RSS Prayer
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नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हहिन्दुभूमे सुखं वररर्धितोहिम् ।
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महिामङ्गले पुण्यभूमे त्वदरर पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।
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प्रभो शकक्तिमन् हहिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
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त्वदीयाय कायार्याय बध्दा कटीयं शुभामाकशषं दे हहि तत्पूतर्याये ।
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अजय्यां च हवश्वस्य दे हिीश शकक्तिर्धि सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
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श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीरर्या मागर स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।
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समुत्कषर्याहनःश्रेयस्यैकमुग्रं परं सारनं नाम वीरव्रतम्
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तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयहनष्ठा हृदन्तः प्रजागतुर्या तीव्राहनशम् ।
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हवजेत्री च नः संहिता कायर्याशकक्तिर् हवरायास्य रमर्यास्य संरक्षरम् ।
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परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समरार्या भवत्वाकशषा ते भृशम् ।।३।।
भारत माता की जय ।।
Translated By- Advocate Ravi Kashyap ( हिे परम वत्सला मातृभूमम! तुझको प्रराम शत कोटट बार। हिे महिा मंगला पुण्यभूमम ! तुझ पर न्योछावर तन हिजार।। हिे हहिन्दुभूमम भारत
! तूने, सब सुख दे मुझको बड़ा हकया; तेरा ऋर इतना हिै हक चुका, सकता न जन्म ले एक बार।
हिे सवर्या शकक्तिमय परमेश्वर
! हिम हहिर्धिदुराष्ट्र के सभी घटक, तुझको सादर श्रद्धा समेत, कर रहिे कोटटशः नमस्कार।।
तेरा हिी हिै यहि कायर्या हिम सभी
, जजस हनममत्त कटटबद्ध हुए; वहि पूरर्या हिो सके ऐसा दे , हिम सबको शुभ आशीवार्याद।
सम्पूरर्या हवश्व के कलये जजसे
, जीतना न सम्भव हिो पाये; ऐसी अजेय दे शकक्ति हक जजससे, हिम समरर्या हिो सब प्रकार।।
दे ऐसा उत्तम शील हक जजसके
, सम्मुख हिो यहि जग हवनम्र; दे ज्ञान जो हक कर सके सुगम, स्वीकृत कन्टक पर दुरनर्धिवार।
कल्यार और अभ्युदय का
, एक हिी उग्र सारन हिै जो; वहि मेरे इस अन्तर में हिो, स्फुररत वीरव्रत एक बार।।
जो कभी न हिोवे क्षीर हनरन्तर
, और तीव्रतर हिो ऐसी; सम्पूरर्या ह्र्दय में जगे ध्येय, हनष्ठा स्वराष्ट्र से बढे प्यार।
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हनज राष्ट्र रमर्या रक्षारर्या हनरन्तर
, बढ़े संगटठित कायर्या-शकक्ति; यहि राष्ट्र परम वैभव पाये, ऐसा उपजे मन में हवचार।। )