त्वपूणष समझौता दकया. इस समझौते के अिुसार इसरो, टाइम स्केल पर यूटीसी रे सेवबनलटी के साथ स्वतंि िेववगेशि उपग्रि व्यवस्था

राष्ट्रीय पािप जीिोम अिुसंिाि राष्ट्रीय पािप जीिोम अिुसंिाि संस्थाि, यािी NIPGR में शोि अध्येताओं के एक समूि िे चावल की एक िई प्रजानत ववकनसत की िै , जो नमट्टी में ब्स्थत फॉस्फेट का अनिक प्रभावशाली तरीके से उपयोग करता िै . इससे बािर से खाि िे िे की आवमयकता कम िो जाती िै . िया पौिा

ववकनसत करे गा. इससे िेववगेशि की क्षमता बेितर िोगी तथा मैवपंग के नलए मोबाइल फोि एब्प्लकेशि, वाि​ि

चलािे, जंगलों तथा िे श के िरू िराज के क्षेिों में पैिल यािा करिे में अनिक सुवविा िोगी.

जैव ववववनिता: भारत की अिमोल संपिा

30 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


फॉिा ऑफ सुंिरवि बॉयोब्स्पयर ररजवष (Fauna of

आईएिएस अररिं त के सफल निवारक गमत का पूरा िोिा

Sundarban Biosphere Reserve) िाम से जैव

भारत की परमाणु रक्षा क्षमताओं के नलए एक िए युग का

वववविता के धयोरे का प्रकाशि. इसमें सुन्िरवि मैन्ग्रोव

प्रतीक िै .

जंगलों में जािवरों तथा सूक्ष्म जीवों की वववविता का ववस्तृत धयोरा उपलधि िै . इसे जूलॉब्जकल सवे ऑफ इं दडया, कोलकाता िे प्रकानशत दकया िै . इसमें 2,600 से अनिक प्रजानतयों का धयोरा िै , ब्जिमें कुछ िई प्रजानतयां भी शानमल िैं . पुस्तक में उि प्रजानतयों पर जलवायु पररवतषि के कारण खतरों का भी ब्जक्र िै . सुन्िरवि के वन्य जीवि तथा पयाषवरणीय ब्स्थनतयों को िजष करिे की

भारत की सौर क्षमता ऊजाष के िवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करिे के नलए भारत की प्रनतबिता िई िै . भारत की कुल सौर ऊजाष क्षमता वपछले पांच वर्ों में 11 गुिा से अनिक बढ़ी िै . वर्ष 2014 से 2020 तक, भारत की सौर ऊजाष क्षमता 2.6 गीगा वाट (GW) से बढ़कर 38 GW िो गई िै .

पिल िे श के इस िायाब मैन्ग्रोव पाररब्स्थनत–तंि को संरब्क्षत करिे में भी मि​िगार सावबत िो सकती िै .

आईएिएस अररिं त परमाणु पिडु धबी

कम लागत वाली वायरलेस टे लीफोिी 1980 के िशक के बाि िम बिुत आगे निकल चुके िैं .

भारत िे आज बिुत कम लागत वाली वायरलेस टे लीफोिी को सफलतापूवक ष दडजाइि दकया िै . ये िे श की अपिी

संचार प्रणानलयों और अन्य िे शों के नलए भी एक बड़ी सफलता रिी िै . यि िनु िया के नलए एक बिुत बड़ा मील भारत िे आईएिएस अररिं त परमाणु पिडु धबी लॉन्च करिे वाले पांच िे शों में स्थाि िानसल दकया. तीिों क्षेिों में प्रभुत्व स्थावपत करिे की दिशा में यि भारत का एक और किम िै . आईएिएस अररिं त 5,000 दकलोमीटर की मारक क्षमता वाली पिडु धबी िै . िवंबर 2018 में स्विे शी

का पत्थर िै , क्योंदक अब वायरलेस टे लीफोिी को िर कोई एक अच्छी कीमत पर प्राप्त कर सकता िै .

स्रोत: इसरो, ववदकपीदडया, ववकासपीदडया, भारतीय कृ वर् अिुसंिाि पररर्ि, राष्ट्रीय पािप जीिोम अिुसंिाि संस्थाि, ववज्ञाि एवं प्रौद्योनगकी मंिालय, दिं िस् ु ताि टाइम्स, इं दडयि एक्सप्रेस, लाइवनमंट.

31 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ववज्ञाि अिुसंिाि और नशक्षा: रार्ष्र-प्रगनत के मुख्य आिार डॉ. श्रीमती स्वानत चड्ढ़ा सी.एस.आई.आर.-राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे ‘मेरा स्पर्ष्ट माि​िा िै दक भारत की मिािता िमारे

ज्ञाि, ववज्ञाि में तो िै िी, पर इस मिािता का असली मकसि िमारे साइं स, टे क्िोलोजी और इन्िोवेशि को

समाज से जोड़िे का भी िै ’ - श्री िरें द्र मोिी (106वीं साइं स कांग्रेस, 3-7 जिवरी, 2019).

िम सब जािते िैं दक ववज्ञाि तथा प्रौद्योनगकी इस

शताधिी के प्रमुख तथा प्रखर स्वर िै . ववज्ञाि तथा अिुसंिाि क्षेि को मजबूत बिाकर कोई भी रार्ष्र

मजबूत बि सकता िै . क्योंदक दकसी भी रार्ष्र की आनथषक प्रगनत और ववकास को मजबूत बिािे में

और

सफलता

के

नलए

आवमयक

िै .

वैज्ञानिक

उपलब्धियां आज िमारे सुख सुवविापूणष िै निक जीवि में अनिवायष आवमयकता बि कर ववद्यमाि िैं . कृ वर्, सुरक्षा, उद्योग, खाद्यान्ि, नचदकत्सा

एवं

स्वास्​्य,

पयाषवरण व ऊजाष के क्षेि, जल संविषि एवं संरक्षण, मृिा

संरक्षण,

मिोरं जि,

यातायात,

प्राकृ नतक

प्रिर् ू ण

संपिा

नियंिण,

संरक्षण,

उपग्रि

नशक्षा, तथा

अंतररक्ष संबंिी कायषक्रम इत्यादि प्रत्येक मित्वपूणष क्षेि में ववज्ञाि अपिी उपब्स्थनत और मित्व प्रिनशषत

मुख्य आिार इसी क्षेि का िोता िै . िमारा िे श तेजी

कर रिा िै , वबिा ववज्ञाि के इि सभी क्षेिों का

आवमयक िै दक इस क्षेि पर ध्याि िे कर इसे सशि

ि​िीं चलाया जा सकता. इि सब क्षेिों में उन्िनत और

से ववकनसत िो और आगे बढ़े इसके नलए यि अत्यं त

प्रािभ ु ाषव ि​िीं िो सकता तथा जीवि को सुचारू रूप से

बिाया जाए. इसनलए िी िमारे माि​िीय प्रिािमंिी

आत्म-निभषरता के कारण िी समाज और िे श का

श्री िरें द्र मोिी जी िे ‘जय जवाि, जय दकसाि, जय ववज्ञाि, जय अिुसंिाि’ का िारा दिया िै . इस संबंि

में भारत की पूवष राष्ट्रपनत श्रीमती प्रनतभा पादटल िे

भी किा िै दक ‘िनु िया तेजी के साथ और निणाषयक रूप से एक ऐसी दिशा में आगे बढ़ रिी िै , जिां समाज और अथषव्यवस्थाएं ज्ञाि पर आिाररत िैं .

21वीं सिी में राष्ट्रों का मित्व उिकी आनथषक क्षमता से अकेले तय ि​िीं दकया जाएगा, बब्ल्क जिदित के अिुसंिाि करिे की उिकी क्षमता द्वारा भी तय दकया जाएगा.’ ववश्वववख्यात

वैज्ञानिक डॉ. सी.वी. रमि िे

किा था दक ‘वैज्ञानिक अिुसंिाि संस्कृ नत िै और यि

आनथषक स्तर सुिरा िै .

स्वतंिता प्रानप्त के बिुत पिले से िमारे िे श के मिापुरूर् भी िे श में ववज्ञाि की प्रगनत और आनथषक स्तर सुिारिे के प्रनत ववचार ववचार शील थे. कई राष्ट्रीय िेताओं िे भारत के ववद्यानथषयों एवं युवाओं से

अपील की थी दक वे अपिी नशक्षा में वैज्ञानिक दृवष्टकोण लाएं और भारत के सामाब्जक तथा आनथषक

पुिनिषमाषण के साथ-साथ भारत की नशक्षा प्रणाली की सुदृढ़ता के बारे में गि​ि नचन्ति एवं मि​ि करें और ठोस उपाय सुझाएं.

दकसी रार्ष्ष्ट्र के आनथषक, सामाब्जक और राजिीनतक

स्वतंिता के पश्चात से िी भारत का प्रयास रिा िै दक

ववज्ञाि

में आनथषक और सामाब्जक पररवतषि लाया जाए.

ववकास को नि​िाषररत करती िै .’ निब्श्चत रूप से

ववज्ञाि-प्रौद्योनगकी और अिुसंिािों के माध्यम से िे श

आिारनशला िैं . अत: जो िे श ववज्ञाि को ब्जतिा

सरकार द्वारा इसी उद्दे मय की पूनतष के नलए भारतीय

िोता िै .

सलािकार पररर्ि, भारतीय ववज्ञाि संस्थाि, वैज्ञानिक

तथा

अिुसंिाि

आिुनिक

प्रगनत

की

मित्व िे ता िै , प्रगनत के उतिे िी सोपािों पर आरूढ़

वैज्ञानिक अिुसंिाि द्वारा असंख्य क्षेिों और उद्योगों से िोिे वाली आय में अरबों रू की रानश प्रनतवर्ष उत्पन्ि की जाती िै . ववज्ञाि, अिुसंिाि और प्रौद्योनगकी िे श के समस्त उद्योग तथा मूलभूत सुवविाओं के प्रचालि

ववज्ञाि नशक्षा

और अिुसंिाि संस्थाि, वैज्ञानिक

तथा औद्योनगक अिुसंिाि पररर्ि जैसी वैज्ञानिक

संस्थाओं की स्थापिा की गई. जो बड़ी ब्जम्मेिारी के

साथ ववज्ञाि नशक्षण, उसके प्रचार-प्रसार और संविषि,

तथा उच्च स्तरीय अिुसंिाि के क्षेि में मित्वपूणष भूनमका निभा रिी िैं . ये संस्थाएं वैज्ञानिक अिुसंिािों

32 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


द्वारा प्रगनत जारी रखते िुए समाज की सिायता कर रिी िैं तथा िए और आिुनिक भारत के निमाषण में प्रयासरत िैं .

वपछले एक िशक में भारतीय अथषव्यवस्था में एक

संरचिात्मक पररवतषि आया िै . एक सौ चालीस

निब्श्चत

रूप

अिुसंिाि

से

ववगत

कुछ

वर्ों

से

ववज्ञाि-

और तकिीक िे भारत के प्रत्येक क्षेि का

कायाकल्प कर दिया िै दकंतु दफर भी िमारे िे श को इस दिशा में निरं तर सुिार की आवमयकता िै .

करोड़ आबािी वाला मुल्क भारत िनु िया की शीर्ष तीि आनथषक मिाशवियों में शानमल िोिे की राि पर

सिे िुए किमों से आगे बढ़ रिा िै . अपिी नमसाइलें बिाकर िनु िया को अपिी ताकत का एिसास कराया िै . चंद्रमा पर चन्द्रयाि भेजकर अपिे वैज्ञानिक साम्यष

का

प्रिशषि

दकया

िै .

मंगलयाि

िमारे

अंतररक्ष अध्ययि/ अनभयाि की योजिा का अंग िै . इसरो (ISRO) जैसी िमारी संस्था उत्कृ ष्ट कायष करके

ववश्व के कई िे शों के कृ विम उपग्रिों को अंतररक्ष में

छोड़ रिी िै . ओएिजीसी (ONGC) खनिज तेल की

क्या क्या दकया जा

सकता िै ?

सेिा को आिुनिकतम िनथयारों से लैस दकया जा रिा

ववश्व-स्तरीय शोि और अन्वेर्ण के प्रकल्पों को

खोज अपिे िम पर िे श एवं वविे श में कर रिी िै .

1. िे श को ववश्व-स्तर पर प्रनतवष्ठत करिे के नलए

िै .

बढ़ावा िे िा िोगा. वैज्ञानिक अिुसंिाि के नलए अपिे

अन्ि उत्पाि​ि के क्षेि में िम आत्मनिभषर बि चुके िैं . स्वातंत्र्य पूवष िमारी ब्स्थनत ियिीय थी. उस

समय एवं उसके बाि भी कुछ समय तक अमेररकी

गेिूं (पीएल 480 योजिा के तित) पर िम निभषर थे. आज िे श में भोजि की कमी ि​िीं िै .

शासकीय-प्रशासकीय तंि में दडब्जटल प्रौद्योनगकी का

प्रयोग बढ़ रिा िै . बिुत से स्थलों पर कंप्यूटरीकृ त वातावरण में कायष िो रिा िै . नचदकत्सा के क्षेि में

संस्थागत तंि को व्यापक और सुदृढ़ बिािे का प्रयास करिा िोगा. उजाष-बचत, कृ वर् क्षेि के तकिीकी

ववकास, रक्षा क्षेि, जल संसाि​िों का प्रबंि​ि, आिुनिक एवं सस्ती िवाओं की उपलधिता, वैकब्ल्पक ऊजाष, िेटवकष

कम्युनिकेशि,

पब्धलक

रांसपोटष ,

बायो-

टे क्िॉलजी, िैिो-टे क्िॉलजी, रोबोदटक्स, ऑटोमेशि और एयरोस्पेस के क्षेिों में ववज्ञाि और अिुसंिाि द्वारा ववशेर् ध्याि दिए जािे की आवमयकता िै .

एवं

2. लोगों में ववज्ञाि नशक्षा और ववज्ञाि की लोकवप्रयता

गवष की बात ि​िीं िै दक वविे शी भी नचदकत्सा के नलए

सामान्य जागरूकता के निमाषण की आवमयकता िै .

फामाषस्यूदटकल्स, ऑटोमेदटव पाटष स, सूचिा प्रौद्योनगकी,

ववज्ञाि नशक्षा को सम्पुष्ट करिा, ववनभन्ि ववज्ञाि

वैब्श्वक िवप्रवतषक ब्खलाड़ी बिता जा रिा िै और क्रय

सिायक सामग्री का अनभकल्प, ववकास और निमाषण

आिुनिकतम

तकिीकी

के

साथ

रोग-नि​िाि

रोगोपचार दकया जा रिा िै . यि िे श के नलए क्या

बढ़ािे,

वैज्ञानिक

दृवष्टकोण

यिां आ रिे िैं ? भारत तेजी से जैव प्रौद्योनगकी,

इसके नलए ववद्यालयों/ मिाववद्यालयों में िी जा रिी

सॉफ्टवेयर और आईटी समनथषत सेवाओं में एक शीर्ष

संग्रिालय, प्रिशषनियों, उपकरणों और वैज्ञानिक नशक्षण

शवि समािता पर िनु िया की चौथी सबसे बड़ी

की ओर ध्याि िे िे की जरूरत िै .

अथषव्यवस्था बि गया िै .

वैज्ञानिक ज्ञाि और अिुभव, प्रौद्योनगकी, िई प्रदक्रयाएं, उच्च

प्रौद्योनगकी,

औद्योनगक

संरचिा

और

कुशल

कायषबल इस िए युग की संपवत्त िैं . इस संपवत्त के

ववकास में योगिाि िे िा तो िमारा कतषव्य िै िी, इसके अलावा यि भी िमारी ब्जम्मेिारी िै दक िम इस संपवत्त को संभालकर रखें, उसका संरक्षण करें . 33 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)

ववकनसत

करिे

तथा


5. वतषमाि नशक्षा प्रणाली में भी समुनचत बिलाव की आवमयकता िै . िवोन्मेर् के प्रयोगों को बढ़ावा िे कर

उिका प्रचार करिे की आवमयकता िै . इससे बिुत से िे शी वैज्ञानिकों के िए अववर्ष्कार सामिे आएंगे और 3. ववज्ञाि, प्रौद्योनगकी एवं उद्योग के ववनशष्ट ववर्यों पर ववज्ञाि नशक्षकों / ववद्यानथषयों / युवा उद्यनमयों / तकिीनशयिों ववनभन्ि

इत्यादि के नलए समय-समय पर

प्रनशक्षण कायषक्रम आयोब्जत दकए जािे

चादिए.

4. वैज्ञानिकों को भी इस दिशा में निरं तर प्रयासरत

रिकर ऐसे ववर्यों पर शोि करिे की आवमयकता िै ,

ब्जिसे आम आिमी का जीवि-स्तर ऊाँचा िो सके. समाज के दितों से जुड़े ववर्यों पर भी वैज्ञानिक शोि

की जरूरत िै . वैज्ञानिकों को अपिे आसपास की

समस्याओं एवं ज्जवलंत मुद्दों के प्रनत जागरूक रिकर इि मुद्दों के चयि को अिुसंिाि में प्राथनमकता िे िी चादिए तादक समाज की ववनभन्ि समस्याओं का प्रभावी

समािाि िो

उपलब्धियों

से

सके. साथ िी

िे शवानसयों

को

ववज्ञाि की

निरं तर

अवगत

करवाया जािा चादिए ब्जससे आम आिमी के जीवि

के िर पिलू के नलए ववज्ञाि और प्रौद्योनगकी को उपयोगी बिािे में मि​ि नमलेगी.

इस संबंि में पूवष

प्रिािमंिी डॉ. मिमोि​ि नसंि िे किा था - ‘िमारे

वैज्ञानिकों को पोर्ण और खाद्य सुरक्षा, ऊजाष और पयाषवरण सुरक्षा तथा पािी और स्वच्छता से संबंनित

जरूरी राष्ट्रीय समस्याओं के व्यविाररक िल ढू ं ढिे चादिए. ववज्ञाि िमारे लोगों के सशविकरण और

उत्थाि के नलए एक साि​ि िै . जब तक िमारी

आंतररक ववसंगनतयां िरू ि​िीं िोतीं, भारत ववनभन्ि मािव ववकास माि​िं डों के क्रम में पीछे िी दिखाई

िे ता रिे गा. मैं वैज्ञानिक समुिाय से आग्रि करुं गा दक

बाकी जिता उिसे फायिा उठा सकेगी. फोधसष पविका द्वारा

जारी

भारत

के

िे शज

आववर्ष्कारकों

और

अववर्ष्कारोरों की जािकारी से इस बात की पुब्र्ष्ट िुई िै दक िमारे िे श में प्रनतभाओं की कमी ि​िीं िै . लेदकि

शालेय

अकािनमक

नशक्षा

नशब्क्षत

अनशब्क्षत की पररभार्ाओं के िायरे में ज्ञाि को बांि​िे की मजबूरी के कारण केवल कागजी काम से जुड़े

दडग्रीिारी को ज्ञािी और कुशल मािा जाता िै और

परं परागत ज्ञाि पर आिाररत कायषप्रणाली में कौशलिक्षता

रखिे

वाले

नशल्पकारों

और

दकसािों

को

अज्ञािी व अकुशल िी मािा जाता िै . यिी कारण िै

दक िम ऐसे शोिों को सवषथा िकार िे ते िैं , जो स्थािीय स्तर पर ऊजाष, नसंचाई, मिोरं जि और खेती

के वैकब्ल्पक प्रणानलयों से जुड़े िैं . जबदक जलवायु

संकट से निपटिे और िरती को प्रिर् ू ण से छुटकारा दिलािे के उपाय, इन्िीं िे शज तकिीकों में अंतनिदिष त

िैं . आज यि सबसे बड़ी जरूरत िै दक िमारे िे श में िवोन्मेर् के जो भी प्रयोग जिां भी िो रिे िैं , उन्िें

प्रोत्सादित दकया जाए, क्योंदक इन्िीं िे शज उपकरणों,

तकिीकों की मि​ि से िम खाद्यान्ि के क्षेि में तो आत्मनिभषर िो िी सकते िैं , दकसािों और ग्रामीणों को स्वावलंबी बिािे की दिशा में भी किम उठा सकते िैं . लेदकि िमारी वतषमाि नशक्षा प्रणाली और आनथषक अभाव के साथ-साथ प्रचार और संचार की कमी िे श

के ऐसे िोि​िार िे शी वैज्ञानिकों के प्रयोगों को मान्यता दिलािे की राि में प्रमुख रोड़ा िै . इसके नलए नशक्षा प्रणाली में भी समुनचत बिलाव की जरूरत िै .

वि िमारे अिुसंिाि और ववकास के लाभों को और बेितर ढं ग से लोगों तक पिुंचािे के नलए िये तरीके खोजें.’

34 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ववकास प्रदक्रया के अिुसंिाि और ववमलेर्ण में सदक्रय रूप से शानमल िोिा चादिए. 9. िमारे वतषमाि प्रिािमंिी श्री मोिी जी िे भी 106वीं साइं स कांग्रेस के उद्घाटि अवसर पर किा था

दक िे श को ररसचष के क्षेि में अग्रणी मुकाम िानसल

करिे के नलए िमें ररसचष का ववस्तृत इको-नसस्टम बिािा िोगा. आज ऐसे तंि की आवमयकता सबसे 6. निब्श्चत रूप से ववज्ञाि और प्रौद्योनगकी िमारे िे श

के सशविकरण िे तु अत्यंत मित्वपूणष साि​ि िै , दकंतु भारत को इस क्षेि में अग्रणी बिािे के नलए यि

आवमयक िै दक वैज्ञानिक अिुसंिाि की सिायता

करिे के नलए उद्योग जगत भी आगे आए. इस संबंि में

भारत

रत्न

से

सम्मानित

प्रख्यात

वैज्ञानिक

ज्जयािा िै . चािे क्लाइमेट चेंज की बात िो या दफर आदटष दफनशयल इं टेनलजेंस की, पापुलेशि डायिानमक्स

की िो या बायो-टे क्िालॉजी और दडब्जटल माकेट

प्लेस की. आज इसी इको-नसस्टम के जररए िम अपिे िे श के टै लेंट-पूल (talent pool) के पोटें नशयल का फायिा उठा सकते िैं .

सी.एि.आर. राव का कि​िा िै – ‘िमारे िे श में ववज्ञाि व वैज्ञानिकों को वैसी ववत्तीय मि​ि िानसल ि​िीं िो

रिी िै जैसी पब्श्चमी िे शों में नमलती िै . पब्श्चमी िे शों

में ववज्ञाि के क्षेि में तरक्की के नलए 40-45 प्रनतशत

ि​िरानश उद्योग जगत की ओर से नमलती िै

जबदक भारत में ववज्ञाि के नलए नमलिे वाली कुल ि​िरानश में से 90 फीसिी सरकार की ओर से आती िै .’ आज यदि िमें आनथषक रूप से मिाशवि बि​िा िै

तो उद्योग जगत को भी ववज्ञाि को आिार िे िा िी िोगा.

7. तत्कालीि प्रिािमंिी डॉ. मिमोि​ि नसंि िे भी वैज्ञानिक

अिुसंिाि

की

भारत

के

ववकास

में

भागीिारी को उन्ित करिे के संबंि में किा था दक ‘ववज्ञाि के प्रयोग से भारत के िीर्षकानलक आनथषक

और सामाब्जक बिलाव को बढ़ावा िे िे के नलए आवमयक िै दक लगातार प्रनतभाशाली लोग इस क्षेि

में आएं. िमें सुदृढ़ और उच्च गुणवत्ता वाली शैब्क्षक और

वैज्ञानिक

संस्थाओं

की

आवमयकता

िै , जो

प्रनतभाओं की पिचाि कर सकें और उन्िें आगे बढ़ा

सकें. िमें एक ऐसी पाररब्स्थनतकी प्रणाली की भी

आवमयकता िै , ब्जसमें िई वैज्ञानिक जािकाररयों को समावेनशत दकया जा सके और आनथषक उन्िनत तथा समृदद्व की राि पर आगे बढ़ा जा सके.’

8. इस संबंि में िमारे वतषमाि प्रिािमंिी श्री िरें द्र मोिी का मत िै दक िीनत संबंिी निणषयों में बेितर तरीके से योगिाि िे िे के नलए ववमवववद्यालयों को भी

अत: स्पर्ष्ट िै दक वैज्ञानिक अिुसंिाि आिुनिक सभ्यता की आिारनशला िै तथा इस संबंि में कारगर

उपायों पर अमल करके िमारे िे श को तरक्की की राि पर आगे ले जाया सकता िै . संिभष-

1. सािा परमाणु भौनतकी संस्थाि में 2009 में आयोब्जत

भारतीय राष्ट्रीय ववज्ञाि अकािमी, िीरक जयंती वर्ष समापि

समारोि के अवसर पर तत्कालीि रार्ष्रपनत श्रीमती प्रनतभा पादटल द्वारा दिए गए भार्ण का अंश.

2. जिसत्ता समाचार पि दि​िांक 20 िवंबर 2013.

3. 'भारत में ववज्ञाि' से संबंनित वैज्ञानिक सलािकार

पररर्ि की पुस्तक के लोकापषण अवसर पर तत्कालीि प्रिािमंिी डॉ. मिमोि​ि नसंि के भार्ण का अंश.

4. दि​िांक 8 जूि, 2014 को ’गेदटं ग इं दडया बैक ऑि रै कएि एक्शि एजेंडा फॉर ररफॉमष’ पुस्तक के लोकापषण समारोि पर प्रिािमंिी श्री िरें द्र मोिी के वक्तव्य का अंश. 5.

3-7 जिवरी, 2019 को 106वीं साइं स कांग्रेस के

उद्घाटि पर प्रिािमंिी श्री िरें द्र मोिी के वक्तव्य का अंश.

35 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


अमेररका की राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं िरें द्र कुमार करिािी सेवानिवृत्त वैज्ञानिक, भाभा परमाणु अिुसन्िाि केंद्र, मुंबई

डॉ. कुलवंत नसंि 2601, ववंग-3, लोढ़ा अमारा, कोलशेट रोड, ठाणे, मिाराष्ट्र अमेररका की राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं िसकों से लाखों

यिां तक दक िवीकरणीय ऊजाष का पता लगािे के

लोगों के जीवि को बिल रिी िैं और मािव-जीवि

तरीके बिल रिे िैं .

को सुिार रिी िैं . ऐसे समय में जब िनु िया को

गंभीर खतरे का सामिा करिा पड़ा, कई प्रयोगशालाएं ववज्ञाि को आगे बढ़ािे, राष्ट्र की रक्षा करिे और आिे वाली पीदढ़यों के नलए स्वतंिता की रक्षा करिे के नलए एक साथ आगे आईं. ऊजाष प्रयोगशालाओं के ववभाग का यि िेटवकष कई सुवविाओं में ववकनसत िो गया िै , जो समृवि और आववर्ष्कार के इं जि के रूप में एक साथ काम कर रिे िैं . जैसा दक सफलताओं की यि सूची प्रमाब्णत करती िै , प्रयोगशाला की िईिई खोजों िे कई उद्योगों को जन्म दिया िै , लोगों की जाि बचाई िै , िए उत्पाि तैयार दकए िैं , कल्पिा को जगाया िै और िह्ांड के रिस्यों को उजागर करिे में मि​ि की िै . जिता की भलाई और वैब्श्वक समुिाय के दितों के नलये समवपषत, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं िे

डी-कोडे ड डीएिए 1990 में, िेशिल लैधस िे िेशिल इं स्टीट्यूट ऑफ िे ल्थ और अन्य प्रयोगशालाओं के साथ नमलकर ह्यूमि जीिोम प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जो मािव जीिोम के सभी जीिों की पिचाि करिे और उिका िक्शा बिािे के नलए एक अंतरराष्ट्रीय सियोग िै .

ववज्ञाि की वपछली शताधिी पर अमेररकी मुिर लगा िी िै . समाि सरलता और पररश्रम के साथ, वे अब भववर्ष्य को िया करिे में लगे िुए िैं . सफलताएं उन्ित सुपर-कंप्यूदटं ग अमेररका की िेशिल लैधस कुछ सबसे मित्वपूणष उच्च प्रिशषि कंप्यूदटं ग संसाि​िों को संचानलत करती

वेब को संयुि राज्जय में लाया कण भौनतकी जािकारी साझा करिे की मांग करिे

िैं , ब्जसमें िनु िया के 500 सबसे तेज सुपर कंप्यूटरों

वाले राष्ट्रीय लैब वैज्ञानिकों िे सबसे पिले उत्तरी

गनतशील प्रणानलयों एवं प्रदक्रयाओं पर काम करती िैं ,

ववश्वव्यापी वेब के ववकास को दकक-स्टाटष कर रिा था

में से 32 शानमल िैं . ये प्रणानलया​ाँ, अनत जदटल, जो सामान्य रूप से कायष करिे के नलए बिुत मिं गी, अव्याविाररक

या

असंभव

िोंगी.

सुपरकंप्यूटर

वैज्ञानिकों द्वारा िमारे िह्ांड के ववकास, जलवायु पररवतषि, जैववक प्रणानलयों, मौसम पूवाषिुमाि और

अमेररका में एक वेबसवषर स्थावपत दकया था, जो जैसा दक िम जािते िैं . आाँखे आसमाि में संभाववत परमाणु ववस्फोटों का पता लगािे के नलए 1963 में पिली बार लॉन्च दकए गए वेला उपग्रिों िे

36 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


िवजात अमेररकी अंतररक्ष कायषक्रम को बिल दिया.

िे 1,00,000 से अनिक प्रोटीि संरचिाओं को इकट्ठा

उपग्रिों में ऑब्प्टकल सेंसर और डे टा प्रोसेनसंग,

दकया िै . एक प्रोटीि की संरचिा से पता चलता िै

लॉब्जक और पावर सब-नसस्टम शानमल थे, ब्जन्िें

दक यि कैसे काम करता िै . वैज्ञानिकों को यि

िेशिल लैधस द्वारा बिाया और दडजाइि दकया गया.

समझिे में मि​ि नमलती िै दक जीववत चीजें कैसे

क्रांनतकारी नचदकत्सा नि​िाि और उपचार िेशिल लैधस के शोिकताषओं िे परमाणु नचदकत्सा के क्षेि को ववकनसत करिे में मि​ि की, बीमारी के नि​िाि और उपचार के नलए रे दडयो आइसोटोप का उत्पाि​ि, कैंसर का पता लगािे के नलए इमेब्जंग तकिीक को दडजाइि दकया और स्वस्थ ऊतकों को छोड़कर ट्यूमर को लब्क्षत करिे के नलए सॉफ्टवेयर ववकनसत दकया.

काम करती िैं , और बीमारी के नलए उपचार ववकनसत करिे में सिायता नमलती िै . बाजार में आिे वाली लगभग सभी िई िवाएं इि डे टा बैंक संरचिाओं पर आिाररत िोती िैं . िए पिाथष (मैटेररयल) का आववर्ष्कार िेशिल लैधस नसिांत, उपकरण और तकिीक प्रिाि करती िैं जो उद्योगों के नलये क्रांनतकारी पिाथों जैसे मजबूत, िल्के वजि वाली नमश्र-िातुओं के ववकास में सिायक िैं . इससे ईंि​ि और रख रखाव लागत में

िासा संचानलत अंतररक्ष याि िेशिल लैधस िे रे दडयो आइसोटोप थमो-इलेब्क्रक

बचत आती िै . इि िातुओं से बिे इं जि अनिक कायष

जिरे टर के नलए बैटरी का निमाषण दकया ब्जसिे

क्षमता और कम प्रिर् ू ण वाले िोते िैं .

कैनसिी जैसे भववर्ष्य के िासा नमशिों के नलए

नमला जीवि का रिस्य ित ू

प्लूटोनियम-238 ईंि​ि का उत्पाि​ि शुरू दकया.

िेशिल

लैब

के

वैज्ञानिकों

िे

पता

लगाया

दक

कोनशका के प्रोटीि निमाषण केंद्र तक आिुवंनशक

परमाणु शवि का िोि​ि राष्ट्रीय लैब वैज्ञानिकों और इं जीनियरों िे सुरब्क्षत, कुशल और उत्सजषि मुि परमाणु ऊजाष ववकनसत

नि​िे शों को कैसे ले जाया जाता िै , जिां से जीवि की सभी

प्रदक्रयाएं

शुरू

िैं .

स्रोत

द्वारा

पर

िुए

आिुवंनशक

ऊजाष के शांनतपूणष उपयोग के पीछे िेशिल लैधस

यि जािकारी कैसे िी जाती िै और िुई गलनतया​ाँ कैसे

िवोन्मेर् प्रेरणा-स्रोत रिी िै . आज की प्रयोगशालाएं

(genetic

प्रकाश

करिे में िनु िया का िेतत्ृ व दकया. वबजली पैिा करिे

वाले पिले परमाणु ररएक्टर से शुरू िोकर, परमाणु

कूररयर

िोती

courier)

अिुसंिाि से पता चला िै दक मेसेंजर आर.एि.ए. पर कैंसर और जन्म-िोर् का कारण बि सकती िैं .

अगली पीढ़ी की परमाणु ऊजाष का समथषि कर रिी िैं जो िे श और िनु िया के नलए उपलधि िोगी. लाखों लोगों के नलए सुरब्क्षत पीिे का पािी सुरब्क्षत पीिे के पािी से आसेनिक को िटािा वैब्श्वक प्राथनमकता िै . एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला में लंबे समय तक चलिे वाला कायष अब इसको सक्षम तरीके से कर सकता िै , ब्जससे िवू र्त पािी पीिे के नलए सुरब्क्षत िो जाता िै . िेशिल लैब िे एक अन्य

तकिीक ववकनसत की, ब्जसमें पराबैंगिी दकरणों का उपयोग करके, पािी में पैिा िोिे वाले पेनचश के बैक्टीररया खत्म कर सकते िैं . इस प्रकार ववकासशील िनु िया में बाल मृत्यु-िर को कम दकया जा सका. प्रोटीि डे टा बैंक िेशिल लैब की एक्स-रे सुवविाओं के प्रोटीि डे टा बैंक

िह्ांड को मैप दकया – और चंद्रमा का अंिेरा पक्ष आकाश

के

3-डी

मािनचि

और

400 नमनलयि

खगोलीय वपंडों के निमाषण का श्रेय िेशिल लैब के वैज्ञानिकों को जाता िै , ब्जन्िोंिे एक ऐसा कैमरा भी ववकनसत दकया जो चंद्रमा की पूरी सति की मैवपंग करता िै . प्रकाश संश्लेर्ण पर शोि क्या आपिे कभी सोचा िै दक पौिे सूयष के प्रकाश को ऊजाष में कैसे बिलते िैं ? िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे

37 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


प्रकाश संश्लेर्ण के माध्यम से काबषि का मागष नि​िाषररत दकया, और आज एक्स-रे लेजर तकिीक का उपयोग करके यि पता चलता िै दक प्रकाश के एक कण

द्वारा

प्रदक्रया

के

प्रत्येक

चरण

को

कैसे

कायाषब्न्वत दकया जाता िै . यि कायष वैज्ञानिकों को सूयष से स्थायी ऊजाष प्राप्त करिे के िए तरीके तलाशिे में भी मि​ि करता िै .

भौनतक िनु िया कैसे काम करती िै , इस बारे में िमारा दृवष्टकोण बिल गया.

वबग बैंग की पुवष्ट और डाकष एिजी की खोज िासा िे, िेशिल लैब द्वारा अन्वेवर्त दडटे क्टरों की सिायता से (इि दडटे क्टरों को एक उपग्रि पर स्थावपत

दकया

गया

था).

वबग

बैंग

के

समूि

(echoes of big bang) में आकाशगंगाओं के जन्म का

सांस्कृ नतक रिस्यों को सुलझािा

खुलासा दकया.

मध्ययुगीि नभक्षुओं द्वारा नलखे गए, प्राचीि गब्णतज्ञ आदकषनमडीज के काम जो सिस्राब्धियों के नलए खो गए थे, उसकी पुिरष चिा के नलए राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में एक्स-रे दृवष्ट और प्रकाश-स्रोत प्रौद्योनगकी द्वारा प्रकट िुए थे. इि अध्ययिों से उत्कृ ष्ट कृ नतयों के

नचिों, प्राचीि यूिािी फूलिािों और अन्य अमूल्य सांस्कृ नतक कला-कृ नतयों के रिस्यों का भी पता चला िै .

डाकष एिजी- यि एक रिस्यमयी चीज िै , जो िह्ांड के तीि-चौथाई दिस्से को बिाती िै और इसे त्वररत िर से ववस्ताररत करती िै . इसको भी िेशिल लैब कॉस्मोलॉब्जस्ट द्वारा खोजा गया. खोजे गए 22 िए तत्व

राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के वबिा आवतष सारणी छोटी िोती. िेशिल लैधस िे अब तक निम्िनलब्खत िए तत्वों का अन्वेर्ण दकया िै : टे क्िेदटयम, प्रोमेनथयम,

क्रांनतकारी त्वरक राष्ट्रीय प्रयोगशाला िे सुपर-कंडब्क्टं ग रे दडयो िीक्वेंसी तकिीक पर आिाररत पिले बड़े पैमािे पर त्वरक का निमाषण और संचालि दकया. अिुसंिाि या प्रायोनगक

मशीिों के नलए यि तकिीक बिुत कारगर नसि िुई

एस्टै दटि,

िेपच्यूनियम,

प्लूटोनियम,

एमररनशयम,

फनमषयम,

मेंडेलीववयम,

िोबेनलयम,

लॉरे ब्न्सयम,

क्यूररयम, बकेनलयम, कैनलफोनिषयम, आइं स्टीनियम,

रिरफोदडष यम, ड्यूबनियम, सीबोनगषयम, फ्लेरोववयम, टे िेनमयम, मोस्कोववयम और ओगिेसि.

िै . यि कुशल तकिीक, पिाथष के मूल कण की खोज, पिाथों के गुणों की जांच करिे और जीवि के निमाषण खंडों के बारे में अिूठी जािकारी प्रिाि करता िै . रे दिजरे टर को ठं डा बिािा िेशिल लैब के वैज्ञानिकों की बिौलत अगली पीढ़ी के रे दिजरे टर पयाषवरण के अिुकूल नमश्र-िातु उपयोग कर िानिकारक रासायनिक शीतलक की उपयोनगता को समाप्त कर िे गा. सीसे के उपयोग को कम करिा राष्ट्रीय प्रयोगशाला में ववकनसत दटि-चांिी-तांबे के

पिाथष के रिस्यों का खुलासा प्रोटॉि और न्यूरॉि को कभी अववभाज्जय मािा जाता था. िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे पाया दक प्रोटॉि और न्यूरॉि और भी छोटे भागों से बिे िोते िैं , ब्जन्िें क्वाकष किा जाता िै . समय के साथ, प्रयोगकताषओं िे छि प्रकार के क्वाकष, तीि प्रकार के न्यूदरिो और दिग्स कण की पिचाि की, ब्जससे

सीसा रदित नमश्र-िातु की बिौलत पयाषवरण से खतरिाक सीसा-आिाररत सोल्डरों को समाप्त करिा एक बिुत कारगर वास्तववकता िै . लेड-िी सोल्डर को िनु िया में कई कंपनियों को लाइसेंस दिया गया िै . कंप्यूटर नसमुलेशि सॉफ्टवेयर िेशिल

लैब

शोिकताषओं

द्वारा

ववकनसत

कंप्यूटर

नसमुलेशि सॉफ्टवेयर, डायिा 3-डी की उपयोनगता के

38 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


कारण रे ि, ववमाि और ऑटोमोबाइल – और िजारों

वाि​िों, दफल्टर और उपकरणों में इन्सुलेशि के नलए

अन्य वस्तुओं के नलए सुरब्क्षत, मजबूत और बेितर

एयरो-जेल एक उत्कृ ष्ट पिाथष िै .

दडजाइि संभव िुई िै . न्यूदरिो की खोज िोबेल पुरस्कार ववजेता िेड रे इन्स और क्लाइड कोवाि जूनियर द्वारा 1956 में न्यूदरिो का पता लगाया गया. िेशिल लैब शोिकताषओं िे न्यूदरिो भौनतकी और खगोल भौनतकी में कई योगिाि दिए िैं .

सेल सॉटष र (cell Sorter) का आववर्ष्कार

गामा दकरण ववस्फोट गामा दकरण ववस्फोट (burst) की खोज 1973 में, िेशिल लैधस में ववकनसत और वेला उपग्रिों पर रखे गए सेंसर द्वारा की गई. गामा दकरण ववस्फोट िरू स्थ आकाशगंगाओं

में

अत्यंत

ऊजाषवाि

ववस्फोट

िैं .

वैज्ञानिकों का माि​िा िै दक इिमें से अनिकांश ववस्फोटों में तीव्र ववदकरण का एक संकीणष बीम िोता िै , जब एक तेजी से र्ूमिे वाला, उच्च द्रव्यमाि वाला तारा न्यूरॉि स्टार, क्वाकष स्टार या धलैकिोल बिािे के नलए ढि जाता िै . िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे माचष 2012 में 100.75टे स्ला की चुंबकीय पल्स िानसल की, ब्जसिे एक ववश्व ररकॉडष बिाया. यि पल्स पृ्वी के चुंबकीय क्षेि से लगभग 2 नमनलयि गुिा अनिक शविशाली थी. मल्टी-शॉट

चुंबक

को

बिाया

वैज्ञानिक िे एक ’सेलसॉटष र’ का आववर्ष्कार दकया. यि एक िायाब उपकरण िै जो एक इं क-जेट वप्रंटर की तरि काम करता िै , सेल युि बूंिों को बिुत िी कम मािा में प्रवादित दकया जाता िै , तादक चयनित कोनशकाओं

की

नगिती

और

अध्ययि

के

नलए

ववक्षेवपत दकया जा सके. कैंसर और एड्स सदित कई बीमाररयों के पीछे जैव रसायि का अध्ययि करिे के नलए सेल सॉटष सष एक मित्वपूणष उपकरण िै . र्रे लू ऊजाष के पुिजाषगरण की शुरुआत

पिला 100-टे स्ला चुंबकीय क्षेि का निमाषण

100-टे स्ला

1960 के िशक के िौराि, िेशिल लैब के भौनतक

गया,

ब्जसका बार-बार उपयोग दकया जा सकता िै , वो भी क्षेि को िष्ट दकए वबिा और िनु िया में सबसे

शविशाली गैर-वविाशकारी चुब ं कीय क्षेि का उत्पाि​ि दकया. जमा िुआ िुंआ (frozen smoke)

िेशिल लैधस के शोिकताषओं िे जमे िुए िुएं के रूप

में जाि​िे वाले एयरो-जेल को बिाया िै . यि अब तक बिाए गए सबसे िल्के ठोस पिाथों में से एक िै , और परीक्षण दकए गए दकसी भी पिाथष का उच्चतम ताप प्रनतरोिी िै . ये अब्ग्िरोिक िैं और असािारण रूप से मजबूत भी िैं . यि अपिे स्वयं के वजि के एक िजार गुिा से अनिक का भार वि​ि करिे में सक्षम िैं . ऊर्ष्मा प्रनतरोिी िोिे के पररणाम-स्वरूप, इमारतों,

िेशिल लैब ररसचष िे लागत प्रभावी निर्ष्कर्षण के नलए प्रमुख तकिीकों और कायष प्रणाली का उपयोग करते िुए शेल (shale) गैस क्रांनत की शुरुआत की. 1976 से 1992 तक अपरं परागत गैस अिुसंिाि और ववकास के नलए $220 नमनलयि व्यय के पररणाम स्वरूप अकेले शेल गैस उत्पाि​ि से वावर्षक $100 वबनलयि की आनथषक गनतववनियां िुई िैं . सक्षम अंतररक्ष अन्वेर्ण िेशिल लैधस िे लेजर प्रेररत िेक-डाउि स्पेक्रोस्कोपी (एल.आई.बी.एस.) का आववर्ष्कार दकया, जो इस उपकरण की रीढ़ िै . ब्जसके द्वारा क्यूररयोनसटी रोवर से मंगल ग्रि के पिाथों (materials) का ववश्लेर्ण दकया गया. लैब शोि-कताषओं िे अंतररक्ष याि के नलए उच्च िक्षता वाले सौर सेल बिािे के नलए उनचत पिाथों का सिी संयोजि भी पाया. वबजली संयंि वायु उत्सजषि/ प्रिर् ू ण को कम करिा िेशिल

लैब

के

वैज्ञानिकों

िे

स्वच्छ

कोयला

प्रौद्योनगकी ववकास कायषक्रम के माध्यम से कुछ 20

39 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


िवीि तकिीकों की शुरुआत की – जैसे दक कम

साथ इं जेक्ट करके कैसे बिला जाए. आयि चैिनलंग

िाइरोजि ऑक्साइड (एिओएक्स) के बिषर, गंिक

अब उद्योग और ववज्ञाि में मािक तरीका (स्टै ण्डडष

रदित फ्लू गैस (दडसल्फराइजेशि - स्क्रबसष) और

प्रैब्क्टस) िै .

द्रववत बेड-ि​ि​ि (fluidised bed combustion), जो काफी ि​ि तक िानिकारक वबजली संयंि उत्सजषि को नियंवित करते िैं , जो दक बाजार में आसािी से उपलधि िैं तथा इिसे ऊजाष उत्पाि​ि और वायु गुणवत्ता में बिुत सुिार िुआ िै .

3-डी वप्रंदटं ग को बड़ा और बेितर बिाया िेशिल

लैब

द्वारा

बड़े

पैमािे

पर

एदडदटव

मैन्युफैक्चररं ग प्लेटफॉमष ववकनसत दकया गया. एक उद्योग भागीिार िे वपछली प्रदक्रयाओं की तुलिा में 10 गुिा बड़े और 200 गुिा तेज 3-डी र्टकों को

पवि ऊजाष को मुख्य िारा में लािा

मुदद्रत दकया. अब तक इस नसस्टम िे 3-डी मुदद्रत

पवि टरबाइि िक्षता बढ़ािे के नलए उच्च िक्षता वाले

स्पोट्सष कार, एस.यू.वी., िाउस, एक्सकेवेटर और

एयर फोइल (airfoils) के उपयोग के कारण वपछले

एववएशि र्टकों का उत्पाि​ि दकया िै .

30 वर्ों में पवि ऊजाष की लागत में 80 प्रनतशत से अनिक की कमी आई िै . पवि क्षेि में तैिात, इि टबाषइिों का अब्स्तत्व राष्ट्रीय लैब अिुसंिाि के कारण िी िै . स्माटष ववंडो िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे अत्यनिक इन्सुलेटेड ब्खड़दकयां बिाई िैं जो आंतररक तापमाि और प्रकाश व्यवस्था को नियंवित करिे के नलए रं ग बिलती िैं .

शुि टीके

इससे कुल ऊजाष के खपत को लगभग 5 प्रनतशत तक

नलए काम में नलए जािे वाले जोिल सेंरीफ्यूज को

यदि व्यापक रूप से स्थावपत दकया जाता िै , तो कम दकया जा सकता िै .

िेशिल लैब के शोिकताषओं िे टीकों को शुि करिे के ववकनसत

दकया.

इसके

नलए

परमाणु

पृथक्करण

तकिीक को अपिाया, जो अवांनछत िर्ष्ु प्रभावों को कम

या

समाप्त

करता

िै .

इसी

आववर्ष्कार

पर

आिाररत लाखों लोगों के नलए टीके का उत्पाि​ि वाब्णब्ज्जयक सेंरीफ्यूज द्वारा दकया जाता िै . एक बेितर इमारत राष्ट्रीय प्रयोग शाला िे िनु िया के सबसे अनिक ऊजाष कुशल

सैनिकों को सुरक्षा िेशिल लैब के शोिकताषओं िे ऐसे कंप्यूटर मॉडल ववकनसत दकए िैं जो िरू -िराज के गंतव्य स्थािों में

सैनिकों और उपकरणों को तैिात करिे के जदटल तादकषक कायों का प्रभावी ढं ग से प्रबंि​ि करते िैं . चैिल वाले नचप्स (ICs) और दिप्स एकीकृ त सदकषट (IC, Integrated circuits) और कृ विम कूल्िों की खोज का श्रेय राष्ट्रीय प्रयोगशाला को िै . उससे यि पता चलता िै

दक दकसी पिाथष को

आवेनशत परमाणुओं, ब्जसे आयि किा जाता िै , के

कायाषलय

भवि

का

निमाषण

दकया

िै .

प्रयोगशाला स्थल पर कायषरत प्रयोगशाला के रूप में संचानलत यि सुवविा 50 प्रनतशत कम ऊजाष का उपयोग करती िै . तेल ररसाव की सफाई के नलए स्पंज का आववर्ष्कार िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे एक िए स्पंज का आववर्ष्कार करिे के नलए िैिो तकिीक का इस्तेमाल दकया. ये पािी से तेल को अपिे वजि का 90 गुिा अवशोवर्त कर सकता िै . तेल को इकट्ठा करिे और सैकड़ों बार पुि: उपयोग करिे के नलए इसे निचोड़ा

40 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


जा सकता िै – और यि सति के िीचे डू बे िुए तेल

अब

को भी इकट्ठा कर सकता िै , जो वपछली तकिीक

प्रोटोटाइप अल्रा-कुशल वबजली संचरण के एक िए

ि​िीं कर सकती थी.

युग की शुरुआत कर सकती िै .

एदडदटव मैन्युफैक्चररं ग

प्रारं नभक िह्ांड क्वाकष सूप (universe quark soup)

प्रसंस्करण से एदडदटव ववनिमाषण और पाउडर िातु

जािा जाता िै , ठीक वैसा िी िै जैसा दक इसके िाम

राष्ट्रीय प्रयोगशाला िे अग्रणी उच्च िबाव गैस परमाणु ववज्ञाि में उपयोग दकए जािे वाले टाइटे नियम और अन्य

िातु-नमश्र

पाउडर

के

मैन्युफैक्चररं ग को संभव बिाया.

उपयोग

से

एदडदटव

िेशिल

लैब

वैज्ञानिकों

द्वारा

ववकनसत,

ये

क्वाकष सूप, ब्जसे क्वाकष-ग्लूऑि प्लाज्जमा के रूप में से पता चलता िै : क्वाकष और ग्लूऑन्स से बिी एक तरल जैसी सामग्री, जो पिाथष के सबसे बुनियािी

ज्ञात निमाषण खंड िैं . पिाथष का मूल सूप जो वबग

बैंग के केवल कुछ सेकंड के बाि अब्स्तत्व में था,

सस्ते उत्प्रेरक (catalysts)

कम लागत वाले उत्प्रेरक कुशल बायो-मास शोि​ि की कुंजी िैं . िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे ऐसे उत्प्रेरक

बिाए जो बायोमास रूपांतरण के नलए सस्ते और ब्स्थर िैं .

र्र्षण को कम करिे के नलए िाई-टे क कोदटं ग्स

िनु िया के सबसे शविशाली पादटष कल कोलाइडर में दफर से बिाया जा रिा िै . इस तरि के शोि ि केवल पिाथष की ववनशष्ट अवस्थाओं पर प्रकाश डालिे

में मि​ि कर सकते िैं , बब्ल्क यि भी दक क्या

वास्तववकता के अन्य आयाम मौजूि िैं , एक ऐसी खोज जो तथाकनथत "सब कुछ के नसिांत" को

िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे टे बल पंखे से लेकर कार

जाि​िे में मि​ि कर सकती िै , शोिकताषओं का कि​िा

में नर्साई (ववयर एंड दटयर) को कम करिे के तरीके

प्रोटॉि और न्यूरॉि से नमलकर बिे िैं . ये उप-

िी खुि को दफर से जोड़ लेती िै . तादक इं जि चले

धलॉक्स से बिे िोते िैं , जो ग्लूआन्स कणों द्वारा

के इं जि तक, ववशाल पवि टबाषइिों इत्यादि मशीिों

िै . िम ब्जि परमाणुओं से बिे िैं , उसके िानभक

ईजाि दकए, जैसे दक िीरे की दफल्म जो टू टिे लगते

परमाणु कण क्वाकष के रूप में जािे वाले वबब्ल्डं ग

लंबे समय तक और कम तेल की आवमयकता िो.

परस्पर बंिे रिते िै . िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे

उप-परमाणु वबब्ल्डं ग धलॉक्स के प्राइमदडष यल सूप को दफर से बिािे के नलए एक पादटष कल कोलाइडर का

इस्तेमाल दकया, जो दक वबग बैंग के तुरंत बाि अब्स्तत्व

में

था.

यि

अिुसंिाि

वैज्ञानिकों

को

अत्यनिक तापमाि और र्ित्व पर पिाथष के बारे में

जािकारी (अंडरस्टैं दडं ग ऑफ मैटर) प्राप्त करिे में सिायक िै .

िया मजबूत पिाथष िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे एक िया और बिुमुखी पिाथष ववकनसत दकया िै जो एक गैर-नछद्रपूणष उत्पाि

बिािे के नलए नसरे नमक और कंक्रीट के गुणों को नमनश्रत करता िै जो अनतररि अब्ग्ि-सुरक्षा के नलए तेल के कुओं की िीवारों को इन्सुलेट करता िै . यि ठं ड के मौसम में भी सेट/ कारगर िोता िै .

चुंबक के साथ लेववटे टेड रे िें

रै दफक जाम को अलवविा किो. िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे एक ऐसी तकिीक ववकनसत की िै जो

रे िों को चलािे के नलए चुब ं क की आकर्षक और

अग्रणी कुशल वबजली लाइिें सुपर-कंडक्टसष से बिी िई प्रकार की ववद्युत लाइिें वबिा दकसी ऊजाष िानि के ववद्युत प्रवाि ले सकती िैं .

प्रनतकारक शवियों का उपयोग करती िै . मैग्लेव रे ि

अब जापाि और चीि में यावियों की आवाजािी के

41 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


नलए प्रचालि में िै और जल्ि िी अन्य िे शों में भी चालू िो जाएंगी.

अच्छे और बुरे कोलेस्रॉल की पिचाि

हृिय रोग के ब्खलाफ लड़ाई को 1960 के िशक में बढ़ावा

नमला

जब

िेशिल

लैब

अिुसंिाि

िे

कोलेस्रॉल के अच्छे और बुरे पक्षों का खुलासा दकया.

आज, िैिानिक परीक्षण िोिों प्रकार के कोलेस्रॉल का पता लगाते िैं . यि जीवि बचािे में सिायक िैं . डायिासोर के लुप्त िोिे का पिाषफाश

प्राकृ नतक इनतिास का सबसे बड़ा प्रश्न 1980 में िल

दकया गया था जब िेशिल लैब के वैज्ञानिकों की एक

टीम िे बताया दक पृ्वी के साथ एक क्षुद्र ग्रि की टक्कर (asteroid collision with Earth)

कुशल बिषर (एदफनशएंट बिषर) का ववकास

िेशिल लैब के शोिकताषओं िे क्लीि-ि​ि​ि करिे वाले तेल

बिषर

(cleaner-combusting

oil

burners)

ववकनसत दकए, ब्जससे उपभोिाओं को ईंि​ि की

लागत में $25 वबनलयि से अनिक की बचत िुई और 160 मेगाटि से अनिक काबषि डाइ-ऑक्साइड

उत्सजषि कम िुआ िै , ब्जससे पृ्वी वायुमंडल कम प्रिवू र्त िुआ िै . बेितर ऑटोमोदटव स्टील

िेशिल लैब से जुड़ी एक कंपिी एक पिाथष का ववकास कर रिी िै , ब्जसका वजि स्टील से काफी कम िै . साथ िी यि स्टील ब्जतिी साम्यष और लचीलापि बरकरार रखता िै और यि भी ध्याि रखा

जा रिा िै दक ऑटोमोदटव ववनिमाषण बुनियािी ढांचे में बड़े संशोि​िों की आवमयकता ि पड़े .

िोिे पर

डायिासोर की प्रजानत अचािक ववलुप्त िो गई. एक समय

ऐसा

था

जब

िरती

पर

डायिासोर

(Dinosaurs) जैसे ववशालकाय जीवों का राज था. 6.6 करोड़ साल पिले िरती पर िुए इस मिावविाश को लेकर वैज्ञानिकों की एक िई ररसचष ररपोटष सामिे आई.

काबषि डाइऑक्साइड की कमी के नलए ठं डी छतें

िेशिल लैब के शोिकताषओं और िीनत ववशेर्ज्ञों िे ठं डी छत पिाथों का ववश्लेर्ण और कायाषन्वयि करिे

का मागष प्रशस्त दकया, जो सूरज की रोशिी को

परावनतषत करती िै , सति के तापमाि को कम कर शीतलि लागत में कमी लाती िै .

सूक्ष्म जीवाणुओं (माइक्रोधस) से ईंि​ि प्रानप्त

उन्ित जैव ईंि​ि के आववर्ष्कार को एक मील का

रासायनिक िनथयारों की पिचाि

पत्थर मािा जा सकता िै . िेशिल लैब वैज्ञानिकों िे

बिाया िै जो संदिग्ि रासायनिक और ववस्फोटक

बायोमास से ईंि​ि का उत्पाि​ि कर सकता िै .

िेशिल लैब के शोिकताषओं िे एक ऐसा उपकरण

एक सूक्ष्म जीव ववकनसत करिे में मि​ि की जो सीिे

िनथयारों और कंटे िरों की सामग्री की पिचाि कर

िैिो कणों के साथ सानित िाइरोजि

सकता िै , तादक इसमें शानमल लोगों के नलए जोब्खम को कम दकया जा सके. ऐसी तकिीक, जो िनथयारों के रासायनिक बिावट को शीघ्रता से पिचाि लेती िै ,

गैसोलीि की खपत कम करिे के नलए, िाइरोजि के

सुरब्क्षत संग्रिण और उपयोग में आसािी के नलए,

परमाणु सुरक्षा मॉडनलंग

िैिो कणों का उपयोग मायावी सावबत िुआ िै . िेशिल लैब शोिकताषओं िे एक िया लचीला पिाथष

वैज्ञानिकों िे परमाणु ररएक्टर शीतलक और कोर

िर्ष्ु प्रभाव के िाइरोजि को तेजी से अवशोवर्त और

अग्रणी परमाणु सुरक्षा मॉडनलंग राष्ट्रीय प्रयोगशाला व्यविार के मॉडल के नलए ररएक्टर भ्रमण और ररसाव ववश्लेर्ण कायषक्रम (RELAP) ववकनसत करिा

शुरू दकया. आज, RELAP का उपयोग िनु ियाभर में दकया जाता िै और इसे परमाणु और गैर-परमाणु

िोिों अिुप्रयोगों के नलए लाइसेंस दिया गया िै , ब्जसमें जेट ववमाि इं जि और जीवामम-ईंि​ि वबजली संयंि र्टकों के मॉडनलंग भी शानमल िैं .

(pliable material) तैयार दकया िै , जो वबिा दकसी मुि

कर

संचानलत

सकता कारों

िै .

को

यि

आववर्ष्कार,

वाब्णब्ज्जयक

ईंि​ि-सेल

वास्तववकता

(commercial reality) बिािे में एक बड़ा किम िै . रे डॉि के जोब्खम को उजागर दकया रे डॉि

एक

प्राकृ नतक

रूप

से

पाई

जािे

वाली

रे दडयोिमी गैस िै जो फेफड़ों के कैंसर का कारण बि

सकती िै . रे डॉि गैस अदक्रय, रं गिीि और गंि​िीि

42 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


िोती िै . रे डॉि वातावरण में स्वाभाववक रूप से रे स मािा में िोता िै . बािर के वातावरण में, रे डॉि एक स्वास्​्य समस्या ि​िीं िै . अनिकांश रे डॉि एक्सपोजर

अनिक शविशाली कंप्यूटर बिािे में सिायक नसि िुए िैं .

र्रों, स्कूलों और कायषस्थलों के अंिर िोता िै . िींव में िरारें और अन्य नछद्रों के माध्यम से इमारतों में प्रवेश करिे के बाि रे डॉि गैस र्र के अंिर फंस

जाती िै . समय के साथ रे डॉि में सांस लेिे से

फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता िै . रे डॉि संयुि

राज्जय अमेररका में फेफड़ों के कैंसर का िस ू रा प्रमुख कारण िै . इिडोर रे डॉि को लागत प्रभावी तकिीकों

के साथ नियंवित और प्रबंनित दकया जा सकता िै . िेशिल

लैब

ररसचष

की

बिौलत

अब

अमेररकि

बीते जमािे की आवाजों को सिे ज कर रखिा

आसािी से सो सकते िैं , ब्जसिे िे श के कुछ दिस्सों

िेशिल लैब के वैज्ञानिकों िे एब्जंग (ageing) को

नि​िाषररत दकया िै . ईपीए मािकों, रे डॉि का पता

तकिीक

ररसाव रोकिे के नलए राष्ट्रीय लैब अिुसंिाि िल िे

कांग्रेस समेत िनु िया के ध्वनि अनभलेखागार में लाखों

िजारों लोगों की जाि बचती िै .

छुपे िुए ववस्फोटक पिचाि​िा

में रे डॉि गैस से िोिे वाले स्वास्​्य जोब्खम को

दडब्जटल रूप से पुिनिषमाषण करिे के नलए एक उच्च

लगािे और प्राकृ नतक रूप से िोिे वाली गैस के

लेखपालों का अिुमाि िै दक यू.एस. लाइिेरी ऑफ

शमि उपायों का नि​िाषरण दकया िै , ब्जससे िर साल

ररकॉदडां ग, इस प्रौद्योनगकी से लाभाब्न्वत िो सकती िैं .

वाले

तरीके

का

आववर्ष्कार

दकया.

पुरा

पॉकेट के आकार का डीएिए सैंपलर

िेशिल लैब के वैज्ञानिकों द्वारा 30 से अनिक प्रकार

िमूिों में रोगाणुओं की पिचाि करता िै , यि तेजी

आकार का दडटे क्टर ववकनसत दकया िै जो कुछ िी

यि एक उपकरण िै जो िवा, पािी और नमट्टी के

के ववस्फोटकों की जांच के नलए एक क्रेदडट-काडष

से सावषजनिक स्वास्​्य, नचदकत्सा और पयाषवरण

नमिटों में ववस्फोटकों की जांच कर सकते िैं . संसूचक

सफाई पररयोजिाओं में अनत उपयुि उपकरण बिता जा रिा िै . िेशिल लैब वैज्ञानिकों द्वारा ववकनसत,

क्रेदडट-काडष के आकार का उपकरण उि बीमाररयों को इं नगत करता िै , जो प्रवाल नभवत्तयों (coral reefs) को

मारते िैं और अमेररका के शिरों में िवाई बैक्टीररया

(दडटे क्टर), ब्जसे ELITE किा जातािै , को दकसी शवि (पॉवर) की आवमयकता ि​िीं िोती िै

और इसे

व्यापक रूप से सैन्य, कािूि प्रवतषि और सुरक्षाकनमषयों द्वारा उपयोग दकया जाता िै .

(airborne bacteria) को सूचीबि करते िैं .

सबसे छोटी मशीिें

िनु िया की सबसे छोटी नसंथेदटक मोटर बिाई गई िै . उसके साथ िी रे दडयो, स्केल और ब्स्वच (radios, scales and switches) जो मािव बाल से 1,00,000

गुिा छोटे िैं का ववकास दकया गया िै .- राष्ट्रीय प्रयोगशाला द्वारा िैिो-टे क्िोलॉजी में उपरोि और

अन्य प्रयासों से जीवि रक्षक फामाषस्यूदटकल्स और

मजबूत िवाई जिाज राष्ट्रीय प्रयोगशाला िे िातु पर लेजर पल्स के साथ बमबारी करके इसे मजबूत बिाया, ब्जससे ववमाि उद्योग को इं जि और ववमाि रखरखाव खचष में करोड़ों डॉलर की बचत िुई िै .

स्रोत : िेशिल लैधस आफ अमेररका, ववदकपीदडया

43 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


पुस्तकालय जागरूकता ि​िकुमार मदिलांग लाइिेररयि, सेन्रल लाइिेरी, िूति चौक, सरकण्डा, वबलासपुर (छ.ग.) पुस्तकालय जागरूकता:

पुस्तकालय एवं सूचिा ववज्ञाि के क्षेि में ‘पुस्तकालय जागरूकता’

एक

अविारणा

िै ,

जो

समाज

को

उद्दे मय:  

पुस्तकालयों से जोड़िे पर बल िे ता िै . ग्रामीण क्षेिों

करिा अनत आवमयक िै .

इसी क्रम में व्यविगत प्रयासों में 19 िवम्बर 2011

पुस्तकालय एवं जागरूकता केन्द्र’ की गई. और

में जागरूकता के नलए पुस्तकालयों की स्थापिा

को वबिार में गांव खुलासा में ‘बागेश्वरी ग्रामीण स्थािीय निवासी पुस्तकालय आन्िोलि के माध्यम से

केन्द्र के संस्थापक िीिबंिु नसंि िै . उिके इस प्रयास के नलए उन्िें वल्डष मैिेजमेंट कांग्रेस द्वारा ‘िेशिल इं फामेशि अवेयरिेस अवाडष 2011’ प्रिाि दकया गया.

प्रचार-प्रसार

पुस्तकालय

एवं जागरूकता केन्द्र की स्थापिा कर लोगों को

जागरूकता पर ववशेर् रूप से ध्याि िे कर पुस्तकालय

पुस्तकालय के प्रनत जागरूक करिे का कायष दकया जा

भी अपिे राज्जय, ब्जला, तिसील, धलाक, पंचायत और

रिा िै . यि एक प्रशंसिीय कायष िै . इसी प्रकार िमें

मागषिशषि प्रिाि करिा. जागरूकता

अनभयाि

चलाकर

िुक्कड़-सभाएं,

पुस्तकालय के कायष व सेवाओं में वृवि, आदि.

आवमयकताएं:

से

ग्रामीण स्तर से लेकर अंतराषष्ट्रीय स्तर तक

आयोब्जत करिा.

दिल्ली शिर व ग्रामीण क्षेिों में पुस्तकालयों के माध्यम

पठि-पाठि की अनभरुनच जागृत करिा.

िाट्य-मंचि, सेनमिार, कायषशाला और आम-सभा

इसी प्रकार दिल्ली पब्धलक लाइिेरी के द्वारा भी पूरे के

पुस्तकालय का पाठक बिािा और उिके मित्व

सावषजनिक पुस्तकालय की स्थापिा करिा.

िेटवकष

लोगों की पुस्तकालय के प्रनत रूनच पैिा करिा. को बतािा.

वबिार के समस्त बि​िाल पुस्तकालयों के पुिजाषगरण के नलए प्रयासरत िैं . इस पुस्तकालय एवं जागरूकता

लोगों को पुस्तकालय से पररनचत करािा.

समाज को आगे बढ़ािे के नलए.

समाज को नशब्क्षत व संगदठत करिे के नलए.

पुस्तकालयों का समुनचत उपयोग एवं ववकास.

लोगों में अध्ययि के प्रनत रूनच उत्पन्ि करिा. आत्म-निभषर बि​िे के नलए प्रेररत करिा. समय के सिप ु योग के नलए.

पुस्तकालय ववज्ञाि के पांच सूिों* के उनचत उपयोग के नलए.

ज्ञाि और सूचिा एवं उिके संविषि के नलए.

गांव सभी स्तरों पर पुस्तकालय जागरूकता की

*पुस्तकालय ववज्ञाि के पांच सूि -

युवा, वृि, बच्चों को पुस्तकालय के प्रनत जागरूक

2. प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक उपलधि िो.

शुरूआत कर समाज के सभी आयु के व्यवि जैसे करिे की आवमयकता िै .

पुस्तकालय का अथष िै , जिां ववववि प्रकार के ज्ञाि, स्रोतों

और

सेवाओं

का

संग्रि

िोता

िै .

जागरूकता से अनभप्राय िै - जो इससे पररनचत ि​िीं िो, उन्िें जागरूक करिा. पररभार्ा:

पुस्तकालय

जागरूकता

3. प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक नमले. 4. पाठक का समय बचाये.

पुस्तकालय जागरूकता का अथष: सूचिा,

1. पुस्तकें उपयोग के नलए िैं .

5. पुस्तकालय संविषिशील संस्था िै . पुस्तकालय अध्यक्षों की भूनमका:

दकसी भी पुस्तकालय में चािे वि सावषजनिक िो या शैक्षब्णक

या

ववनशष्ट

पुस्तकालय

िो,

पुस्तकालय

जागरूकता कायषक्रम में अिम ् भूनमका पुस्तकालय एक

अविारणा

िै ,

एक

कलात्मक अनभयाि िै , जो समाज को पुस्तकालय से

अध्यक्ष की िोती िै . पुस्तकालय अध्यक्ष, जािकार

व्यवि िोते िैं , जो पुस्तकालय के सभी क्षेिों के बारे में

जोड़िे का कायष करता िै .

44 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


अच्छा ज्ञाि रखते िैं , ब्जससे उिके समझािे के तरीके बेितर व भार्ा आसाि िोती िै .

पुस्तकालय और समाज आपस में र्निष्ठ संबंि रखते िैं . समाज का पुस्तकालय के प्रनत जागरूक िोिा आवमयक

िै .

इसका

के नलए सेनमिार, कायषशाला और संगोष्ठी का आयोजि कर पुस्तकालय जागरूकता का प्रचार-प्रसार दकया जा

पुस्तकालय जागरूकता अनभयाि:

अनत

सेनमिार, कायषशाला और संगोष्ठी: पुस्तकालय जागरूकता

निवारण

पुस्तकालय

जागरूकता अनभयाि करके दकया जा सकता िै . इसे

ग्रामीण क्षेि से लेकर शिर, राष्ट्रीय व अंतराषष्ट्रीय स्तर पर दकया जा सकता िै .

सकता िै . इस प्रकार का आयोजि ग्रामीण से लेकर अंतराषष्ट्रीय स्तर तक दकया जा सकता िै . कायषक्रम का

थीम ऐसा िोिा चादिए ब्जससे अनिक लोग आकवर्षत िोकर भाग लें. बैिर,

पोस्टर,

िोशर

और

पैम्फलेट:

पुस्तकालय

जागरूकता का और ववस्तार करिे के नलए िम अपिे

पुस्तकालय के बारे में बैिर, पोस्टर, िोशर और पैम्फलेट

पुस्तकालय जागरूकता के माध्यम:

पुस्तकालय जागरूकता के ववनभन्ि माध्यम उपलधि िैं . इि माध्यमों का उपयोग कर के िम अपिे समाज को एक

िए नशखर तक ले जा सकते िैं . इससे एक नशब्क्षत समाज, एक नशब्क्षत िे श बिाया जा सकतािै , इिके माध्यम िैं :

रे दडयो: रे दडयो, पुस्तकालय जागरूकता का एक सशि

छपवा कर समाज में बा​ाँट सकते िैं , ब्जससे लोग संपूणष जािकारी संक्षेप में प्राप्त कर पुस्तकालय सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकते िैं .

पुस्तक मेला: पुस्तकालयों के प्रनत लोगों को जागरूक करिे के नलए पुस्तक मेला आयोजि एक अच्छा माध्यम िै .

माध्यम िै . इसके माध्यम से पररचचाष प्रसारण करके

िाट्य-मंच: लोगों को िाट्य मंचि मिोरं जि द्वारा

टी.वी.: ववनभन्ि चैिलों से वीदडयो, आदडयो पुस्तकालय

प्रयास:

जागरूकता फैलािे के नलए टी.वी. एक अच्छा माध्यम िै .

पुस्तकालयों, एवं आम जिता को नमलकर पुस्तकालय

लोगों को पुस्तकालय के प्रनत जागरूक कर सकते िैं .

के बारे में दिखाकर, जािकारी प्रिाि कर समाज में समाचार पि: समय-समय पर पुस्तकालय के बारे में

समाचार पिों में लेख प्रकानशत कर के सूचिाएं िी जा सकती िैं .

सोशल-मीदडया: वतषमाि समय सोशल-मीदडया का युग िै , ब्जसमें

पुस्तकालय

जागरूकता

सोशल-मीदडया

के

ववनभन्ि माध्यमों जैसे - फेसबुक, व्िाट्सएप, इं स्टाग्राम, यू-ट्युब इत्यादि पुस्तकालय जागरूकता कायषक्रम को सफल बिािे में मित्वपूणष भूनमका निभा सकते िैं .

व्यविगत जागरूकता: र्र-र्र जाकर लोगों को व्यविगत

रूप से प्रोत्सादित कर उन्िें पुस्तकालय का पाठक बिािा, ब्जससे पुस्तकालय की उपयोनगता का भी ववस्तार िो सके.

जागरूक दकया जा सकता िै . वतषमाि

समय

में

ववनभन्ि

सामाब्जक

संगठिों,

जागरूकता को बढ़ावा िे िे के नलए कायष करिा आवमयक िै . राज्जय सरकारें , केन्द्र सरकार ब्जस प्रकार से समयसमय पर समाज दित के नलए जागरूकता अनभयाि चलाते िैं , जैसे एड्स के प्रनत जागरूकता, स्वास्​्य के प्रनत

जागरूकता, कोववड-19 के प्रनत जागरूकता. इसी प्रकार िम सभी को समाज को नशब्क्षत करिे के नलए, पुस्तकालयों से जोड़िे के नलए पुस्तकालय जागरूकता

अनभयाि पर जोर िे िे की आवमयकता िै , तादक एक संगदठत, सुनशब्क्षत व प्रबुि समाज का निमाषण कर िम अपिे गांव, ब्जला व राज्जय का िाम रोशि कर सकें. निर्ष्कर्ष:

पुस्तकालय जागरूकता को माि एक संिेश के रूप में ि​िीं

अवपतु एक अनभयाि के रूप में लेिा िोगा. और पूरे भारत

नसिेमा प्रचार: नसिेमा के माध्यम से भी पुस्तकालय जागरूकता की जा सकती िै .

आम-सभा: दकसी भी गांव या शिर में एक स्थाि पर

आम-सभा लगाकर पुस्तकालय का पररचय, मित्व,

उपयोग, लाभ एवं आवमयकता के बारे में सूचिा प्रिाि करजागरूक करिा एक अच्छा माध्यम िै .

िे श में इस अनभयाि को सभी राज्जयों, ब्जला, धलाक, पंचायत, गांव सभी स्तरों पर चलािा चादिए. समाज के लोगों को िी इस अनभयाि में आगे आिे की आवमयकता

िै . पुस्तकालय जागरूकता अनभयाि समाज को संवनिषत,

सुनशब्क्षत करिे के साथ िी िे श-निमाषण एवं राष्ट्र-उन्िनत

में सिायक नसि िोगा. ब्जसे िम िागररकों को कंिे से कंिा नमलाकर करिे की आवमयकता िै .

45 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ववज्ञाि कववता रे खा भादटया शानलषट, िाथष कैरोनलिा, अमेररका

1.प्रकृ नत की करुणा

2. करािते बािल

एक अिाथ बीज िरती की गोि में

आज बािलों के कराि​िे की आवाज सुिी

माटी आाँचल में समेट लेती

ि वि कसक मसक और ि िी थी िज़ाकत

कब अिाथ रिता िै !

सच वि ि​िीं थी गजषि, ि िी वि ठिाका ि वबजली की चमक और ि िम से कौंि​िा.

वर्ाष बरसों ि​ि ू वपलाती

सूरज वपता की ऊजाष िे ता

िरू फलक तक पलकें वबछी रिीं

िवा बि कर लोरी गाती.

ऊाँचे पवषतों की चोदटयों से नि​िारा वादियों में झा​ाँका और इं तजार दकया

एक बीज बो दिया इं साि िे िरती की गोि में दफर भूल गया प्रकृ नत की करुणा िै दकतिी

किीं सूखती िदियों दकिारे मीलों चली समुंिर दकिारे दफर रे त के टीलों पर

अभी-अभी लिराते पेड़

ढू ाँ ढते गोरे , सफेि और मयामल बािल.

ब्खले-ब्खले िैं लिे फलों से

पिले झर झर झरा करते थे फूल

सुगंि फूलों की मिक रिी

सब ओर वबखर मुस्कुरा पड़ते थे

पके-पके मीठे फलों से झुक गए.

बािल उमड़ अमृत बूाँिों से बरसाते प्यार

पेड़ िीचे िरती की ओर और अनिक कुछ ऊाँचें भी िैं शाि से चूमते अम्बर

सुिा बि प्यासी िरती पर छम छम फुिार बािल नलखते िैं तकिीर िरती की

पंछी बिा र्ोंसला चिक रिे

िरती पर जीवि​िारा का अब्स्तत्व बािलों से.

िवा में बयार छायी िै जीवि की.

सूिे िीले आसमाि में सूरज मा​ाँग रिा िआ ु एाँ

बनगया में पत्ता भी नगरता आवाज से उसकी ध्वनि, दफर िवाओं में बि जाता माटी में र्ुलनमल उसी में योगिाि िे ता कभी ब्खला था डाली पर बि पेड़ का अंश. बिा पेड़ बीज का, बोकर भूला था इं साि अम्बर िे रं ग बिल-बिल बरसायी शबिम शूल उठा िै अब इं साि के मि पर िावा िे खो ठोक रिा िै बनगया पर

िो मंगलकारी आिे वाला समय बािलों का रमक था चा​ाँि-तारों को बिरी संग कभी आज र्िर्ोर र्टाओं की मा​ाँग रिे िआ ु एाँ

क्या ढ़ल जाएगी िरती की िरी भरी जवािी वि से पिले िी भूरी बिरं ग बूढ़ी िो जाएगी. वादिया​ाँ, पिाड़ अब िूल, मरुस्थल के टापू लगते पेड़ों की उम्र गुजर चुकी, पौिे झुलस अिमरे िैं परी लोक सी िरती अब ताप और ऊर्ष्मा से बेचैि

बीज मैंिे बोया था िुाँकार रिा

िुएाँ से परे शाि िरती और बािल मटमैले िूल भरे

बनगया पर करुणा बरसाती प्रकृ नत

कािों से सुि कराि​िा आाँखें मूाँि दृवष्ट-िीि िूाँ मैं

लड़िे को तैयार, िे खो ललकार रिा अनभलार्ा, कब इं साि में करुणा जागे !

अिसास िुआ आर्ाढ़ की िमी आाँखों में उतरी िै मैं इं साि किा​ाँ, मैं तो िूाँ एक सािारण मािव………

46 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


सुर्मा भंडारी, द्वारका, दिल्ली

ऋचा नसन्िा, मुम्बई

ऐसा ववश्व

डी एि ए अंिर डीएिए के तिखािे में, मेरी पररभार्ा रिती िै ,

ऐसा ववश्व बिािा िोगा, जो प्लाब्स्टक से मुि िो,

गुण सूिों सी पड़ी िुई, मेरी अंतर गाथा किती िै .

प्रिर् ू ण ि आस-पास िो, िररयाली से युि िो.

ब्जंिगी की सृजिात्मकता, ब्जंिगी की आवमयकता,

जल थल अम्बर स्वच्छ िों, चिुं-दिश बस खुशिाल िो

ब्जंिगी इनतिास से लेकर, ब्जंिगी की भववर्ष्य ज्ञाता. जन्म नलया कब मृत्यु िोगी ि जािे दकस रूप में िोगी कैसी िे ि की रं गत िोगी, मोटी या दफर पतली िोगी. यिी ववशेर्ता किती िै , मेरी अंतर गाथा किती िै , अंिर डीएिए के तिखािे में, मेरी पररभार्ा रिती िै . कि काठी लंबी िोगी, या छोटी या बौिी िोगी िाक ऊंची यां मोटी िोगी, ठोड़ी सीिी या टे ढ़ी िोगी. यिी संरचिा किती िै , मेरी अंतर गाथा किती िै , अंिर डीएिए के तिखािे में, मेरी पररभार्ा रिती िै . मेरा जीवि कैसा िोगा, स्वस्थ या अस्वस्थ िोगा, गुण िोर्ों में कुछ वृवि िोगी, या दफर पुिरावृवत्त िोगी. मेरे जन्म से पिले िी, खाका तैयार दकया िोगा, माता और वपता का आिा, डीएिए डाला िोगा. यिी किािी किती िै , मेरी अंतर गाथा किती िै , अंिर डीएिए के तिखािे में, मेरी पररभार्ा रिती िै .

जीव जंतु और विस्पनत, जीवि ि बेिाल िो. ऐसा ववश्व बिािा िोगा ……………. प्रिर् ू ण िै बड़ी बीमारी, कल ि यूं बरबाि िो

आओ बचायें पयाषवरण को, वसुिा दफर आबाि िो. ऐसा ववश्व बिािा िोगा ……………. िािाकार नमटािा िोगा, आओ कसम ये खायें िम सृवष्ट िमें बचािी िोगी, पास ि आये अपिे गम. ऐसा ववश्व बिािा िोगा ……………. िरे पेड़ िा कटिे िें गे, नित-नित पौि लगायेंगे ऑक्सीजि िा र्टिे िें गे, कचरा िरू भगाएाँगे. ऐसा ववश्व बिायेंगे, जो बीमारी मुि िो,

प्रिर् ू ण ि आस-पास िो, िररयाली से युि िो. िदियां ि प्रिवू र्त िों अब, यिी एक ववश्वास िो,

जल संरक्षण करिा िोगा, िव-जीवि की आस िो. ऐसा ववश्व बिायेंगे ………… िए पेड़ लगाकर िमको, समािाि करवािा िै , पयाषवरण िै प्रिवू र्त पर, इसको िमें बचािा िै . ऐसा ववश्व बिायेंगे, जो बीमारी मुि िो,

प्रिर् ू ण ि आस-पास िो, िररयाली से युि िो.

47 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


नि​िाल चन्द्र नशविरे , झा​ाँसी

अिीता श्रीवास्तव, टीकमगढ़ मध्यप्रिे श

वबंि ु

वबंि ु ि तो शून्य िै , ि िी अिन्त, यि तो प्रतीक िै एकाग्रता का.

साि​ि िै शून्य से अिंत की यािा का, आत्म चेतिा से नमलि का. अणु से परमाणु तक, इलेक्रोि से प्रोटोि तक, न्यूितम इकाई से अथाि शवि के प्रवाि का. वबन्िओ ु ं से नमलकर बिी सीिी रे खा की तरि मि, आत्मा, बुदद्व जब एक साथ िों तो

बुद्व को प्राप्त िोता िै ज्ञाि, िो जगत कल्याण.

केन्द्रक रखे कोनशका पर लगाम, केंद्रक करता ढ़े रों काम. रॉबटष िाउि िे इसको खोजा, आओ नगिाएाँ इसके काम. नर्रा िुआ िोिरी ब्झल्ली से, केरीयोथीका ब्जसका िाम. इसमें िोता िै डी.एि.ए., वंशागनत में आता काम.

इसमें िोता िै क्रोमेदटि, जो आता गुणसूि के काम. र्ेर रिी ई आर जानलका, वसा निमाषण का करती काम. राइबोसोम बिाते रि​िा, यिी केंदद्रका का िै काम.

बॉंसुरी सा मिुर स्वर, अिम से ररि िो मि,

जीवि में सदक्रय योगिाि, कोनशका ववभाजि आता काम.

प्रकृ नत से प्रेम, वि, िररयाली से पररिाि.

आर.एि.ए. प्रोटीि निमाषण का, करता रिता िरिम काम.

वबंि ु से रे खा, विवीमीय से बिु-ववमीय आकार, सत्य से िो साक्षात्कार, यदि वबंि ु िो आिार.

िपषण िपषण सिा िमें नसखाता, सत्य िी जीवि का सार

इसकी शाखा केररयोलॉजी, अध्ययि सिा िी आता काम. पािप कोनशका पड़ा दकिारे , जंतु में बीच कोनशका िाम. कोनशका िै स्कूल के जैसी, िे ड मास्टर सा इसका काम.

नियम वबिा जीवि बेकार. प्रकाश दकरण िपषण के सम्पकष में जब भी आती, नियमों का पालि कर सिै व, आपति कोण के समाि िी परावतषि कोण बिाती. मािव मािव िै समाि, जग को यि संिेश बताती. परावनतषत दकरण, िपषण से टकराकर भी परावतषि की चोट से ववह्लल अपिी आवृवत्त, चाल, तरं ग-िै ध्यष अपररवनतषत रखिे में सक्षम; बािाएं पार पािे की कला नसखा उत्साि बढ़ाती िै . अनभलम्ब, आपति वबंि,ु आपनतत, परावनतषत दकरण

सभी समाि िरातल पर रिकर मूल जड़ों से जुड़िे का संिेश मािव को नसखला अपिा िमष निभाते िैं . प्रकाश दकरण का पृष्ठ पर लम्बवत आगमि िया संिेश लाता िै - जो ब्जस पथ आया उसी पथ से अपिे मूल िाम लौट जाता िै . िपषण को ि िोर् वि सच्चाई दिखा कतषव्य निभाता िै .

48 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


ववज्ञाि समाचार िई

िवा

संयोजि

को

कोरोिा

वायरस

अलेक्सांद्र इिेव्स्की िे किा, ‘िवाओं की कम खुराक

संक्रमण के ब्खलाफ प्रभावी पाया गया.

के कई िैिानिक लाभ िो सकते िैं . इसमें कम

शोिकताषओं के अिुसार, िेफामोस्टै ट (nafamostat)

शानमल िैं .’ िेफामोस्टै ट (Nafamostat) अपेक्षाकृ त

पिले से िी कोववड-19 के ब्खलाफ एक मोिो-थेरेपी के रूप में उपयोग में िै और अन्य स्थािों के अलावा जापाि में इसका व्यापक परीक्षण दकया जा रिा िै . जािवरों और सेल संस्कृ नतयों में दकए गए एक अध्ययि के अिुसार, एक िया िवा संयोजि SARSCoV-2 वायरस द्वारा संक्रमण को िबा सकता िै , जो कोववड-19 का कारण बिता िै . जरिल वाइरस में प्रकानशत प्रारं नभक परीक्षण के पररणामों में पाया गया दक एंटीवायरल रग्स िेफामोस्टै ट और पेगानसस का संयुि

उपयोग

सभी

उपलधि

और

प्रभावी

प्रनतकूल प्रभाव और रोनगयों के नलए बेितर पररणाम सस्ता

िै ,

जबदक

पेगानसस

(Pegasys)

का

िकारात्मक पक्ष इसकी उच्च लागत िै . अध्ययि के लेखकों िे किा, ‘SARS-CoV-2 और

इसके टीके/प्रनतरक्षा से बचिे वाले वेररएंट प्रभावी, व्यापक रूप से उपलधि उपचारों की कमी के कारण

सावषजनिक स्वास्​्य के नलए एक गंभीर खतरा बिे

िुए िैं ’. उन्िोंिे किा, ‘िमारा अध्ययि चल रिी मिामारी और संभाववत भववर्ष्य के कोरोिा वायरस के प्रकोप के नलए एक सदक्रय समािाि प्रिाि कर

सकता िै , ब्जसकी अभी भी िनु िया के कई दिस्सों में

आवमयकताओं को पूरा करता िै .

तत्काल आवमयकता िै .’ NTNU के अलावा अन्य

िॉवेब्जयि यूनिवनसषटी ऑफ साइं स एंड टे क्िोलॉजी

ववश्वववद्यालय (िावे), िेंच िवा कंपिी ओंकोदडजाइि,

(NTNU) के प्रोफेसर डे निस कैिोव िे किा, ‘यि संयोजि प्रभावी रूप से संक्रमण को िबा िे ता िै .’ प्रयोग सेल संस्कृ नतयों और िै म्स्टर में दकए गए थे, शोिकताषओं िे किा दक इसका मतलब यि ि​िीं िै दक संयोजि मिुर्ष्यों में काम करता िै , लेदकि उि शोिकताषओं के नलए एक जािकारी लाभिायक िो सकती िै , जो पिले से िी कोववड-19 के ब्खलाफ िाफामोस्टै ट का परीक्षण कर रिे िैं . पेगानसस का उपयोग वतषमाि में मुख्य रूप से िे पेटाइदटस-सी के इलाज के नलए दकया जाता िै . िोिों के संयोजि से सकारात्मक प्रभाव पड़ता िै . प्रोफेसर मगिार बोजोरस िे किा, ‘िोिों िवाएं िमारी कोनशकाओं में TMPRSS2 िामक एक कारक पर िमला करती िैं , जो वायरल प्रनतकृ नत में मित्वपूणष भूनमका निभाती िै ’. शोिकताषओं िे यि निर्ष्कर्ष भी निकाला दक इस संयोजि िवा की खुराक की जरूरत भी कम िोती िै . यि संयोजि िवा जीवि बचा सकती िै और रोनगयों के नलए जीवि को आसाि बिा सकती िै . एि.टी.एि.यू. के डॉक्टरे ट ररसचष फेलो

शोिकताष ओस्लो ववश्वववद्यालय अस्पताल, ओस्लो

टारटू

ववश्वववद्यालय

(एस्टोनिया)

और

िे लनसंकी

ववश्वववद्यालय (दफिलैंड) भी इस अध्ययि में शानमल िैं .

स्रोत: पीटीआई, 1 अक्टू बर, 2021, NTNU.

प्रनतरक्षा 'प्रिरी' कोनशकाओं के बारे में िई खोज कैंसर उपचार में सिायक िो सकती िै . िाल के एक अध्ययि के िौराि शोिकताषओं िे एक आश्चयषजिक खोज की दक

कैसे प्रनतरक्षा 'प्रिरी'

कोनशकाओं का अिुरक्षण िोता िै . इससे कैंसर के इलाज के नलए िवाओं के ववकास में सिायता नमल सकती

िै .

इस

अध्ययि

के

निर्ष्कर्ष

'साइं स

इम्यूिोलॉजी' जरिल में प्रकानशत िुए िैं . शोिकताषओं

िे प्रनतरक्षा कोनशकाओं में ववनशष्ट प्रोटीि को िटािे के प्रभाव का अध्ययि दकया जो कोनशकाओं को सुप्त करिे या जीि को निब्र्ष्क्रय करिे की क्षमता को नियंवित करिे के नलए ब्जम्मेिार िैं . जीि को निब्र्ष्क्रय करिे की तकिीक 90 के िशक में ऑस्रे नलया के पौिों में खोज की गई थी. उन्िें यि

49 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


जािकर आश्चयष िुआ दक 'प्रिरी' प्रनतरक्षा कोनशकाओं

मैक्रोफेज की कुछ आबािी, जो दक िमारी त्वचा और

की एक बस्ती इस अध्ययि में एक र्टक को िटािे

फेफड़ों में रिती िैं , पूरी तरि से गायब िो गई.

से प्रभाववत िुई, ब्जससे कोनशकाएं, त्वचा और फेफड़ों

चोवपि िे किा, ‘ये उत्तक-स्थानिक मैक्रोफेज ववनभन्ि

दक कैंसर जैसी बीमाररयों के इलाज में इस र्टक को

संक्रनमत कोनशकाओं के पता लगािे और छुटकारा

रोकिे वाली िवाएं प्रनतरक्षा प्रणाली के नलए अिपेब्क्षत

दिलािे के नलए ब्जम्मेिार िैं , और शरीर में बुखार

पररणाम िे सकती िैं .

इत्यादि संकेतों को उत्तेब्जत कर चेताविी िे ते िैं दक

से पूरी तरि से ववलुप्त िो गईं. इससे पता चलता िै

यि शोि डॉ. नयफाि झाि, डॉ युब्क्सया झांग, श्री शेंगबो झांग, डॉ. माइकल चोवपि, प्रो. स्टीफि िट

और सियोनगयों िे दकया. शोि िल िे िंटलाइि ररस्पॉन्डर

इम्यूि

सेल्स

में

पॉलीकॉम्ब

ररप्रेनसव

कॉम्प्लेक्स-2 (PRC2) की भूनमका का अध्ययि

दकया. डॉ. चोवपि िे किा दक PRC2, प्रनतरक्षा

कोनशकाओं सदित जीि को निब्र्ष्क्रय ('ब्स्वच ऑफ') करिे के नलए ब्जम्मेिार िै , जो उिकी संख्या और

सामान्य कायष को बिाए रखिे के नलए आवमयक था. चोवपि िे किा, ‘िमारी प्रयोगशाला कोनशकाओं के अंिर जीि ववनियमि या आणववक प्रदक्रयाओं की जांच करती िै , जो नियंवित करती िै दक िमारे

डीएिए द्वारा एन्कोड दकए गए जीि का उपयोग कैसे और कब दकया जाता िै .’

र्ुसपैठ

करिे

वाले

बैक्टीररया

और

वायरस

से

िमला दकया जा रिा िै .’ डॉ. चोवपि िे किा, ‘उत्तक-स्थानिक मैक्रोफेज के पास पूरे वयस्क जीवि में स्वतंि रूप से अपिी संख्या बिाए रखिे में सक्षम िोिे का अिूठा गुण िै . िमारा शोि इि प्रनतरक्षा कोनशकाओं के इस नियामक कायष को नियंवित करिे में Suz12 और PRC2 की मित्वपूणष भूनमका पर प्रकाश डालता िै .’ प्रोफेसर िट िे किा दक िवाओं के संभाववत प्रत्यक्ष

प्रभावों को समझिा मित्वपूणष िै जो जीि को

निब्र्ष्क्रय करिे वाले प्रोटीि में िस्तक्षेप करते िैं . उन्िोंिे किा, ‘PRC2 को नलम्फोमा जैसे कई कैंसर में प्रयुि दकया गया िै . िनु िया भर में कैंसर के इलाज के नलए कॉम्प्लेक्स के र्टकों को लब्क्षत करिे वाली

डॉ चोवपि िे किा, ‘िमिे िो प्रनतरक्षा सेल बब्स्तयों में PRC2 के प्रभाव का अध्ययि दकया जो संक्रमण के ब्खलाफ रक्षा की प्रथम पंवि बिाते िैं . ये कोनशकाएं बािरी वातावरण के नलए एक मित्वपूणष प्रनतरक्षा बािा प्रिाि करती िैं , और त्वचा और फेफड़ों को माइक्रोवबयल आक्रमण से बचाती िैं .’ अिुसंिाि िल िे कॉम्प्लेक्स के िो र्टकों को िटा दिया, एक एंजाइम ब्जसे EZH2 किा जाता िै , और एक संरचिात्मक प्रोटीि ब्जसे Suz12 किा जाता िै , यि िे खिे के नलए दक यि प्रनतरक्षा कोनशका के ववकास, आबािी और कायष को कैसे प्रभाववत करती िै . EZH2 को िटािे से दकसी भी कोनशका बस्ती के जीव ववज्ञाि या कायष पर कोई प्रभाव ि​िीं पड़ा; कोनशकाएं अभी भी वायरल संक्रमण का प्रभावी प्रनतकार करिे में सक्षम थीं. चोवपि िे किा, ‘िमें यि जािकर आश्चयष िुआ दक EZH2 को िटािे से प्रनतरक्षा कोनशकाएं काफी ि​ि तक अप्रभाववत रिीं’.

इसके ववपरीत, जब Suz12 को िटा दिया गया, तो

िवाओं को ववकनसत करिे के नलए मित्वपूणष कायष

दकया जा रिा िै .’ उन्िोंिे किा, ‘कम से कम एक िवा पिले से िी एक िल ु षभ प्रकार के सारकोमा कैन्सर के इलाज के नलए स्वीकृ त िै . िमें और अनिक बारीकी से अध्ययि करिे की आवमयकता िै

दक क्या उि िवाओं से जो EZH2 और Suz12 के कायष को बानित करती िैं , प्रनतरक्षा प्रणाली के नलए

अिपेब्क्षत पररणाम िो सकते िैं .’ उन्िोंिे किा, ‘िमारे शोि से पता चलता िै दक, कम से कम इि ववनशष्ट

िंटलाइि प्रनतरक्षा कोनशकाओं के साथ, जो संक्रमण में त्वररत सदक्रय िो जाती िैं और प्रनतरक्षा प्रणाली के अन्य तत्वों को दरगर करते िैं , ऐसा िोिे की

संभाविा ि​िीं िै ,’ और किा दक शोि आणववक स्तर

पर जीि ववनियमि पर टीम के व्यापक फोकस का

दिस्सा था. प्रोफेसर िट िे किा, ‘िमारे शरीर में कोनशकाओं का सामान्य कायष िमारे डीएिए में सिी जगि और सिी समय पर एन्कोड दकए गए िजारों

जीिों से जीि के उनचत संयोजि का उपयोग करिे की प्रत्येक कोनशका की क्षमता पर निभषर करता िै .’ स्रोत: aninews.in

50 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)

प्रस्तुनत: िीवपका करिािी, मुंबई


िासा का स्पेस-क्राफ्ट पाकषर सूरज तक पिुंचा

गए और दफर इसकी पुवष्ट करिे में कई मिीिे लग

अमेररका की अंतररक्ष एजेंसी िासा िे एक िया इनतिास रच दिया िै . िासा का स्पेस-क्राफ्ट पाकषर (The Parker Solar Probe) सूरज तक पिुंचिे में सफल िो गया िै . इस स्पेस-क्राफ्ट िे सूरज के बािरी

वातावरण, ब्जसे कोरोिा (Corona) किते िैं , में ववचरण दकया. िासा का ये नमशि तीि साल पिले 2018 में लॉन्च दकया गया था. िासा साइं स नमशि डायरे क्टरे ट

के

एसोनसएट

एडनमनिस्रे टर,

थॉमस

जुबच ुष ेि िे किा दक इस ऐनतिानसक पल की बिौलत ि नसफष सूरज से संबंनित कई मित्वपूणष जािकाररयां नमलेंगी, अवपतु बाकी तारों के बारे में भी बिुत से राज पता चलेंगे.

गए. जॉन्स

िॉपदकन्स

वैज्ञानिक

िूर

रौफी

ववश्वववद्यालय िे

के

किा, ’आकर्षक

पररयोजिा रूप

से

रोमांचक’. 2018 में लॉन्च दकया गया पाकषर, सूयष के केंद्र से 13 नमनलयि दकलोमीटर िरू था, जब इसिे

पिली बार सौर-वातावरण और बािर जािे वाली सौरिवा के बीच खुरिरी, असमाि सीमा को पार दकया. वैज्ञानिकों के अिुसार, अंतररक्ष याि, कम से कम तीि बार, कोरोिा के अंिर गोता लगाकर बािर आया और िर

बार

यि

सिज

पारगमि

था.

नमनशगि

ववश्वववद्यालय के जब्स्टि कैस्पर िे संवाि​िाताओं से किा, ’यि पिली बार था और बिुत उत्तेजिा पूणष था, िम लगभग पांच र्ंटे िीचे थे ... अब आप सोच

िासा की इस ऐनतिानसक उपलब्धि के बारे में न्यू

सकते िैं , दक पांच र्ंटे तो ज्जयािा समय ि​िीं िै .’

ऑरनलयन्स में िुए अमेररकि ब्जयोदफब्जकल यूनियि

उन्िोंिे किा दक लेदकि पाकषर इतिी तेजी से आगे

क्राफ्ट िे 2019 में सोलर ववंड (Switchbacks) के

प्रनत सेकंड से अनिक की गनत से चीरते िुए, इसिे

फाल मीदटं ग में बताया गया. पाकषर सोलर स्पेस -

बढ़ रिा था, उस समय के िौराि 100 दकलोमीटर

मैगिेदटक ब्जग-जैग स्रक्चर का पता लगाया था. 7

एक ववशाल िरू ी को तय दकया.

सालों में ये स्पेस-क्राफ्ट सूरज के पास जािे के 21

रौफी के अिुसार, कोरोिा अपेक्षा से अनिक िूल भरा

प्रयत्न

करे गा.

28

अप्रैल, 2021

को

तीि

बार

स्पेसक्राफ्ट िे कोरोिा में प्रवेश दकया. िासा की ये ऐनतिानसक उपलब्धि वैज्ञानिकों और इं जीनियसष की मेि​ित का पररणाम रिी. िावषडष और ब्स्मथसोनियि के खगोल भौनतकी केंद्र िे सोलर प्रोब कप बिाया. इस कप िे सूयष के वातावरण से पादटष कल्स इकट्ठा दकए. वैज्ञानिकों िे इसे प्रमाब्णत दकया और इस बात की पुवष्ट िुई दक िासा के स्पेस-क्राफ्ट िे सूरज को

छुआ िै . सोलर प्रोब कप से नलए आंकड़ों के अिुसार, 28 अप्रैल को स्पेस-क्राफ्ट िे 3 बार कोरोिा में प्रवेश दकया. एक बार स्पेस-क्राफ्ट 5 र्ंटों तक कोरोिा में रिा. पाकषर 2025 तक सूयष के करीब आिा और कोरोिा में गोता लगािा जारी रखेगा. िवीितम निर्ष्कर्ष

अमेररकि

दफब्जकल

सोसाइटी

द्वारा

भी

प्रकानशत दकए गए िैं . पाकषर सोलर प्रोब िे वास्तव में अप्रैल में अंतररक्ष याि द्वारा सूयष के करीब पिुंचिे के आठवें

िौर

में

कोरोिा

के

अन्िर

उड़ाि

भरी.

वैज्ञानिकों िे किा दक आंकड़े पािे में कुछ मिीिे लग

लगा. उन्िोंिे किा, भववर्ष्य के कोरोिल भ्रमण से वैज्ञानिकों को सौर-िवा की उत्पवत्त को बेितर ढं ग से समझिे में मि​ि नमलेगी, और यि कैसे तप्त िोता िै और अंतररक्ष में दकस प्रकार त्वररत िोता िै . क्योंदक सूयष में ठोस सति का अभाव िोता िै , जिां यि दक्रया िोती िै विां कोरोिा िोता िै ; इस चुंबकीय रूप से गि​ि क्षेि की करीब से खोज करिे से वैज्ञानिकों को सौर ववस्फोटों को बेितर ढं ग से समझिे में मि​ि नमल सकती िै , जो यिां पृ्वी पर जीवि में िस्तक्षेप कर सकते िैं . प्रारं नभक आंकड़ों से पता चलता िै दक पाकषर िे अगस्त में अपिे िौवें करीबी आिे के प्रयास में भी कोरोिा में गोता लगाया था, लेदकि वैज्ञानिकों िे किा दक अनिक ववश्लेर्ण की आवमयकता िै . यि वपछले मिीिे 10वीं बार िजिीक पिुंचा. पाकषर 2025 में अपिे भव्य अब्न्तम ऑवबषट तक सूयष के और करीब आिा और कोरोिा में गिरा गोता लगािा जारी रखेगा. इनतिास में अब तक कोई भी अंतररक्ष याि सूरज के इतिे क़रीब ि​िीं पिुंचा िै .

51 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


िमूिे इकट्ठा करे गा. जॉि िॉपदकंस ववश्वववद्यालय के भौनतकी प्रयोगशाला से जुड़े विदटश वैज्ञानिक डॉ. निकी फॉक्स िे इसे समझाया, 'मैं समझता िूं दक यि

िरू ी अनिक लगती िै , लेदकि यदि यि माि लें दक

सूरज और पृ्वी के बीच िरू ी केवल एक मीटर िै तो पाकषर सोलर प्रोब सूरज से केवल चार सेंटीमीटर की पाकषर-सोलर-प्रोब मॉडल के साथ नशकागो ववश्वववद्यालय के खगोल-शास्त्री यूजीि पाकषर

पाकषर सोलर प्रोब को फ्लोररडा के केप केिवेरल से प्रक्षेवपत दकया गया था. पाकषर प्रोब को अंतररक्ष में पिुंचािे वाला डे ल्टा-IV िे वी रॉकेट था. यि इनतिास

की सबसे तेज गनत से चलिे वाली मािव निनमषत वस्तु िै . उम्मीि की जा रिी िै दक इस नमशि से सूरज को लेकर कई रिस्यों का पता चल पाएगा. इस अंतररक्ष याि को खगोल-शास्त्री यूजीि पाकषर के िाम पर रखा गया िै , ब्जन्िोंिे सबसे पिले सौर-िवा का वणषि दकया था. पाकषर िे इस लॉन्च पर प्रनतदक्रया

िी थी, 'बिुत खूब, यि िम चले! अगले कई सालों तक िम कुछ सीखेंगे.'

िरू ी पर िोगा.' इसका वजि करीब 612 दकलो िै .

इसकी लंबाई 9 फीट 10 इं च िै . सूरज की गमी से बचािे के नलए इसमें 11.43 सेंटीमीटर मोटी स्पेशल काबषि कंपोब्जट िीट नशल्ड लगाई गई िै . अिुमाि िै दक इस शील्ड को 1300 दडग्री सेब्ल्सयस तापमाि का सामिा

करिा

पड़े गा. यि याि अनिकतम

190

दकलोमीटर प्रनत सेकेंड की गनत से सूरज के चक्कर लगाएगा. यि गनत दकतिी तेज िै इसका अंिाजा इसी से लगाया जा सकता िै दक इस गनत से वानशंगटि से टोक्यो पिुंचिे में केवल एक नमिट का

वि लगेगा. इससे पिले 1976 में 'दिनलयस-2' िाम का अंतररक्ष याि सूरज के पास पिुंचा था. तब इस याि की सूरज से िरू ी 430 लाख दकलोमीटर थी. स्रोत: NASA

जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप: िासा

िे

अब

तक

का

सबसे

बड़ा

और

सबसे

शविशाली स्पेस टे लीस्कोप अतंररक्ष में 25 दिसंबर की सुबि को भेजा. इसिे अमेररका के उत्तर-पूवी तट ब्स्थत कौरू, िेंच गुयािा अंतररक्ष केंद्र से यूरोपीय रॉकेट ‘एररयि’ पर अंतररक्ष के नलए उड़ाि भरी. यि इस नमशि का लक्ष्य सीिे िमारी बािरी वायुमंडल या कोरोिा का भौनतक अध्ययि करिा िै . सात सालों में यि याि सूरज के 24 चक्कर लगाएगा. िासा के इस

वेिशाला अपिे गंतव्य तक पिुंचिे में 16 लाख दकलोमीटर की िरू ी तय करे गी. इसे विां पिुंचिे में एक मिीिे का समय लगेगा.

नमशि का उद्दे मय कोरोिा के पृ्वी पर पड़िे वाले प्रभाव का अध्ययि करिा िै . इस नमशि का उद्दे मय यि पता लगािा भी िै दक ऊजाष और ताप दकस प्रकार सूयष के चारों ओर अपिा र्ेरा बिाकर रखिे में कामयाब िोती िै . प्रत्येक पररक्रमा के बाि पाकषर प्रोब याि सूरज के और करीब आता जाएगा. यि ऐसा पिला याि िोगा जो सूरज की सति से 61 लाख दकलोमीटर िरू से 52 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


िासा, यूरोपीय अंतररक्ष एजेंसी और किाडा अंतररक्ष

ग्राउं ड कंरोल टीम के साथ संपकष कर रिा िै . िधबल

एजेंसी के सियोग से लगभग 10 अरब डॉलर की

से 100 गुिा ज्जयािा शविशाली ये टे लीस्कोप िह्ांड के

पररयोजिा पर 30 वर्ों से काम चल रिा था. इसके

उि

निम्ि चार नमशि िैं - वबग बैंग के बाि के शुरुआती

आएगा, ब्जन्िें िमिे अब तक जािा ि​िीं िै . यि

नसतारों से प्रकाश की खोज करिा, आकाशगंगाओं के

अंतररक्ष की सुिरू गिराइयों को िे खिे में सक्षम िोगा.

निमाषण और ववकास का अध्ययि करिा, नसतारों और

इसके अलावा ये उि अकाशगंगाओं के बारे में पता

ग्रि प्रणानलयों की उत्पवत्त की जांच करिा और जीवि

लगाएगा, ब्जिका फॉमेंशि वबग बैंग के बाि िुआ था.

की उत्पवत्त की खोज करिा.

रिस्यमयी

पिलुओं

को

िमारे

सामिे

लेकर

इस टे लीस्कोप की क्षमता इतिी िै दक अगर इसको

चांि पर रख दिया जाए, तो ये पृ्वी पर उड़ रिी एक मक्खी को भी आसािी से पिचाि सकता िै . जेम्स वेब स्पेस टे लीस्कोप आिे वाले समय में अंतररक्ष से जुड़े ररसचष के कई िए आयाम खोलिे वाला िै . ये लंबी िरू ी से आ रिी इं िारे ड तरं गों को पकड़िे में सक्षम िोगा. ये लाइट को ऑधजवष करके करोड़ों प्रकाश वर्ष िरू ब्स्थत ग्रिों के बारे में काफी कुछ पता लगा सकेगा. एग्जोप्लेिेट की खोज करिे में जेम्स वेब एक मील का पत्थर सावबत िोिे वाला िै . ये टे लीस्कोप िूल के बािलों के पीछे छुपे तारों को िे खिे में भी सक्षम िोगा. जेम्स वेब िह्ांड में 13.7 वबनलयि प्रकाश वर्ष पुरािी लाइटों को िे ख सकेगा. इस कारण कई वैज्ञानिक इसको िह्ांड की टाइम िासा िे किा दक इससे िमें समय को अब तक

मशीि भी कि रिे िैं .

सबसे पीछे िे खिे की उम्मीि िै , तादक सृब्र्ष्ट की शुरुआत और तारों के सबसे पिले बि​िे की प्रदक्रया को जािा जा सके. िासा के प्रशासक वबल िेल्सि िे इस सप्ताि की शुरुआत में किा था, 'यि िमें िमारे िह्ांड और उसमें िमारे स्थाि की बेितर समझ िे िे जा रिी िै दक िम कौि िैं , िम क्या िैं .' िालांदक, उन्िोंिे आगाि भी दकया, 'जब आप एक बड़ा पुरस्कार चािते िैं , तो आपके सामिे आमतौर पर एक बड़ा जोब्खम िोता िै .’ एररयि स्पेस के मुख्य कायाषनिकारी स्टीफि इजराइल िे प्रक्षेपण से कुछ नमिट पिले किा, 'िम आज सुबि मािवता के नलए प्रक्षेपण कर रिे िैं .' जेम्स वेब टे लीस्कोप सफलता पूवक ष स्पेस में लॉन्च

स्रोत: NASA

िो चुका िै , और लॉन्च िोिे के बाि सफलतापूवक ष 53 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)

प्रस्तुनत: राब्जंिर अरोरा, रामपुर


ववज्ञाि पुस्तक समाचार

ग्रामीण निमाषण तकिीकी एवं सामग्री / मई 2021

प्लाब्स्टक कचरे से बिाएं ईंि​ि

प्रकाशक : जीतेन्द्र आिंि इं िाटे क प्राइवेट नलनमटे ड

प्रकाशक : Notion Press / िवंबर 2021

लेखक : अरववन्ि सक्सैिा

यि पुस्तक ग्रामीण निमाषण की तकिीकी समस्याओं का सरलीकरण तो करे गी िी साथ में स्थािीय सामग्री

के उपभोग को बढ़ावा भी िे गी. तथा रोजगार के अनिक सुलभ अवसर प्रिाि करिे का रास्ता खोलेगी.

इस पुस्तक में भवि निमाषण, ग्रामीण क्षेिों में की जा सकिे

वाली

प्रौद्योनगदकया​ाँ, भविों

का

रख-रखाव,

ग्रामीण सड़क निमाषण, नसंचाई, कुओं का बिािा, सामाब्जक

वानिकी,

पौिशाला

तैयार

करिा

आर.सी.सी दडजाईि कायष िे तु सूनचया​ाँ िी गयी िैं .

लेखक : आयुर् झा

इस पुस्तक में प्लाब्स्टक कचरे को ररसाइकल कर के

ईंि​ि बिािे की प्रदक्रया को ववस्तार से और सामान्य

भार्ा में बताया गया िै . दि​ि-ब-दि​ि बढ़ रिे प्रिर् ू ण और ख़त्म िो रिे ऊजाष के स्रोत, मािव जीवि के नलए बिुत बड़ी समस्या बि गई िै . ऐसे में इस तरि के उपाय िमारे भववर्ष्य को बचा सकते िैं .

एवं

िवाई यािा की रोचक किािी दकंडल संस्करण / अक्टू बर 2021 मापि का ववज्ञाि: राष्ट्र उन्िनत की आिारनशला प्रकाशक

: Notion Press / नसतंबर 2021

लेखक : शािे रब, मेिेर वाि

मेरोलॉजी, सटीक माप का ववज्ञाि, िे श के तकिीकी, औद्योनगक और आनथषक ववकास में मित्वपूणष भूनमका

निभाता िै . स्कूल स्तर पर मेरोलॉजी का ज्ञाि, सटीक माप का ववज्ञाि आवमयक िै . इस पुस्तक में लेखकों िे मौनलक इकाइयों के मित्व और उिके मापि को खूबसूरती से समझािे की कोनशश की िै .

लेखक : मिे श शमाष

आकाश में उड़ते िुए ववमाि सिज िी सभी को अपिी ओर आकवर्षत कर लेते िैं . पंनछयों की तरि मुि गगि में उड़िे वाले इि ववमािों की किािी भी उतिी

िी आकर्षक और रोचक िै . आब्खर कैसे ववमािों का

आववर्ष्कार िुआ और कैसे वे िुए इस योग्य बिे दक िवा में उड़ कर मीलों लंबी िरू ी को पूरी सुरक्षा के साथ र्ंटों में तय करिे लगे? पुस्तक में कम शधिों में इसी किािी को समेटा गया िै . एक रोचक और कथात्मक पुस्तक.

54 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


मिोगत िन्यवाि कुलवंत जी! यि बिुत अच्छा अंक िै . सनमनत के सभी सिस्यों को बिाई. इसे

अच्छा अंक.

डी.एि. शमाष

बिुत सुि ं र प्रयास.

जारी रखें. शुभकामिाओं के साथ.

मैं श्री शैलेन्द्र नसंि के लेख को आवाज िे कर

डॉ. टी.वी. वेंकटे श्वरि, िई दिल्ली

अरुण कुमार सक्सेिा, िवी मुब ं ई.

स्पॉटीफाई पर पॉडकास्ट करिा चािती िूाँ. कृ पया मुझे इसकी अिुमनत दिलाएं. लेखक

िन्यवाि, श्रीमाि! मुझे वैज्ञानिक ई-पविका

पविका

वबलकुल समय पर प्राप्त िो गए िैं . इस िे तु

के रूप में उिका िाम रिे गा. ववज्ञाि की ज्जयािातर

बच्चों

के

पास

ि​िीं

पिुंचती. यदि अिुमनत नमलती िै तो मै अन्य लेखों को भी अपिी आवाज िे कर बच्चों के नलए पॉडकास्ट करिा चािती िूाँ. सािर - डॉ. सुिीता यािव, औरं गाबाि.

लेखक िे अिुमनत िे िी िै . सािर, संपािक. वैज्ञानिक के अंकों को समय पर प्रकानशत

करिे के नलए बिाई. शुभकामिाओं सदित, गोववंि प्रसाि कोदठयाल, पूवष सम्पािक वैज्ञानिक.

सिी ववर्य पर अच्छा संकलि. संपािकीय िल को बिाइया​ाँ. अंकुश्री.

के िोिों अंक अथाषत अप्रैल-मई 2021 तथा जुलाई-नसतंबर 2021 मेल के माध्यम से तथा

आपको सािुवाि एवं बिुत बिुत शुदक्रया. आप द्वारा पविका प्रकाशि िे तु सियोग तथा मेल द्वारा त्वररत-प्रेर्ण वाकई प्रशंसिीय व सराि​िीय िै ! िमारे योग्य कोई कायष िो तो िम सेवा में सिै व तत्पर िैं ! सािर, शरीफ खाि, कोटा.

आप बस इसी प्रकार अपिे उत्कृ ष्ट, मौनलक लेख भेजते रिें , यिी आपकी समुनचत सेवा िै . सािर, संपािक. िन्यवाि आपका अंक अच्छा िै . लेदकि वैज्ञानिक पविका में जो ववज्ञाि वगष पिे ली

छपती िै , कृ पया उसे बंि ि करें . िन्यवाि. राजीव रं जि.

वप्रय डॉ. कुलवंत नसंि

यि अंक मुझे मेल करिे के नलए िन्यवाि. मुझे लगता िै दक इस अंक में कई उच्च

गुणवत्ता वाले लेख िैं . मुझे उन्िें पढ़कर बिुत अच्छा लगा. उम्मीि िै दक भववर्ष्य में भी मुझे अंक प्राप्त िोते रिें ग.े शुभकामिाएं. िीि ियाल सूि, िवी मुब ं ई.

इस अंक के नलए कुलवंत जी और संपाि​ि मंडल के सिस्यों का िादिषक अनभिंि​ि. िरें द्र करिािी, मुब ं ई.

उत्तम कायष, कुलवंत जी !

मुझे कि​िा िोगा दक आप बिुत मेि​िती

बिुत सुन्िर और रोचक अंक. बिाई और बारं बार अनभिंि​ि. के.के. नमश्रा.

और समवपषत िैं .

डॉ. डे जी जोसेफ, िवी मुब ं ई

55 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


कुलवंत जी की कमषठता, सि​िशीलता, जीवंतता और उिके दिन्िी प्रेम का ितीजा

आिरणीय, कुलवंत नसंि जी! मेरा लेख संशोनित कर उसे इतिे अच्छे रूप में सनचि

रिा िै . कुलवंत जी का दिल से आभार और भरोसा दक सच्चे दिं िी प्रेमी आपके साथ िैं .

प्रेवर्त करूंगा. वैज्ञानिक का यि अंक बिुत िी सुन्िर लगा और सामग्री भी स्तरीय िै .

िै दक अनत-ववर्म पररब्स्थनतयों के बावजूि 'वैज्ञानिक' पविका का निरं तर प्रकाशि िो

पुिः आभार. शैलेंद्र कुमार नसंि. वैज्ञानिक

के

इस

अंक

के

संपािक

प्रकानशत करिे के नलए िादिष क िन्यवाि. शीघ्र िी अन्य िस ू रे लेख भी आपकी सेवा में

सािर, आपका िी – डॉ. प्रेमचंद्र स्वणषकार.

डॉ.

'वैज्ञानिक' पविका की प्रनत प्रेवर्त करिे िे तु

को इस अंक को सफलता पूवक ष जि मािस

यि पविका मेरे पास आती थी. आभार. िन्यवाि. भविीय,

कुलवंत नसंि और सम्पािक मंडल के सिस्यो तक पिुंचािे के नलये िादिष क बिाई और शुभकामिाएं. िीिा िाथ नसंि, अध्यक्ष, दिं .वव.सा.पररर्ि

आपका प्रयास अतुलिीय िै . कायष सराि​िीय एवं कावबले तारीफ. िमषराज मौयष, मुब ं ई उत्तम, प्रशंसिीय अंक ! अनिल कुमार, मुब ं ई यि बतािा चािूंगी दक आपकी पैिी िजर और संपाि​ि कला भी कावबले तारीफ िै , ब्जससे मुझे भी लेखक एवं संपािक िोिों के तौर पर बिुत कुछ सीखिे को नमला िै . बिुत-बिुत िन्यवाि. सािर, स्वानत चड्ढ़ा, पुणे.

उत्तम, बिुत-बिुत िन्यवाि. मैं अब अनतसदक्रयता िे ख रिा िूं. जबदक पिले एक साल से अनिक समय तक मेरे पिाचार का कोई जवाब भी ि​िीं आया था. शुभकामिाएं. डॉ. आिंि शमाष.

सािर िन्यवाि. अच्छा अंक. िम इस पविका को अपिी संस्था में सधसक्राइब भी करें ग.े

और सिभानगता भी करें ग.े साझा करिे के नलए िन्यवाि. डॉ. वप्रयंका जैि.

आभार. 40 वर्ष से भी अनिक िो गए जब

िर्ष्ु यन्त कुमार अग्रवाल, राजस्थाि.

आपकी ववज्ञाि पविका िमिे अपिे सभी 160 अनिकाररयों (16 ववभागों) को अवलोकि के नलए साझा की िै . बी.एम.एस. रावत. आपके इस पुिीत कायष के नलए आपका िादिष क आभार, अनभिंि​ि. सािर, संपािक.

ववववितापूणष एवं ज्ञािविषक अंक के प्रकाशि के नलए बिाई. संजय चौिरी. मिोिय,

वैज्ञानिक का वतषमाि अंक वपछले से बेितर िै और वपछला अंक इसके पूवव ष ती कई वर्ों

के सभी अंक से बिुत बेितर था. अत्यनिक सुिार के नलए बिाई. लगभग सभी लेख

सवषश्रष्ठ े िैं . जलवायु पररवतषि, िह्ांड की उत्पवत्त

और

वास्तववक

परमाणु

व्याविाररक

संयि ं

से

संबनं ित

समस्याओं

पर

आिाररत लेख उच्च कोदट के िैं . वपछले अंक

में भी शरीफ खाि का लेख बिुत अच्छा था. वि अच्छे और ज्ञािविषक लेख नलखते िैं . चंद्रमा नमशि पर सूचिात्मक लेख अच्छा िै . सलाउद्दीि अिमि, मुब ं ई.

56 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


लेखकों से अिुरोि

आिरणीय डॉ. कुलवंत जी,

वैंकूवर, विदटश कोलंवबया, किाडा से अनभवाि​ि. मैं (68 वर्ीय, सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और दिं िी प्रेमी) 40 वर्ों से दिं .वव.सा.पररर्ि/ वैज्ञानिक का आजीवि सिस्य, पाठक और

लेखक िूं. कई बार, मैंिे पुरस्कार जीते और वैज्ञानिक में प्रकाशि के नलए लेख भेजे. मैंिे

ववज्ञाि संबंिी रचिाएं कभी भी भेज सकते िैं . 

रचिाएं कृ पया वडष फाइल में मंगल फोंट में िी भेजें.

 

रचिा के साथ अपिा फोटो (< 50 KB) भी भेजें

भेजते समय यि अवमय उल्लेख करें दक

रचिा मौनलक एवं अप्रकानशत िै , एवं इसे

वैज्ञानिक का जुलाई-नसतंबर 2021 का अंक

पढ़ा. यि बिुत जािकारी पूणष िै . यि अंक संग्रि और संरब्क्षत करिे लायक िै . मैं

वैज्ञानिक पविका में प्रकाशि के नलए आप

अन्यि प्रकाशि के नलए ि​िीं भेजा गया िै . 

रचिाएं निम्ि ईमेल पर भेजें: hvsp.sachiv@gmail.com

वैज्ञानिक में जबरिस्त सुिार िे खता िूं और आपको और िई टीम को बिाई िे ता िूं.

संपािक

मैंिे ‘भारत में ववकास क्रांनतयां’ शीर्षक वाला

आपका लेख पढ़ा. यि भारतीय स्वतंिता के 75 वर्ष के िौराि ववज्ञाि का बिुत िी रोचक और सारगनभषत इनतिास िै .

कृ पया अपिे लेख का िररत क्रांनत भाग िे खें. कृ पया ध्याि िें दक भारतीय िररत क्रांनत में

मुख्य भूनमका डॉ. सी. सुिमण्यम िे निभाई

थी, बाबू जगजीवि राम जी िे ि​िीं. डॉ. सी. सुिमण्यम को िररत क्रांनत का राजिीनतक जिक किा जाता िै . बाबूजी िे िररत क्रांनत को आगे बढ़ाया.

शुभकामिा सदित, प्रो. आर. सोमवंशी.

िमारी भूल सुिारिे के नलए आपका िादिषक आभार, अनभिंि​ि. सािर, संपािक.

पररर्ि द्वारा आयोब्जत कायषक्रमों की कुछ झलदकयां 57 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


अंतररक्ष की सैर

गैस-िूल की पूाँछवाला िूमकेतु डॉ.रब्मम वार्ष्णेय िूमकेतु सौरमंडल का दिमाच्छादित वपंड िोता िै . सूयष

जब यि सूयष के निकट िोता िै , तब गमष िो जािे के

के चारों तरफ पररक्रमा करिे का उसका िीर्ष कक्षा-

कारण इसमें से गैस निकलिे लगती िै . इस गैस

पथ वलयाकार या अंडाकार कुछ भी िो सकता िै

निर्ष्क्रमण से बि​िे वाला वायुमंडल कोमा किलाता िै ,

तथा एक पररक्रमा पूरा करिे में उसे सैकड़ों या िजारों

जो बढ़ते-बढ़ते उसकी पूाँछ बि जाती िै और इसीनलए

वर्ष लग जाते िैं . इसीनलए पृ्वी वानसयों के नलए

इसे पुच्छल तारा भी किा जाता िै . कोमा और पूाँछ

अपिे जीवि में इसका िशषि लाभ कर पािा िल ष ु भ

करोड़ों मील लंबे िो सकते िैं . सौर पवि के कारण

िोता िै .

कम अवनि में दिखाई िे िे वाले िूमकेतु कूपर पट्टी

इसकी पूाँछ सूयष के ववपरीत दिशा में िोती िै , भले िी िूमकेतु के पररभ्रमण की दिशा नभन्ि िो.

में उत्पन्ि िोते िैं , जो वरुण (Neptune) ग्रि से भी आगे िै . िीर्ाषववनि वाले िूमकेतु कूपर पट्टी से आगे ऊटष बािल (ऊटष बािल या ऊटष क्लाउड एक गोले के रूप का िूमकेतुओं का बािल िै जो सूयष से लगभग एक प्रकाश-वर्ष के िरू ी पर िमारे सौर मण्डल को र्ेरे

िुए िै ) में उत्पन्ि िोते िैं और विा​ाँ से वे गुरुत्वीय क्षोभ के कारण सूयष की तरफ गनतमाि िोते िैं , जो उिके पास से गुजरिे वाले तारों तथा गेलेक्सीय ज्जवार-भाटे

से उत्पन्ि िोता

िै . अब

तक ज्ञात

िूमकेतुओं की संख्या लगभग लगभग 4584 िै . सौरमंडल

से

बािर

भी

िूमकेतु

िोते

िैं

और

ऐसे

बदि:िूमकेतु आकाशगंगा में िे खे जा सकते िैं . कैप्लर

टें पल िूमकेतु

और टे स्स िरू बीिों िे अिेक बदि:िूमकेतुओं की जािकारी िी िै . प्रमुख अंतररक्ष-याि नमशि िैं : िे ली

अरमाडा, चैलेंजर, डीप इं पैक्ट, यूलीसेस, स्टारडस्ट, रोजेटा.

िे ल-बॉप िूमकेतु िूमकेतु में दिम, िूल और कंकड़ों का ढीला बंि िोता िै तथा इसमें दिम, काबषि-डाई-ऑक्साइड, मीथेि, बोरे ली िूमकेतु

अमोनिया, नसनलकेट, काबषनिक नमश्रण, आदि िोते िैं . सूयष के पास पिुाँचिे पर इस पर जमा दिम वपर्लिे

58 * वैज्ञानिक * अक्टू बर-दिसंबर 2021 * अंक-53(4)


लगता िै और कभी-कभी पूरी तरि से समाप्त िो

जैसे नमथेिोल, िाइरोजि साइिाइड, फोमषलडे िाइड,

जाता िै . उस समय यि क्षुद्रग्रि जैसा लगिे लग

इथेिोल और इथेि. यिा​ाँ तक दक इसमें जदटल अणु

जाता िै .

भी नमलते िैं , जैसे लंबी श्रृख ं ला वाले िाइरो-काबषि और एनमिो अम्ल. यिा​ाँ पाई जािे वाली बफष चट्टािों की परतों के िीचे िफि रिती िै . इसीनलए इसे गंिी बफीली गेंि किा जाता िै . यि प्रकाश का परावतषि बिुत िी कम करता िै , माि 1...2...3... बिुत िुआ

तो 7 प्रनतशत. िानभक की विज्जया 50-100 मीटर से 30 दकलोमीटर तक िो सकती िै . इसका द्रव्यमाि कम िोिे के कारण इसका आकार गोलाकार ि​िीं िो पाता िै और अनियनमत रि​िे के कारण इसके आकार का सिी-सिी पता लगािा कदठि िै . चुंबकीय क्षेि का 1882 का मिा िूमकेतु

अभाव भी इसके नलए उत्तरिायी िै .

िूमकेतु का अपिी कक्षा में पररभ्रमण की अवनि की लंबाई के आिार पर उसका वगीकरण दकया जाता िै . आवती या अल्पावनि िूमकेतु की कक्षीय अवनि 200 वर्ष से कम िोती िै , जबदक अिावती या िीर्ाषवनि िूमकेतु की कक्षीय अवनि 200 से िजारों-लाखों वर्ों की िोती िै . िीर्षवत्त ृ ीय कक्षाओं पर र्ूमिे वाले कुछ छोटे वपंडों को मेंक्स (िम ु कटे ) िूमकेतु के रूप में वगीकृ त भी दकया गया िै .

मेकिॉट िूमकेतु 2. कोमा: जब िूमकेतु सूयष से लगभग 3-4 खगोलीय इकाई (45-60 करोड़ दकलोमीटर) की िरू ी के अंिर िोता िै (एक खगोलीय इकाई पृ्वी से सूरज की िरू ी िै ), तब उसमें से जल और िूल निकलिे लगते िैं .

प्रकानशक ववयोजि और प्रकानशक आयि​ि के कारण वार्ष्पशील जल गमष िो कर गैस में पररवनतषत िो जाता िै . इससे िूमकेतु के चारों तरफ िूल और गैस का झीिा वातावरण निनमषत िोता िै , ब्जसे कोमा किा चुरयूमोव-गेरासीमेंको िूमकेतु िूमकेतु के मुख्यत: तीि भाग िोते िैं - िानभक, कोमा और पूाँछ.

जाता िै . यि अपिे िानभक की तुलिा में काफी बड़ा िोता िै और िजारों-लाखों दकलोमीटर तक फैला िोता िै , यिा​ाँ तक दक यि सूयष से भी बड़ा िो सकता िै , लेदकि सूयष से िरू जािे के िौराि मंगल के पास

1. िानभक : िूमकेतु का आभ्यंतर भाग ठोस िोता िै और िानभक किलाता िै . इसमें चट्टाि, िूल, बफष, जमी िुई गैस जैसे काबषि-मोिो-ऑक्साइड, काबषिडाई-ऑक्साइड, मीथेि और अमोनिया िोते िैं . इसमें

अिेक प्रकार के काबषनिक यौनगक भी पाए जाते िैं ,

पिुाँचते-पिुाँचते इसका आकार काफी र्ट जाता िै और लगभग 1.5 खगोलीय इकाई (22 करोड़ दकलोमीटर) तक रि जाता िै . कोमा के गैसों के आयिीकरण से आयि-मंडल बिता िै , जो सौर-पवि से अन्योन्य दक्रया कर के ि​िु-प्रर्ात उत्पन्ि करता िै . इसी तरि

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जब िूमकेतु असमाि रूप से गमष िोता िै , तब िव निनमषत गैस िानभक के कमजोर भाग में से प्रिार की तरि फूट पड़ते िैं और इसके फलस्वरूप िानभक र्ूमिे लगता िै , बब्ल्क इसका िो फाड़ भी िो जाता िै . इि गैसों का प्रिार िूल-कण कोमा तक पिुाँचािे का वािक बि जाता िै .

िोम्स िूमकेतु कभी-कभी िूमकेतु खो भी जाते िैं क्योंदक उिकी कक्षा की जािकारी पयाषप्त ि​िीं िोती िै या दफर वि ववर्दटत िो चुका िोता िै . लेदकि कभी-कभी उसी कक्षा पर पररभ्रमण करता िुआ कोई िया िूमकेतु िूमकेतु सी/2021/ए1 नलयोिाडष 3. पूाँछ: सौर मंडल के बािर ठं डे और निब्र्ष्क्रय रि​िे वाले िूमकेतु के वार्ष्पशील पिाथष सौर मंडल के अंिर सौर ववदकरण के संपकष में आते िी वाब्र्ष्पत िो कर बािर निकलिे लग जाते िैं और साथ में िूल भी ले जाते िैं . बदिगषमि िारा िो भागों में बाँट जाती िै

नमल जाया करता िै . उिािरण के नलए 11पी को पिले

टें पल िे वर्ष 1869 में िे खा था और वर्ष 1880 में ब्स्वफ्ट िे िे खा था, लेदकि वर्ष 1908 के बाि यि अदृमय बब्ल्क लुप्त िो गया था. लेदकि वर्ष 2001 में नलनियर िे इसे खोज निकाला था. यद्यवप इसे वर्ष 2008 में प्रनतकूल पररब्स्थनतयों में आववभाषव के कारण िे खा ि​िीं जा सका था, लेदकि वर्ष 2014 और

ब्जससे गैस और िूल की अलग-अलग पूाँछ बिती िै

वर्ष 2020 के आववभाषवों के िौराि दफर से िे खा गया.

तथा सौर-पवि के साथ सूयष की ववपरीत दिशा में

कुछ प्रमुख िूमकेतु िैं : िै ली, शूमेकर-लेवी-9, िे ल-

लिराती िैं . गैस वाली आयि पूाँछ (अथाषत प्रकार-1) पर सौर-पवि का अनिक प्रभाव पड़िे के कारण यि एकिम सीिी िोती िै , जबदक िूल भरी पूाँछ (अथाषत प्रकार-2) मुड़ी िुई िोती िै . दृवष्ट-भ्रम से इि पूाँछों की

ववपरीत दिशा में गमि करता प्रनतपुच्छ भी दिखाई िे ता िै , जो िूल के बड़े कणों से बिता िै और सूयष के ववदकरण-िाब से अनिक प्रभाववत ि​िीं िोिे के कारण सूयष की तरफ बढ़ता प्रतीत िोता िै तथा िूमकेतु के कक्षीय तल पर बिा रिता िै .

बॉप, िोम्स, चुरयूमोव-गेरासीमेंको, मेकिॉट, बोरे ली, िाटष ली, आदि. वर्ष 2021 में िूमकेतु सी/2021/ए1 पृ्वीवानसयों के नलए आकर्षण का केंद्र बिा रिा क्योंदक यि 35,000 वर्ों के बाि दिखा िै . पृ्वी की तरफ आिे वाले इस िररत कोमाई िूमकेतु को ग्रेग नलयोिाडष िे आररजोिा में माउं ट लेमि वेिशाला में माि जिवरी के आरं भ में िे खा था और माि दिसंबर के अंत तक यि पृ्वी के इतिे निकट आ चुका िै दक इस वर्ष के सबसे चमकीले तारे के रूप में इसे

पिले िूमकेतु का िामकरण उसके दिखाई िे िे वाले

िंगी आाँखों से िे खा गया.

वर्ष के िाम पर दकया जाता था, जैसे वर्ष 1690 का

सिभष: 1. https://en.wikipedia.org/wiki/Comet 2. https://www.timesnownews.com/international/articl e/meet-comet-leonard-after-keeping-us-waiting-formonths-the-brightest-comet-of--2021is-now-set-topass-near-earth/836574

मिा िूमकेतु, वर्ष 1882 का मिा िूमकेतु. बाि में उसे ढू ाँ ढ़िे वाले व्यवि के िाम पर दकया जािे लगा. जैसे िे ली, एन्के, वबएला, बोररसोव, आदि.

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यािा प्लूटो की प्रो. अनिल कुमार वसुंिरा ला ग्रीिो, न्यू बाईपास रोड, पटिा - 800 020

िमारे सौर मंडल में ग्रिों की संख्या दकतिी िै ? बड़ा

का िेप्चूि से परे क्षेि, ब्जसे ‘कूपर बेल्ट’ (Kuiper

िी सीिा सा प्रश्न िै , पर इसका निब्श्चत जबाब िे

Belt) के िाम से जािा जाता िै , िजारों छोटे -छोटे

पािा उतिा आसाि ि​िीं. कोई 9 किे गा तो कोई 8

खगोलीय वपंडों से पटा िै ; इसकी खोज 1930 में िुई

पर िी आकर रुक जायेगा. यि सारा भ्रम प्लूटो की

थी. इिकी उपब्स्थनत िी प्लूटो के ग्रि िोिे पर

ब्स्थनत के कारण िै ब्जसे खगोलशाब्स्त्रयों के एक

प्रश्ननचन्ि खड़ा करती िै . 2006 में प्लूटो को ग्रिों की

समूि िे िमारे ‘सौर पररवार’ से निर्ष्कानसत कर

सूची से बािर कर दिया गया, और यि भी एक

दिया, और आज की नतनथ में यि बात सवषमान्य िो

संयोग िै दक उसी वर्ष ‘िासा’ िे एक याि प्लूटो एवं

गयी िै . झगड़ा इस बात का िै दक ‘ग्रि’ किें गे

उसके सबसे बड़े चन्द्रमा ‘शेरोि’ के अन्वेर्ण के नलए

दकसे? स्पष्ट िै , जो खगोलीय वपंड सूयष की पररक्रमा

प्रक्षेवपत दकया. इि िजारों खगोलीय वपंडों में ब्जि

करता िो विी िमारे सौर मण्डल का ग्रि किलािे के

चार को ‘वामि‘ ग्रि की मान्यता िी गयी उिमें

योग्य िै ; पर केवल यिी शतष दकसी वपंड को ग्रि का

प्लूटो भी िै , और अब यि इस क्षेि का प्रथम

िजाष ि​िीं प्रिाि कर सकती. इसके अनतररि ग्रि के

‘िागररक’ मािा जाता िै , अथाषत यि सबसे बड़ा

उस वपंड के पास इतिा गुरुत्व बल िो दक वि अपिे

को नचब्न्ित करते िुए, ‘प्लुटोइडस’ के िाम से भी

रुप में स्वीकायष िोिे के नलए यि भी आवमयक िै दक

को एक संतुनलत आकार प्रिाि कर सके; िस ू रे शधिों

वामि ग्रि िै . ये चारो वामि ग्रि, प्लूटो की मित्ता जािे जाते िैं .

में उसे लगभग गोलाकार िोिा चादिए. साथ िी

उसका गुरुत्व ऐसा िो दक वि अपिे आसपास दकसी प्रकार का खगोलीय अवनशष्ट ि रि​िे िे , अथाषत उसका गुरुत्व निकट के सारे छोटे -छोटे वपंडों को अपिे में समादित कर ले. इन्िी बातों िे इस वववाि को जन्म दिया दक प्लूटो को ग्रि मािा जाय या ि​िीं. सौर मंडल के सुिरू ‘कोर’ पर अवब्स्थत प्लूटो एक ववशाल कक्षा में सूयष की पररक्रमा करता िै ब्जस

में उसे ‘248 पृ्वी वर्ष’ लग जाते िैं . इतिी लम्बी अवनि यि बतलाती िै दक प्लूटो सूयष के ‘प्रभाव’ से

प्लूटो एक बार दफर चचाष में आया जब अमेररका द्वारा

बिुत ि​ि तक ‘मुि’ िै . यि बात तब और स्पष्ट िो

19 जिवरी 2006 को छोड़ा गया अंतररक्ष याि ‘न्यू

जाती िै . िेप्चूि की औसत िरू ी सूयष से लगभग 4

अिुसार प्रातः 7:45 पर इसकी कक्षा के निकटतम

यि िरू ी 5 अरब 90 करोड़ दकलोमीटर िै . साथ िी

की िरू ी लगभग 12,500 दकलोमीटर थी और यि सूयष

जाती िै जब इसकी तुलिा 8वें ग्रि िेप्चूि से की

अरब 50 करोड़ दकलोमीटर िै जबदक प्लूटो के नलए आकार में भी यि काफी छोटा िै . वस्तुतः सौर मंडल

िोरायजन्स’ 14 जुलाई 2015 को स्थािीय समय के स्थाि तक पिुंचा. उस समय प्लूटो की सति से याि के सापेक्ष 14.52 दकलोमीटर प्रनत सेकंड (बुि के

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सापेक्ष 13.77 दकलोमीटर प्रनत सेकंड) की गनत से यािा कर रिा था. मगर इस िरू ी से भी प्लूटो के

वैसे तो बिुत बड़ी संख्या में छोटे छोटे खगोलीय वपंड मौजूि िैं , पर ‘न्यू िोरायजन्स’ के पथ की सीमाओं

सति की काफी जािकारी िानसल िो सकती थी, जो

के कारण इिमे से कुछ वपंडों का िी अध्ययि संभव

इसिे की. इस िरू ी से पृ्वी तक रे दडयो तरं गों को

िो सका. चूाँदक ‘कूपर बेल्ट’ िमारे सौर मंडल के

आिे में साढ़े चार र्ंटे लग रिे थे और विां से केवल

निमाषण के क्रम में बचे ‘अवशेर्’ का क्षेि िै , अतः

1 या 2 केबीपीएस (Kbps) की िर से िी सूचिाओं को

इसका अध्ययि सौर मंडल के निमाषण की प्रदक्रया को

संप्रेवर्त दकया जा सकता था. इसका अथष िुआ दक

समझिे में एक मित्वपूणष कड़ी नसि िोगी. तत्पश्चात

के ववर्य में याि द्वारा एकि सारी जािकाररयां

यि ‘प्लूटोनियम उजाष चानलत’ याि िीरे िीरे उससे

अगले 16 माि तक िम तक पिुंचती रिती. वास्तव

िरू िोता जायेगा. ऐसी उम्मीि िै दक िेप्चूि से

सूचिाएाँ प्रिाि कर यि याि आगे की यािा पर

करते िुए यि याि अंततः अंतररक्ष में ववलुप्त िो

प्लूटो

में 25 अक्टू बर 2016 तक प्लूटो से जुड़ी सारी निकल गया. अपिे आगे की यािा के िौराि अगस्त

लगभग 32 लाख दकलोमीटर आगे तक की यािा जायेगा. यि भी एक सुखि संयोग िै दक मैं 19

2018 में इसिे िमारे सौर मण्डल के कोर पर एक

जुलाई 2015 को ‘िासा’ के याि प्रक्षेपण स्थल ‘केप

‘िाइरोजि-िीवार (Hydrogen Wall)’ की उपब्स्थनत की

किेव्रल’ (फ्लोररडा) के भ्रमण िे तु गया था, और उस

पुवष्ट की ब्जसे वर्ष 1992 में िो ‘वॉयजेर अंतररक्ष यािों

दि​ि तक ‘न्यू िोरायजन्स’ से प्राप्त तस्वीरों का

(Voyager Spacecraft)’ िे िे खा था.

ववश्लेर्ण िमारे सौर मंडल की बिावट पर ियी ियी जािकाररयां िे रिा था. तत्पश्चात इससे ऐसी ढ़े र सारी जािकाररया​ाँ नमलती रिीं, ब्जसिे िमें अपिे सौर मंडल से बेितर ढं ग से पररनचत कराया.

अब कुछ शधि प्लूटो के ववर्य में; यि िमारा बड़े िी िरू का पड़ोसी िै और आकार में िमारे चन्द्रमा से भी

छोटा िै – इसका व्यास माि 2,300 दकलोमीटर मािा जाता रिा िै . पृ्वी की तुलिा में यि 5 गुिा

छोटा िै ; इतिा छोटा दक इसमें पूरा िब्क्षणी अमेररका पृ्वी से 4 अरब 80 करोड़ दकलोमीटर की इस

भी ि​िीं समा सके. उस पर आफत यि दक बेचारे को

थोड़ा ज्जयािा समय नलया. इस याि िे प्लूटो एवं

करिा िै . सूयष की पररक्रमा करिे में उसे 248 पृ्वी

तात्कानलक िरू ी को तय करिे में याि िे 9 वर्ष से

सूयष के चारो तरफ सबसे बड़ी कक्षा में पररक्रमा

उसके पांच ‘चंद्रमाओं’ में सबसे बड़े ‘शेरोि’ की सतिों

वर्ष लग जाते िैं . अपिे साथ 5 चंद्रमाओं को भी

का अन्वेर्ण करिे के साथ ‘कूपर बेल्ट’ में ब्स्थत वैसे खगोलीय वपंडों का भी अध्ययि दकया, ब्जिका धयास 50 से 100 दकलोमीटर तक था. इस क्षेि में

लेकर चलिा कोई मजाक तो िै ि​िीं. सबसे बड़े चन्द्रमा ‘शेरोि’ का आकार प्लूटो का लगभग आिा िै , अतः यि अभी तक निब्श्चत ि​िीं िो सका िै दक

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‘शेरोि’ इसका ‘चन्द्रमा’ िै या कोई अन्य वामि ग्रि. शायि ‘न्यू िोरायजन्स’ द्वारा भेजी गयी सूचिाओं के ववस्तृत ववश्लेर्ण से यि वववाि समाप्त िो सके, या यि भी संभव िै दक उसकी कुछ अन्य चंद्रमाओं का

पता चले जो अब तक िमारी ‘िज़रों’ से छुपे िुए थे. िर िाल में यि िमारे सौर मंडल के आब्खरी छोर का

अध्ययि िोगा, जो अत्यंत मित्वपूणष िै . इससे प्राप्त जािकारी के बाि सौर मंडल से बािर निकलिे का प्रयास िमारे वैज्ञानिक ज्जयािा प्रभावी ढं ग से कर सकेंगे. अभी तक प्राप्त आंकड़ों के आिार पर इतिा तो पता चल िी गया िै दक प्लूटो का आकार िमारे

इस यािा का एक अन्य मित्वपूणष पिलू यि भी िै दक

अमेररका

लौरे ल,

के

मेरीलैंड

‘जॉि के

िोपदकन्स

‘प्रयुि

ववश्वववद्यालय’

भौनतकी

ववभाग’

चन्द्रमा के आकार का लगभग िो-नतिाई िै ; यि

(Department of Applied Physics) िे ‘िब्क्षण-पब्श्चम

िमारे पूवष के अिुमाि से थोड़ा ज्जयािा िै . प्राप्त आंकड़े

(South-West Research Institute)

ये बतलाते िैं दक इसका व्यास 2,355 दकलोमीटर के ज्जयािा निकट िै . प्लूटो का अध्ययि इस दृवष्टकोण से भी बड़ा मित्वपूणष िै दक सौर मंडल के प्रथम चार ग्रि (बुि, शुक्र, पृ्वी एवं मंगल) पथरीले िैं और आगे के चार (वृिस्पनत, शनि, युरेिस एवं िेप्चुि)

शोि संस्थाि’

के साथ नमलकर ि केवल इस अंतररक्ष याि को तैयार दकया बब्ल्क इसका संचालि का कायष भी संभाला. अन्तररक्ष अिुसंिाि में एक ववश्वववद्यालय का इतिा

मित्वपूणष

योगिाि

अिुकरणीय िै .

गैस के गोले; आब्खर प्लूटो इसमें किा​ाँ ‘दफट’ करता िै . प्राप्त सूचिाओं के अिुसार प्लूटो और उसका सबसे बड़ा चन्द्रमा शेरोि ‘दिमाच्छादित वामि’ िैं ब्जिकी सति तो ठोस िै पर बफष से ढकी. सति िल्की लाल िै ; उस पर िरारें , गढ़े और टीले िैं . इसके ध्रुवों पर मीथेि एवं िाइरोजि की बफष जमी िै , पर उिका संतुलि यि बतलाता िै दक शायि पािी भी बफष के रूप में विां मौजूि िै , क्योंदक मीथेि एवं िाइरोजि की जमी िुई परत को मजबूत आिार की जरूरत

िोगी जो शायि जमी िुई बफष से िी नमलती िो. वैसे इस बात की पुवष्ट भववर्ष्य में नमलिे वाले आंकड़ों से िी संभव िै . प्लूटो के सति एवं वातावरण की बिावट अभी भी वैज्ञानिकों के नलए अध्ययि का ववर्य िै और उम्मीि की जाती िै दक इस याि से प्राप्त सूचिाएाँ प्लूटो के सारे भेि खोलेंगी. 'न्यू िोरायजन्स’ की सफलता िे संयुि राष्ट्र अमेररका को प्रथम राष्ट्र बिा दिया ब्जसिे बुि से लेकर िेप्चूि (और प्लूटो) तक का अध्ययि दकया, अथाषत अपिे सौर मंडल का प्रारं नभक अध्ययि पूरा िो गया िै .

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पूरे

ववश्व

के

नलए


वैज्ञानिक (िैमानसक) RNI No. 18862/70

दिल्ली, मिाराष्ट्र, दिमाचल प्रिे श, राजस्थाि, व उत्तर प्रिे श के नशक्षा ववभागों द्वारा स्कूलों व कॉलेजों के नलए स्वीकृ त

*'वैज्ञानिक' में लेखकों द्वारा व्यि ववचारों से संपाि​ि मंडल का सिमत िोिा आवमयक ि​िीं िै . *वैज्ञानिक में प्रकानशत

सामग्री के सवाषनिकार दिं िी ववज्ञाि सादित्य पररर्ि के पास सुरब्क्षत िैं . *’वैज्ञानिक’ एवं ‘दिं िी ववज्ञाि सादित्य पररर्ि’ से संबंनित सभी वववािों का निणषय मुंबई न्यायालय में िी िोगा. *'वैज्ञानिक’ में प्रकानशत सामग्री का आप वबिा अिुमनत उपयोग कर सकते िैं , परन्तु इस बात का उल्लेख करें दक अमुक सामग्री वैज्ञानिक से साभार ली गई िै . (नचि ववदकमीदडया से साभार.)

दिं िी ववज्ञाि सादित्य पररर्ि, 2601, ववंग-3, लोढ़ा अमारा, कोलशेट रोड, ठाणे-400607 के नलए डॉ. कुलवंत नसंि द्वारा संपादित एवं प्रकानशत. मुख्य व्यवस्थापक: श्री िमषराज मौयष.

मुद्रण: ऑिलाइि.

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