Swastikganga

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प्रस्तावना स्वस्तिक प्रतिक अत्यंि प्रातिन प्रतिक हैं जीसका उदभव आर्य संस्क्रुति और आर्य धर्यसे र्ाना जािा हैं । स्वस्तिकको प्रतिकोंका तवश्वगुरु र्ाना जािा हैं क्ुंकी र्ानव उत्पतिका र्े सवय प्रथर् तिन्ह हैं । हजारों वर्षोंसे स्वस्तिका प्रतिक ही एक ऐसा प्रतिक हैं जो तवश्वव्यापी और तवश्वर्ें सवयर्ान्य हैं । स्वस्तिक प्रतिकका उपर्ोग तवश्वके सारे खंडोर्े पार्ा गर्ा हैं । र्ानव जािीके र्े सवयप्रथर् प्रतिकका उपर्ोग पुरािन र्ुगोंसे ही हर संस्क्रूति, सभ्यिा और धर्ोंर्ें प्रत्यक्ष र्ा परोक्ष रूपसे होिा आर्ा हैं । स्वस्तिक तवश्वकी हर र्ानवजािीका अत्यंि प्राण तप्रर् प्रतिक है क्ुंकी स्वस्तिक तिन्हको पुरािन कालसे ही एक आध्यास्तिक, शुभकारी, लाभकारी पुण्यकारी और र्ौक्षदार्ी प्रतिकके रूपर्ें आदरणीर्, सन्माननीर् और पूजनीर् र्ाना गर्ा हैं । स्वस्तिकको पतिर्ी दे शोर्ें प्रेर्, प्रकाश, जीवन और सौभाग्यका तिन्ह भी र्ाना जािा हैं । तवश्वकी सवयप्रथर् र्ानव संस्क्रुति आर्यसंस्कृति और आर्यधर्य र्ा सनािनधर्यसे लेकर र्ार्न, र्हुदी, एझटे क, इन्का, पेगन, िाओ, शींिो, तितिर्न, इस्लार् जैसे अन्य धर्ों और तवतवध संस्कृतिओंने स्वस्तिक प्रतिकका प्रर्ोग धातर्यक तिन्ह, शुभकार्ना तिन्ह, लाभकारक तिन्ह, रक्षाप्रतिक र्ा िो कलािक तिन्हके रूपर्ें स्तस्वकारा हैं । आज भी तवश्वके अतधकां श लोग स्वस्तिक प्रतिकको धातर्यक,आध्यास्तिक, शुभ, र्ंगल एवं लाभ और कल्याणका प्रतिक र्ानिे हैं और उनका आदर और सन्मानसे उसे ग्रहण करिे हैं और ऊसकी पूजा और साधना करिे हैं । आर्यधर्ेकी शाखाएं जैसे तहं दु, तशख, जैन, बौध और झोरोस्ट्र ीर्न और पूवयके अन्य िाओ, शीन्तो जैसे धर्ोंर्ें स्वस्तिक प्रतिकको ईश्वरका प्रतिक र्ाना गर्ा हैं ईसीलीए उसे पूजनीर्का स्थान प्रदान तकर्ा गर्ा हैं । तहं दु धर्यर्ें स्वस्तिकको श्री गणेश का और शस्तिका स्वरुप र्ाना गर्ा हैं और उसे सवय संस्कारों और पूजाके तवधानोंर्े श्री गणेशजीकी िरह सवय प्रथर् स्थान दीर्ा गर्ा हैं । सुख शां ति, सौभाग्य और सम्रुस्ति प्रदान करनेवाले र्े दै वी और िर्त्कारीक प्रतिककी भस्ति और साधनाकी गंगाधारािो प्रातिनकालसे अतवरि बह रही हैं र्गर स्वस्तिकके गुणगानके भजन और गीि अलभ्य होनेसे एक आध्यास्तिक अनुभूति उदभतवि होने पर र्ैने तवश्वकी सवयप्रथर् भजन रिना ‘’ स्वस्तिकार्ृि’’ प्रकाशीि की थी और अब र्े र्ेरी दु सरी भजन, आरिी गीि, धून ईत्यादीकी रिना ‘’स्वस्तिकगंगा’’ प्रकाशीि करनेके अवसर प्राप्त हुआ ईसीलीर्े र्ैं अने आपको धन्य और अहोभाग्य सर्झिा हुं । तवश्वके पावन पतवत्र और कल्याणकारी स्वस्तिक प्रतिकके भस्तिभावको उजागर करने और उसका प्रिार प्रसार करनेके र्हा आशर्से लीखी हुई र्े र्ेरी नवीन रिना ‘’स्वस्तिकगंगा’’ के प्रकाशनको आप सहर्षय स्तस्विुि करें गे। र्ेरी आप भिजनोंको नम्र तबनिी हई की आप ईस गंगाजलके सर्ान पावन और पतवत्र ‘’स्वस्तिकगंगा’’के हर बुंद स्वरूप रिनका आिर्न जरूर करें गे और अन्य भि जनों कोभी प्रसादके रूपर्ें अपयण करें गे । हर स्वस्तिक प्रेर्ी भिजनोंको र्ेरी नम्र प्राथय ना हैं की स्वस्तिक प्रतिकका उपर्ोग और प्रदशयन सावयजनीक भज-तकियन और अन्य धातर्यक कार्यिर्ोंर्े अतधक और तवशेर्षरूपसे करें और स्वस्तिक प्रतिकके सवोिर् वैभवपूणय स्थान और गरीर्ाको तवश्वर्ें प्रिा​ा्ररि और प्रसाररि करनेर्ें अपना र्ोगदान प्रदान करें | स्वस्तिक प्रतिकके बारे र्ें दु सरे तवश्वर्ुिके पर्ंि पतिर्र्ें फैलार्े गर्े अर्ोग्य और तबनाधार तिरस्कार और ध्रुणाका सख्त तवरोध और खंडन करके पतिर्के अबुध और अज्ञानी लोगों को स्वस्तिकके सच्चे तदव्य स्वरूप और र्हिाके बारें र्े उनको प्रतशतक्षण प्रदान करके सारे तवश्वर्ें स्वस्तिककी प्रतिष्ठाको पुनः प्रस्थातपि करनेर्ें आपका र्ोगदाना् अपयणा् करें । आभार सह धन्यवादा् । जय स्वस्तिकम् । स्वस्तिक प्रतिककी जय हो । ॐ श्री स्वस्तिकाय नमः । अनंि चिुर्थी, भाद्र, शुक्ल पक्ष चिुर्थथदशी, - हेमंिकुमार गजानन पाध्या तिक्रम संि​ि २०६९ ‘स्वस्तिक सदन’, ईंग्लंड ई. सन. २०१३ युनाईटे ड तकंग्डम SacredSwastika@aol.com


कवव परिचय

श्री हें र्ंिकुर्ार गजानना् पाध्याका जन्म पूवेर् र्ुंबई राज्यके थाणे तजल्ले औरा् हालके गुजराि राज्यके पारसीओंके ऐतिहासीक स्थल संजान बंदरके पास खिलवाडा गां वर्ें हुआ था । सुरिकी पी.टी. सार्न्स कालीजर्ें अभ्यास करके उन्होंने दतक्षण गुजराि तवश्वतवद्यालर्से रसार्न और भौतिकशास्त्रर्ें स्नािककी पदवी प्रथर् वगंर्ें उतिणय होके प्राप्तकी थी । पश्च्याि उन्होंने हाफकीन ईंस्ट्ीट्युट ओफ रीसिय एन्ड बार्ोफार्ाय स्युटीकल्स, परे ल,र्ुम्बईर्ें अभ्यास करनेके बाद पोलीर्र टे क्नोलोजीकी अनुिानिककी पदवी र्ुतनवसीटी ओफ आस्ट्न ईना् बतर्ंगहार्से प्राप्त करने केलीए १९७६र्ें ईंग्लंड आर्े थे । परदे शर्ें आगर्नके बाद अभ्यासके साथा् साथ उन्होंने आर्य धर्य, संस्कृति, परर्परा और र्ािृभार्षाको जीवंि और ज्वलंि बनानेके अतभर्ानर्ें अपना अर्ूल्य र्ोगदान भी प्रदान तकर्ा । ईंग्लंडकी कुछ स्थातनक संस्थाओंके संस्थापका् प्रर्ुख औरा् अन्य राष्ट्रीर् और आं िर राष्ट्रीर् संस्थाओंके सदस्यभी हैं । उन्होंने १९९५ र्ें तहं दु स्वािंत्र्यवीर स्मृति संस्थार्ा् नार्की संशोधन संस्थाकी शरुआिकी और साि दशकसे तजतनवार्ें पडे हुए गुजरािके सवयप्रथर् िां तिकारी स्वािंत्र्यवीर पंतडि श्यार्जी कृष्णवर्ाय औरा् उनकी पत्नी भानुर्िीजीके अस्थीकुंभोको भारि भेजनेके कार्य र्ें र्हत्वपूणय र्ोगदान प्रादानकीर्ा औरा् कृष्णवर्ाय दं पिीके अंतिंर् ईच्छा परीपूणय करनेर्ें अपना तवशेर्ष र्ोगदाना् दीर्ा । पंतडि श्यार्जीकी स्मृतिर्ें लंडन स्तस्थि उनके र्कानपे अथाग प्रर्त्न करके स्म्रुति​िस्ति लगवार्ी और सोबोनय तवश्वतवद्यालर्, पेरीस औरा् ओक्षफडय तवश्वतवद्यालर्, ओक्षफडय र्ें पंतडि श्यार्जी कृष्णवर्ाय रौप्य िंद्रककी स्थापना करवार्ी जो हरा् दो साल संस्कृिके तवद्वान को आर्य र्ा वेदीक धर्यके और सं स्कृि भार्षाके संशोधन और अध्यर्नके लीए तवशेर्ष पाररिोतर्षकके रुपर्ें प्रदाना् कीर्ा जािा हैं । श्री हे र्ंिकुर्ारने पंतडि श्यार्जीके तवर्षर्र्ें गहन संशोधन और अभ्यास करके श्यार्जीकी ईंग्लीशर्ें तित्रजीवनी ‘ The Photographic Reminiscance of Pandit Shyamaji Krishnavarma’ और गुजरािी एवं तहं दीर्ें ‘काव्यां जली’ और ‘श्रिां जली’ नार्की पूस्तिकाएं भी लीखके प्रकाशीिकी हैं . श्री हे र्ंिकुर्ारने र्ुवावस्थासे ही लेखन कार्यका शौख और धून थी । वो भजनों, राष्ट्रभस्तिकें गीिों, शौर्य गीिों, आध्यास्तिक गीिों के रति​िा कति हैं और धातर्यक, राजनैतिक और सार्ाजीक तनबंधोंके भी लेखक हैं । स्वस्तिक प्रतिकके र्ुरोपर्ें सावयजतनक उपर्ोग पर प्रतिबंध लादनेके र्ुरोपीर्न पालाय र्ेन्टके प्रिावके तवरोधर्ें प्रकातशि कीर्ा गर्ा उनका अंग्रेजी लेख, ‘’ Hands off our Sacred Swastika’ को बहोि प्रशंशा और धन्यवाद प्राप्त हुए थे । लेखन और प्रकाशन कार्यकी शंखलार्ें ‘ददय ’, ‘सत्यनारार्ण्की कथा’, ‘स्वातर्तववेकानंद संतक्षप्त जीवन िररत्र’’, तहन्दु धर्य’, ‘स्वस्तिकार्ृि’, ‘स्वस्तिकगंगा’ ‘स्वस्तिकधारा (गुजरािी), ‘Swastika Poems’, ‘जर् तहन्दु त्वर् (म्युतझकल सी .डी.)’ ईत्यादीका सर्ावेश होिा हैं ।


पंतडि श्यार्जीकी स्मृति सदा ज्वलंि रखनेकी उनकी र्हे च्छाके अतभर्ानर्ें अपने संशोधनों और अभ्यासपे आधारीि और अन्य पुिकोंपे अवलंबीि गुजरािी भार्षार्ें एक तविृि जीवनी प्रकातशि करनेकी र्ोजनाभी आकार ले रही हैं । ईस िरह परदे शर्ें रहिे हुए भी श्री हें र्ंिकुर्ार गजानन पाध्याने अपने धर्य, संस्कृति,सातहत्य, राष्ट्रप्रेर् और दे श्च्भस्ति जैसे तवतवध क्षेत्रोंर्ें अपना अणर्ोल और प्रशंशनीर् र्ोगदान अपयण तकर्ा हैं । सदभाग्य, आबादी और शु भेच्छाके प्रतिक स्वस्तिकके सुप्रिार प्रसार और उनके पावन पतवत्र, शुभ, र्ंगल और आध्यास्तिक स्वरूपको पतिर्के सर्ाजर्ें न्यार् और सन्मान प्राप्त कराके पतिर्के दे शोर्ें स्वस्तिकके प्रतिकको पुनः प्रस्थातपि के अतभर्ानर्ें श्री हें र्ंिकुर्ार सिीर् हैं और अन्य संस्थाओंके सि​ि संपकयर्ें रहिे हैं । तवश्वकी सवयप्रथर् स्वस्तिक पर लीखे गीिोंकी पुस्तिका ‘स्वस्तिकार्ृि’के बाद र्े तद्विीर् पुस्तिका ’स्वस्तिकगंगा’ श्री हें र्ंिकुर्ारकी स्वस्तिक प्रतिकके प्रति उनकी श्रिा, आस्था और सर्पयणिाका एक अणार्ोल उदाहरण हैं । हर् अपेक्षा रखिे हैं की श्री हें र्ंिकुर्ार गजानना् पाध्याके स्वस्तिक प्रतिककी साधना, आराधना और प्रशंशार्ें तलखे हुए र्े भजन, गीि, आरिी, धून ईत्यातदके र्े ‘स्वस्तिकगंगा’ पु िकको तवश्वकी स्वस्तिक तप्रर् श्रिालु भारिीर् जनिा उनका सहर्षय स्वागि करे गी ।


स्वस्स्तक वंदना….. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शुभम करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शुभम करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति..

िेरा रक्िवणण महािेज हैं.. चिुभज भण ा महाममण हैं…[२] हे कृपा करो स्वस्स्ि दे विा.. मुझे वर दे दो..[२]

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शुभम करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. [..आलाप…]

श्री दे वीके महायंत्र हो..सिद्धिके महामंत्र हो..[३]

पज ु े िम् ु हें प्रथम दे विा.., शभ ु म करो मंगलम करो….

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शभ ु म करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति..

िम ु भाग्यके महाप्रतिक हो, िौभाग्यके दानवीर हो…[३] जीि घरमें िेरा वाि हो.. उनका िदा कल्याण हो…

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शुभम करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति..

शीवजीका िुम त्रत्रशुल हो, मां शस्क्िका िुम चक्र हो..[३] बनके कवच रक्षा करो..दया करो अनुकंपा कओ…

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शुभम करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति..

श्री गणेशका िुम प्रतिक हो, शुभलाभका महा धचन्ह हो.. पभजे जो जन स्वस्स्िकको, उनका िदा उद्िार हो..

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. शुभम करो मंगलम करो…. जय जय स्वस्स्िक जय गणपति

स्वस्स्िक िुम्हें प्राणाम हैं..पावन पववत्र ये नाम हैं.. [३] िुझिे िभी िुख पामिे.. कृपा करो करुणा करो…

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति.. कृपा करो करुणा करो… शुभम करो मंगलम करो…. [२]

जय जय स्वस्स्िक जय गणपति..


ॐ जय स्वस्स्तक हिे …… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……स्वासम जय स्वस्स्िक हरे ….

भकि जनोंके िंकट… आयण जनोंके िंकट.. ि​ि क्षण दरभ करे । ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

मन वांछीि फल पावे…, कष्ट समटे िनका….स्वासम…,,,,[२] िख ु वौभव घर आवे….. शांति समले मनकी…… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

माि ृ वपि ृ िम ु मेरे…, शरण जाऊं मैं ककिकी….स्वासम…[२] िम ु बीन नहह कोई मेरा… अपेक्षा करुं मैं ककिकी ?... ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

िम ु परम परमेश्वर…. िम ु हो िवणव्यापी…स्वासम……..[२] ब्रह्मा ववष्णु महे श्वर… िम ु िबके स्वासम…. ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

िुम दयाके महािागर….िम ु हो कृपालु प्रभु…स्वासम..[२] िुम वरके हो दािा…..िुम हो श्रीगणेश दे वा… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

िुम हो शुभलाभ प्रतिक..िुम िबके शुभकारी..स्वासम.[२] िुम मंगलमय दयामय,.. िुम हो शुभ कल्याणी… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

मैं अबुि अज्ञातन… मैं क्रोिी कपटी कामी…..स्वासम….[२] कृपा करो िुम हम पर… हे ववश्वके महा आधिपति… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

दुःु ख हिाण िुख किाण… ववश्वेश्वर िुम मेरे…..स्वासम….[२] वरद हस्ि उठाओ… शुभ आसशष हमें दे नें….. ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

ववचार आचार िुिारो.. पाप हरो दे वा…..स्वासम…[२]

श्रद्िा भस्क्ि बढाओ..आस्था शस्क्ि बढाओ..हे स्वस्स्िक प्राणपति… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……


आदी प्रतिक नमस्िुभ्यम….. ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ………

ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… ॐ……… आदी प्रतिक नमस्िुभ्यम..[२], प्रसिद्ि मम स्वस्स्िकम । श्री गणेश नमस्िुभ्यम…[२], गजानन नमोस्ि​ि ु े । आदी प्रतिक नमस्िुभ्यम..[२] ..[२] [कोरि]

शुभम करोिी कल्याणम….[२], मंगलम भाग्योदयम ।

महाववघ्न हरम दे वम……[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]

रक्िवणणम चिुभज भण म……[२] चिुष्कोणम िमाकृतिम ।

अदभभिम चमत्कारीम..[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]

त्रत्रदे वम त्वम महारुपम…[२] ब्रह्मा ववष्णु महे श्वरम ।

महापाप हरम दे वम…[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]

त्रत्रदे वीम त्वम महाशस्क्िम…[२] गौरी लक्ष्मी िरस्वतिम ।

रक्षणम भक्षणम किा​ांम…[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]

ररद्धि किाणम सिद्धि किाणम…[२] ज्ञान ववज्ञान मोक्षदम । महाशस्क्िम महाभस्क्िम…[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]

चक्र त्रत्रशुल िारीम दे वम…[२] वज्रास्त्रम ब्रह्मास्त्रम ।

िुयण वायु ईन्र अस्ग्न रुपम…[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]

िम स्वस्स्िकम ववश्वकिाणरम..[२] िवणत्र िवणज्ञ िवणव्यावपम । िवण पाप हरम दे वम…[२] िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम… िम स्वस्स्िकम प्रणमाम्यहम…[को. ४]


स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे ….. स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे , स्वस्स्ि करदे स्वस्स्िका । शुभम शुभम शुभम कर दे , शुभम करदे स्वस्स्िका ।

लाभम लाभम लाभम कर दे , लाभम करदे स्वस्स्िका ।

कल्याण कल्याण कल्याण कर दे , कल्याण करदे स्वस्स्िका । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..

नीरोगी करदे तनववणकारी करदे तनुःस्वाथी हमे िुं करदे रे ।

तनमोही करदे तनरहं कारी करदे , तनष्कलंकीि हमे िुं करदे रे । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..

तनभणय करदे तनस्श्चंि करदे , तनस्पह ृ हमे िुं करदे रे ।

तनपुण करदे तनष्णांि करदे , तनखालि हमे िुं करदे रे । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..

तनपेक्ष करदे तनमग्न करदे , तनरसभमानी हमे िुं करदे रे । तनदोषी करदे तनवेदी करदे , तनयसमि हमे िुं करदे रे । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..

तनरं जन करदे तनष्कामी करदे , तनष्पक्षी हमे िुं करदे रे ।

तनभोगी करदे तनिगी करदे , तनहदध्यािी हमे िुं करदे रे । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..

तनुःशंकी करदे तनलोभी करदे , तनमणल हमे िुं करदे रे ।

ज्ञानी करदे स्वासभमानी करदे , स्वाध्यायी हमे िुं करदे रे । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..

भरदे भरदे भरदे भरदे , मेरी खाली झोली िंु भरदे रे ।

करदे करदे करदे करदे , मेरां िब शभ ु मंगल िंु करदे रे । स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि कर दे …..


ॐ स्वस्स्िकम……….. [िुन]

ॐ स्वस्स्िकम ॐ कार स्वस्स्िकम । [२]

स्वस्स्िक मंगलम स्वस्स्िकाकार मंगलम । [२] ब्रह्मा स्वस्स्िकम शारदा स्वस्स्िकम !

िवणिस्ृ ष्टके हैं िजणनहार स्वस्स्िकम ।….. ववष्णु स्वस्स्िकम लक्ष्मी स्वस्स्िकम !

िवणिस्ृ ष्टके हैं िारणहार स्वस्स्िकम ।….. सशव स्वस्स्िकम श्रीशस्क्ि स्वस्स्िकम !

िवणिस्ृ ष्टके हैं वविजणनहार स्वस्स्िकम ।….

गणेश स्वस्स्िकम रुद्धिसिद्धि स्वस्स्िकम ! िवण िस्ृ ष्टके हैं ववघ्नहार स्वस्स्िकम ।…….

ववनायक स्वस्स्िकम गजानन स्वस्स्िकम ! दे वोंके महादे व हैं स्वस्स्िक मंगलम ।…. स्वस्स्ि मंगलम स्वस्स्िक मंगल॥

स्वस्स्िक [४] हे स्वस्स्िक मंगलम । स्वस्स्िक शुभम स्वस्स्िक शुभम

स्वस्स्िक [४] हे स्वस्स्िक शुभम ।…….

मंगल मतभ िण जय श्री गणेशम

मंगल मभतिण जय श्री गणेशम, मंगल मभतिण जय श्री स्वस्स्िकम ।

ित्यम सशवम िुंदरम प्रतिकम, प्रभुमय स्वरुपम जय श्री स्वस्स्िकम ।

शुद्िम पावनम पुजनीय वंदनम, पभण्यम पववत्रम श्री प्रभुमय प्रतिकम । िुयम ण चंरम इ्न्दन्रम स्वरुपम, िेजस्स्व ज्योतिमणय स्वस्स्िक प्रतिकम ।

आध्यास्त्मकम त्वम हरी ॐ नादम, नवदग ु ाण मां महाशस्क्ि प्रतिकम । आध्यशस्क्ि मां जगदं बा स्वरुपम, िवणशस्क्ि िबण दे व दे वी िमानम ।

शुभम लाभम मंगलम स्वस्स्िकम, िस्चचदानंद धचन्हम श्रीस्वस्स्िकम । िुख शांति िमद् ृ धि दािा स्वस्स्िकम, हर शुभवर दािा स्वस्स्िकम ।

िष्ृ ठी िजणनहार प्रतिक स्वस्स्िकम, ववश्वऋिु महादे वम स्वस्स्िकम ।

िवणत्र िवणज्ञ िवणव्यावप स्वस्स्िकम, परमात्मा वप्रय प्रतिक स्वस्स्िकम ।

मस्ु क्ि मौक्ष ऐश्वयणस्य प्रतिकम, अदभि भ -अलैककक चमत्कारी स्वस्स्िकम । िवण मनोरथ पररपण ण िाण स्वस्स्िकम, नमो नमो श्री गणेश प्रतिकम । भ क


ईश्वि स्वस्स्तक हैं….. ईश्वर स्वस्स्िक हैं स्वस्स्िक ही सशव हैं स्वस्स्िक ही िुंदर हैं । जागो उठकर िोचो, स्वस्स्िक ज्योि उजागर हैं

ित्यम सशवम स्वस्स्िकम..[२] स्वस्स्िकम… आ …आ.. ित्यम सशवम स्वस्स्िकम. [२]…..

स्वस्स्िक कलामें .. [२] कारीगीरींमें स्वस्स्िक… ववश्वमें स्वस्स्िक िारे … कृपा करो प्रभु दे खुं ईनको, हर मानवके हृदयमें

स्वस्स्ि गणेश शरणम……. शुभम लाभम मंगलं…. ित्यम सशवम स्वस्स्िकम …..

ईश्वर स्वस्स्िक हैं स्वस्स्िक ही सशव हैं स्वस्स्िक ही िुंदर हैं । ित्यम सशवम स्वस्स्िकम….

स्वस्स्िक िमांमें..[२] कमणमें स्वस्स्िक, स्वस्स्िक िारे जीवनमें ..। चारो िरफ दे खुं स्वस्स्िकको, हर िष्ृ टीके कण कणमें ….

ब्रह्मा ववष्णु महे श शरणम…. ित्यम सशवम स्वस्स्िकम….

ईश्वर स्वस्स्िक हैं स्वस्स्िक ही सशव हैं स्वस्स्िक ही िुंदर हैं । ित्यम सशवम स्वस्स्िकम….

स्वस्स्िक मंहदरमें …[२] स्िप ु ोमें स्वस्स्िक, स्वस्स्िक है अपािरोमें … दया करो पभु दशणन करुं उनके, हर िमोंके स्थानोंमें ….. िवण िमो शरणम…. ित्यम सशवम स्वस्स्िकम….

ईश्वर स्वस्स्िक हैं स्वस्स्िक ही सशव हैं स्वस्स्िक ही िंद ु र हैं । ित्यम सशवम स्वस्स्िकम…. ित्यम सशवम प्रतिकम…

++++++++++ धून ्…… हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक स्वस्स्िका । [OR HARE HARE] श्री ॐ स्वस्स्िक, श्री ॐ स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक स्वस्स्िका ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िका । शुभम स्वस्स्िक लाभम स्वस्स्िक मंगलम द स्वस्स्िक स्वस्स्िका ।

हदव्यम द स्वस्स्िक भव्यम द स्वस्स्िक अघ्यणम स्वस्स्िक स्वस्स्िका ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िका । ित्यम द स्वस्स्िक सशवम द स्वस्स्िक िुंदरम द स्वस्स्िक स्वस्स्िका ।

आराध्यम द स्वस्स्िक पभजनम द स्वस्स्िक, ऐश्वयणम द स्वस्स्िक स्वस्स्िका ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िका ।


स्वस्स्िक हैं अति मंगलम……….. स्वस्स्िक हैं अतिमंगलम, स्वस्स्िक आकार भी हैं अतिमंगलम । ित्यम सशवम अति िंद ु रम, लाभम शभ ु म अति कल्याणमयम । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

श्री गणेशजीका स्वरूप हैं वो, ररद्धि सिद्धिके स्वासम भी हैं वो । बडे ध्यानिे जो जन भजलें िो, उिे िख ु शांति िमद् ृ धि दे वो । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

श्री सशवजीका स्वरूप हैं वो, मां गौरीकी महाशस्क्ि हैं वो । बडे ध्यानिे जो पभजलें, उिे महाशस्क्िका वरभी दें वो । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

श्री ववष्णुजीका स्वरूप हैं वो, मां लक्ष्मीका वैभव हैं वो । बडे ध्यानिे जो रटलें, उिे िनिान्यका वर भी दें वो । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

श्री ब्रह्माजीका स्वरूप हैं वो, मां शारदाका महाज्ञान हैं वो । बडे ध्यानिे जो जपलें, उिे महाववद्याका दान भी दें वो । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

स्वस्स्िककी कृपा और करुणािे, स्जवन िफल हो जायें । िुख शांति चैन पाके , प्रभुमें महा िल्लीन वो हो जायें । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

स्वस्स्िकको भस्क्िभाविे जो भजले, िन्य िन्य वो हो जायें । स्वस्स्िककी ही महाकृपािे, मोक्षमुस्क्िको अवश्य ही वो पायें । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

स्वस्स्िककी महहमां हैं अति न्यारी, ववश्वजनोंको है वो प्यारी । श्री स्वस्स्िक नामको िुं जपलें, स्वस्स्िक प्रतिकको िुं पभजले । स्वस्स्िक हैं अति मंगलम………..

******************* स्वस्स्तक ब्रह्मा, स्वस्स्तक ववष्णु स्वस्स्तक दे वो महे श्वि । स्वस्स्तक साक्षात पिब्रह्म, तस्मै श्री स्वस्स्तके नमः ।

स्वस्स्तक शिव, स्वस्स्तक िस्तत स्वस्स्तक दे वो गणपतेश्वि । स्वस्स्तक साक्षात पिमसख ु म ् , तस्मै श्री स्वस्स्तके नमः ।


स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक,

हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक, अदभभि द अलौककक प्रतिक हैं स्वस्स्िक ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक जपलो स्वस्स्िक, चमत्कारी आध्यास्त्मक नाम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

िमण हैं स्वस्स्िक कमण हैं स्वस्स्िक, स्जवनका गुढ ममण हैं स्वस्स्िक ।

अथण हैं स्वस्स्िक काम हैं स्वस्स्िक, स्जवनका महा उदे श्य हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

ब्रह्मा हैं स्वस्स्िक ववष्णु हैं स्वस्स्िक, िस्ृ ष्ठके िजणनहार हैं स्वस्स्िक ।

सशव हैं स्वस्स्िक श्रीशस्क्ि हैं स्वस्स्िक, िस्ृ ष्ठके वविजणनहार हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

चमत्कारी हैं स्वस्स्िक िेजस्स्व हैं स्वस्स्िक, िुयण दे विाका स्वरुप हैं स्वस्स्िक । शीिल हैं स्वस्स्िक िौम्य हैं स्वस्स्िक , चंर दे विाका स्वरुप हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

ज्ञान हैं स्वस्स्िक ववज्ञान हैं स्वस्स्िक, वेदोंका महा वरदान हैं स्वस्स्िक ।

पावन हैं स्वस्स्िक पववत्र हैं स्वस्स्िक, आयणजनोंका पभण्यनाम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ……

गौरव हैं स्वस्स्िक गररमा हैं स्वस्स्िक, आयणजनोका स्वासभमान हैं स्वस्स्िक ।

स्वमान हैं स्वस्स्िक िन्मान हैं स्वस्स्िक, आयणिमणका िमणध्वज हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

िवोच हैं स्वस्स्िक िवणश्रेष्ठ हैं स्वस्स्िक, प्रतिकोमें महान प्रतिक हैं स्वस्स्िक ।

िवोत्तम हैं स्वस्स्िक िवणप्रथम हैं स्वस्स्िक, श्रीगणेशजीका शभ ु प्रतिक हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

िवणव्यावप हैं स्वस्स्िक िवणत्र हैं स्वस्स्िक, प्रभुकी िरह िवणज्ञ हैं स्वस्स्िक ।

अनाहद हैं स्वस्स्िक अमध्य हैं स्वस्स्िक, प्रभुकी िरह अनंि हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………

परमवपिा है स्वस्स्िक महामािा हैं स्वस्स्िक, त्रत्रभुवनके परमात्मा हैं स्वस्स्िक ।

दे विा हैं स्वस्स्िक दे ववयां हैं स्वस्स्िक, परमेश्वरका नरनारी प्रतिक हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ………


स्वस्स्िक श्लोक स्वस्स्िक प्रतिक परम पुण्यम, ित्यम सशवम च िुंदरम ।

स्वस्स्िक प्रतिक िवण दे वानाम, स्वस्स्िक प्रतिकाय नमो नमुः ।। आयणिमण प्रतिकम स्वस्स्िक, आयण शस्क्ि बल िंविणनम ।

आयण िंस्कृति स्वासभमानम, स्वस्स्ि प्रतिकम अति उत्तमम ।। स्वस्स्ि करोति स्वस्स्िकम शभ ु म लाभम च िवणमंगलम ।

स्वस्स्िक प्रतिक महाचमत्कारीम, स्वस्स्िक प्रतिकाय प्रणाम्यहम । स्वस्स्िक करोति कल्याणम, शभ ु म लाभम च मंगलम ।

आरोग्यम, अथणम च ऐश्वयणम, स्वस्स्िक प्रतिक परमेश्वरम । स्वस्स्िक नाम िवणदेवानाम स्वस्स्िक नाम शुभ मंगलम । िवणदा स्वस्स्ि करो दे व, स्स्वकृि करोस्स्म मम वंदनम ॥ स्वस्स्ि ब्रह्मा, स्वस्स्ि ववष्णु स्वस्स्ि दे वो महे श्वर ।

स्वस्स्िकुः िाक्षि परब्रह्म, िस्मैश्री स्वस्स्िके नमुः ॥ शुभम करोति कल्याणंम, आरोग्यम िनिंपदा ।

शत्रब ु ुद्धि ववनाशाय स्वस्स्िक प्रतिकम नमोस्िुिे । स्वस्स्िक ब्रह्मा स्वस्स्िक ववष्णु, स्वस्स्िक दे वो महे श्वरा । स्वस्स्िक िाक्षाि पर ब्रह्म, िस्मै श्री स्वस्स्िके नमुः । चमत्कारमय रुपं स्वस्स्िक, रक्िवणण चिुभज भण म । प्रिन्नमवद ध्यायेि, िवणववघ्नो नाशंिये ।

िवण मंगल मांगल्याम, गणेशम िवाणथण िाधिके ।

शरण्यंम िवण भभिानाम नमामो स्वस्स्ि स्वस्स्िकम ।


स्वस्स्तक नाम जय स्वस्स्तक नाम ….. स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम , भज प्यारे िुं स्वस्स्िक नाम । जपले जपले िुं स्वस्स्िक नाम, हर पल हर घडी िुबह और शाम । स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम …..

स्वस्स्िक हैं परम ईश्वरका नाम, स्वस्स्िक हैं परम શ્રીशस्क्िका नाम । स्वस्स्िक हैं परम पावन

नाम, स्वस्स्िक हैं परम पववत्रिाका नाम ।

स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम …..

स्वस्स्िक हैं परम चमत्कारका नाम, स्वस्स्िक हैं परम ऐश्वयणका नाम । स्वस्स्िक हैं परम श्रद्िाका नाम, स्वस्स्िक हैं परम आस्थाका नाम । स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम …..

स्वस्स्िक हैं परम अलौककक नाम, स्वस्स्िक हैं परम अदभभि नाम । स्वस्स्िक हैं

परम पावन नाम, स्वस्स्िक हैं परम पववत्रिाका नाम ।

स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम …..

स्वस्स्िक हैं परम पज भ नीय नाम, स्वस्स्िक हैं परम आदणीय नाम । स्वस्स्िक हैं

परम वंदनीय नाम, स्वस्स्िक हैं परम कृपालु नाम ।

स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम …..

स्वस्स्िक हैं परम शभ ु -लाभका नाम, स्वस्स्िक हैं परम मंगल नाम । स्वस्स्िक हैं श्री गणेशका नाम, स्वस्स्िक हैं आयणिमण प्रतिक महान । स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम …..

++++++++++++++ धून….. जपलो नाम नाम नाम स्वस्स्िक नाम नाम नाम ।….. स्वस्स्िक नाम नाम नाम रािे श्याम श्याम श्याम ।

जपलो श्याम श्याम श्याम रािे श्याम श्याम श्याम । जपलो नाम नाम नाम स्वस्स्िक नाम नाम नाम । स्वस्स्िक नाम नाम नाम, िीिे राम राम राम । जपलो राम राम राम, िीिे राम राम राम ।

बोलो स्वस्स्िक रािेश्याम बोलो स्वस्स्िक िीिेराम । हे रािेश्याम रािेश्याम हे िीिेराम िीिेराम ।

भजलो स्वस्स्िकका िम ु नाम हरघडी करिे शभ ु काम।

जपलो नाम नाम नाम स्वस्स्िक नाम नाम नाम ।….. स्वस्स्िक नाम नाम नाम रािे श्याम श्याम श्याम ।


भजलो जपलो िटलो प्यािे ….. भजलो जपलो रटलो प्यारे , भजलो िुम श्री स्वस्स्िकका शुभनाम ।

भजलो जपलो रटलो प्यारे , भजलो िुम श्री गणेशजी का शुभनाम ।

स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम, जय जय जय श्री स्वस्स्िक नाम । गणेश नाम जय श्री गणेश नाम. जय जय जय हो श्री गणेशका नाम । भजलो जपलो रटलो प्यारे …..

भजलो स्वस्स्िक शुभकारी नाम, भजलो स्वस्स्िक मंगलकारी नाम ।

भजलो लाभकारी गुणकारी नाम. िुख िम्पवत्त और वैभवकारी नाम । भजलो जपलो रटलो प्यारे …..

भजलो स्वस्स्िक िजणनहारी नाम, भजलो स्वस्स्िक ववश्वकमाणका नाम ।

भजलो चिुमख ुण ी कमलत्रबहारी नाम. भजलो ब्रह्मास्त्रिारी ब्रह्माका नाम । भजलो जपलो रटलो प्यारे …..

भजलो स्वस्स्िक कंु जत्रबहारी नाम, भजलो स्वस्स्िक गोविणनिारीका नाम । भजलो गदािारी शंखिारीनाम. लक्ष्मीपति िद ु शणिारी महाववष्णक ु ा नाम । भजलो जपलो रटलो प्यारे …..

भजलो स्वस्स्िक वविजणनहारी नाम, भजलो स्वस्स्िक महे श्वरका नाम ।

भजलो कैलाशपति जटािारी नाम. उसमयापति त्रत्रशल ु िारी सशवका नाम । भजलो जपलो रटलो प्यारे …..

भजलो भजलो भजलो भजलो, प्यारे भजलो श्री स्वस्स्िकका नाम । जपलो जपलो जपलो जपलो, प्यारे जपलो श्री स्वस्स्िकका नाम । रटलो रटलो रटलो रटलो, प्यारे रटलो श्री स्वस्स्िकका नाम ।


जय स्वस्स्तक जय प्रततक महान …… जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान, परम पावन हैं स्वस्स्िकका नाम ।

स्वस्स्िक नाम जय स्वतिक नाम, भज प्यारे िुं स्वस्स्िक का नाम । श्री गणेश हैं िेरो नाम, िबका कर दे िुं कल्याण । जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान ……

जय सशवनंदन जय गणेश नाम, पावणिी नंदन स्वस्स्िक नाम । जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान ……

िख ु किाण दख ु हिाण नाम, ववघ्नववनाशी गजानन नाम जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान ……

परम ईश्वर हैं स्वस्स्िक नाम, भक्िोंका हैं अति वप्रयिम नाम । जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान ……

शभ ु लाभका प्रतिक महान, मंगलमि भ ी श्री गणेश िमान । जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान ……

ववश्वमें प्रचसलि स्वस्स्िक नाम, स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान । जय स्वस्स्िक जय प्रतिक महान ……

********** जयतु स्वस्स्तकम जयतु स्वस्स्तकम ….. जयिु स्वस्स्िकम जयिु स्वस्स्िकम, जयिु जयिु स्वस्स्ि स्वस्स्िकम । जयिु गणेशम जयिु गणेशम, जयिु जयिु स्वस्स्ि श्रीगणेश शरणम । जयिु स्वस्स्िकम जयिु स्वस्स्िकम …..

िवणररद्धि दायकम िवणसिद्धि दायकम, िौभाग्य दायकम िदभाग्य दायकम । िवणशभ ु दायकम, िवणलाभ दायकम, मंगलम दायकम कल्याणम दायकम । जयिु स्वस्स्िकम जयिु स्वस्स्िकम…..

िव ण ख ु ि ु दायकम िवणशांति दायकम, आरोग्य दायकम िदा ऐश्वयण दायकम ।

िवणशस्क्ि दायकम, िवणबल दायकम, महाभस्क्ि दायकम महामस्ु क्ि दायकम । जयिु स्वस्स्िकम जयिु स्वस्स्िकम …..

िदध्यान दायकम अभीज्ञान दायकम, आध्यात्म दायकम आनंद दायकम ।

िद्कमण दायकम, िदबुद्धि दायकम, िदववचार दायकम िदगति दायकम । जयिु स्वस्स्िकम जयिु स्वस्स्िकम …..

ित्िंग दायकम िद्व्यवहार दायकम, िदिमण दायकम िदाचार दायकम ।

िदिमण दायकम, िदकाम दायकम, िदा अथण दायकम महामौक्ष दायकम । जयिु स्वस्स्िकम जयिु स्वस्स्िकम …..


नमो नमो श्री स्वस्स्तक प्रततकम ….. नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम,

नमो नमो श्री गणेश प्रतिकम ।

जपो जपो श्री स्वस्स्िक मंत्रम, पभजो पभजो श्री स्वस्स्िक महायंत्रम ।

स्मरो स्मरो श्री स्वस्स्िक नामम, भजो भजो श्री स्वस्स्िक महािंत्रम । गाओ गाओ श्री स्वस्स्िक गानम, करो करो श्री स्वस्स्िक महायोगम । नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम …..

नर प्रतिकम नारायणी प्रतिकम, दे व प्रतिकम महादे वी प्रतिकम ।

हदव्य प्रतिकम प्रभावी प्रतिकम, िौयण प्रतिकम िेजस्स्व प्रतिकम । नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम …..

पावन प्रतिकम पववत्र प्रतिकम, शुद्ि प्रतिकम ित्य प्रतिकम ।

शुभ प्रतिकम लाभ प्रतिकम, मंगल प्रतिकम कल्याणी प्रतिकम । नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम …..

ब्रह्मा प्रतिकम ववष्णु प्रतिकम, सशव प्रतिकम श्री शस्क्ि प्रतिकम । िौयण प्रतिकम ईन्र प्रतिकम, रुर प्रतिकम श्री मरूि प्रतिकम । नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम ….. अस्ग्न प्रतिकम वायु प्रतिकम, यम प्रतिकम श्री िोम प्रतिकम । समत्र प्रतिकम आहदत्य प्रतिकम, ऋि प्रतिकम श्री रिी प्रतिकम । नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम ….. िरस्वति प्रतिकम उषा प्रतिकम, प्रजन्य प्रतिकम वरुण प्रतिकम । अस्श्वन प्रतिकम पुिाण प्रतिकम, िाववत्र प्रतिकम ववश्वदे व प्रतिकम । नमो नमो श्री स्वस्स्िक प्रतिकम …..


प्रततकम प्रततकम स्वस्स्तक प्रततकम ….. प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम, मनोहर, िश ु ोसभि हदव्यम प्रतिकम । स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम शुभम प्रतिकम, ित्यम सशवम िंद ु रम स्वस्स्िकम । प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम ….. आयण प्रतिकम हहंद ु प्रतिकम, जैन प्रतिकम बौि प्रतिकम ।

शीख प्रतिकम जरथोष्री प्रतिकम, शींिो प्रतिकम िाओ प्रतिकम । प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम ….. वेदीक प्रतिकम कोस्प्टक प्रतिकम, एझटॅ क प्रतिकम मायन प्रतिकम । कबाली प्रतिकम ड्रुईड प्रतिकम, रोमन प्रतिकम ग्रीक प्रतिकम । प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम ….. अपाचे प्रतिकम मोला प्रतिकम, ‘बोनपो’ प्रतिकम ‘धथयोिोकफ’ प्रतिकम ।

‘मॅिन’ प्रतिकम ‘रे सलयन’ प्रतिकम, ‘फलुन’ प्रतिकम आनदमागी प्रतिकम । प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम ….. ‘टे म्प्लर’ प्रतिकम ‘बहाय’ प्रतिकम, ‘काओ दाई’ प्रतिकम िवणजािी प्रतिकम ।

िवणिमण प्रतिकम िवणिंस्कृति प्रतिकम, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम शुभमंगल प्रतिकम । प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम ….. मंहदरोंपे स्वस्स्िकम चचोंपे स्स्िकम, मस्स्जदपे स्वस्स्िकम सिनागोगोंपे स्वस्स्िकम । िवणिस्ृ ष्ठ प्रतिकम िवणववश्व प्रतिकम, िवणत्रम, िवणव्यावप िवणज्ञम स्वस्स्िकम । प्रतिकम प्रतिकम स्वस्स्िक प्रतिकम …..


जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक नाम….. जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम, आयण िमणका हैं प्रतिक महान । स्वस्स्िक नाम जय स्वतिक नाम, वेदीक प्रतिक हैं िवण महान । महाशस्क्ि हैं िेरो नाम, िबको िदबुद्धि दे हे भगवान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

ब्रह्मा ववष्णु शीव िेरो नाम, ववश्वके प्रथम हैं वो भगवान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

इ्न्श्वर अररहं ि िेरो नाम, दे दे िबको अहहंिाका ज्ञान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

इ्न्श्वर बुद्ि हैं िेरो नाम, फैला दे जगमें शांति ध्यान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

इ्न्श्वर वाहे गुरु िेरो नाम, दे दे िमण िंरक्षणका ज्ञान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

इ्न्श्वर अषो हैं िेरो नाम, दे दे जन िेवाका वरदान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

वेदीकिमणके िुम हो िब नाथ, ववश्वववजयकी उठादो नाद । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

गाओ िौ स्वस्स्िकके समलके गान, फैलादो आयणिमणकी शान । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम…..

********** श्लोक….. ॐ स्वं स्वस्स्तकये नमो नमः श्रीगणेि रुपाय नमो नमः । स्वस्स्त ववनायक नमो नमः मंगल मतू ति मोरिया ।

स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरि ॐ स्वस्स्तक, श्री ॐ स्वस्स्तक हरि ॐ स्वस्स्तक. तत सत तत सत हरि ॐ तत सत श्री ॐ तत सत हरि ॐ स्वस्स्तक. ॐ स्वस्स्तकम यजा महे सग ु स्​्धं पस्ु ष्टवधिनम । उवािरूस्तमव ब्धनान मत्ृ योमक्ष ुि ीयमामत ृ ात ।


ववश्व प्रततक श्री स्वस्स्तक महान ….. ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान, स्वस्स्िक प्रतिक हैं श्री गणेश िमान । स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम, प्यारिे भजले िुं स्वस्स्िक नाम । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..

स्वस्स्िकको जपे जो कोई नरनार, कृपा करे वो उन पर परम अपार ।

स्वस्स्िकको पज भ े जो िवण प्रथमबार, उनका हो जाये िदा महाकल्याण । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..

स्वस्स्िकको त्रबराजे जो घरके द्वार, स्वस्स्िक बने उनका िदा रक्षणहार । स्वस्स्िकको भजे जो हर हदन-राि, उनका हो जाये िन्य िन्य हजार । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..

स्वस्स्िकको स्मरे जो पल पल बार, स्वस्स्िक बने उनका िारणहार । स्वस्स्िकको रटे जो हर हदन-राि, उनका हो जाये िदा ही बेडापार । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..

स्वस्स्िकको ध्यावे जो िदा काल, स्वस्स्िक करे उनका शुभ मंगलकार । स्वस्स्िकको नमे जो िदा वारं वार, स्वस्स्िक दे उनको वरदान अपार । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..

स्वस्स्िकका हैं अदभभि चमत्कार, स्वस्स्िककी हैं महा माया अपरं पार ।

करो कोटी वंदन करो िुम वारं वार, स्वस्स्िक करे गा िेरो भव भव पार । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..

स्वस्स्िक नाम जो स्मरे अंतिमकाल, उनको समले िदा स्वगणके द्वार । स्वस्स्िकानंद स्वासम कहे ये िुं मान, भज स्वस्स्िक भज गणेश नाम । ववश्व प्रतिक श्री स्वस्स्िक महान …..


वंदनम प्रतत वंदनम ….. वंदनम प्रति वंदनम, स्वस्स्िक प्रतिकको हो वंदनम । िुस्वागिम िुस्वागिम स्वस्स्िकका हो िुस्वागिम । वंदनम प्रति वंदनम …..

स्वस्स्िक िो पभण्य प्रतिक हैं, स्वस्स्िक िो पववत्र प्रतिक हैं ।

स्वस्स्िक िो पावन प्रतिक हैं, स्वस्स्िक िो जय श्री गणेश हैं । वंदनम प्रति वंदनम …..

स्वस्स्िक िो आयोंकी प्राण हैं, स्वस्स्िक िो आयोंकी शान हैं ।

स्वस्स्िक िो आयोंका िन्मान हैं, स्वस्स्िक िो आयोंकी पहे चान हैं । वंदनम प्रति वंदनम …..

स्वस्स्िक िो आयोंका स्वासभमान हैं, स्वस्स्िक िो आयोंका गौरवभी हैं । स्वस्स्िक िो आयोंका स्वमान हैं, स्वस्स्िक िो आयोंकी िन्मान हैं । वंदनम प्रति वंदनम …..

स्वस्स्िक िो आयोंकी िंस्कृति हैं, स्वस्स्िक िो आयोंकी यशकीतिण हैं । स्वस्स्िक िो आयोंकी िदभाव हैं, स्वस्स्िक िो आयोंका महाप्राण हैं । वंदनम प्रति वंदनम …..

स्वस्स्िक िो आयोंकी शस्क्ि हैं, स्वस्स्िक िो आयोंकी भस्क्ि हैं । स्वस्स्िक िो आयोंका आराध्य हैं, स्वस्स्िक िो आयोंका ईश हैं । वंदनम प्रति वंदनम …..

+++++++++ धून….

हररॐ हररॐ हररॐ हररॐ िवणत्र हररॐ स्वस्स्िकम ।

श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ िवणत्र श्री ॐ स्वस्स्िकम । शुभम शुभम शुभम शुभम िवणत्र शुभम स्वस्स्िकम ।

लाभम लाभम लाभम लाभम िवणत्र लाभम स्वस्स्िकम ।

मंगलम मंगलम मंगलम मंगलम िवणत्र मंगलम स्वस्स्िकम । पववत्रम

पववत्रम पववत्रम पववत्रम िवणत्र पववत्रम स्वस्स्िकम ।

शद् ु िम शद् ु िम शद् ु िम शद् ु िम िवणत्र शुद्ि पावन स्वस्स्िकम । ित्यम ित्यम ित्यम ित्यम िवणत्र ित्यम स्वस्स्िकम । सशवम सशवम सशवम सशवम िवणत्र सशवम स्वस्स्िकम ।

िंद ु रम िंद ु रम िंद ु रम िंुदरम िवणत्र िंद ु रम स्वस्स्िकम ।


सुंदि​िुिोशभता….. स्वस्स्ि न इ्न्न्रो वद् भ ा ववश्ववेदाुः । ृ िश्रवाुः । स्वस्स्ि नुः पष

स्वस्स्ि नस्िाक्ष्यो अररष्टनेसमुः । स्वस्स्ि नो त्रब्रहस्पतिदण िािु | ॐ शास्न्िुः ॐ शास्न्िुः

ॐ स्वस्स्िका ॐ स्वस्स्िका ॥

िुंदर..शुशोसभिा…..मोरा स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका… स्वस्स्िका… िुंदर..शुशोसभिा… अदभभिा…. मोरा स्वस्स्िका…[२] नयनरम्या…. मोरा स्वस्स्िका…[२] िुंदर शुशोसभिा…..

स्वस्स्ि न इ्न्न्रो……..

अलौककका….. मोरा स्वस्स्िका…. स्वतिका… स्वस्स्िका… िुंदरशुशोसभिा… हरे …. हरे …जय श्री स्वस्स्िका….हरे … हरे … जय श्री गणेशा… स्वस्स्िका.. हो स्वस्स्िका.. गणेशा… हो गणेशा..[२] िुंदर शुशोसभिा…..

स्वस्स्ि न इ्न्न्रो……..

िुम मेरे ईष्टदे व िुम, िम ु मेरे आराध्य दे व िुम,

िुम हो मेरी िािना, िुम हो मेरी आरािना… स्वस्स्िका… हो.. स्वस्स्िका… िुंदर शुशोसभिा…..

स्वस्स्ि न इ्न्न्रो……..

िुम हर ववघ्न हरे िुम, िुम हर दख ु कष्ट हरे िुम

िुम जबभी प्रिन्न हो जाये, िभीका भाग्योदय होजाये…स्वस्स्िका.. हो..स्वस्स्िका.. िुंदर शुशोसभिा…..

स्वस्स्ि न इ्न्न्रो……..

िम ु िवण मंगल करे , िम ु िवणदा शभ ु लाभ करे

मैंने परम आनंद पाया, िेरी भस्क्िके गण भ गान गाया.. गणेशा.. हो..गणेशा.. िंद ु र शश ु ोसभिा…..

स्वस्स्ि न इ्न्न्रो……..

िम ु मेरे िवणस्व हो…, िम ु ही मेरे वविािाभी हो..

जोभी िेरा वर पाये….., िन्य जीवन उनका हो जाये.. हरे .. हरे ..जय.. िुंदर शुशोसभिा…..


स्वस्स्तक हैं जगमें सविमहान ….. स्वस्स्िक हैं जगमें िवण महान, स्वस्स्िकका करो िुम महािन्मान ।

स्वस्स्िक नाम जय स्वस्स्िक नाम, हरी ॐ स्वस्स्िक जपो शुभनाम । स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

स्वस्स्िक हैं वेदोंका महाववज्ञान, स्वस्स्िक हैं गीिाजीका महाज्ञान ।

आयणिंस्कृतिका हैं प्रतिक महान, आयणिमणका है वो िमणध्वज िमान । स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

स्वस्स्िक हैं आयणपरं पराका स्वमान, स्वस्स्िक हैं आयोंका स्वासभमान ।

आयण िंस्कारोंका महामभल्य िमान, आयण श्रेष्ठिाका हैं वो एक प्रमाण । स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

स्वस्स्िक हैं परमेश्वरका वरदान, स्वस्स्िक हैं नरनारी महाशस्क्ि िमान । िेवा शश्र ु ि ृ ाका हैं वो महा असभयान, मानविाका मानव प्रतिक महान । स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

स्वस्स्िक हैं ववश्वका िदभाग्य तनशान, स्वस्स्िक हैं जगका शभ ु -लाभ तनशान । प्रेम शांति करुणाका हैं प्रतिक महान, िमानिा अनक ु ं पाका हैं वो ही तनशान. स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

उठो जागो ये मुढ पस्श्चमवालों, करिे हो ववनम्र स्वस्स्िकको क्युं बदनाम ।

स्वस्स्िक नहह है कोइ्न् दष्ु टिाका नाम, स्वस्स्िकिो हैं ववश्वकल्याणका नाम। स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम, पस्श्चमवालोंको िन्मति दो भगवान । करलो स्वस्स्िक प्रतिकको प्रणाम, करनेको आत्म जन जगि कल्याण । स्वस्स्िक हैं जगमें िवणमहान …..

********** धन ू ….. श्री ॐ नाम स्वस्स्िकम, श्री ॐ कार स्वस्स्िकम, मंगल मंगल मंगल, मंगल स्वस्स्िक मंगलम ।

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वस्स्ि, स्वस्स्िक मंगलम, मंगल मंगल मंगल, मंगल स्वस्स्िक मंगलम । श्री गणेश मंगलम श्री ववनायक मंगलम, मंगल मंगल मंगल मंगल स्वस्स्िक प्रतिक मंगलम ।

श्री गणपति मंगलम श्री गजानन मंगलम, मंगल मंगल मंगल मंगल स्वस्स्िक आकार मंगलम । श्री ववघ्नेश्वराय मंगलम श्री वरदाय मंगलम, मंगल मंगल मंगल मंगल स्वस्स्िकाकृति मंगलम । श्री सिद्धिववनायक मंगलम श्री अष्टववनायक मंगलम, मंगल मंगल मंगल मंगल स्वस्स्िकधचन्ह मंगलम ।

श्री ॐ स्वस्स्िक वंदनम श्री ओम गणेश वंदनम, वंदन वंदन वंदन वंदन स्वस्स्िक-गणेश वंदनम ।


हे …धन ू लगी धन ू लगी धन ू लगी िे ….. हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे , हमें स्वस्स्िक नामकी िन भ लगी रे ।

हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे , हमें स्वस्स्िक ध्यानकी िन भ लगी रे । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं हमें प्राणिेभी प्यारां, ववश्वजओंका हैं लादलां दल ु ारां ।

स्वस्स्िक प्रतिक हैं िारे ववश्वमें तनराला, भाविे भजि हैं उिे ववश्व िारां । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं बडा िुंदर िलौनां, शुशोसभि कलामय शोभे वो न्यारां ।

स्वस्स्िक प्रतिक हैं बडा अदभभि अनौखा, नयन्रम्य मनमोहक प्रतिक हैं मिरु ां । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं स्वयं स्वरूप प्रभुका, श्राद्िा आस्थािे पभजे उिे ववश्वजन िारां । स्वस्स्िक प्रतिक हैं शुभ मंगल शगुनवंिा, भाव भस्क्ि​िे भजे उिे ववश्व्जन िारां । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं पुतनि पावन पववत्र, आयणजनोंका प्रथम धचन्ह है वो प्यारां ।

स्वस्स्िक प्रतिक हैं दयालु और मायालु, भक्िजनोंपे िदा िवणदा कृपा करनेवाला । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं िदा कल्याण करनेवाला, िख ु िम्पवत्त और िंिति दे नेवाला ।

स्वस्स्िक प्रतिक हैं िदा भाग्योदय करनेवाला, शांति िंिोष और परमानंद दे नेवाला । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं िदा शद् ु धि वद् ु य और महाफल दे नेवाला । ृ धि करनेवाला, महा पण् स्वस्स्िक प्रतिक हैं आध्यात्म और ऐश्वयण दे नेवाला, शभ ु ासशष और शभ ु वर दे नेवाला । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे …..

स्वस्स्िक प्रतिक हैं आत्मशुद्धि करनेवाला, ररद्धि, सिद्धि और बल-बुद्धि दे नेवाला ।

स्वस्स्िक प्रतिक हैं स्वयं श्री गणेश स्वरूपा, भस्क्ि शस्क्ि मुस्क्ि और मौक्ष दे नेवाला । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे ….. हमें स्वस्स्िक नामकी िन भ लगी रे ।

हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे ….. हमें स्वस्स्िक प्रतिककी िन भ लगी रे । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे ….. हमें श्रीगणेश नामकी िन भ लगी रे । हे …िन भ लगी िन भ लगी िन भ लगी रे ….. हमें गजानन नामकी िन भ लगी रे ।


दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे….. दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे…, नयनां प्यािे रे ….[२] कृपा दया जब िेरी उिरे ….रं क बने महाराजा रे …..

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दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे…..

रक्ि रं गके फभल चढाउं …पचचीश पकवानके भोग लगाउं … आ..आ.. मिरु मेवाका प्रिाद चढाउं …उिारुं मैं िेरी आरिी रे …. दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे…..

ज्योतिमणय हदपमाल प्रगटाउं … िंध्या पभजा पाठ कराउं ..आ…आ… नवरत्नोंके अलंकार चढाउं ….िेरे चरण कमलमें रे …. दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे…..

हर पल िेरा ध्यान लगाउं …हर घडी िेरा भजन मैं गाउं ..आ… आ नीशहदन मैं िेरे गन ु गाउं …जपजाप करुं मैं िेरा रे ….. दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे…..

िेरे त्रबरहमें आंिु बहाउं … मनको मैं कैिे िमझाउं …. आ..आ… आंखसमचोली अबिो छोडो…हे स्वस्स्िक स्वासम रे …. दशणन द्यो स्वस्स्िक गणेश मेरे…..

++++++++++ िभन….. हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर हरर… श्री ॐ स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक हरर हरर…..

ॐ ॐ स्वस्स्िक ॐ ॐ स्वस्स्िक ॐ ॐ स्वस्स्िक हरर हरर….. ह्ीं ॐ स्वस्स्िक ह्ीं ॐ स्वस्स्िक ह्ीं ॐ स्वस्स्िक हरर हरर…..

श्रीं ॐ स्वस्स्िक श्रीं ॐ स्वस्स्िक श्रीं ॐ स्वस्स्िक हरर हरर…..

क्लीं ॐ स्वस्स्िक क्रीं ॐ स्वस्स्िक क्रीं ॐ स्वस्स्िक हरर हरर….. गं ॐ स्वस्स्िक गं ॐ स्वस्स्िक गं ॐ स्वस्स्िक हरर हरर…..

स्वं ॐ स्वस्स्िक स्वं ॐ स्वस्स्िक स्वं ॐ स्वस्स्िक हरर हरर… ॐ ह्ीं श्रीं क्लीं गं स्वं श्री स्वस्स्िकायनमुः ।


ॐ नमो श्री स्वस्स्तकाय…… ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम द… ॐ नमो श्री गजाननम द ।[२] ॐ नमो महा प्रतिकम द… ॐ नमो त्वम नमो नमुः। ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम द……

िुम िो मेरे ईष्टदे व हो, िुम िो मेरे आराध्य हो । [२] िुम िो मेरे वविािा हो, िुम मेरे पभण्य प्रतिक हो । ॐ नमो श्री स्वस्स्िम द……

िुम िो मेरा जीवन हो, िुम िो मेरे आदशण हो ।

िुम िो मेरा भाग्य हो, िम ु ही िो मेरा प्राण हो । ॐ नमो श्री स्वस्स्िम द……

िुम िो मेरी आरािना हो, िुम िो मेरी िािना हो । [२] िुम िो मेरी प्राथणना हो, िुम िो मेरी अचणना हो । [२] ॐ नमो श्री स्वस्स्िम द……

िुम िो मेरे पालक हो… िुम िो मेरे आभभषण हो ।

िुम िो मेरे िजणक हो.. िुम िो मेरे ववनाशक हो । ॐ नमो श्री स्वस्स्िम द……

िुम िो मेरे महादे व हो, िुम िो मेरी महादे वी हो ।

िुम िो मेरे परमेश्वर हो, िुम िो मेरे लीये िवणस्व हो । ॐ नमो श्री स्वस्स्िम द……

स्वस्स्तक नाम.. स्वस्स्तक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. [४]

स्वस्स्िक नाम.. नाम.. नाम.. बोलो जय जय जय द श्री स्वतिक नाम … स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. [४] रािेश्याम श्याम.. श्याम.. श्याम.. बोलो जय जय हो श्री रािेश्याम..

स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. [४] िीिेराम… राम.. राम.. राम.. बोलो जय जय हो श्री िीिेराम … ..

रािेश्याम रािेश्याम िीिेराम िीिेराम रािेश्याम रािेश्याम िीिेराम िीिेराम… भजलो भजलो भजलो भजलो प्यारे श्री स्वस्स्िक गणेशका िुम नाम ।


स्वस्स्तका…. हे … स्वस्स्तका… स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….[२], िुम िब स्वस्स्िक करे …

स्वस्स्िका…. हे .. स्वस्स्िका….[२], िुम िब शुभमंगल करे … स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….

िम ु ववववि ववघ्न हरे …[२] िम ु हर मागण प्रसशश्ि करें ।

िम ु हर दुःु ख-दररर हरे , िम ु िदा हर कष्टको भी हरे । स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….

जब स्वस्स्िका प्रिन्न होये, िब िभीका भाग्योदय होये । िम ु िबका िम ु ंगल करे .., िम ु िबका शभ ु लाभ करे । स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….

िुम हर भय दरभ करे …[२] िुम हर भीिी-डर दरभ करे । िुम िबको तनभणय करे …, िुम िबको बलवान करे । स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….

जब कोई िेरी भस्क्ि करे … िुम उनको शुभासशष दें ।

िुम उनका कल्याण करें … िुम उनका भव पार करे । स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….

िुम ि​िधचि आनंद करे ..[२] िुम शांति िबको दे ।

िुम स्वगण उिे अपणण करें …िुम महामोक्ष प्रदान करें । स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका….

श्रीगणेशा… हे …. श्रीगणेशा… कृपा करो हे गणेशा ।

स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका.. दया करो हे स्वस्स्िका । श्रीगणेशा… हे …. श्रीगणेशा… अनुकंपा करो हे गणेशा ।

स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका.. करुणा करो हे स्वस्स्िका । स्वस्स्िका…. हे … स्वस्स्िका…


स्वस्स्तका…. स्वस्स्तका…. स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका…. िारे जगका स्वस्स्िका । स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका…. मनमोहना स्वस्स्िका ।

स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका…. नयनमोहना स्वस्स्िका । स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका….

जगद्के हो जगद्पति दे वा ववश्वके हो ववश्वेश्वर दे वा । चिहुण दशाओंमें िम ु छाया हो िम ु स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका….

कलाधिपति हो प्रतिका, िमाणधिपति हो प्रतिका । प्रतिकोंके महाप्रतिक हो िुम स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका….

िवणश्रेष्ठ हो स्वस्स्िका, िवणमान्य हो स्वस्स्िका । मानविा महधचन्ह हो िम ु स्वस्स्िका… स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका….

मंगलकिाण हो प्रतिका, िवणशुभकिाण हो प्रतिका । िदभाग्यका भाग्योदय हो िुम स्वस्स्िका… स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका….

ऋिुराजा हो स्वस्स्िका, शस्त्र-अस्त्र हो स्वस्स्िका । तिसमर िेजोमणय हो िुम स्वस्स्िका…… स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका

िंत्र-मंत्र हो स्वस्स्िका, यंत्र-योग हो स्वस्स्िका । महाचमत्कारी प्रतिक हो िुम द स्वस्स्िका । स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका

आयणिमोंका हो स्वस्स्िका , आयणिंस्कृति हो रखवाला । ववश्वशांति महािंदेश हो स्वस्स्िका.. स्वस्स्िका…. स्वस्स्िका…


संद ु िम संुदिम मम ….. िंद ु रम िंद ु रम मम स्वस्स्िक प्रतिक हैं िंद ु रम ।

वंदनम वंदनम मम स्वस्स्िक प्रतिक हैं वंदनम । िंद ु रम िंद ु रम मम …..

िंद ु रम िंद ु रम मम शभ ु प्रतिक हैं िंद ु रम ।

वंदनम वंदनम मम शभ ु प्रतिक वंदनीयम । िंद ु रम िंद ु रम मम …..

िुंदरम िुंदरम मम लाभ प्रतिक हैं िुंदरम ।

वंदनम वंदनम मम लाभ प्रतिक हैं वंदनीयम । िुंदरम िुंदरम मम …..

िुंदरम िुंदरम मम भाग्य प्रतिक हैं िुंदरम ।

वंदनम वंदनम मम भाग्य प्रतिक वंदनीयम । िुंदरम िुंदरम मम …..

िुंदरम िुंदरम मम मंगल प्रतिक हैं िुंदरम ।

वंदनम वंदनम मम मंगल प्रतिक वंद नीयम । िुंदरम िुंदरम मम …..

िुंदरम िुंदरम मम गणेश प्रतिक हैं िुंदरम ।

वंदनम वंदनम मम गणेश प्रतिक वंदनीयम । िुंदरम िुंदरम मम …..

िुंदरम िुंदरम मम आयण प्रतिक हैं िुंदरम ।

वंदनम वंदनम मम आयण प्रतिक वंद नीयम । िुंदरम िुंदरम मम …..

िुंदरम िुंदरम मम िमण प्रतिक हैं िुंदरम ।

वंदनम वंदनम मम िमण प्रतिक वंदनीयम । िुंदरम िुंदरम मम …..

िंद ु रम िंद ु रम मम कमण प्रतिक हैं िंद ु रम ।

वंदनम वंदनम मम कमण प्रतिक वंदनीयम द । िंद ु रम िंद ु रम मम …..

िंद ु रम िंद ु रम मम मौक्ष प्रतिक हैं

िंद ु रम ।

वंदनम वंदनम मम मौक्ष प्रतिक वंदनीयम । िंद ु रम िंद ु रम मम …..


स्वस्स्तक तेिो नाम ….. स्वस्स्िक िेरो नाम, श्री गणेश िेरो नाम…..[२]

िबको िदबुद्धि दे भगवान…..िबका करो िुम कल्याण.. स्वस्स्िक िेरो नाम …..

अभागी जनोंका भाग्य न रुठे …[२] भक्िजनोंकी आषा न िुटे..[२] दशणन त्रबना…दािा..[२] जाये न प्राण….. िबको िदबुद्धि दे …..

ये िष्ृ ठीके िजणन करनेवाले…[२] तनिणनओ िन दे ने वाले…[२] िनवानोंको दे शुभ ज्ञान…. िबको िदबुद्धि दे ….. स्वस्स्िक िेरो नाम …..

ववश्वजनों आपिमें न झगडे..[२] बंित्ु वके वो भावको िरिे….[२] िवणजनोंको दे दे गीिाका ज्ञान… स्वस्स्िक िेरो नाम …..

ित्कमीओंका ित्कमण न छभटे …[२], िदिमीओंका िदिमण न छभटे ..[२] िवणजनोको समले….िदा…[२] आध्यास्त्मक… ज्ञान.. स्वस्स्िक िेरो नाम …..

इ्न्श ववश्वका व्यवहार न त्रबगडे..[२] आयणिमणका प्रभाव न उजडे… [२] िवणको समले …िदा…[२] िुख शांति वरदान…… स्वस्स्िक िेरो नाम …..

श्लोक….. स्वस्स्िक प्रतिक परम पभण्यं, पावनम पववत्रम िदा । मंगलम तनमणलम शभ ु म, िौभाग्यम प्रतिकम िदा ॥

स्वस्स्िक प्रतिक परम हदव्यम, चमकारीम कल्याणींम द िथा । मस्ु क्िदम मौक्षदम चैव, ऐश्वयण प्रतिकम िवणदा िदा ॥ *

स्वस्स्िक प्रतिक परम पववत्रम, तनत्यं ध्यायंति योगीनुः । िख ु दम शांतिदम चैव, स्वस्स्िक प्रतिकाय नमो नमुः ।। *

नमो दे वो महा दे वो स्वस्स्िक दे वो िवाणथण िाधिके ।

शरण्ये स्वस्स्िके शस्क्ि, ररद्धि सिद्धि नमो स्िुिे । *

स्वस्स्िक प्रतिक महा हदव्यम, तनत्यं पभजयंति िवेजनाम ।

िन िान्याहद िुख प्राप्त्यथणम, स्वस्स्िक िािना करोम्यहम ।


ित ित तम ु को प्रणाम ….. शि शि िुमको प्रणाम, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम । शि शि िुमको नमन, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम । शि शि िुमको प्रणाम …..

हम आये िेरे चरणकमलमें , िािना जागि ु हमारी । ृ करो िम

हे मंगल मुतिण श्री गणेशा, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[२] शि शि िुमको प्रणाम ….. स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[२] भस्क्ि ज्ञानकी ज्योि जलादो..[२] मनमे श्रद्िा भाव बहादो…[२] िब होगा हमारां कल्याण, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम.. शि शि िुमको प्रणाम ….. स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[

शुभ लाभ मंगल करदो हमारां, दख ु कष्ट ववघ्न हरो िब हमारां । जपिे ही िेरो शभ ु नाम, हे स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम..[२] शि शि िम ु को प्रणाम ….. स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम..[

शभ ु आसशष हमें शभ ु वर दो…[२] हमरे स्जवनका उद्िार करदो ।

द्यो िख ु शांतिके आसशवाणद…,, हे स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम. शि शि िम ु को प्रणाम ….. हे स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम. मोह मायाके बंिन समटादो, तनमणल नीरकी िरीिा बहादो..[२]

करदो कृण्वन्िो आयणम ववश्वम, हे स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम…[२]. शि शि िुमको प्रणाम ….. हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम

*********** धन ू ….. गजानना श्री गजानना श्री ॐ स्वस्स्िक गजानना ।

गजानना श्री गजानना हरर ॐ स्वस्स्िक गजानना ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक गजानना श्री ॐ स्वस्स्िक गजानना ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक गजानना हरर ॐ स्वस्स्िक गजानना । ववनायका श्री ववनायका श्री ॐ स्वस्स्िक ववनायका ।

ववनायका श्री ववनायका हरर ॐ स्वस्स्िक ववनायका ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक ववनायका श्री ॐ स्वस्स्िक ववनायका | स्वस्स्िक स्वस्स्िक ववनायका हरर ॐ स्वस्स्िक

ववनायका ।


श्लोक…..

शभ ु म करोति स्वस्स्िकम, लाभम मंगलमेव च ।

यि कृपा िम हं वन्दे , िवणकाये स्वस्स्ि भवेद िदा । *

अखखल ववश्वाकारम, अखखल ववश्वम प्रविणिे ।

िवे जनाम पज् भ यिे स्वस्स्िक, िस्मै श्री स्वस्स्िके नमुः *

मंगलम प्रतिक स्वस्स्िक, मंगलम प्रतिकध्वज ।

मंगलम चिुष्कोण रुपाय, मंगलाय रक्िवणो हरी । िवण मांगल मांगल्ये, स्वस्स्ि िवाणथण िाधिके ।

शरण्ये गणेशे ररद्धि-सिद्धि, शस्क्िदे वी नमोस्िुिे । *

नमो दे वो महा दे वो । स्वस्स्िक प्रतिकाय नमो नमुः । नमुः श्री गणेश रुपाय, प्रथमो प्रतिकाय नमो नमुः । *

अदभभिो पववत्राकार, महा दे वो श्री स्वस्स्िका ।

िवेकायाण शुभम किाणम, ववघ्नम हिाण ववनायका । *

जयंति मंगलाकारम, शुभाकारम िुख-शांति दायकम ।

िवे करोति कल्याणम, श्री स्वस्स्िकम प्रणमांम्यहम । *

िवे करोति शुभम लाभम, िुख िमद् ृ धि िदा दायकम ।

िवण ववघ्नो हरे श्रीगणेशम, श्री स्वस्स्िकम प्रणमांम्यहम । िवे करोति िुमंगलम । आरोग्य ऐश्वयण िदा दायकम ।

िवण िंकट हरे शभ ु प्रतिकम, श्री स्वस्स्िकम प्रणमांम्यहम । िवे करोति पावनम पववत्रम, शस्क्ि शांति िदा दायकम ।

िवण पाप हरे महा श्रीगणेशम, श्री स्वस्स्िकम प्रणमांम्यहम । िवे करोति िदा कल्याणम, ररद्धि सिद्धि िदा दायकम । मस्ु क्ि मौक्ष महा दािायम, श्री स्वस्स्िकम प्रणमांम्यहम । *

नमो दे वो महा दे वो, स्वस्स्िक प्रतिकाय नमो नमुः ।

नमुः श्रीगणेश रुपाय, शुभ मंगल प्रतिके नमो नमुः ।


जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक….. जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक जय गणेश दे वा । शुभलाभ मंगल प्रतिक,प्रथम पभजीि महा दे वा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

मायावंि करुणावंि, चिभ ु ज भण ा िारी ।

रक्ि वणणमें वो शोभे, अष्ठांगिारी दे वा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

भक्िोंके मनमें भायें, स्वस्स्िक महा दे वा । आरिी पभजन करे , जप िप करे िेवा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

तनिणनको िन दे ि, दुःु खीयनको िुखमेवा ।

तनबणलको बल दे ि, अशकिको महाशस्क्ि दे वा. जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

अज्ञानीको ज्ञान दे ि, भक्िों को भस्क्ि िेवा । रोगीको आरोग्य दे ि, हर कष्ट हरे दे वा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

स्वस्स्िक शरणमें आयें, वो पाये शभ ु ासशष दे वा ।

िन्य िनय जीवन होये, कल्याण करे श्रीगणेशा । शभ ु लाभ मंगल प्रतिक,प्रथम पज भ ीि महा दे वा ।

जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक जय गणेश दे वा ।

धून ्..... जय जय स्वस्स्ि स्वस्स्िक हरी बोल…[४] हरर बोल हरर बोल हरर हरर बोल[२] जय…… जय….स्वस्स्ि… स्वस्स्िक….. हरर…. बोल……

स्वस्स्ि बोल स्वस्स्ि बोल स्वस्स्ि बोल [४]…जय…जय…] शभ ु म बोल शभ ु म बोल शभ ु म बोल..[४] ….जय जय…

मंगल बोल मंगल बोल मंगल बोल ..[२]… जय जय…

जय श्री स्वस्स्िक प्यारे बोल ..[२] जय श्री गणेश प्यारे बोल ..[२]

जय श्री सिद्धिववनायक बोल…जय श्री अष्ठववनायक बोल..[२]..जय… जय….


हे मेिे मनमें .. हे मेिे तनमें ……. हे मेरे मनमें .. हे मेरे िनमें हैं, बि अब िो एक ही नाम [२] । श्री स्वस्स्िक नाम स्वस्स्िक नाम स्वस्स्िक नाम । श्री गणेश नाम गणेश नाम गणेश नाम ।

श्री ववनायक नाम ववनायक नाम ववनायक नाम ।

मैं कैिे रटुं श्री गणेशजीका नाम, मैं कैिे जपंु श्री ववनायकका नाम ।,

गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नाम, ररद्धिसिद्धिपति श्री अष्टववनायक नाम । हे मेरे मनमें .. हे मेरे िनमें …….

मैं कैिे रटुं श्री मयुरेश्वरका नाम, मैं कैिे जपुं श्री महागणपतिका नाम ।

गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नाम, ररद्धिसिद्धिपति श्री अष्टववनायक नाम । हे मेरे मनमें .. हे मेरे िनमें …….

मैं कैिे रटुं श्री वरदववनायकका नाम, मैं कैिे जपुं श्री धचंिामखणका नाम ।

गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नाम, ररद्धिसिद्धिपति श्री अष्टववनायक नाम । हे मेरे मनमें .. हे मेरे िनमें …….

मैं कैिे रटुं श्री धगरीजात्मकका नाम, मैं कैिे जपुं श्री ववघ्नेश्वरका नाम ।

गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नाम, ररद्धिसिद्धिपति श्री अष्टववनायक नाम । हे मेरे मनमें .. हे मेरे िनमें …….

मैं कैिे रटुं श्री बलालका नाम, मैं कैिे जपुं श्री सिद्धिववनायकका नाम ।

गौरीनंदन गजानन श्री गणेश नाम, ररद्धिसिद्धिपति श्री अष्टववनायक नाम । हे मेरे मनमें .. हे मेरे िनमें …….

श्लोक….. नमो नमुः ॐ नमो नमुः, श्री स्वस्स्िक प्रतिके नमो नमुः । श्री सिद्धिववनायक नमो नमुः, श्री गणेशरुपाय नमो नमुः । नमो नमुः ॐ नमो नमुः, श्री स्वस्स्िक प्रतिके नमो नमुः । श्री चिभ ु ज भण ाय नमो नमुः, श्री रक्िवणण प्रतिके नमो नमुः । नमो नमुः ॐ नमो नमुः, श्री स्वस्स्िक प्रतिके नमो नमुः

श्री स्वस्स्िववनायक नमो नमुः, श्री स्वस्स्िगजानन नमो नमुः । नमो नमुः ॐ नमो नमुः, श्री स्वस्स्िक प्रतिके नमो नमुः श्री अष्ठववनायक नमो नमुः, श्री गणपति बापा मोररया ।


जय स्वस्स्तक जय स्वस्स्तक….. जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक जय गणेश दे वा । शुभलाभ मंगल प्रतिक,प्रथम पभजीि महा दे वा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

मायावंि करुणावंि, चिभ ु ज भण ा िारी ।

रक्ि वणणमें वो शोभे, अष्ठांगिारी दे वा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

भक्िोंके मनमें भायें, स्वस्स्िक महा दे वा । आरिी पभजन करे , जप िप करे िेवा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

तनिणनको िन दे ि, दुःु खीयनको िुखमेवा ।

तनबणलको बल दे ि, अशकिको महाशस्क्ि दे वा. जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

अज्ञानीको ज्ञान दे ि, भक्िों को भस्क्ि िेवा । रोगीको आरोग्य दे ि, हर कष्ट हरे दे वा । जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक…..

स्वस्स्िक शरणमें आयें, वो पाये शुभासशष दे वा ।

िन्य िनय जीवन होये, कल्याण करे श्रीगणेशा । शभ ु लाभ मंगल प्रतिक,प्रथम पज भ ीि महा दे वा ।

जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक जय गणेश दे वा ।


जब जब स्वस्स्तकका….. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. स्वस्स्िक नाम.. [४] ****************** स्वस्स्िक नाम.. नाम.. नाम.. बोलो जय जय श्री स्वतिक नाम …

जब जब स्वस्स्िकका नाम सलया [२] हर ववघ्नोंको मैंने पार ककया । जब जब स्वस्स्िकका नाम सलया [२] हर िंकट भयका नाश हुआ । जब जब स्वस्स्िकका….. जीवनके हर मोडपे मैंने, स्वस्स्िकके चरनमें शरण सलया।

जीवनके हर कोई िंघशोमें , स्वस्स्िकने हमें ही िाथ हदया । जब जब स्वस्स्िकका…..

स्वस्स्िक नामका ध्यान ककया, वपडा व्याधि िब समट गया । स्वस्स्िक नामका मंत्र जपा, हर सभिी डर िब भाग गया । जब जब स्वस्स्िकका…..

स्वस्स्िक मंगलका नाम सलया, हर दुःु ख दररर दरभ हुआ । मेरे जीवनके भविागरको, स्वस्स्िक नामने ही िार हदया । जब जब स्वस्स्िकका…..

स्वस्स्िक कृपािे िबकुछ पाया, हमें नवजीवन आिार समला । िच कहिा हुं श्रीगणेश िुमको, िुमने नवजीवन दान हदया । जब जब स्वस्स्िकका….. स्वस्स्िक नाम……….

जय स्वस्स्तक श्री गजानन गणेिा..... जय स्वस्स्िक श्री गजानन गणेशा, करो कायण िदा सिद्ि हमारां । जय गणपति श्री ववनायक गणेशा, करो मनोरथ पररपभणण हमारां । जय श्री स्वस्स्िक…..

करो कल्याण िुम िभी भक्िजनोंका, हरो हर कष्ट दख ु दररर हमारां । करो उद्िार िुम िवण स्वस्स्िकजनोंका, जीवन िन्य िुम करो हमारां । जय श्री स्वस्स्िक…..

करो उत्कषण िुम िभी वपडडिजनोंका, हरो आपवत्त और हर िंकट हमारां । िेरे त्रबना नहहं हैं कोई और हमारां, करदो िुमही िवण शुभ मंगल हमारां । जय श्री स्वस्स्िक…..

शुभनाम जपुं मैं हदनराि िुम्हारां, करो कृपा हे स्वस्स्िक श्री गणेशा । करो उपकार अनुग्रह िुम महा दे वा, करो िाथणक यह स्जवन हमारां । जय श्री स्वस्स्िक…..


छोड दे उनपि तेिे भाग्यकी िे खा..... छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा, वो ही भाग्य वविािा हैं । होगा ही जो स्वस्स्िक चाहे गा, वो ही िो ववश्ववविािा हैं । छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा.....

िारे ववश्वके हर शुभ मंगलका, स्वस्स्िक ही िो किाणहिाण हैं । ववश्वजनोंका भाग्योदय करनेवाला, स्वस्स्िक ही िो भथाण हैं । छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा.....

भक्िजनोंका कल्याण करनेवाला, स्वस्स्िक ही आसशषदािा हैं । स्वस्स्िजनोंकी रक्षा करनेवाला, स्वस्स्िक ही महा आरक्षक हैं । छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा.....

भौतिक िख ु भोग दे नेवाला, स्वस्स्िक ही परम कृपालु हैं ।

आध्यास्त्मक िख ु दे नेवाला, स्वस्स्िक ही महा श्रीगणेशा हैं । छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा.....

भस्क्ि शस्क्ि बल बद् ु धि दे नेवाला, स्वस्स्िक ही उजाणिारी हैं । तिनों लोकमें िदा रहे नेवाला,

स्वस्स्िक ही िजणनहारी हैं ।

छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा.....

परम परमेश्वको पानेका, प्रतिकमय परम पथ स्वस्स्िक हैं । मुस्क्ि मौक्षका वर पानेका, स्वस्स्िक ही महा वरदािा हैं । छोड दे उनपर िेरे भाग्यकी रे खा.....

********** स्वस्स्तक िांतत..

स्वस्स्िक शांति.. स्वस्स्िक शांति.. स्वस्स्िक शांति.. हरर ॐ ।

स्वस्स्ि ॐ स्वस्स्ि ॐ, स्वस्स्िक शुभमंगल शांति.. हरर ॐ. । स्वस्स्िक शांति.. स्वस्स्िक शांति.. शांति शांति…. हरर ॐ. ।

जलमें हो शांति.. थलमे हो शांति, शांति शांति.. स्वस्स्ि ॐ ।

स्वगणमें हो शांति.. पस्ृ ववपे हो शांति, शांति शांति.. स्वस्स्ि ॐ । स्वस्स्िक शांति..

त्रत्रभभवनमें हो शांति अंिररक्षमे हो शांति, शांति शांति.. स्वस्स्ि ॐ । ववश्वदे वोमें हो शांति ब्रह्मामें हो शांति, शांति शांति.. स्वस्स्ि ॐ । स्वस्स्िक शांति..

औषधिमें हो शांति वनस्पतिमें हो शांति, शांति शांति.. स्वस्स्ि ॐ । िवणत्र हो शांति िवणमें हो शांति, शांति शांति … श्री स्वस्स्िक ॐ । स्वस्स्िक शांति..


तनभिय कताि िस्तत दे ता..... तनभणय किाण शस्क्ि दे िा, स्वस्स्िक प्रतिक हैं िेरो नाम । पावन किाण पववत्र किाण, स्वस्स्िक प्रतिक हैं शभ ु नाम । तनभणय किाण शस्क्ि दे िा.....

िुखकिाण दुःु खहिाण िुम हो, ववघ्नववनाशी ववनायक नाम ।

परमानंद प्रतिक िुम हो, जय श्री गणेश हैं िेरो शभ ु नाम । तनभणय किाण शस्क्ि दे िा.....

पालक पोशक भक्षक िुम हो, शुभ लाभ मंगल िेरो नाम ।

िारक िहायक रक्षक िुम हो, परम परमेश्वर हैं िेरो नाम । तनभणय किाण शस्क्ि दे िा.....

िवणत्र, िवणज्ञ िवणव्यावप िुम हो, कणकणमें हो िुम भगवान ।

पंच ित्वमें िुम ही िुम हो, पंच परमेश्वर हैं िेरो शुभ नाम । तनभणय किाण शस्क्ि दे िा.....

िेरी कृपा त्रबन कुछ ना होये, िुमहो माया दया करुणाका नाम । िेरी कृपा जीनपर जब बरिे, उनका हो जाये िवणदा कल्याण । तनभणय किाण शस्क्ि दे िा.....

जे कोई स्वस्स्िक नामको ध्यावे, वो पावे िुख िमद् ृ धि िन्मान ।

जे कोई स्वस्स्िक नामको जपले, वो पावे मौक्ष मुस्क्ि वैकंु ठिाम । तनभणय किाण शस्क्ि दे िा.....

जय जय जय श्री.. स्वस्स्तक बोलो…..

जय जय जय श्री.. स्वस्स्िक बोलो । जय जय जय श्री.. गजानन बोलो । श्री स्वस्स्िक बोलो िांई, श्री गजानन बोलो..[२] जय जय जय जय िांई श्री शभ ु नाम बोलो….

जय जय जय श्री गणेश बोलो । जय जय जय श्री गणपति बोलो । श्री गणेश बोलो िांई, श्री गणपति बोलो..[२]

जय जय जय जय िांई श्री लाभ नाम बोलो…. जय जय जय श्री स्वस्स्िक बोलो…..

जय जय जय श्री वक्रिुंड बोलो । जय जय जय श्री एकदं ि बोलो । श्री वक्रिुंड बोलो िांई, श्री एकदं ि बोलो..[२]

जय जय जय जय िांई श्री मंगल नाम बोलो…. जय जय जय श्री स्वस्स्िक बोलो…..

जय जय जय श्री ववनायक बोलो । जय जय जय श्री अष्टववनायक बोलो । श्री ववनायक बोलो िांई, श्री अष्टववनायक बोलो..[२]

जय जय जय जय िांई श्री प्रभुजीका प्रथम नाम बोलो….


स्वस्स्तकमेव जयते….. ित्य हैं स्वस्स्िक.. सशव हैं स्वस्स्िक.. िद ु र हैं स्वस्स्िक हरद जीवनमें . कृपा करो प्रभु स्वति बने िवण, हर भक्िोंके घर आंगनमे….

स्वस्स्िकम द….. स्वस्स्िकम द….. स्वस्स्िकम द….. हा..आं..आं…[२] स्वस्स्िक हैं शभ ु प्रतिकम.. ित्यम सशवम हैं िंद ु रम द… [४]

स्वस्स्िक हैं मंगल प्रतिकम.. ित्यम सशवम हैं िुंदरम द… [४]

स्वस्स्िक हैं िौभाग्य प्रतिकम.. ित्यम सशवम हैं िुंदरम द… [४]

स्वस्स्िकमेव जयिे, स्वस्स्िकमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे, स्वस्स्िकमेव जयिे.. आयणमेव जयिे, अयणमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे, आयणमेव जयिे.. स्वस्स्िकमेव जयिे…..

ित्यमेव जयिे ित्यमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो ित्यमेव जयिे.. प्रेममेव जयिे प्रेम्मेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो प्रेम्मेव जयिे.. स्वस्स्िकमेव जयिे…..

िमणमेव जयिे िमणमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो िमणमेव जयिे..

कमणमेव जयिे कमणमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो कमणमेव जयिे.. स्वस्स्िकमेव जयिे…..

अहहंिामेव जयिे अहहंिामेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो अहहंिामेव जयिे.. करूणामेव जयिे करूणामेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो करूणामेव जयिे.. स्वस्स्िकमेव जयिे…..

शांतिमेव जयिे शांतिमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो शांतिमेव जयिे..

आध्यात्म्यमेव जयिे आध्यात्म्यमेव जयिे, जयिे जयिे जयिे बोलो आध्यात्म्यमेव जयिे.. स्वस्स्िकमेव जयिे…..

श्लोक….. नमो गणेश दे वाय, स्वस्स्िक स्वरुपाय नमो नमुः । नमो ववश्वदे वाय, स्वस्स्िक प्रतिकाय द नमो नमुः ॥ *

ॐ गं गणपिये नमो नमुः, ॐ स्वं स्वस्स्िके नमोनमुः । ॐ श्री गणेशाय नमो नमुः, ॐ श्री ववनायक नमोनमुः ।

ॐ सिद्धिववनायक नमो नमुः, ॐ अष्ठववनायक नमोनमुः । ॐ गजाननाय नमो नमुः, ॐ गणपति बापा मोररया ।


धून….. हरर ॐ स्वस्स्िक.. हरर ॐ स्वस्स्िक.. हरर ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका । श्री ॐ स्वस्स्िक.. श्री ॐ स्वस्स्िक..

श्री ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका ।

श्रीं ॐ स्वस्स्िक.. श्रीं ॐ स्वस्स्िक.. श्रीं ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका..। ह्ीं ॐ स्वस्स्िक..

क्रीं ॐ स्वस्स्िक..

ह्ीं ॐ स्वस्स्िक.. ह्ीं ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका ।

क्रीं ॐ स्वस्स्िक.. क्रीं ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका ।

क्लीं ॐ स्वस्स्िक.. क्लीं ॐ स्वस्स्िक.. क्लीं ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका । स्वं ॐ स्वस्स्िक.. स्वं ॐ स्वस्स्िक.. स्वं ॐ स्वस्स्िक.. स्वस्स्िका ।

ॐ स्वाहा स्वस्स्िक ॐ स्वाहा स्वस्स्िक ॐ स्वाहा स्वस्स्िक स्वस्स्िका । *

नमोस्िुिे नमोस्िुिे श्री स्वस्स्िक प्रतिक नमोस्िुिे ।

नमोस्िुिे नमोस्िुिे श्री स्वस्स्ि ववनायक नमोस्िुिे । नमोस्िुिे नमोस्िुिे श्री स्वस्स्ि गणेशाय नमोस्िुिे । नमोस्िुिे नमोस्िुिे श्री स्वस्स्ि गजानन नमोस्िुिे । नमोस्िुिे नमोस्िुिे श्री स्वस्स्ि गणपति नमोस्िुिे ।

नमोस्िुिे नमोस्िुिे श्री स्वस्स्िक प्रतिक नमोस्िुिे ।…[३] *

हरे स्वस्स्िक हरे स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरे हरे । हरे श्रीगणेश हरे श्रीगणेश गणेश गणेश हरे हरे । हरे श्रीस्वस्स्िका हरे …..

करे स्वस्स्िक करे स्वस्स्िक िवणशुभम द करे स्वस्स्िक ।

करे स्वस्स्िक करे स्वस्स्िक िवणलाभम द करे स्वस्स्िक । हरे श्रीस्वस्स्िका हरे …..

करे स्वस्स्िक करे स्वस्स्िक िवणमंगलम द करे स्वस्स्िक ।

करे स्वस्स्िक करे स्वस्स्िक िवणकल्याणम द करे स्वस्स्िक । हरे श्रीस्वस्स्िका हरे …..

करे स्वस्स्िक करे स्वस्स्िक िवण आरोग्यम द करे स्वस्स्िक । करे स्वस्स्िक करे स्वस्स्िक िवण ऐश्वयणम द करे स्वस्स्िक । हरे स्वस्स्िक हरे स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरे हरे ।

हरे स्वस्स्िक हरे स्वस्स्िक स्वस्स्ि स्वस्स्ि करे स्वस्स्िक ।


सवि प्रथम वंदन किते हैं….. ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम, ॐ नमो श्री गजाननम ।

ॐ नमो श्री ववनायकम, ॐ नमो श्री गं गणेशम । िवण प्रथम वंदन करिे हैं, हे स्वस्स्िक प्रतिक हम आपको ।

िवण प्रथम पभजन करिे हैं, हे श्री गणेश स्वरुप हम आपको । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

िेरो नाम अलौककक अदभभि हैं, स्वस्स्िक मंत्र हैं महा चमत्कार । अपरं पार िेरी महहमां हम गािे हैं, िेरो शुभ नाम हैं िवण महान । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

िुम हो दयामय िुम हो करुणामय, िुम िो हो दीनबंिु हो नाथ ।

श्री गणेशजीके आराध्य स्वरुप हो, िवण शुभ मंगल किाण हो नाथ । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

भस्क्ि िािना हर सिद्धि दे िा, ररद्धि-सिद्धि दे िा िन वैभवके िाथ । िुख िमद् ृ धि और शांति दे िा, स्वस्स्िक दे िा महा फलदायी ज्ञान । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

श्रवण रटण स्वस्स्िक बीजमंत्रका, करिा हैं आत्म शुद्धि ित्काल । स्वस्स्िकके महाबीज मंत्र जपनेिे, होिा हैं िभीका स्जवन उद्िार । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

जपलो रटलो भजलो हे िािो, स्वस्स्िक मंत्र िम ु हर हदन हर राि ।

पाओ गे िम ु महामस्ु क्ि मौक्षको, पाओ गे अवश्यही िम ु स्वगणमें वाि । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

िम ु हो स्वासम प्रभु अंिरयासम, पावन पण् भ य प्रतिक हे स्वस्स्िक दे वा ।

दो शभ ु ासशष हमें हे भाग्यवविािा, करदो स्वस्स्िक िम ु कल्याण हमारां । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..


मानवताका ये सवि प्रथम प्रततक हैं….. मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं, ववश्वजनोंका है वो दल ु ारां ।

युगों युगोंिे िदा अववचल खडा हैं, ये स्वस्स्िक प्रतिक हमारां । मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं…..

आयणिमणका महा शुभ प्रतिक हैं, स्वस्स्िक प्रतिक हमें अतिप्यारां ।

ववश्वका महा मंगल ये प्रतिक हैं, भाग्यशाली ववश्वने उन्हें माना । मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं…..

पभरब- पस्श्चम या उत्तर-दक्षक्षण हो, स्वतिकका स्थान हैं तनराला । युगों युगोंिे िारे ववश्वलोकमें , अनुपम िबने उन्हें हैं माना । मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं…..

हर िमण, कला और िंस्कृतिओंने, स्वस्स्िक प्रतिकको हैं अपनाया । ववश्वके िारे जनिमुदायने, स्वस्स्िकको शुभ मंगल हैं माना । मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं…..

ववश्वकी हर िभ्यिाओंने, स्वस्स्िकको लाभ प्रतिकिे ही जाना ।

जगकी िारी जनजातिओंने, स्वस्स्िकको शुभेचछक प्रतिक हैं माना । मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं…..

स्वस्स्िक प्रतिक िो शांतिदि भ हैं, स्वस्स्िक प्रतिक नहह कृर आिंकी ।

प्रेम शांति और िदभावनाका ये, पावन पववत्र प्रतिक है अति पभराना । मानविाका ये िवण प्रथम प्रतिक हैं…..

धून….. श्री ॐ स्वस्स्िक जय ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर हरर । शुभम स्वस्स्िक लाभम स्वस्स्िक मंगलम स्वस्स्िक हरर हरर ।

पभण्यम स्वस्स्िक पावनम स्वस्स्िक पववत्रम स्वस्स्िक हरर हरर । हदव्यम स्वस्स्िक भव्यम स्वस्स्िक शुद्िम स्वस्स्िक हरर हरर । ित्यम स्वस्स्िक सशवम स्वस्स्िक िुंदरम स्वस्स्िक हरर हरर ।

ब्रह्माम स्वस्स्िक ववष्णुम स्वस्स्िक महे शम स्वस्स्िक हरर हरर । हरर हरर हरर हरर श्री ॐ स्वस्स्िक हरर हरर ।

हरर हरर हरर हरर जय ॐ स्वस्स्िक हरर हरर । हरर हरर हरर हरर हरर ॐ स्वस्स्िक हरर हरर ।


उत्कर्ि किो उद्धाि किो….. उत्कषण करो उद्िार करो, हे स्वस्स्िक हमारां कल्याण करो । उत्थान करो उत्कृष्ट करो, हमरे जीवनको उज्ज्वलीि करो । उत्कषण करो उद्िार करो…..

िुम पालक हो िुम पोशक हो, िुम ही िो िष्ृ टीके महा िजणक हो । िुम आत्मा हो िुम परमात्मा हो िुम ही िो ववश्वके वविािा हो । उत्कषण करो उद्िार करो…..

िुम अनुकंपामय हो िुम करुणामय हो, िुम ही िो महा मायामय हो । िम ु दयालु हो िम ु कृपालु हो, िम ु ही िो महा परोपकारी हो । उत्कषण करो उद्िार करो…..

िम ु उपकारी हो, िम ु उपहारी हो, िम ु ही िो महा उपचारी हो ।

िम ु अदभि भ हो िम ु अलौककक हो िम ु ही िो अति अनप ु म हो । उत्कषण करो उद्िार करो…..

िम ु भस्क्ि हो िम ु शस्क्ि हो िम ु ही िो महा मस्ु क्ि हो ।

िम ु अनरु ागी हो िम ु अनग्र ु ही िम ु ही िो महा वरदानी हो । उत्कषण करो उद्िार करो…..

श्रेष्ठ उत्तम िुिील संस्कािी…. श्रेष्ठ उत्तम शश ु ील िंस्कारी, मानविाका प्रतिक परोपकारी ।

आदशण शीलमें िबिे न्यारां, स्वस्स्िक हैं हमें प्राणिे प्यारां । श्रेष्ठ उत्तम शश ु ील िंस्कारी….

शभ ु लाभ और िम ु ंगलकारी, वैभव ववलाश और िख ु कारी ।

दुःु ख दररर और िंकटहारी, कष्ट वपडा भय हर ववघ्नहारी । श्रेष्ठ उत्तम शश ु ील िंस्कारी….

प्रेम स्नेह माया गुणकारी, दया कृपा करुणां अनुकंपाकारी ।

शुकनवं िदा िौभाग्यकारी, िंि​िी िम्पवत्त और िमद् ृ धिदायी । श्रेष्ठ उत्तम शुशील िंस्कारी….

मनोहर िुंदर िौम्यरूपिारी, आनंद उमंग और उत्िवकारी । िंयम िंिोष और शांतिकारी, िदा िवणदा यश ववजयकारी । श्रेष्ठ उत्तम शुशील िंस्कारी….

अदभभि अलौकीक चेिनकारी, स्वस्स्िक प्रतिक कल्याणकारी । भव्य हदब्य और चमत्कारी, स्वस्स्िक िो हैं महागुणकारी । श्रेष्ठ उत्तम शुशील िंस्कारी….


स्वततक प्रततकम पावन प्रततकम….. स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम, पववत्र प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम शभ ु प्रतिकम, मंगल प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

िंद ु र प्रतिकम िश ु ोसभि प्रतिकम, नयनरम्य प्रतिकम स्वस्स्िकम । भव्य प्रतिकम हदव्य प्रतिकम, ि​ि ु ौम्य प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

िेजोमणय प्रतिकम ज्योतिमणय प्रतिकम, चमत्कारीक प्रतिकम स्वस्स्िकम । अदभभि प्रतिकम अलौककक प्रतिकम. अल्हादक प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

िौभाग्य प्रतिकम शुभेचछक प्रतिकम, िुलाभ प्रतिकम स्वस्स्िकम । श्रेष्ठ प्रतिकम उत्तम प्रतिकम, िवणप्रथम प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

िमण प्रतिकम अथण प्रतिकम, काम प्रतिकम स्वस्स्िकम ।

ध्यान प्रतिकम ज्ञान प्रतिकम, योग प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

िौयण प्रतिकम चंर प्रतिकम, नवग्रह प्रतिकम स्वस्स्िकम ।

गणेश प्रतिकम गजानन प्रतिकम, अष्टववनायक प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

ब्रह्मा प्रतिकम ववष्णु प्रतिकम, सशव-रुर प्रतिकम स्वस्स्िकम ।

िरस्वति प्रतिकम लस्क्ष्म प्रतिकम, पावणति प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

प्रेम प्रतिकम जीवन प्रतिकम, मौक्ष प्रतिकम स्वस्स्िकम ।

भस्क्ि प्रतिकम शस्क्ि प्रतिकम, मुस्क्ि प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..

ित्य प्रतिकम अहहंिा प्रतिकम, अस्िेय प्रतिकम स्वस्स्िकम ।

परमेश्वर प्रतिकम परमेश्वरी प्रतिकम, ववश्व प्रतिकम स्वस्स्िकम । स्वतिक प्रतिकम पावन प्रतिकम…..


व्दे स्वस्स्तकम….. शभ ु दाम मंगलां पावन पववत्राम रक्िवणा​ां स्वस्स्िकम ।

हदव्यदशणनाचिभ ु ज भण ािारीणां

शशीस्वरूपवि​िंद ु रिश ु ोसभिां

ज्योतिमणयी मिक ु र स्वरुपाम

िुखदां शांतिदां स्वस्स्िकम ।।१॥ वन्दे स्वस्स्िकम । कोहट कोहट युग हर स्थल िवणत्र प्रकटे कोहट कोहट जन वंदन पभजिे । िदा िुभासशष दे िे ।

बलशस्क्िदायकम नमासम मुस्क्िदां ।

भयदख ु हाररणां स्वस्स्िकम ।।२॥ वन्दे स्वस्स्िकम । िुमहो हदव्यम िुमहो भव्यम िुमहो कल्याणकारकम

िुमहो भस्क्ि िुमहो शकक िुमहो मुस्क्िदायकम िुम्हारी प्रतिमा शोभे

हरघर मंहदरे स्वस्स्िकम ॥३॥ वन्दे स्वस्स्िकम । त्वं हह दे वो नवदग ु ाणशस्क्िदे ववयां िवणत्राम िवणज्ञां िवणव्यापी

सशव शस्क्िस्वरुपाम, नमासम त्वाम नमासम िुखदां शुभदां शांतिदाम

श्रीगणेशां ववनायकां स्वस्स्िकम ।।४॥ वन्दे स्वस्स्िकम । आया​ां प्रतिकां ववश्विां पस्ु जिां

नमासमं वंदनासमं स्वस्स्िकम ॥५॥ वन्दे स्वस्स्िकम ।


प्रथम पूजा हम किते हैं….. प्रथम पज भ ा हम करिे हैं, स्वस्स्िक प्रभु हम आपकी । शभ ु लाभ मंगलकारीकी, स्वस्स्िक मंत्रके जापकी । प्रथम पज भ ा हम करिे हैं…..

परम पावन पवोत्र प्रतिक, जीवन करे उद्िार ।

स्वस्स्िकाकार बीज मंत्र हैं, गणेशजीका अविार । प्रथम पभजा हम करिे हैं…..

ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम, ॐ नमो श्री गजाननम । ॐ नमो श्री ववनायकम, ॐ नमो श्री गणेशम ।

मनोकामना परीपभणण होिी, हदव्य प्रेरणा प्रगट होिी ।

आधि व्याधि िब कुछ समट जािा,िुख चैन शांति हो जािी । श्री स्वस्स्िकके जापिे, होिा हैं तनवाणण ।

श्रवण स्वस्स्ि महामंत्रका, करे आत्म कल्याण । ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम….. आ…आ…

िन मन स्जवन परमानंदमय,हो जािा हैं जापिे । प्राणी वैकंु ठमें जािा हैं, भस्क्ि पभजा महा पाठिे ।

जो नीश हदन स्मरे महामंत्र ये, वो पावे महापद मान । पािा हैं वो ऐश्वयणका ममण, श्रीगणेशजीका वरदान । ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम….. आ…आ…

दुःु ख दररर िब दरभ भागे, िंकट कष्ट कभी नहहं आवे ।

भय भभि दर िब दरभ भागे, जीवन िन्य िन्य हो जाये । ररद्धि सिद्धि मािा कहे , िरो श्री गणेशका ध्यान ।

ववश्वमें अलभ्य कुछ नहहं, कओ स्वस्स्िकको प्रणाम । ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम….. आ…आ…

तनत्य यज्ञ िंध्या पज भ ा करिे, शि शि उन्हें प्रणांम हैं । जहां रहे स्वस्स्िक जीि स्थलपे, वहींपे प्रभक ु ा वाि हैं । कोटी नमन गौरीि​ि ु गजानन, कोटी नमन स्वस्स्िक । स्वस्स्िकानंद दाि िम् ु हारो, वंदन करे वारं वार । ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम….. आ…आ… प्रथम पज भ ा हम करिे हैं…..


प्रथम पूस्जतम स्वस्स्तक प्रततकम ….. प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम, प्रथम वंदनीयम स्वस्स्िक धचन्हम । शुभम मंगलम स्वस्स्िक आकारम, नमो स्िुिे श्री स्वस्स्िक प्रतिकम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम पभण्यम, स्वस्स्ि​िक िो हैं पावनम पववत्रम ।

स्वस्स्िक िो हैं ित्यम सशवम, भजलो प्यारे स्वस्स्िक शुभनामम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम आनंदम, स्वस्स्ि​िक िो हैं परम िुख ऐश्वयणम । स्वस्स्ि​ि िो हैं परम पज भ तनयम, भजलो प्यारे स्वस्स्िक िहृदयम । प्रथम पस्भ जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम िौभाग्यम, स्वस्स्ि​िक िो हैं परम कल्याणम । स्वस्स्िक िो हैं परम आसशवाणदम, भजलो प्यारे कृपालु स्वस्स्िकम । प्रथम पस्भ जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम परमेश्वरम, स्वस्स्ि​िक िो हैं परम परमेश्वरीम । स्वस्स्िक िो हैं परम महे श्वरम, भजलो प्यारे प्रभम ु य श्री स्वस्स्िकम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम श्रीगणेशम, स्वस्स्ि​िक िो हैं श्री सिद्धिववनायक्म । स्वस्स्िक िो हैं परम अष्टववनायकम, भजलो प्यारे जय श्री गजाननम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

श्लोक……

स्वस्स्िकं स्वस्स्िकाकारं स्वस्स्िकात्मानं िवोत्तमम । स्वस्स्िमागण प्रणेिारम प्रणिोस्स्म स्वस्स्िकम । *

नमामी स्वस्स्िक प्रतिकंपववत्रं,करोसम स्वस्स्िक पुजनं िदा । जपासम स्वस्स्िक नाम शुद्िं ,स्मरासम मंगलं स्वस्स्िकम द । *

मंगलम भगवान स्वस्स्िक, मंगलम द स्वस्स्िवाचनम द । मंगलमं सिद्धिववनाकाय, मंगलाय िनो

दे व ।

िवण मांगल मांगल्ये , स्वस्स्िके िवाणथण िाधिके । शरण्ये गणेशे वद् ृ धि, सिद्धि बुद्धि नमोस्िुिे । *

स्वस्स्िकाकरम द परम पववत्रम द, रक्ि वणणम द ज्योतिमणयम द । पावनम द मोक्षदम द पभण्यम द, स्वस्स्िम द प्रणमाम्यहम द ।


स्वस्स्तक स्वस्स्तक ….. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक । गणेशम गणेशम हरी ॐ स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

हदव्यम हैं स्वस्स्िक भव्यम हैं स्वस्स्िक ।

िंद ु रम हैं स्वस्स्िक मनोहरम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

पण् ु यम हैं स्वस्स्िक िन्यम हैं स्वस्स्िक ।

पववत्रम हैं स्वस्स्िक पावनम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

शुभम हैं स्वस्स्िक हैं मंगलम स्वस्स्िक ।

लाभम हैं स्वस्स्िक िौभाग्यम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

चैिन्यम हैं स्वस्स्िक चेिनम हैं स्वस्स्िक । प्रेमम हैं स्वस्स्िक भाग्यम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

िाध्यम हैं स्वस्स्िक आराध्यम हैं स्वस्स्िक ।

पभजनीयम हैं स्वस्स्िक दशणनीयम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

अदभभिम हैं स्वस्स्िक अलौककक्म हैं स्वस्स्िक । अद्ववत्यम हैं स्वस्स्िक ऐश्वयणम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..

ित्यम हैं स्वस्स्िक िमणम हैं स्वस्स्िक ।

सशवम हैं स्वस्स्िक श्रीदे वीम हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक …..


मैं चाहुं मैं चाहुं…… िुनो…. िुनो…. मैं स्वस्स्िकाके गीि गा रहा हुं । हांजी स्वस्स्िक गीि। िबिे िवोत्तम गीि ।

मैं चाहुं मैं चाहुं…… मैं क्यंु चाहुं स्वस्स्िका हो स्वस्स्िका जी । हम क्युं चाहे स्वस्स्िका हो स्वस्स्िका जी । स्वस्स्िक नहह हैं कोई हीटलकी िाईन । नहह हैं राग और द्वेषकी िाईन ।

स्वस्स्िक िो हैं पववत्र पावन िाईन ।

मैं चाहुं मैं चाहुं…… स्वस्स्िक नहह हैं कोई नाझी िाईन । नहह हैं अिसमण आिंकीओंकी िाईन । स्वस्स्िक िो हैं िासमणक िाईन ।

वेहदक आयोंकी हैं वो प्यारी िाईन ।

मैं चाहुं मैं चाहुं…… स्वस्स्िक नहह हैं भेदभावकी िाईन ।

नहह हैं आिंक और कृरिाकी िाईन ।

स्वस्स्िक िो हैं प्रेम िहचारकी िाईन । स्वस्स्िक िो हैं ववश्वशांतिकी िाईन ।

मैं चाहुं मैं चाहुं…… स्वस्स्िक िो हैं िौभाग्यकी िाईन । [स्वस्स्िका ईि ए गुड लक िाईन]

स्वस्स्िक िो हैं जनक्ल्याणकी िाईन । [स्वस्स्िका ईि ए वेलबीईंग िाईन] स्वस्स्िक िो हैं शुभ मंगल िाईन ।

[स्वस्स्िका ईि एन ओस्स्पयि िाईन]

स्वस्स्िक िो हैं विुिव ै की िाईन । [स्वस्स्िका ईि एन युतनविणल िाईन] मैं चाहुं मैं चाहुं……


हो मैं तो प्याि करुं .. मैं िो प्यार करुं .. प्यार करुं .. स्वस्स्िकाको

स्वस्स्िकाको जी ।

िुम प्यार करो.. प्यार करो.. स्वस्स्िकाको स्वस्स्िकाको जी । स्वस्स्िका िो हैं प्रतिक पुराना, आयणिमणका हैं महाप्रतिक रे ।

ववश्व जनों का प्यारां दल ु ारां, शुभ मंगल स्वस्स्िक प्रतिक रे । हो मैं िो प्यार करुं ..

िारे ववश्वमें स्वस्स्िक हैं छाया, जगमें हैं उनका बहुमान रे । हर िमण िंस्कृतिओंमें िमाया, जगव्यावप स्वस्स्िक नाम रे । हो मैं िो प्यार करुं ..

कलाकृति और सशल्प भािमें , अग्रज हैं उनका स्थान रे । प्रेम प्रकाश जीवन भाग्यका, माना हुआ हैं ये प्रतिक रे । हो मैं िो प्यार करुं .. शुभ मंगलका प्रतिक िुहाना, लाभका उत्तम प्रतिक रे ।

िुख वैभवका का प्रतिक िलौना, ववश्वशांतिका है दि भ रे । हो मैं िो प्यार करुं ..

स्वस्स्िका है प्रतिक ित्यका, िमण कमणका शुभ धचन्ह रे । जो भावे भजले स्वस्स्िका, उनका हो िदा कल्याण रे । हो मैं िो प्यार करुं ..


वि दे वि दे वि दे … वर दे वर दे वर दे , हे स्वस्स्िक हमें शभ ु वर दे । भर दे भर दे भर दे , खाली झोली मेरी भर दे ।

भाव भस्क्ि​िे ध्यान ज्ञानिे, प्रेमभाविे िुं भर दे ।

बल शस्क्ि​िे आरोग्य ऐश्वयणिे, हे झोली िुं भर दे । वर दे वर दे वर दे …..

िन िान्यिे वैभव ववलाि​िे, िुख िमद् ृ धि​िे भर दे । ररद्धि सिद्धि​िे बुद्धि चािुयि ण े, हे झोली िुं भर दे । वर दे वर दे वर दे …..

आनंद उमंगिे िंिोष शांति​िे, आध्यात्मिे िुं भर दे । ववनय वववेकिे दया करूणािे, हे झोली िुं भर दे । वर दे वर दे वर दे …..

पभण्य कमणिे परोपकारिे, िेवाभाविे िुं भर दे । िुववचारिे िदभाविे, हे झोली िुं भर दे । वर दे वर दे वर दे …..

िदाचारिे िद्व्यवहारिे, आत्मशुद्धि​िे भर दे ।

प्रभु भस्क्ि​िे श्रद्िाभाविे, खाली झोली मेरी भर दे । वर दे वर दे वर दे …..


मंगल गीत सुनाओ साधो..... मंगल गीि िुनावो हे िािो, िुमंगल शुभ गीि िम ु गाओ रे । स्वस्स्िक नाम स्मरण करिे, स्वस्स्िकके िदगुण गाओ रे ।

स्वस्स्िक िो हैं शुभ कल्याणी, िुखदायी और िम्पतिदायी ।

परम कृपालु प्रभु वैभवदायी, यश कीतिण और िदा ववजदायी । मंगल गीि िुनाओ िािो.....

स्वस्स्िक िो हैं महा मंगलदायी, िुख शांति और िंिोषदायी ।

परम कृपालु प्रभु िंि​िीदायी, भस्क्ि शस्क्ि और महा फलदायी । मंगल गीि िुनाओ िािो.....

स्वस्स्िक िो हैं शुभ लाभदायी, िुहाग और िदा िौभाग्यदायी ।

परम परमेश्वर अनुकंपादायी, िुद्धि सिद्धि और महा िमद् ृ धिदायी । मंगल गीि िुनाओ िािो.....

स्वस्स्िक िो हैं श्री गणेशरुप िांई, पावन पववत्र महा पभण्यदायी ।

ज्ञान बल बुद्धि और चािुयद ण ायी, जय हो स्वतिगणेश प्रभु िांई । मंगल गीि िुनाओ िािो.....

मिरु मनोहर और आनंददायी, िुंदर िुशोसभि नव जीवनदायी ।

ज्ञान बल बुद्धि और चािुयद ण ायी, जय हो स्वतिगणेश प्रभु िांई । मंगल गीि िुनाओ िािो.....

स्वस्स्िक िो हैं मत्ृ यंज ु कारी, मौक्ष मस्ु क्ि और आत्मकल्याणी ।

जो पज भ े श्री स्वस्स्िक नरनारी, होये िदा उनकी जय जयकारी । मंगल गीि िन ु ाओ िािो.....


धून….. हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, ॐ नमो श्री स्वस्स्िका ।

हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका ।

हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, ॐ नमो श्री स्वस्स्िका । [कोरि] हरर ॐ नमो श्री गणेशा, ॐ नमो श्री गणेशा ।

हरर ॐ नमो श्री गणेशा, हरर ॐ नमो श्री गणेशा । हरर ॐ नमो श्री गणेशा, ॐ नमो श्री गणेशा । [कोरि] हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका….

हरर ॐ नमो गजानना, ॐ नमो श्री गजानना।

हरर ॐ नमो गजानना हरर ॐ नमो गजानना ।

हरर ॐ नमो गजानना, ॐ नमो गजानना । [कोरि] हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका….

हरर ॐ नमो ववनायका, ॐ नमो श्री ववनायका ।

हरर ॐ नमो ववनायका, हरर ॐ नमो ववनायका ।

हरर ॐ नमो ववनायका, ॐ नमो ववनायका । [कोरि] हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका….

ॐ नमो श्री स्वस्स्िका…. [२५]


स्वस्स्तक स्वस्स्तक हरि ॐ स्वस्स्तक स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ.. हरर ॐ.. हरर ॐ स्वस्स्िक

आयोंका हैं प्रतिक स्वस्स्िक, वेहदकधचन्ह हैं स्वस्स्िक ।

िवणिनािन िमणिंप्रदायोंका, पावन प्रतिक हैं स्वस्स्िक । ववश्वके िवण िमोंमें भी, अति आदरणीय हैं स्वस्स्िक ।

ववश्वव्यापी है स्वस्स्िक, ववश्वजनोंका धचन्ह हैं स्वस्स्िक । शुभ लाभकारी हैं स्वस्स्िक, मंगलकारी भी है स्वस्स्िक । ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम, ॐ नमो श्री गजाननम । ॐ नमो श्री गणेशायम, ॐ नमो श्री ववनायकम । ॐ नमो श्री नारायणम, ॐ नमो श्री शस्क्िकम । स्वस्स्िक स्वस्स्िक……

जैनोंका हैं स्वस्स्िक, स्जनालयोमें हैं स्वस्स्िक । जैनिमणका अति पावन, अष्टपाद है स्वस्स्िक ।

ॐ नमो अररहं िाणम, शुभम लाभम स्वस्स्िक । ॐ नमो अररहं िाणम, ॐ नमो सिद्िाणं । ॐ नमो आयररयाणं ॐ नमो उवज्ज्ञाणं ।

ॐ नमो लोए िव्विाहुणं ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम स्वस्स्िक स्वस्स्िक…… बौि​िमणका धचन्ह हैं स्वस्स्िक, स्िप ु ोमें स्थावपि हैं स्वस्स्िक ।

बौिोंननोंका प्यारां हैं स्वस्स्िक, ववश्वशांतिका दि भ हैं स्वस्स्िक ।

बद् ु िके छािी पर िोहे स्वस्स्िक, बद् ु िम शरणम श्री स्वस्स्िकम । बद् ु िम शरणम गचछामी, िमणम शरणम गचछामी । ब्रह्मम शरणम गचछामी,िंघम स्वस्स्िक स्वस्स्िक……

शरणम गचछामी ।

जपानी सिन्िोका हैं स्वस्स्िक चीनी कन्​्यझ ु नीओंका हैं स्वस्स्िक ।

अमेररकन ईस्न्डयनोंका हैं स्वस्स्िक, मायन-एझटे कोंका हैं स्वस्स्िक । युरोवपयन डृईडोंका हैं स्वस्स्िक, कोप्टीक कक्रश्चयनोंका हैं स्वस्स्िक । रोमन ग्रीकजनोंका हैं स्वस्स्िक, नोडडणक-वाईककंगोंका हैं स्वस्स्िक ।

िवण ववश्वजनोंका हैं श्री स्वस्स्िक, गौरविे बोलो जय श्री स्वस्स्िक ।


श्रीमन स्वस्स्तकाय….. श्रीमन स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर [२] िेरी माया िबिे प्यारी प्यारी हरर हरर [२]

भजमन स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर [२] हरर ॐ स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर [२] श्रीमन स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर [२]

हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका…[२] ररद्धि स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर

सिद्धि स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर बोलो गणेशाय गणेशाय हरर हरर

भजो स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर

जय जय स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर

हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका, हरर ॐ नमो श्री स्वस्स्िका…[२] स्वस्स्ि ववनायक ववनायक हरर हरर सिद्धिववनायक ववनायक हरर हरर स्मरो ववनायक ववनायक हरर हरर

जपो स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर अष्टववनायक स्वस्स्िकाय हरर हरर

स्वस्स्ि स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर पभजो स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर

नमो श्रीस्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर नमो श्रीगणेशाय गणेशाय हरर हरर

श्रीमन स्वस्स्िकाय स्वस्स्िकाय हरर हरर [२]


स्वस्स्तकम स्वस्स्तकम…. स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम । ित्यम शीवम िंद ु रम, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम ।

स्वति स्वति िदा किाण, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम । रकिवणणम शुशोसभिम, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम । शुभम लाभम मंगलम, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम । श्री गणेशाय स्वरुपा, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम ।

श्री ररद्धि सिद्धि स्वरुपा, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम । ि​ि धचि आनंद स्वरुपा, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम ।

श्री मां महाशस्क्ि स्वरुपा, स्वस्स्िकम स्वस्स्िकम । ॐ नमो स्वस्स्िकम ॐ नमो स्वस्स्िकम [१] स्वस्स्िकम …स्वस्स्िकम [११]

ॐ नमुः प्रतिकायम ॐ नमो स्वस्स्िकम ॐ नमो नमामीहम ॐ नमो प्रतिकायम

ॐ नमो श्रीगणेशायम ॐ नमो श्री गजाननम

ॐ नमो सशव पुत्रायम ॐ नमो गौरी िुिायम

नमो नमो स्वस्स्िक प्रतिकम, नमो नमो स्वस्स्िक प्रतिकम

धून….. हरर ॐ स्वस्स्िका... हरर ॐ स्वस्स्िका... हरर ॐ गणेशा... हरर ॐ गणेशा...... ररद्धि सिद्धि ववश्वववनायक, हरर ॐ गणेशा...... श्री ॐ स्वस्स्िका... श्री ॐ स्वस्स्िका... श्री ॐ गणेशा... श्री ॐ गणेशा...... ररद्धि सिद्धि अष्टववनायक, हरर ॐ गणेशा...... ॐ स्वं स्वस्स्िका... ॐ स्वं स्वस्स्िका... ॐ गं णणेशा... ॐ गं गणणेशा... ररद्धि सिद्धि सिद्धिववनायक, हरर ॐ गणेशा...... हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ, हरर…. ॐ स्वस्स्िका स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िका । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ, हरर…. ॐ स्वस्स्िका स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िका ।


स्वस्स्तक स्वस्स्तक ….. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक । गणेशम गणेशम हरर ॐ गणेशम, हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ गणेशम । ॐ नमो पावन प्रतिकम, ॐ नमो पववत्र प्रतिकम ।

ॐ नमो शुभलाभ प्रतिकम, ॐ नमो मंगल प्रतिकम । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

आयणजनोंका हैं स्वस्स्िक, हहंदज ु नोंका हैं स्वस्स्िक । दे वालयोंमें हैं स्वस्स्िक, िीथणस्थानोंमें हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

ॐ नमो श्री गणेशायम । ॐ नमो श्री सिद्धिववनायकम । ॐ नमो श्री गजाननम । ॐ नमो स्वस्स्िकायम । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

जैनजनोंका हैं स्वस्स्िक, जीनालयोंमें हैं स्वस्स्िक ।

अष्टमंगल हैं स्वस्स्िक, श्रीिप ु ाश्वण स्वरुप हैं स्वस्स्िक । ॐ नमो अररहं िाणम, शभ ु म लाभम स्वस्स्िकम । ॐ नमो अररहं िाणम, ॐ नमो सिद्िाणं । ॐ नमो आयररयाणं ॐ नमो उवज्ज्ञाणं ।

ॐ नमो लोए िव्विाहुणं ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम । जीनम शरणम ग्चछासम स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

बौिजनोंका हैं स्वस्स्िक, बौिस्िुपोमें हैं स्वस्स्िक ।

बुद्ि वक्षपर हैं स्वस्स्िक, बौिगुफामें हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

बुद्िम शरणम गचछासम, ब्रह्मम शरणम गचछासम िंघम शरणम गचछासम, िंघम शरणम गचछासम। बुद्िम शरणम गचछासम स्वस्स्िक ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

ज्ञानम स्वस्स्िक, ध्यानम स्वस्स्िक…… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... योगम स्वस्स्िक, भस्क्िंम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

ररद्धिम स्वस्स्िक सिद्धिम स्वस्स्िक…. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... भोगम स्वस्स्िक, त्यागम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... िुखम स्वस्स्िक, शांतिम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

िुहागम स्वस्स्िक, िौभाग्यम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... आनंदम स्वस्स्िक, ऐश्वयणम स्वस्स्िक…. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... [३]


ॐ नमो महा प्रततकायम..... ॐ नमो महा प्रतिकायम, ॐ नमो महा स्वस्स्िकायम ।

ॐ नमो महा गणेशायम, ॐ नमो महा ववश्वस्वरुपायम । ॐ नमो महा प्रतिकायम…..

ॐ नमो शुभदायकम, ॐ नमो लाभदायकम ।

ॐ नमो भाग्यदायक्म, ॐ नमो मंगलकारीम । ॐ नमो महा प्रतिकायम…..

ॐ नमो िुखदायकम, ॐ नमो शांतिदायकम ।

ॐ नमो ररद्धिदायकम, ॐ नमो सिद्धिदायकम । ॐ नमो महा प्रतिकायम…..

ॐ नमो वैभवदायकम, ॐ नमो िमद् ृ धिदायकम । ॐ नमो प्रगतिदायकम, ॐ नमो दायकम । ॐ नमो महा प्रतिकायम…..

ॐ नमो यशदायकम, ॐ नमो कीतिणदायकम ।

ॐ नमो वद् ु धिदायकम । ृ धिदायकम, ॐ नमो बद् ॐ नमो महा प्रतिकायम…..

ॐ नमो ऐश्वयणदायकम, ॐ नमो प्रभि ु ादायकम ।

हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ स्वस्स्तक….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री अष्टववनायक हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ हरर ॐ हरर……

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री गौरीनंदन हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ हरर ॐ हरर……

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री शंकरिप ु त्र ु हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ हरर ॐ हरर……

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री सिद्धिववनायक हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ हरर ॐ हरर……

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री ररद्धिववनायक हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ हरर ॐ हरर……

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री गणेश गजानन हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ हरर ॐ हरर……

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक, श्री ववनायक गणपति हरर ॐ स्वस्स्िक,


वन्दन करो….. वन्दन करो श्री स्वस्स्िक प्रतिकको, वन्दन करो श्रीगणेश प्रतिकको ।

ववश्वव्यावप शुभमंगल स्वतिप्रतिकको, िवणप्रथम पभजतनय स्वस्स्िकको । आयणजनोंके आध्यास्त्मक प्रतिकको, शुभ लाभके महाहदव्य प्रतिकको ।

पावन पववत्र महाप्रभुके प्रतिकको, महाशस्क्ि मां नवदग ु ाणके प्रतिकको ।

हदव्यशस्क्िदािा स्वस्स्िक प्रतिकको, हदव्य चेिनादािा श्री स्वस्स्िकको । महाउजाणके ज्योतिमणय िुयद ण े वको, शांि शीिल िुंदररुप चंरदे वको ।

श्री ब्रह्माजीके महाशस्त्र ब्रह्मास्त्रको, श्री महे श्जीके महान त्रत्रशुलशस्त्रको । श्री ववष्णुजीके महािुदशणनचक्रको, मािा नवदग ु ाके हर अस्त्रशस्त्रोंको । चिुवेदोंके महा स्वस्स्िवाचनमंत्रको, िंत्र यंत्र और महायोग मंत्रको । िािनाके महान आध्यात्म प्रतिकको,

प्रेम भस्क्िमय श्रीस्वस्स्िकको ।

श्री गणेशके पावन पुण्य प्रतिकको, ररद्धि सिद्धि पति परमेश्वरको ।

स्वस्स्तक प्रततकम पिम पावनम….. स्वस्स्िक प्रतिकम परम पावनम, स्वस्स्िक प्रतिकम परम पभजतनयम ।

स्वस्स्िक प्रतिकम परम िुंदरम, स्वस्स्िक प्रतिकम परम िुशोसभिम । िनम िान्यम पशु-पुत्रम लाभम, शस्क्ि िामवयणम महाबलम विणनम ।

िख ु म िमद् ु ैभवम िंविणनम, शांतिम िंिोषम परमानंद दायकम । ृ धिम िव लाभम कीतिणम िन्मानम दायकम, ररद्धिम सिद्धिम व्रद् ु धिम प्रदानयम । बद् ण ज्ञानम प्रदानम, वैभवम महापद प्रसिद्धिम दायकम । ु धिम चािय ु म प्रेमम स्नेहम करुणाम विणनम, आरोग्यम ऐश्वयणम आनंदम विणनम ।

िौभाग्यम मंगलम कल्याणम दायकम, शद् ु धिम पववत्रम पावनम करोति । दुःु खम दरररम, कष्टम तनवारणीयम, आधि-व्याधिम उपाधिम हरण्यम। ववघ्नम आपवत्तम ववपवत्तम हरतिम, भयम िंकटम क्षोभम हरण्यम।

शुभम िुमंगलम िवणशस्क्िमानम, स्वस्स्ि स्वस्स्ि किाणम स्वस्स्िक प्रतिकम द । वंदनम प्रणामम नमस्काम द करोम्यहम द, िवणम कल्याणम करो हे स्वस्स्िकम द ।


हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ स्वस्स्तकम ्….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िकम द, स्वस्स्िकम द स्वस्स्िकम द हरर ॐ स्वस्स्िकम द । श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ स्वस्स्िकम द, स्वस्स्िकम द स्वस्स्िकम द श्री ॐ स्वस्स्िकम द ।

सशव ॐ सशव ॐ सशव ॐ स्वस्स्िकम द, स्वस्स्िकम द स्वस्स्िकम द सशव ॐ स्वस्स्िकम द । जय ॐ जय ॐ जय ॐ स्वस्स्िकम द, स्वस्स्िकम द स्वस्स्िकम द जय ॐ स्वस्स्िकम द । ित्यम सशवम िुंदरम स्वस्स्िकम द, भव्यम हदव्यम चैिन्यम स्वस्स्िकम द । पावनम पववत्रम पभण्यम स्वस्स्िकम द, शुभम लाभम मंगलम स्वस्स्िकम द । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..

िवणत्रम िवणज्ञम िवणव्यावपम स्वस्स्िकम, अनाहदम अनंिम अनेकम स्वस्स्िकम ।

अचलम अगोचरम अज्ञािम स्वस्स्िकम, श्रेष्ठम अनुपमम अनन्यम स्वस्स्िकम । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..

अदभि भ म अलौकककम चमत्कारीकम स्वस्स्िकम, अमल् भ यम अणमोलम अिुल्यम स्वस्स्िकम । रम्यम मोहकम मनोहरम स्वस्स्िकम, परमानंदम उल्हािम िस्चचदानंदम स्वस्स्िकम । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..

महे श्वरम अररहं िम गौिमम स्वस्स्िकम,पज भ नीयम वंदनीयम आदरणीयम स्वस्स्िकम । उजाणम प्रकाशम महाशस्क्िम स्वस्स्िकम, आध्यात्मम ऐश्वयणम महािपम स्वस्स्िकम । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..

योगम ध्यानम भस्क्िम स्वस्स्िकम, मंत्रम यंत्रम िंत्रम स्वस्स्िकम ।

िमणम कमणम मोक्षम स्वस्स्िकम, श्रद्िाम आस्थाम िमपणणम स्वस्स्िकम । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..

प्रतिकम धचन्हम शुभाकारम स्वस्स्िकम, िब्यम सिद्िम भरम प्रतिकम ।

प्रथमम पभजीिम श्री गणेश प्रतिकम, आयणिमणम राष्रम िंस्कृतिम प्रतिकम । हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..


प्रथम स्मिो श्री स्वस्स्तक….. प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..[४] धचन्ह स्वरूप श्री गणेशा ।

अति िुंदर शोभे आकार..[२] हर मंदीरके हर द्वार द्वार । प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..

चिुभज भण चक्राकार … रक्िवणण शुभ लाभाकार..[२] भव्य हदव्य शुभ प्रतिक, मंगलमभिी गणेशा.. प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..

ब्रह्मास्त्र वज्र शस्त्र िमान, त्रत्रशुल िुदशणन िमान..[२] आयण िमण ध्वज िमान, आयण गौवणका गुणगान… प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..

पावन पववत्राकार….दै वी आध्यास्त्मक आकार…[२] पभजतनय वंदनतनय…आदरणीय महा आकार… प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..

िवण उत्तम प्रतिक, िवण श्रेष्​्िम प्रतिक…[२] िवणव्यावप प्रतिक, िवणत्र िवणमय प्रतिक.. प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..

ररद्धि सिद्धि दािा गणेश, िख ु शांति दािा गणेश..।..[२] दख ु कष्ट हिाण गणेश, िवणसिद्धि स्वस्स्िक गणेश । प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक..

ववश्वव्यापी अनेक नाम, नरनारी भजे प्रभु िमान..।..[२] ॠवषमुतन गाये गुणगान, स्वस्स्िकानंद िरे ध्यान । प्रथम स्मरो श्री स्वस्स्िक.. प्रथम पुजो श्री स्वस्स्िक..

प्रथम भजो श्री स्वस्स्िक..


स्वस्स्त स्वस्स्तकम…..

स्वस्स्ि स्वस्स्िकम, शभ ु म मंगलम स्वस्स्िकम । ित्यम सशवम, िंद ु रम स्वस्स्िकम श्रीगणेशम द । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

िवोत्तम िवणश्रेष्ठम, िवोपररम प्रतिकम ।

िवणत्रम िवणव्यावपम, िवेहदशाम स्वस्स्िकम ।

हदव्यम दौव्यम, अव्यम रम्यम स्वस्स्िकम । अदभभिम अलौकककम, चमत्कारीम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

रमखणयंम शोसभिम, मनोहरम स्वस्स्िकम ।

परमानंदम परमिुखम, परमशांतिम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

िौभाभाग्यम िदभाग्यम, भाग्योदयम स्वस्स्िकम । आध्यास्त्मकम भौतिकम, दै वत्वम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

पावनम पववत्रम, शुद्िोदकम स्वस्स्िकम ।

तनमणलम तनववणकारम, िवणगुणम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

आरोग्यम ऐश्वयणम, उद्िारकम स्वस्स्िकम । शुभलाभम मंगलंम, कल्याणम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

ब्रह्मायम सशवायम, नारायणायम स्वस्स्िकम ।

िरस्विीम पावणिीम, महालक्ष्मीम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..

आदरणीयम वंदनीयम, ित्कारणीयम स्वस्स्िकम । पज भ तनयम आराध्यम, िाितनयम स्वस्स्िकम । स्वस्स्ि स्वस्स्िकम…..


स्वस्स्त स्वस्स्त स्वतत स्वस्स्त…. स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्िक बोल…. स्वस्स्ि बोल स्वस्स्िक बोल…….[४] स्वस्स्ि बोल स्वस्स्ि बोल.. स्वस्स्िक बोल स्वस्स्िक बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि….

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्ि बोल…. ित्य बोल ित्य बोल…….[४] ित्य बोल ित्य बोल.. ित्य बोल ित्य बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि……

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्ि बोल…. सशव बोल सशव बोल…….[४] सशव बोल सशव बोल.. सशव बोल सशव बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि……

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्ि बोल…. िद ंु र बोल िुंदर बोल…….[४] िुंदर बोल िुंदर बोल.. िुंदर बोल िुंदर बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि….

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्ि बोल…. शभ ु बोल शुभ बोल…….[४] शुभ बोल शुभ बोल.. शुभ बोल शुभ बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि….

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्ि बोल…. मंगल बोल मंगल बोल…….[४] मंगल बोल मंगल बोल.. मंगल बोल मंगल बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि….

स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि..[२] स्वस्स्ि बोल…. हरर ॐ बोल हरर ॐ बोल…….[४] हरर ॐ बोल हरर ॐ बोल.. हरर ॐ बोल हरर ॐ बोल..[२] स्वस्स्ि स्वस्स्ि स्वति स्वस्स्ि….

धून ्….. जय जय स्वस्स्िक गणेश हरर बोल..[११]

हरर बोल हरर बोल हरर बोल, हरर बोल हरर बोल हरर बोल [११] जय जय स्वस्स्िक गणेश हरर बोल….

स्वस्स्िक बोल स्वस्स्िक बोल स्वस्स्िक बोल..[२]…..[११] जय जय स्वस्स्िक गणेश हरर बोल….

गणेश बोल गणेश बोल गणेश बोल…..[२]….[११] जय जय स्वस्स्िक गणेश हरर बोल….


प्रथम पूस्जतम स्वस्स्तक प्रततकम ….. प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम, प्रथम वंदनीयम स्वस्स्िक धचन्हम । शभ ु म मंगलम स्वस्स्िक आकारम, नमो स्ि​ि ु े श्री स्वस्स्िक प्रतिकम । प्रथम पस्भ जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम पण् भ यम, स्वस्स्ि​िक िो हैं पावनम पववत्रम ।

स्वस्स्िक िो हैं ित्यम सशवम, भजलो प्यारे स्वस्स्िक शभ ु नामम । प्रथम पस्भ जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम आनंदम, स्वस्स्ि​िक िो हैं परम िख ु ऐश्वयणम । स्वस्स्ि​ि िो हैं परम पभजतनयम, भजलो प्यारे स्वस्स्िक िहृदयम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम िौभाग्यम, स्वस्स्ि​िक िो हैं परम कल्याणम । स्वस्स्िक िो हैं परम आसशवाणदम, भजलो प्यारे कृपालु स्वस्स्िकम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम परमेश्वरम, स्वस्स्ि​िक िो हैं परम परमेश्वरीम । स्वस्स्िक िो हैं परम महे श्वरम, भजलो प्यारे प्रभुमय श्री स्वस्स्िकम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..

स्वस्स्िक िो हैं परम श्रीगणेशम, स्वस्स्ि​िक िो हैं श्री सिद्धिववनायक्म । स्वस्स्िक िो हैं परम अष्टववनायकम, भजलो प्यारे जय श्री गजाननम । प्रथम पभस्जिम स्वस्स्िक प्रतिकम …..


स्वस्स्त स्वतत किो स्वस्स्तक ॐ….. स्वस्स्ि स्वति करो स्वस्स्िक ॐ…

मंगल मंगल करो स्वस्स्िक ॐ…[२]

हरर ॐ.. स्वस्स्िक ॐ.. स्वस्स्िक ॐ….[२] स्वस्स्ि स्वति करो स्वस्स्िक ॐ…

आनंद आनंद करो स्वस्स्िक ॐ… [२] हरर ॐ.. स्वस्स्िक ॐ.. स्वस्स्िक ॐ..[२] स्वस्स्ि स्वति करो स्वस्स्िक ॐ… शुभ शुभ करो स्वस्स्िक ॐ…[२]

हरर ॐ.. स्वस्स्िक ॐ.. स्वस्स्िक ॐ….[२] स्वस्स्ि स्वति करो स्वस्स्िक ॐ…[२] लाभ लाभ करो स्वस्स्िक ॐ…

हरर ॐ.. स्वस्स्िक ॐ.. स्वस्स्िक ॐ….[२] स्वस्स्ि स्वति करो स्वस्स्िक ॐ…

शांति शांति करो स्वस्स्िक ॐ…[२]

हरर ॐ.. स्वस्स्िक ॐ.. स्वस्स्िक ॐ….[२] स्वस्स्ि स्वति करो स्वस्स्िक ॐ…


हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ, स्वति स्वस्स्िक स्वस्स्िकाय ॐ… श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ, श्री श्री स्वस्स्िक स्वस्स्िकाय ॐ…

स्वति स्वस्स्िक स्वस्स्िकाय ॐ. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वति गणेश गणेशाय ॐ…. श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ, श्री श्री गणेश गणेशाय ॐ….

स्वति गणेश गणेशाय ॐ, हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ… हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्ि ववनायक ववनायक ॐ…. श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ श्री श्री ववनायक ववनायक ॐ….

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ ररद्धि सिद्धि ववनायक हरर ॐ…. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..

हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्ि सशवशस्क्ि सशवशस्क्ि ॐ…. श्री ॐ श्री ॐ श्री ॐ श्री श्री सशवशस्क्ि सशवशस्क्ि ॐ….

स्वस्स्ि सशवशस्क्ि सशवशस्क्ि ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…

स्वस्स्िक ॐ स्वस्स्िक ॐ स्वस्स्िक ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ गणेश ॐ गणेश ॐ गणेश ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ

ववनायक ॐ ववनायक ॐ ववनायक ॐ ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ सशवशस्क्ि ॐ सशवशस्क्ि ॐ सशवशस्क्ि ॐ….. हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ…..


आ..आ,,आ..आ.. स्वस्स्िका….. ..आ,,आ..आ.. स्वस्स्िका,श्री स्वस्स्िक श्री गणेशा…[८] स्वस्स्िका..आ..आ..…स्वस्स्िका…..आ..आ.. स्वस्स्िका स्वस्स्िका श्री गणेशा…[२]

हरे गणेशा हरे गणेशा, गणेशा गणेशा हरे हरे …..

हरे स्वस्स्िका हरे स्वस्स्िका स्वस्स्िका हरे हरे ….. गणेशा..आ..आ..आ.. गणेशा..आ..आ..आ.. स्वस्स्िक स्वस्स्िक श्री गणेशा…[२]

हरे गणेशा हरे गणेशा गणेशा गणेशा हरे हरे …..

हरे स्वस्स्िका हरे स्वस्स्िका स्वस्स्िका हरे हरे ….. स्वस्स्िका….आ…. आ…. स्वस्स्िका… आ…. आ…. स्वस्स्िक स्वस्स्िक श्री गणेश… े [२]

स्वस्स्िक स्वस्स्िक श्री गजानना…[१२]..

स्वस्स्िका..आ..आ..आ.. गजानना..आ..आ..आ.. स्वस्स्िक स्वस्स्िक श्री गजानना…[२]

हरे गजानना हरे गजानना, गजानना हरे हरे …..

हरे स्वस्स्िका हरे स्वस्स्िका, स्वस्स्िका हरे हरे ….. ववनायका..आ..आ..आ.. ववनायका..आ..आ..आ.. स्वस्स्िक स्वस्स्िक श्री ववनायका…[२]

हरे ववनायका हरे ववनायका, ववनायका हरे हरे …..

हरे स्वस्स्िका हरे स्वस्स्िका. स्वस्स्िका हरे हरे ….. आ..आ,,आ..आ.. स्वस्स्िका…..


पिु े ववश्वमें हैं सवोत्तम….. पुरे ववश्वमें हैं िवोत्तम, स्वस्स्िक प्रतिक हमारां । हमिो हैं िािक उनके, वो आराध्य हैं हमारां ।

..….………..पुरे ववश्वमें

हर प्रतिकोंमें हैं िबिे उं चा, वो प्रथम धचन्ह हैं हमारां, िारे ववश्वमें हैं िदा वो छायां, ववश्वजनोंको वो हैं प्यारां ! ………..पुरे ववश्वमें िुंदर, िुमनोहर, नयनरम्य, शुभ धचन्ह हैं स्वस्स्िकका । अदभि भ , अद्वविीय, अलौककक, लाभ आकार हैं हमारां ।

………..परु े ववश्वमें

आयणिमण िंस्कार िंस्कृतिका, स्वस्स्िक िो हैं रखवालां । आयण मल् ु यों और परं पराका, स्वस्स्िक िो हैं प्राणदािा ।

………..परु े ववश्वमें

युग युगिे अववचल खडां वो, गीरीराज हहमालय िा वो । आयोंके रुिीरमें िदा वो बहिां, जैिे िप्िसिंिओ ु ंकी िारा । ………..परु े ववश्वमें परम पावन पववत्र हैं वो, शुभ लाभ मंगल प्रतिक हैं वो । शभ ु कामना और शभ ु ावषशका, प्राचीन प्रतिक हमारां ।

……………..परु े ववश्वमें

वेद-शास्त्रोमें हैं वो गुंजिा, स्वस्स्ि मंत्रका ये शुभ नारां । प्राणोंिे भी आयोंको प्यारां, स्वस्स्िक प्रतिक हैं न्यारां ।

………..पुरे ववश्वमें

आयण गौरव स्वासभमानका, िदा झगमगिा है वो िारा । आयण भस्क्ि और अस्स्मिाका, िमणध्वज िा प्रतिक हमारां । ..…..पुरे ववश्वमें दे वालयोमें और उपाश्रयोमें , गुरुद्वारोंमें और बौि स्िुपोमें । हर घर गुफा और स्थलमें , हर मंहदरमें हैं स्थान िुम्हारां ।………..पुरे ववश्वमें िख ु शांति िमद् भ है वो हमारां । ृ धि प्रगतिका, ववश्व राजदि कृपा, दया करुणा अनुकम्पाका, वो प्रेरणा िुत्र है हमारां ।.………..पुरे ववश्वमें आयण योग, यंत्र, िंत्र और मंत्रका, चमत्कारीक रुप हैं न्यारां । शस्क्ि, मुस्क्ि और भस्क्ि भावनांका, पुवाणचीन प्रतिक हमारां ।………..पुरे ववश्वमें िवाणकार हैं िभी आयणदेवोंका, िवणशस्क्ि रूप है श्रीदे वीओंका । हमिो पभजक हैं िवस्स्िकके, वो परम पभज्य दे विा हमारां । ………..पुरे ववश्वमें


स्वस्स्तक स्वस्स्तक हिी ॐ स्वस्स्तक….. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक, नमो नमो नमो हरी ॐ स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक, नमो नमो नमो श्री ॐ स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक..... शभ ु लाभ किाण हैं स्वस्स्िक, आनंद िम ु ंगल करिा हैं स्वस्स्िक । मनोरथ पभणण करिा हैं स्वस्स्िक, मनोकामना पभणण करिा हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक..... िुख शांति दे िा हैं स्वस्स्िक, िन िान्य दे िा हैं स्वस्स्िक । वैभव ववकाश दे िा हैं स्वस्स्िक, ररद्धि सिद्धि दे िा हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक..... िौभाग्य िुस्वास्वय दे िा हैं स्वस्स्िक, शस्क्ि िामवयण दे िा हैं स्वस्स्िक । वद् ु धि दे िा हैं स्वस्स्िक । ृ धि िमद् ृ धि दे िा हैं स्वस्स्िक, बल बद् स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक..... िौभाग्य िस् ु वास्वय दे िा हैं स्वस्स्िक, शस्क्ि िामवयण दे िा हैं स्वस्स्िक । वद् ृ धि िमद् ृ धि दे िा हैं स्वस्स्िक, बल बुद्धि दे िा हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक..... दख ु दमन हिाण हैं स्वस्स्िक, िुस्ष्ट पुस्ष्ट किाण हैं स्वस्स्िक । दररर कष्ट समटािा हैं स्वस्स्िक, आधि व्याधि समटािा हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक..... शुभ आसशष दे िा हैं स्वस्स्िक, शुभ वरदान दे िा हैं स्वस्स्िक । शुभ कामना किाण हैं स्वस्स्िक, िवण िदा मंगल किाण हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरी ॐ स्वस्स्िक


जय स्वस्स्तक नाम…. ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः ॐ श्री स्वस्स्िकाय नमुः जय स्वस्स्िक नाम, जय जय स्वस्स्िक नाम..[२] ..[२] जय स्वस्स्िक नाम, जय जय स्वस्स्िक नाम..[२] ..[२] जय स्वस्स्िक नाम, जय जय श्रीगणेश नाम..[२]…[२] ववघ्नववनाशी मंगळ नाम, जय जय स्वस्स्िक नाम..[२] ..[२] जय स्वस्स्िक नाम…. भजले भक्ि िुं गणपति नाम, जय श्री गणेश जय लंबोदर नाम..[२] ..[२] जय श्रीगणेश जपो, जय श्री गणेश..[२]…[२] जय स्वस्स्िक जय श्री गणेश नाम..[२]..[२] स्वस्स्ि गणेश भजो स्वस्स्ि गणेश..[२]..[२] जय स्वस्स्िक नाम…. ररद्धि सिद्धिके दािा भगवान, जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम..[२]..[२] जय स्वस्स्िक नाम, जय जय स्वस्स्िक नाम..[२] ..[२] स्वस्स्िक मंत्र जपो हदन राि, जय स्वस्स्िक जय स्वस्स्िक नाम..[२] ..[२] जय स्वस्स्िक नाम…. शुभ लाभकारी हैं िेरो नाम, जय स्वस्स्िक जय जय स्वस्स्िक नाम..[२] ..[२] जय श्रीगणेश नाम, जय जय ववनायक नाम…[२]..[२] िुख वैभवके िुम हो भगवान, जय श्री गणेश जय गजानन नाम..[२] ..[२] जय स्वस्स्िक नाम…. हदव्य प्रतिक श्रीगणेश िमान, भजलो प्यारे िदा स्वस्स्िक नाम ..[२] ..[२]


श्री स्वततका श्री स्वस्स्तका.... श्री स्वतिका श्री स्वस्स्िका..[२] श्री गणेशा श्री गणेशा..[२] श्री स्वस्स्िका..िम ु दे वा गणेशा… िम ु शभ ु मंगलकारीणी.. आ..आ..आ..आ... श्री स्वस्स्िका..िुम दे वा गणेशा… प्रथम पज भ ीि िम ु प्रतिक प्रभक ु ा.. श्री स्वस्स्िका..िुम दे वा गणेशा… िम ु हो एकदं ि िम ु हो ववनायक..[२] िम ु गजाजन गणपति श्री स्वस्स्िका..िुम दे वा गणेशा… िुम हो ररद्िी िुम हो सिद्धि..[२] िुम वैभव हो िुम व्रुद्धि.. श्री स्वस्स्िका. िुम दे वा गणेशा… िुम िुंदर हो िुम शुशोसभिा.. िुम मन मोहहि प्रतिका.. श्री स्वस्स्िका..िुम दे वा गणेशा… िुम हो मािा िुमहो वपिा..[२] िुम पालन पोषणकिाण.. श्री स्वस्स्िका..िम ु दे वा गणेशा… िुम िुखकिाण िुम दख ु हिाण..[२], कष्टहिाण िुम ववघ्नववनाशी श्री स्वस्स्िका..िम ु दे वा गणेशा… िुम शुभकिाण िुम लाभकिाण..[२] भाग्यवविािा िुम वरदायी.. श्री स्वस्स्िका..िम ु दे वा गणेशा…


जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान ….. जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान, पति​ि पावन श्रीगणेश नाम । ..[३] स्वस्स्िक नाम स्वतिक नाम, भज प्यारे िुं स्वस्स्िक नाम । ..[२] जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

ब्रह्मा ववष्णु शीव िेरोनाम,ववश्वके प्रथम हैं वोभगवान । महाशस्क्ि हैं िेरो नाम, िबकोिदबुद्धि दे हे भगवान। जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

इ्न्श्वर अररहं ि िेरो नाम, दे दे िबको अहहंिाका ज्ञान।

िेरी अनुकम्पा हैं अपार, भज प्यारे िुं महावीर नाम । जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

इ्न्श्वर बुद्ि हैं िेरोनाम,फैला दे जगमें शांतिपैगाम ।

दया करुणा है िेरी अपार, भज प्यारे िुं बुद्िका नाम । जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

इ्न्श्वर वाहे गुरु िेरोनाम,दे दे िमण िंरक्षणकाज्ञान ।

िेरी शस्क्ि हई िवणमहान, भज प्यारे िुं वाहे गुरुजी नाम । जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

इ्न्श्वर अषो हैं िेरोनाम,दे दे जन िेवाकावरदान ।

माया ममिा स्नेह अपार, भज प्यारे िुं अषॉका नाम । जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

वेदीकिमणके िम ु हो िबनाथ,ववश्वववजयका उठाओ नाद ।

आयणिमणका करो िम ु उद्िार, करओ ववश्वका िम ु कल्याण । जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..

गाओ िौ स्वस्स्िकके गान, फैलादोआयणिमणकी शान ।

जपलो रटलो स्वस्स्िक नाम, करे आत्मशद् ु धिका काम । जगपति स्वस्स्िक प्रतिक महान …..


ित ित तम ु को प्रणाम ….. शि शि िुमको प्रणाम, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम । शि शि िुमको नमन, हे स्वस्स्िक िुमको हमारांनमन । शि शि िुमको प्रणाम …..

हम आये िेरे चरणकमलमें , िािना जागि ु हमारी । ृ करो िम

हे मंगल मुतिण श्री गणेशा, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[२] शि शि िुमको प्रणाम ….. स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[२] भस्क्ि ज्ञानकी ज्योि जलादो..[२] मनमे श्रद्िा भाव बहादो…[२] िब होगा हमारां कल्याण, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम.. शि शि िुमको प्रणाम ….. स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[

शुभ लाभ मंगल करदो हमारां, दख ु कष्ट ववघ्न हरो िब हमारां । जपिे ही िेरो शुभ नाम, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[२] शि शि िुमको प्रणाम ….. स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम..[

शुभ आसशष हमें शुभ वर दो…[२] हमरे स्जवनका उद्िार करदो ।

द्यो िुख शांतिके आसशवाणद…,, हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम. शि शि िुमको प्रणाम ….. हे स्वस्स्िक िुमको हमारां प्रणाम. मोह मायाके बंिन समटादो, तनमणल नीरकी िरीिा बहादो..[२]

करदो कृण्वन्िो आयणम ववश्वम, हे स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम…[२]. शि शि िम ु को प्रणाम ….. हे स्वस्स्िक िम ु को हमारां प्रणाम.


जब जब स्वस्स्तकका….. स्वस्स्तक नाम.. स्वस्स्तक नाम.. स्वस्स्तक नाम.. स्वस्स्तक नाम.. [४] स्वस्स्तक नाम.. नाम.. नाम.. बोलो जय जय श्री स्वततक नाम …

जब जब स्वस्स्िकका नाम सलया [२] हर ववघ्नोंको मैंने पार ककया । जब जब स्वस्स्िकका नाम सलया [२] हर िंकट भयका नाश हुआ । जब जब स्वस्स्िकका….. जीवनके हर मोडपे जब मैंने, स्वस्स्िकके चरनमें शरण सलया।

जीवनके हर कोई िंघषोमें , स्वस्स्िकने हमें िदा ही िाथ हदया । जब जब स्वस्स्िकका…..

स्वस्स्िक नामका ध्यान ककया, वपडा व्याधि िब समट गया । स्वस्स्िक नामका मंत्र जपा, हर सभिी डर िब भाग गया । जब जब स्वस्स्िकका…..

स्वस्स्िक मंगलका नाम सलया, हर दुःु ख दररर दरभ हुआ । मेरे जीवनके भविागरको, स्वस्स्िक नामने ही िार हदया । जब जब स्वस्स्िकका…..

स्वस्स्िक कृपािे िबकुछ पाया, हमें नवजीवन आिार समला । िच कहिा हुं श्रीगणेश िम ु को, िम ु ने नवजीवन दान हदया । जब जब स्वस्स्िकका….. स्वस्स्िक नाम……….


सवि प्रथम वंदन किते हैं….. ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम, ॐ नमो श्री गजाननम ।

ॐ नमो श्री ववनायकम, ॐ नमो श्री गं गणेशम । िवण प्रथम वंदन करिे हैं, हे स्वस्स्िक प्रतिक हम आपको ।

िवण प्रथम पभजन करिे हैं, हे श्री गणेश स्वरुप हम आपको । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

िेरो नाम अलौककक अदभभि हैं, स्वस्स्िक मंत्र हैं महा चमत्कार । अपरं पार िेरी महहमां हम गािे हैं, िेरो शुभ नाम हैं िवण महान । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

िुम हो दयामय िुम हो करुणामय, िुम िो हो दीनबंिु हो नाथ ।

श्री गणेशजीके आराध्य स्वरुप हो, िवण शुभ मंगल किाण हो नाथ । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

भस्क्ि िािना हर सिद्धि दे िा, ररद्धि-सिद्धि दे िा िन वैभवके िाथ । िुख िमद् ृ धि और शांति दे िा, स्वस्स्िक दे िा महा फलदायी ज्ञान । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

श्रवण रटण स्वस्स्िक बीजमंत्रका, करिा हैं आत्म शद् ु धि ित्काल । स्वस्स्िकके महाबीज मंत्र जपनेिे, होिा हैं िभीका स्जवन उद्िार । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

जपलो रटलो भजलो हे िािो, स्वस्स्िक मंत्र िम ु हर हदन हर राि ।

पाओ गे िम ु महामस्ु क्ि मौक्षको, पाओ गे अवश्यही िम ु स्वगणमें वाि । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..

िुम हो स्वासम प्रभु अंिरयासम, पावन पभण्य प्रतिक हे स्वस्स्िक दे वा ।

दो शुभासशष हमें हे भाग्यवविािा, करदो स्वस्स्िक िुम कल्याण हमारां । िवण प्रथम वंदन करिे हैं…..


ॐ नमो पावन प्रततकम….. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक । हरर ॐ स्वस्स्िक, हरर ॐ स्वस्स्िक । श्री ॐ स्वस्स्िक, श्री ॐ स्वस्स्िक । स्वं ॐ स्वस्स्िक,

ॐ स्वस्स्िक ।

स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक…… ॐ नमो पावन प्रतिकम, ॐ नमो पववत्र प्रतिकम ।

ॐ नमो शुभलाभ प्रतिकम, ॐ नमो मंगल प्रतिकम ।

आयणजनोंका हैं स्वस्स्िकम, हहंदज ु नोंका हैं स्वस्स्िकम । दे वालयोंमें हैं स्वस्स्िकम, िीथणस्थानोंमें हैं स्वस्स्िकम । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

ॐ नमो श्री गणेशायम । ॐ नमो श्री सिद्धिववनायकम । ॐ नमो श्री गजाननम । ॐ नमो स्वस्स्िकायम ।

स्वस्स्िक िमणम गचछासम। आयणम िमणम गचछासम। [३] स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

जैनजनोंका हैं स्वस्स्िकम, जीनालयोंमें हैं स्वस्स्िकम ।

अष्टमंगल हैं स्वस्स्िकम, श्रीिुपाश्वण स्वरुप हैं स्वस्स्िकम । ॐ नमो अररहं िाणम, शुभम लाभम स्वस्स्िक । ॐ नमो अररहं िाणम, ॐ नमो सिद्िाणं । ॐ नमो आयररयाणं ॐ नमो उवज्ज्ञाणं ।

ॐ नमो लोए िव्विाहुणं ॐ नमो श्री स्वस्स्िकम स्वस्स्िक िमणम गचछासम।आयणम िमणम गचछासम। [३] स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

बौिजनोंका हैं स्वस्स्िक, बौिस्िप ु ोमें हैं स्वस्स्िक ।

बद् ु ि वक्षपर हैं स्वस्स्िक, बौिगफ ु ामें हैं स्वस्स्िक । स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

बुद्िम शरणम गचछासम, ब्रह्मम शरणम गचछासम िंघम शरणम गचछासम, िंघम शरणम गचछासम।

स्वस्स्िक िमणम गचछासम।आयणम िमणम गचछासम। [३] स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

ज्ञानम स्वस्स्िक, ध्यानम स्वस्स्िक…… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... योगम स्वस्स्िक, भस्क्िंम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

ररद्धिम स्वस्स्िक सिद्धिम स्वस्स्िक…. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... [अगले पष्ृ ठ परद.....]


[ क्रमशुः .....]

भोगम स्वस्स्िक, त्यागम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... िुखम स्वस्स्िक, शांतिम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक.....

िुहागम स्वस्स्िक, िौभाग्यम स्वस्स्िक… स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... आनंदम स्वस्स्िक, ऐश्वयणम स्वस्स्िक…. स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... हरर ॐ हरर ॐ हरर ॐ स्वस्स्िक…..[३]

स्वस्स्िक स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक..... [३]

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स्वस्स्तक महामंत्र….. हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ हरर ॐ हरर हरर |

हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर हरर |

हरर हरर स्वस्स्िक हरर हरर स्वस्स्िक हरर ॐ स्वस्स्िक हरर हरर | श्री श्री

ॐ स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक, श्री ॐ श्री ॐ हरर हरर |

ॐ स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक हरर हरर |

श्री श्री जय जय

स्वस्स्िक श्री श्री स्वस्स्िक श्री ॐ स्वस्स्िक हरर हरर |

ॐ स्वस्स्िक जय ॐ स्वस्स्िक, जय ॐ जय ॐ हरर हरर |

ॐ स्वस्स्िक जय ॐ स्वस्स्िक जय ॐ स्वस्स्िक हरर हरर |

जय जय

स्वस्स्िक जय जय स्वस्स्िक, हरर ॐ स्वस्स्िक हरर हरर |

स्वस्स्तक वंदना….. प्रथम स्मरन श्री स्वस्स्िक…..[४] , प्रतिक..रुप िोहे गणेश ।..[२]….[१] चिुभज भण चक्रिार…[२] िुंदर शोभे मंगल आकार..[२]…[१] शोभे हर मंहदर द्वार..[२]

प्रथम स्मरन श्री स्वस्स्िक…..[४]

भव्य हदव्य शुभ प्रतिक..[२] मंगल मभिी श्री गणेश..[२]…[१] शोभे हर घरके द्वार …[२]

प्रथम स्मरन श्री स्वस्स्िक…..[४]

प्रथम पभजीि श्री गणेश…[४] ऋवष मुतन िरि हैं ध्यान.. [२]…[१]

स्वस्स्िकानंद करे प्रणाम.. हरववघ्न हरो स्वस्स्िक दे व… [२]…[१] प्रथम स्मरन श्री स्वस्स्िक…..[४]


ॐ जय स्वस्स्तक हिे …… नमो दे वो महा दे वो । स्वस्स्िक प्रतिकाय नमो नमुः । नमुः श्री गणेश रुपाय, प्रथमो प्रतिकाय नमो नमुः । [शंखनाद…..घंट्नाद.. िंगीि]

ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……स्वासम जय स्वस्स्िक हरे ….

भकि जनोंके िंकट… आयण जनोंके िंकट.. ि​ि क्षण दरभ करे । ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

मन वांछीि फल पावे…, कष्ट समटे िनका….स्वासम…,,,,[२] िुख वौभव घर आवे….. शांति समले मनकी…… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

माि ृ वपि ृ िुम मेरे…, शरण जाऊं मैं ककिकी….स्वासम…[२] िुम बीन नहह कोई मेरा… अपेक्षा करुं मैं ककिकी ?... ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

िुम परम परमेश्वर…. िुम हो िवणव्यापी…स्वासम……..[२] ब्रह्मा ववष्णु महे श्वर… िुम िबके स्वासम…. ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

िुम दयाके महािागर….िम ु हो कृपालु प्रभ… ु स्वासम..[२] िुम वरके हो दािा…..िुम हो श्रीगणेश दे वा… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

िुम हो शुभलाभ प्रतिक..िम ु िबके शुभकारी..स्वासम.[२] िुम मंगलमय दयामय,.. िुम हो शुभ कल्याणी… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

मैं अबुि अज्ञातन… मैं क्रोिी कपटी कामी…..स्वासम….[२] कृपा करो िम ु हम पर… हे ववश्वके महा आधिपति… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

दुःु ख हिाण िख ु किाण… ववश्वेश्वर िम ु मेरे…..स्वासम….[२] वरद हस्ि उठाओ… शभ ु आसशष हमें दे नें….. ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……

ववचार आचार िुिारो.. पाप हरो दे वा…..स्वासम…[२]

श्रद्िा भस्क्ि बढाओ..आस्था शस्क्ि बढाओ..हे स्वस्स्िक प्राणपति… ॐ जय स्वस्स्िक हरे ……


स्वस्स्तक मंत्र..... नमो दे वो महा दे वो, स्वस्स्िक प्रतिकाय नमो नमुः ।

नमुः श्रीगणेश रुपाय, शुभ मंगल प्रतिकाय नमो नमुः ।

…….

ॐ स्वस्स्िकम यजा महे िुगस्न्िं पुस्ष्टविणनम । उवाणरूस्क्मव बन्िनान मत्ृ योमक्ष ुण ीयमामि ृ ाि । ………

शुभम करोति कल्याणंम, आरोग्यम िनिंपदा ।

शत्रब ु ुद्धि ववनाशाय स्वस्स्िक प्रतिकम नमोस्िुिे । ……..

स्वस्स्िक ब्रह्मा स्वस्स्िक ववष्ण,ु स्वस्स्िक दे वो महे श्वरा । स्वस्स्िक िाक्षाि पर ब्रह्म, िस्मै श्री स्वस्स्िके नमुः । ………

ॐ गं गणपिये नमो नमुः, ॐ स्वं स्वस्स्िके नमोनमुः । ॐ श्री गणेशाय नमो नमुः, ॐ श्री ववनायक नमोनमुः ।

ॐ सिद्धिववनायक नमो नमुः, ॐ अष्ठववनायक नमोनमुः । ॐ गजाननाय नमो नमुः, ॐ गणपति बापा मोररया । …….

मंगलम प्रतिक स्वस्स्िक, मंगलम प्रतिकध्वज । मंगलम चिुष्कोण रुपाय, मंगलाय रक्िवणो हरी । िवण मांगल मांगल्ये, स्वस्स्ि िवाणथण िाधिके ।

शरण्ये गणेशे ररद्धि-सिद्धि, शस्क्िदे वी नमोस्िुिे । …….

ॐ स्वं स्वस्स्िकये नमो नमुः श्रीगणेश रुपाय नमो नमुः । स्वस्स्ि ववनायक नमो नमुः मंगल मभतिण मोररया । …..

स्वस्स्िक ब्रह्मा, स्वस्स्िक ववष्णु स्वस्स्िक दे वो महे श्वर । स्वस्स्िक िाक्षाि परब्रह्म, िस्मै श्री स्वस्स्िके नमुः । .....

स्वस्स्िक करोति कल्याणम, शुभम लाभम च मंगलम ।

आरोग्यम, अथणम च ऐश्वयणम, स्वस्स्िक प्रतिक परमेश्वरम । …..

स्वस्स्िक नाम िवणदेवानाम स्वस्स्िक नाम शुभ मंगलम । िवणदा स्वस्स्ि करो दे व, स्स्वकृि करोस्स्म मम वंदनम ॥


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