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Thought-Scape

कभी न मान्ा कु छ, हे मानवी फिर भी इतना तुच्छ; इतना सहा सब कु छ, फिर भी न दे पाया तु मुजे कु छ; अब तो अपनी आत्ा से पुछ, थोड़ी सी चला ले अपनी सुज; न चाहिये ज्ादा मुजे कु छ, अब तो अपना ले तुच्छ । "वेदना"
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- सिद्ाथ्थ