Swapnil Saundarya e-zine Vol 02, Issue 05, March -April 2015

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Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -05, March – April . 2015

व नल स दय ई-ज़ीन # Vol -02 , Issue - 05 , March- April . 2015


व नल स दय ई-ज़ीन - प रचय कला , सा ह य, फ़ैशन, लाइफ टाइल व स दय को सम पत भारत क पहली ह द दसरे चरण अथात ू

तीय वष म आप सभी का

वागत है .

-मािसक ह द प का के


फ़ैशन व लाइफ टाइल

से जुड़ हर वो बात जो है हम सभी के िलये खास, पहँु चेगी आप तक , हर पल , हर व त, जब तक

व नल स दय के साथ ह आप.

थम वष क सफलता और आप सभी पाठक के अपार के

तीय वष को एक नए रं ग - प व

लेवर के साथ

ेम व

ो साहन

के बाद अब

तुत कया जा रहा है

व नल स दय ई-ज़ीन

ता क आप

अपनी ज़ंदगी

को अपने सपन क दिनया बनाते रह. सुंदर सपने दे खते रह और अपने हर सपने को साकार करते रह .तो जुड़े ु र हये ' व नल स दय' लॉग व ई-ज़ीन

के साथ .

और .............. बनाय अपनी ज़ंदगी को अपने सपन क दिनया . ु Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more. Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World . Swapnil Saundarya e-zine's Volume - 01 ( 2013 - 2014 ) www.swapnilsaundaryaezine.hpage.com ****************************************************************************** Founder - Editor ( सं थापक - संपादक ) : Rishabh Shukla ऋषभ शु ला Managing Editor (कायकार संपादक) : Suman Tripathi (सुमन

पाठ )

Chief Writer (मु य ले खका ) : Swapnil Shukla ( व नल शु ला) Art Director ( कला िनदे शक) : Amit Chauhan (अिमत चौहान) Marketing Head ( माक टं ग

मुख ) : Vipul Bajpai

( वपुल बाजपई)

******************************************************************************


' व नल स दय - ई ज़ीन ' म पूणतया मौिलक, अ कािशत लेख को ह कॉपीराइट बेस पर

वीकार कया जाता

है . कसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमार कोई ज़ मेदार नह ं होगी . जब तक क खासतौर से कोई िनदश न दया गया हो , सभी फोटो ा स व िच

केवल रे खां कत उ े य से ह इ तेमाल कए जाते ह . लेख

म दए गए वचार लेखक के अपने ह , उस पर संपादक क सहमित हो , यह आव यक नह ं है . हालां क संपादक क

कािशत ववरण को पूर तरह से जाँच- परख कर ह

ज़ मेदार उनक नह ं है . ो

टस , ोड

कािशत करते ह, फर भी उसक शत- ितशत

स से संबंिधत जानका रयाँ, फोटो ा स, िच

, इल

े शन आ द

के िलए ' व नल स दय - ई ज़ीन ' को ज़ मेदार नह ं ठहराया जा सकता .

कॉपीराइट : ' व नल स दय - ई ज़ीन ' के कॉपीराइट सुर

त ह और इसके सभी अिधकार आर

कािशत कसी भी ववरण को कॉपीराइट धारक से िल खत अनुमित पुन: कािशत करना , सुधारकर सं

हत करना या कसी भी

कए बना आंिशक या संपूण

प या अथ म अनुवा दत करके इले

यां क , ितिल प, रकॉ डग करना या दिनया के कसी भी ह से म ु स दय - ई ज़ीन ' के सवािधकार ' ऋषभ शु ल के पास सुर

त ह . इसम प से

ॉिनक या

कािशत करना िनषेध है . ' व नल

त ह . इसका कसी भी

कार से पुन: काशन

िनषेध है .

चेतावनी : ' व नल स दय - ई ज़ीन ' म घरे लु नु खे, स दय िनखार के िलए ट स एवं विभ न िच क सा प ितय के संबंध म त यपूण जानकार दे ने क हमने पूर सावधानी बरती है . फर भी पाठक को चेतावनी द जाती है क अपने वै य

य क शार रक श

या िच क सक आ द क सलाह से औषिध ल , य क ब च , बड़ और कमज़ोर अलग अलग होती है , जससे दवा क मा ा ज र है .

मता के अनुसार िनधा रत करना



संपादक य

य पाठक ....... आप सभी को नम ते !

व नल स दय ई- ज़ीन के दं ड ह

तीय वष के पंचम अंक म आप सभी का

वागत है . दं ड

याय है . ाचीन काल म राजा - महाराजाओं के यह वचार हआ करते थे क ु

याय का पयायवाची है . जा दं ड से ह वश म

रहती है . रा य म दं ड यव था न रहने पर बड़े लोग छोट को लू कर खाने लगते ह. य द तु हार दं ड नीित ढ ली होगी, य द तुम रा ीय अपराध करने वाले श ुओं के अपराध क उपे ा कर रहे होगे , तो तु हारे श ु हो जाएंगे और उ ह तु हारे व

बल

खुलकर खेलने का अवसर िमल जाएगा . आज के समय म भी दं ड नीित क

मह ा को नज़रअंदाज नह ं कया जा सकता . कसी रा

के स त कानून व सं वधान के आधार पर

विभ न


अपराध , गैर कानूनी व अनैितक काय म लगाम कसी जा सकती है .पर कुछ अपराध ऐसे होते ह ज ह पाप कहते ह .... पापी मनु य न कसी कानून से डरता है न कसी सं वधान से.... पापी मनु य न ह धम को मानता है न ह ई र को........ फर भी, दसर पर अ याय करने वाल को कभी न कभी , कसी न कसी ू अथवा अपरो

प म उनके काले कारनाम व अधम के िलए दं ड ज र िमलता है ...... यह

प म परो

कृ ् ित का िनयम

है , जो बोया है वह काटोगे .

उपरो

सीख व

ज़ंदगी क कड़वी ह क त को बयां करती, व नल स दय

काशन क नव पेशकश ' एिसड -

डाइ यूट या कॉनसन े टेड ?????? '( Acid :: Dilute or Concentrated ????? ) , नामक ई- पु तक

तुतु है सात

ऐसी कहािनय के साथ जो ज़ंदगी के उन पहलुओं को कुरे दगी जन पहलुओं पर अमूमन हम कभी

यान ह

नह ं दे त.े छोट - छोट बात, ई या, लालच , प पात , एक - दसरे को बना सोचे समझे कुछ भी बोल दे ना, यार ू म धोखा, कसी के िलए अपश द का तक कसी क

योग ........ शायद ये सभी आम बात ह .. पर ये आम बात भी कस हद

ज़ंदगी को झुलसा सकती ह , इस त य को उजागर करती ह ये सात कहािनयाँ..........


सड़क पर कुछ दे र पहले हए ु एक दल दहला दे ने वाले हादसे क चचा हो रह थी क ......उस लड़के ने लड़क पर एिसड

य फका ?? कुछ लोग ने कहा लगता है क कुछ च कर चल रहा था , बाद म कुछ कहा सुनी हो

गई होगी .. अब आजकल के लड़के ह , आ गया होगा

ोध तो लड़के ने फक दया होगा एिसड ... दसरे य ू

ने

कहा क लड़क क हालत बहत ु गंभीर है , दे खो बचती भी है क..................... अ य य

ने कहा, "अरे ! अब बच भी गई तो

या ज़ंदगी होगी ... ऐसी ज़ंदगी से तो बेचार को मौत ह

नसीब हो, वह उसके िलए वरदान होगा ".........पास खड़े एक अ य य

ने कहा , " जसने एिसड फका था , उस

लड़के को पुिलस ने हरासत म ले िलया है , पूछ - ताछ जार है . दे खो भाई

या होता है , कल अखबार म

पढ़गे... चलो अभी सब अपने - अपने काम पर जाओ." दसर ओर ् अ पताल म डॉ टर ने लड़क के माता - पता से कहा , "हमने अपनी पूर कोिशश क , आपक ू ब टया क जान तो बच गई पर उसका चेहरा एिसड के कारण बुर तरह झुलस गया है ..वह ने ह न भी हो गई है .. अब

उसे इस क

के साथ जीवन पार करना होगा ." ............माँ- बाप यह सुन अधमरे से हो गए. उ ह अब

ज़ंदगी क अंधेर सुरंग म भटकने के अलावा कोई वक प न दख रहा था . उधर पुिलस हरासत म लड़क पर एिसड फकने वाले लड़के से य

कया गया क तुमने ऐसा घृ ् णत काय

ू श द म उ र दया, " अजी घृ ् णत - वृ ् णत कया ? तो लड़के ने दो टक

या ???? लड़क पर दल आया ...

पर लड़क ने घास भी न डाली .......साली को अपने चेहरे , अपने हु न पे बड़ा गुमान था , तो बस एिसड से मुँह धुला दया साली का , अब ज़ंदगी भर एिसड के

ारा जो उसक सुंदरता के चीथड़े उड़ाएं ह, उ ह आईने म दे ख

खुद के अ स से भी भय लगेगा साली को ."


पुिलस वाले ने दो डं डे घसीट के मारे .... अ य पुिलस वाले ने पूछा, "लड़क तु ह जानती थी "..... लड़के ने जवाब दया , "अरे मारते

या पहले से ?

य हो जनाब , मेरे पता बहत ु बड़े स ाधार ह, बाक आप खुद ह

समझदार हो ........ रह बात लड़क क ....अरे जनाब ! वो तो साली रोज सुबह 8 :00 बजे बस नं0 365 पकड़ती और शाम 6 :00 बजे से पहले इसी बस से वापस आती थी......... बस

टाप से घर तक जाते - जाते उसको 15

िमनट का समय लगता ..... अब उसे तो पता भी नह ं था क पछले 2 मह ने से हमारा दल उस पर आ गया था ... पर जब एक दन हमने उसका हाथ पकड़ कर उसे चूम कर अपने यार का इज़हार करने क कोिशश कर तो हमको कँटाप मार दया साली ने ... तो हमने भी अगले दन उसके चेहरे पर एिसड उड़े ल ् कर कंटाप मारा अपने इ टाइल म , जसके िनशां अब ताह भर उसके चेहरे पे दखाई दगे." पुिलस वाले लड़के क बदसलूखी और नपुंसकता क िघनौनी कहानी सुन बेहद आ ोिशत हो उठे और उसको दोचार घूंसे मारे ..... तभी लड़के क प ी और घरवाले भागते हए ु आए.......... पुिलस यह दे ख दं ग थी क यह लड़का जो अपनी आिशक क िघनौनी कहानी बेशम क तरह बयां कर रहा है , वो शाद - शुदा है ... तब तक लड़के क प ी ने कहा, "अरे ! आप लोग इन पर रहम करो , इ ह ने इतनी कोई बड़ बात नह ं कर द ....वो लड़क ह च र ह न थी .. अपनी खूबसूरती पर इतना भी गु र कस बात का ... अब आदमी लड़के ह.... गम खून के ह, आ गई होगी गु सा ."........... एक पुिलस अिधकार ने

पटते हए ु कहा, "आप के पित ने जो कया है वो संगीन जुम

है , और आप दिनया भर के मद क तुलना अपने पित के साथ न ह करे , इसने जो कया है वो माफ के ु यो य नह ं ब क घोर अपराध है जसके िलए इसको कड़ - से कड़ सजा िमलेगी और जेल तो जाना ह पड़े गा ." लड़के क प ी ने कहा , " या बात आप कर रह ह सर ? ????? जेल ! अपराध ! या बकवास है .. िसफ एिसड ह तो डाला है ....... लड़क जी वत है , मर तो नह ं ......पैसा दे दगे हम लोग ...........इतने भी बुरे नह ं ह और आप लोग ने ये खेल- खेल म

या लगा रखा है संगीन जुम वगैरह ..........एिसड फकना संगीन जुम होता तो बचपन म मने

अपनी ह क ा म अपनी सहपाठ को सबक िसखाने हे त,ु उस पर जबरन एिसड खुद अपने हाथ

से फका था ...... वो बेचार तो अब तक अपना मुँह कसी को दखाने लायक नह ं रह ........... मने उस पर एिसड फका और उलटा उसी को फँसा दया यह कहकर क दे खो ये लड़क ट चर जी पर एिसड फक रह थी पर इसका पैर लड़खड़ा गया तो खुद ह पर उड़े ल िलया और व ालय एक तरफ उस लड़क क

शासन ने भी तब मेरा साथ दया था.........

ज़ंदगी बबाद हई तरफ मेर ट चर क म, सबसे पसंद दा छा ा बन गई ू ु तो दसर

....... अब आप ह बताय क अगर एिसड फकना इतना बड़ा अपराध होता तब तो आज म उसी व ालय म रसायन व ान क िश पुिलस वाले

का न होकर , जेल म च क चला रह होती."

त ध व िनर ह आँख से उस म हला को दे खते रह गए और एक गहरे

कहानी हमारे समाज क

म डू ब गए.

वकृ ् त सोच , भावना को सामने लाती है ............. यह कहानी नह ,ं स चाई है

...... ज़ंदगी क वो िधनौनी स चाई जस पर हम अमूमन पदा डालते रहते ह. कहा जाता है क कुछ बात पद के पीछे रह तो ह बेहतर रहता है , सामने आ जाएं तो चेहरे पर से नकाब हटा दे ती ह .. वैसे सच तो यह भी है क


बात ह होती ह जो लोग को हाथी पर सवार करा दे ती ह........ और बात ह होती ह जो लोग को हाथी के पैर तले कुचलवा दे ती ह. पर यह बात सबको समझ नह ं आती . भाई ऊट- पटाँग अपश द का

योग करना आ द बात कोई इतने बड़े अपराध क

सुझाव दे ते ह क

य द कसी को कसी क बात

बात करना , कसी के िलए

ण े ी म तो आती नह ं ...... लोग अ सर

यादा बुर लग तो सीधा व साफ रा ता है क अपने कान

म अँगुली डाल ल ..... " वाओ...... सो कूल "............ परं तु यह सुझाव मेर से शु

म इतना भी 'कूल' नह ं ............ घरे लु हं सा क नींव छोट - छोट अमया दत बात- चीत

होकर , मार - पीट , शार रक - मानिसक व यौन शोषण तक क सार हद को पार कर ह पड़ती है .

ताकत क ये फतरत होती है क वो य करती है और य

के पैर पक कर नह ं रहती ब क य

को िम ट म िमला दे ती है . व नल स दय

के िसर चढ़कर तांडव

काशन क नव पेशकश ' एिसड - डाइ यूट

या कॉनसन े टेड ?????? ', नामक ई- पु तक म स मिलत कहानी ' पं डत जी ', ऐसी ह एक ताकतवर श सयत क कहानी है जसको जीवन म रे शम के डं क

ारा मात िमलती है .

ेम कहािनयाँ तो बहत ु सी होती ह और साग रका और राहल ु क कहानी उ ह ं म से एक है . साग रका और राहल से बेपनाह मोह बत करते थे. और ू ु क कहानी , जो एक समय म अ छे दो त ह नह ं ब क एक दसरे आज इन दोन क कहानी कुछ और ह बयां करती है . या द ू रय के बावजूद ? या एक लॉग - ड टस

ेम को कायम रखा जा सकता है

रलेशनिशप को कायम रखना आसान है या मु कल ? साग रका व राहल ु क

कहानी आपको इन पहलुओं पर सोचने पर ववश ज र करे गी ...... ' एिसड - डाइ यूट या कॉनसन े टेड ?????? ' ( Acid :: Dilute or Concentrated ????? ) , म स मिलत

ेम क एक ऐसी कहानी जो

ेम क प रभाषा पर पुन:

आपको वचार करने पर मजबूर कर दे गी . आसमां को धूल म िमलाने क जो सोचता भी है तो उसको दो गज जमीं भी नसीब नह ं होती........... ' बछ गए फूल ' , इं सािनयत को शमसार कर दे ने वाली एक ऐसी कहानी जो मन- म त क को झकझोर कर रख दे ती है . या इं सान क नीचता व कु सत मानिसकता पाताम से भी अिधक नीचे िगरती जा रह है ? ' नाजायज़ ', एक युवक क

दल दहला दे ने वाली ऐसी दा तां जसने अपने जीवन म दे खे थे कुल 21 बसंत क

अचानक उसके खुद के अ त व पर , उसके जीवन पर ह सवाल उठ खड़ा होता है ......... व ण के सम गए वे

जो उसके जीवन को बेचैनी और

अंत म िन न पं

उठाए

टपटाहट से भर दे ते ह.

य के साथ अपनी कलम को वराम दे रहा हँू ...

व त को समझ न सका जो तो तलवार.....नह ं तो फूल से कटना पड़ा है ... जतनी भी क ठन हो डगर पर ......नद के रा ते से च टान को हटना पड़ा है . आशा है

व नल स दय

काशन क इस नवीनतम

तुित को आप सभी पाठक गण अपना बहमू ु य समय


दान करगे. हम बेस ी के साथ इं तज़ार रहे गा आप सभी क क ' एिसड ' म स मिलत इन

ित

याओं का जसके ज रये हम भी जान सकगे

07 कहािनय के सं ह को कस

ण े ी म रखगे आप :: डाइ यूट या

कॉनसन े टेड ?????? इसके अित र

व नल स दय ई- ज़ीन का पंचम अंक

तुत है फैशन , लाइफ टाइल, इं ट रयस, घरे लु नु खे़,

कला, सा ह य, स दय आ द से लैस उन तमाम जानका रय के साथ जो बनायेगीं आप सभी क

ज़ंदगी को

उनके सपन क दिनया . ु

व नल स दय ई-ज़ीन के

तीय वष के पंचम अंक म हम जन विभ न पहलुओं व जानका रय स मिलत कर रहे ह वे िन नवत ह :

याद के प न से - च पल और औकात ( ले खका :: शािलमी अव थी ) स दय - बॉड केयर सा ह य - वो द यपुँज , चेहरे 9 ( क वय ी :: व नल शु ला ) पकवान - मेथी परांठा ( ले खका :: सुम न फैशन व लाइ

पाठ )

टाइल - आभूषण धारण करने से पूव बरत सावधानी.... र

और आप -

इं ट रयस - टाइलाइज़ योर होम वद सॉ ट फ़िनिशं स नानी माँ क बात कहानी - लव इमपॉसबल : लेखक - कुमार

तीक

शुभकामनाओं स हत , आपका , ऋषभ www.rishabhrs.hpage.com ******************************************************************************

को


याद के प न से : च पल और औकात :: ीमती शािलनी अव थी शायद हर

ारा िल खत यह का पिनक प

ी कह ं न कह ं, कसी न कसी

वैसे तो एक कहानी है ... एक ऐसी कहानी जससे

प से खुद को जोड़े गी. कहा जाता है क उ मीद पर तो दिनया ु

कायम है ... शायद यह सह भी है पर अ छे दन के इं तेज़ार म न जाने कतनी ह

याँ अपने ऊपर घरे लू

हं स ा करवाती रहती है , अ याय सहती रहती ह इस आशा व उ मीद के साथ क एक दन सब कुछ ठ क हो जाएगा पर दभागयवश उनके जीवन म शायद ह कभी सब कुछ ठ क हो पाता है ............................ ु


य सुनील, आप को यह प

िलख ज र रह हँू पर इसे आपको भेजूँगी नह ं

. आपके कंध पर हमार पूर

य क आप वदे श म अपने काय म य त ह

ज़ मेदार है जसे आप भली- भाँित संभाल रहे ह व िनभा रहे ह. आपने वदे श

जाने से पूव मुझे समझाया था क आपक माँ को म अपनी माँ समझूँ , आपक भािभय को अपनी सगी बहन से भी अिधक मान- स मान दँ .ू आपके भाईय को अपने बेट क भाँित सबक संपूण िन ा

ेम क ँ और सभी का

याल रखूँ ,

ृ ा भाव से सेवा क ँ . पर शायद म आपक आशाओं पर खर नह ं उतर पा रह हँू . िनरं तर

कोिशश के बावजूद म आपके प रवार क नज़र म एक अ छ बहू, दे वरानी या भाभी आ द नह ं बन पा रह हँू . हर रोज मुझे अपनी आ मा को मारना पड़ रहा है . म हर पल घुट रह हँू . म

पवती नह ,ं म गुणवान नह ं , म

आपके लायक नह ं , मेर काली ज़ुबान है ... मेर नज़र पड़ने के कारण आपके प रवार वाल क खुिशय को नज़र लग गई...... इन बात को सुन- सुन कर म, थक गई हँू . पूर कोिशश करती हँू क माँजी के दशा- िनदश के अनुसार रसोईघर म खाना बनाऊँ, साफ- सफाई क ँ और खानदान के लायक बना सकूँ. पर शायद इस

वयं को भी आपके सं ांत प रवार व रईस

यास म म, हर रोज़ वफल

हो रह हँू . माँजी , बड़ भाभी, छोट

भाभी को मेर हर बात बुर लगती है . काम िनपटा के य द म, दो िमनट उनके पास बैठना चाहँू तो वो लोग उस जगह का याग कर दे ते ह. म एकाक पन से जूझ रह हँू . आपका बेटा िचराग सातवीं क ा म पहँु च गया है . म, उसका

याल नह ं रख पा रह हँू .. उसक पढ़ाई- िलखाई पर भी

यान नह ं दे पा रह हँू . म, एक असफल

माँ बन गई हँू . पर म, या क ँ , आपके बड़े बँगले को घर बनाते- बनाते कब सुबह के चार बजे से रात के 11:30 बज जाते ह....पता ह नह ं चलता . आपको याद होगा क आप अ सर कहा करते थे क, " मृद् ला ु , तु हारे कमर के नीचे तक लहराते बाल, एक इं च भी अगर कम हए ु या कभी तुमने इ ह काटा तो उसी

ण म , तु हारा प र याग कर दँ ग ू ा . और म, आपक इन

बात पर हँ सा करती थी. पर अब आपक मृद् ला ु आपक अमानत इन घने- रे मी बाल को भी नह ं संभाल पाई है . माँजी के खाने म एक दन एक बाल िनकल आया. मने माँजी को लाख समझाया क यह बाल मेरा नह ं है ..पर उ ह ने मेर एक न सुनी और

वयं कची लेकर उ ह ने मेरे सारे बाल काट दए ह. अब मेर कान क

बािलयाँ भी मेरे कान के बराबर मेरे बाल क लंबाई दे ख हवा म झूल -झूल उनसे उलझती हु , उनक कमज़ोर का मज़ाक उड़ाती ह और मेर लाचार का हर पल मुझे अहसास कराती ह. जी करता है क इन वणाभूषण को .. इन

वण क बािलय को िनकाल फक दँ ू .. पर यह आपके सं ांत प रवार क शान के

खलाफ होगा ........ य क आपके रईस प रवार क बहू क पहचान उसके च र वणाभूषण से होती है .

से नह ं अ पतु उसके


कल क ह बात है ... िचराग व ालय से वापस 2:30 बजे आया ..वो ऊपर के कमरे म ट .वी दे खने लगा ...माँजी , बड़ भाभी और छोट भाभी भी वहाँ मौजूद थीं. म, रसोईघर म गई ...मने िचराग को खाना दया और माँजी और भािभय से भी पूछा परं तु उ ह ने मेर बात का उ र नह ं दया . वे शायद ट .वी धारावा हक को बड़े ह गौर से दे ख रह थीं . ट .वी पर नया धारावा हक ' हाई

ितमा ' शु

हआ है . एक सैके ड मुझे भी धारावा हक क ु

प कथा आक षत करने लगी और म दे खने लगी. पर अचानक माँजी और बड़ भाभी को

या हआ क उ ह ने ु

कमरे के अंदर पड़ च पल को दे ख मेर ओर इशारा कया. इससे पहले क म, कुछ समझ पाती ..छोट भाभी ने कहा क ये च पल कहाँ से आई...... कैसे आई ?? बड़ भाभी ने कहा क उड़ कर तो नह ं आई होगी ....ज र कह ं न कह ं से तो आई ह होगी .... माँजी ने कहा क

वह उठता है क ये च पल कहाँ से आ ..... छोट

भाभी ने कहा च पल सफेद रं ग क है .. मेर नह ं है ... बड़ भाभी ने कहा क , " अरे ! च पल , च पल है ... सफेद हो या काली ...लाल हो या गुलाबी... उसे पैर पर ह पहना जाता है ता क पैर गंदे न ह , उ ह िसर पर नह ं बैठाया जाता है ...."......... माँजी ने कहा, " िसर पर कौन बैठा रहा है ...ये च पल अभी तक तो यहाँ नह ं थी ... अभी जब हम तीन यहाँ बैठे थे तब तक तो च पल यहाँ नह ं आई .... अभी एकदम से अचानक ये च पल कहाँ से आई??? .... इससे पहले क म कुछ बोल पाती क ये च पल म भी यहाँ नह ं लाई पर मुझे कुछ बोलने का कसी ने मौका ह नह ं दया और सीधे माँजी ने उस च पल को पैर से जोर से उछाल कर फका और वो च पल सीधे मेरे पेट पर बहत ु तेज लगी ... वो मेर सास ह, माँ समान ह........उ ह ने ऐसा जानबूझ कर नह ं कया होगा पर म

या क ँ च पल पेट पर लगने से मुझे दद हआ ु .... अभी मुझम जान बाक है ..............शायद

इसिलये दद का अहसास हआ होगा .... माँजी और दोन भािभयाँ वापस ' हाई ु

ितमा' दे खने लगीं और म,

चुपचाप उस सफेद च पल को लेकर नीचे अपने कमरे म आकर उस च पल को घंट तक िनहारती रह . पता नह ं

य मेरे आँसू घंट बाद भी नह ं

के . पता नह ं

वयं पर बार- बार िनयं ण करने के बाद भी

आ खरकार मने उस च पल को अपने मुँह पर जोर से दे मारा और उसे िसरहाने से लगा कर फूट- फूट कर रोती रह ........ इसके बाद जब मेर आँख खुली तो शायद दन , रात म त द ल हो गया था . शायद बा रश हो रह थी . मेरे चेहरे पर पानी क दो बूँद िगर ं , जससे मेर आँख खुली पर मेर बुर

क मत क वो बा रश क

बूँद नह ं थीं अ पतु मेरे िसरहाने बेठे मेरे बेटे िचराग क आँख से झलक आँसू क बूँद थीं.

म, बेहद शिमदा हँू क म अ छ माँ , बहू, भाभी , प ी आ द नह ं बन पाई . म , शिमदा हँू - बेहद शमसार हँू . पर म, कोिशश करती रहँू गी क आपके सं ांत व रईस खानदान के तौर- तर क को समझ सकूँ , जान सकूँ और एक दन आप सबका मन व दल जीत सकूँ . मुझे पूरा व ास है क मेर ऐसा आएगा जब मेर भी उ

ज़ंदगी म भी कभी न कभी एक दन

ज़ंदगी का अंधकार िमट जाएगा और सूरज क चमचमाती करण क तरफ मेरा जीवन

वल व कांितमय होगा. एक दन ऐसा ज र आएगा जब सब ठ क हो जाएगा . तब तक म, यास करती

रहँू गी . आप वदे श म काय क रये और म यहाँ माँजी और भािभय के सम िस

हर दन अपनी का बिलयत को

करती रहँू गी . उ मीद है क मेर इस क मकश म मेर बेटा मुझे समझ सके.


आपक अभागी मृद् ला ु . *************************************************************************************************** - शािलनी अव थी

अं ेज़ी सा ह य म परा नातक

ीमती शािलनी अव थी जंदगी क कठोर व कड़वी स चाईय को सा ह य

के रं ग म रं गना बखूबी जानती ह.

ी वमश ,

ी संघष को उजागर करती ऐसी कहािनयाँ जो हमारे

म त क को ह नह ं अ पतु हमार आ मा तक को हला कर रख द. रिचत

दल म कचोटन पैदा करने वाली कहािनयाँ अब

ीमती शािलनी अव थी के

ारा

व नल स दय ई-ज़ीन का िनरं तर ह सा ह गी.

******************************************************************************


स दय : बॉड केयर

* गम के मौसम म पसीने क िचपिचपाहट के कारण वचा पर गंदगी जम जाती है और वचा हो जाती है और मुहांसे होने का डर रहता है . इससे बचने के िलये सह तर के से * रोजाना सोने से पहले चेहरे को

लीं जंग

* एलोवेरा, आवला , शहद, नींब,ू ह द यु

* चेहरे पर साबुन का

कन टोन

योग कर .

* दन म कई बार चेहरे को ठं डे पानी से धोएं जससे

* चेहरे को

लीं जंग कर.

िम क से साफ कर. त प ात मॉइ राइजर लगाएं.

करने के िलए गुलाबजल का

यादा आयली

वचा खुल कर साँस ले सके.

मॉइ राइजर को इ तेमाल कर.

े श रखने के िलए िनयिमत

ू ट फेिशयल करवाएं.

योग न कर . दन म 2-3 बार सा ट फेसवाश से चेहरा धोएं.

* रात को सोने से पहले बादाम व शहदयु

नाइट

म लगाएं, इस समय

वचा का पुनिनमाण होता है .


* वचा को ठं डक पहँु चाने वाले फेसपैक लगाए. कपूर, चंदन, गुलाबजल, नीम क प याँ आ द से यु

फेस पैक

लगाएं. * स ाह म एक बार

ब कर जससे मृत वचा िनकल जाएं. ्

* नान करते समय पानी म गुलाब क प याँ या नींबू िनचोड़ ल. यह वचा को ताज़गी दे ता है . * अपनी वचा को धूप से बचाएं. घर से िनकलने के 15 िमनट पहले सन

म अव य लगाएं.

*जब भी धूप म िनकल, सन लास अव य लगाएं. * होठ क र ा के िलए सोने से पहले बादाम का तेल लगाएं.

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सा ह य :

वो द यपुँज .. हम तो िनकल पड़े थे राह म अपनी, मं ज़ल अपनी पाने को , पाना था वो द यपुँज , जो करता है रोशन पूरे इस जग को, यह द यपुँज है , जो जतना है जलता, उतना होता है रोशन. जो जतना है तपता , उतना होता है द य. यह द यपुँज है ,


जसे पाना है मेरा ल य. एक

व नल

ेरणा है ,

यह द यपुँज, जसे पाना है मेरा क

य सहष .

सपने आँख म समेटे घर से हम चले िनकल पर मालूम न था हम क मु कल है राह बहत ु हम अकेले थे, राह म थे लोग बहत ु , हौसला था हमम, व ास था हमम बहत ु , धैय था हमम , संतोष था हमम बहत ु , लंबा सफर था , धुँधला करने को हमारा

गर था,

वागत,

बछ थी धूल सड़क पर, चलना था , बस चलना था पर चलना था संभल -संभल कर.


कुछ िनकल गए आगे,जो दखते थे नह ,ं और कुछ दखते थे , धुँधले से कह .ं कुछ रह गए थे पीछे , जो गए थे खो कह ,ं और कुछ थक कर सो चुके थे , ओढ़ कर चादर धूल िम ट क . साथ छूट चुका था सबका, कुछ आगे थे और कुछ रह गए थे पीछे कह .ं और हम अकेले थे चले जा रहे थे, बढ़े जा रहे थे . दरू थी मं जल , राह थी मु कल कह ं

ट, कह ं प थर

कह ं पहाड़ , कह ं दलदल कह ं मोह , कह ं माया. कह ं लालच, कह ं धोखा खाया. पर हौसला आगे बढ़ने का न हमने भुलाया, रा ते के हर एक काँटे को, जड़ से िमटाया. और पाया वो मकाम , जसका था हम सपन म इं तज़ार, वो

व नल

ेरणा क पाना है वह द यपुँज

जो करता है रोशन पूरे इस जग को, जो जतना है जलता, उतना होता है रोशन. जो जतना है तपता , उतना होता है द य. वह द यपुँज , जसे पाना है मेरा ल य सहष , एक वह

व नल

ेरणा ,

द यपुँज.

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चेहरे

य कुछ चेहरे

दल को यूँ छू जाते ह

य कुछ चेहरे दल म बस यूँ ह उतर जाते ह कुछ चेहरे भर दे ते ह जीवन म नई उमंग , कुछ चेहरे बना दे ते ह जीवन ह एक भँवर . कुछ चेहरे बन जाते ह हमारे िलये इतने खास, चेहरे के आगे फर नह ं मायने रखती उनक पहचान. कुछ चेहरे याद दला दे ते ह ,उन अपन को जो ज़ेहन से खो गए थे कह ं . बस ऐसे ह बन जाते ह खास कुछ चेहरे , जो बन ् पहचान भी बहत ु कुछ दे हम ह दे त.े - व नल शु ला ******************************************************************************


पकवान : मेथी परांठा ::

साम ी : - 1 कप आटा - आधा कप बार क कट हई ु मेथी - 2 ट पून म खन - 3 हर िमच बार क कट हई ु - 100 ाम रफाइं ड तेल परांठा सकने के िलए - आधा कप याज़ बार क कटा हआ ु - 2 ट पून

- 50 ाम श कर - आधा ट पून नमक विध : आटे म नमक व म खन िमलाकर अ छ तरह से गूंध ल. मेथी म नमक डालकर थोड़ दे र रख. फर पानी िनचोड़ ल. अब मेथी म कट हई याज़ , ु िमच , बार क कटा हआ ु

म त था श कर िमला ल.आटे क

लोई म मेथी वाला िम ण भरकर परांठे जैसा बेल ल और रफाइ ड तेल लगाकर करारा होने तक सक और गरम - गम सव कर. - सुमन पाठ ******************************************************************************


फै़शन व लाइफ टाइल आभूषण धारण करने से पूव बरत सावधानी.........

इस बात म तिनक भी संदेह नह ं क आभूषण हमारे य

व म चार- चाँद लगाते ह. पर इनसे होने वाली

परे शािनय को नज़र अंदाज़ करना उिचत नह ं . आभूषण से होने वाले पहचान यह है क उन का असर

वचा के वकार क सब से सरल

ाय: उसी अंग तक सीिमत रहता है , जस के ये सीधे संपक म आते ह .

उदाहरण के िलए , कंठमाला से तकलीफ होती है , तो गले पर ह डमटाइ टस या आ टके रया के ल ण उभरते ह, अंगूठ का असर उं गली पर ह होता है , कांट या बािलय का क

कान को ह उठाना पड़ता है , कड़े और

चू ड़यां बांह पर असर दखाते ह, बिछया से पैर क उं गिलय म तकलीफ हो सकती है . यहाँ तक क कलाई पर पहनी हई ु घड़ भी कई लोग को तकलीफ दे सकती है . ऐसी तकलीफ िसफ हो , यह भी आव यक नह ं . वणकार

आ टफ िशयल आभूषण के साथ

ारा आभूषण के िनमाण म इ तेमाल कया जाने वाला शु

सोना , 18

कैरे ट और 14 केरे ट सोना जसम िनकल, तांबा, ज ता और चाँद िमली रहती है , ' वेलस मेटल' जसम टन,


तांबा और ज ता िमला होता है , पेलै डयम, ले टनम और खास कर िनकल सभी क

कार सा बत हो सकते ह.

महं गे या स ते आभूषण का नह ं है . सभी धातुओं म िनकल अिधक एलज कारक है इसिलए आ टफ िशयल वेलर साविधक बदनाम ह. परं तु सम या ले टनम म गढ़े गए महं गे आभूषण के साथ भी हो सकती है . शु वण आभूषण के साथ एलज के मामले कम

होते ह ले कन सोना चूं क बहत ु पहना जाता है इसिलए

भा वत होने वाले लोग क कुल सं या काफ बड़ है . आभूषण बनाने म

काम आने वाली सभी धातुओं म सब से िनमल चाँद है . सच यह है क शु

चाँद से बने

आभूषण कभी एलज उ प न नह ं करते . हाँ, चाँद म य द िमलावट हो तो , यह चाँद का दोष नह .ं


य द अंगू ठय क बात कर तो, शु

सोने क अंगूठ पहनने पर डमटाइ टस के ममले बहत ु कम होते ह. पर

सफेद सोना जस म 58 ितशत सोना, 5-17 ितशत िनकल, 2 ितशत ज ता और शेष तांबा होता है , के साथ एलज ज य डमटाइ टस होने क संभावना अिधक होती है . पेलै डयम या ले टनम से बनी अंगू ठयाँ भी परे शानी उ प न कर सकती ह. ले कन पीला या हरापीला सोना िनकल से मु

होता है और इसिलए सामा यत:

तंग नह ं करता . अंगू ठय के साथ वाकशोथ ( डमटाइ टस ) होने पर कुछ अ य

ेरक चीज़ के

ित सावधानी बरतनी आव यक

है . अगर अंगूठ के नीचे साबुन , रसायन , गंदगी या बै ट रया जमा हो जाए या बारबार चोट लगती रहे तब भी वाकशोथ अथात डमटाइ टस उ प न हो सकता है . कुछ लोग के उं गली क काले मानिच

वचा पर इस बार-बार के

हार से दाने भी िनकल सकते ह और कुछ क

वचा पर

से उभर आते ह. यह वकार लैक डम ा फ म कहलाता है . पसीने म उप थत स फाइड और लोराइड अणु भी धातुओं से िमल कर वचा का रं ग बगाड़ सकते ह.

इसके अलावा कांटे ट डमटाइ टस

होने पर आभूषण के संपक म रहने वाले अंग म सूजन आ जाती है . वचा

दहक कर लाल हो सकती है . उस पर पानी से भरे दाने उठ सकते ह . उन से पानी रस सकता है . पपड़ जम सकती है . वचा का कोमलपन न

हो सकता है . वचा खुरदर और मोट हो जाती है . सं मण हो जाने पर

मवाद भी पड़ सकती है . उस ह से म खूब खुजली मचती है . जलन होती है . कभी लगता है जैसे डं क लगा हो . प ी ( कांटे ट आ टके रया) होने पर वचा सूज जाती है , उस पर कसी भी

प - आकार के ददोरे उ प न हो

जाते ह , जसम खुजली होती है . ोभक ( इ रटट ) डमटाइ टस डम गा फ म म य द आपक

म भी शर र के पी ड़त अंग म दाने उठ जाते ह . खुजली होती है ले कन लैक

वचा का रं ग ह

बगड़ता है . उस पर काले रं ग का न शा सा खंच जाता है .

वचा पर कभी भी एलज उभरे तो उस क वा त वकता को समझने म दे र न कर. सब से बेहतर

होगा क कसी यो य डमटोलॉ ज ट से सलाह ल और वकार क पु

होने पर इस सम या को पैदा करने वाले

आभूषण का प र याग कर द . अगर वचा पर बै ट रया के सं मण के ल ण ह तो डॉ टर अ य दवाओं के साथ एं टबायो टक मरहम लगाने का परामश भी दे सकते ह. एलज से छु कारा दलाने म

ट रायड दवाएं

भावी सा बत होती ह. अिधक उ

तक मुंह से लेना पड़ सकता है . पर पी ड़त अंग पर डॉ टर के िनदशन पर

मामल म इ ह कुछ दन

ट रायड

म लगाने से भी लाभ

पहंु चता है . इसके अित र

जस धातु से परे शानी हई ु है , उससे आगे से परहे ज बरतना ह

हतकर है . परं तु य द सम या

अंगूठ के नीचे साबुन, केिमकल, गंदगी या बै ट रया जमा होने से जुड़ हो तो कुछ दन बाद आभूषण दोबारा


भी पहना जा सकता है . पर यह सावधानी बरतना ज़ र हो जाता है क आगे वे प र थितयाँ पुन: उ प न न ह , जनके कारण पहले सम या हई ु थी. आभूषण धारण करने पर य द पाबंद भी लग जाए तो भी मन छोटा न कर . वैसे भी जसे खुदा ने ह खूबसूरती से नवाज़ा हो उसे कसी आभूषण क

या आव यकता . आ खर चाँद भी तो बन आभूषण अपनी

खूबसूरती क चमक चारो ओर बखेरता है .

* फ़ैशन, आभूषण व लाइफ टाइल से जुड़ हर छोट से छोट बात व ् विभ न य

व को एक नया िनखार और बन जाइये फ़ैशन पं ड़त , वेलर

टाइल मं

ारा द जए अपने

डजाइनर व फ़ैशन कंसलटट ' व नल

शु ला' क नई पु तक ' फ़ैशन पं ़डत ' के साथ. अिधक जानकार के िलए विसट कर :: www.swapnilsaundaryaestore.blogspot.com - व नल शु ला


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र ा

हमारे

और आप

से लाभ , आइये जान हम और आप

ाचीन इितहास से ह लोग के बीच

एक आकषण का वषय बना हआ है व इसक असीम श ु

क चचा भी होती आ रह . आज के आधुिनक प रवेश म भी को इसक चम कार श

जबल उपिनषद इ या द धम ंथ म

ा '- अथात भगवान िशव क साविधक से हई ु है . असल म

ित लोग का झुकाव बना हआ है . लोग ु ंथ क बात कर तो िशव

मिलक उपिनषद , िनणयिसंधु , महाकाल सं हता,

क अदभुत म हमा का वणन कया गया है . तो आइये इस संदभ म

जानते ह कुछ अ यंत मह वपूण बात

भगवान िशव के ने

के

य के बारे म ज ासा बनी ह रहती है . अगर हम धािमक

महापुराण , ीमदभगवत, पदमपुराण , िलंगपुराण , अ

'

...........

य व तु जसक उ प ा

`के बारे मपौरा णक मा यताओं के अनुसार सा ात

एक फल का बीज है पर तु इसम व मान अनेक गुण के

कारण ये आ या मक व भौितक व ान एवं िच क सा जगत म बेहद प व

, पू यनीय व लाभकार

प म

वीकार कया गया है . ा

धारण करने वाला य

अनेक

कार क

इसके दान से बनी माला जप के िलये सव े िच क सा व ान ने भी

यािधय व आपदाओं से सुर

त रहता है . साथ ह साथ

मानी जाती है . ाचीन काल के साथ-साथ आज के आधुिनक

के दान म व मान अदभुत चु बक य व व ुत श

को

वीकारा है जो इसको


धारण करने वाले को अनेक ा

के चम कार

क इसको धारण कर

कार से

भा वत करता है .

भाव के कारण लोग इसके दान को िशविलंग क भाँित ह पूजते ह और कहा जाता है भावी मं

'ऊँ नम: िशवाय' का जप करने से य

वर उ ेजना , र चाप , बुरे

अिन ा, चमरोग आ द परे शािनय से िनजात पा जाता है . वन पित व ान ( Botany ) के अ तगत

व न, ा

के

पेड़ को ELAECARPUS GANITRUS ROXB कहते ह और अं ेजी भाषा म UTRASUM BEAD TREE कहते ह .


क कई जाितयाँ होती ह जैसे एक मुखी , दो मुखी आ द. य

वशेष को

के बारे म जानने के बाद अपने भीतर क किमय को दरू करने व परे शािनय से मु

विभ न जाितय

पाने के िलये इसको

धारण करना चा हये . मु यत:

के दान को गले या बाँह म धारण कया जाता है . पर आज के आधुिनक युग म इसको फैशन

टे मट के तौर पर लोग

ेसलेट के

प म भी धारण कर लेते ह . यादातर युवाओं को

एक आकषक

ए सेसर के तौर पर लुभाता है जो उ ह बेहतर न लुक के साथ साथ उनके िलये अनेक लाभकार प रणाम भी सामने लाने म मददगार सा बत होता है . तभी अ सर युवा वग इसके दान को गले म लॉकेट व तरह पहनना पसंद करते ह परं तु ऐसी रखते हए ु

ित दन

थित म

य द आप

को धारण करते ह तो प व ता का

यान

ात: उठते ह सबसे पहले इसे अपने माथे से लगाय व ऊँ नम: िशवाय का जाप कर , आपको िन:संदेह अनेक सुख क

आइये अब जानते ह क कौन सा मुखी एकमुखी : यह भगवान िशव क

होगी .

व प है . इसे धारण करने वाले य

अधनारे र अथात िशव व श

का

उ प न होता है व धन - धा य से यु तीनमुखी: अ न का

ाि

धारण करने से आप कस

दोन क ह दोमुखी:

ेसलेट क

ाि

कार से लाभा वत हो सकते ह -

म एका ता बढ़ती है व भ

एवं मु

होती है .

व प है . इसे धारण करने से पित-प ी म एका मक भाव होकर य

पव

गृह् थ जीवन यतीत करता है .

व प है . धारणकता अ न के समान तेज वी हो जाता है . आ म व ास क कमी वाले लोग के िलये बेहद लाभकार है .

चारमुखी : भगवान

ा का

व प है . धारणकता अनेक कला मक व रचना मक गुण को व बु म ा को

करता है . पंचमुखी: पंच

व प है . धारणकता को अ छा अनेक पाप से मु

व प है . बु म ा व व ा ाि

व प है . धारणकता को धन, संप सफलता

आठमुखी: भगवान गणेश का

दान करता है .साथ ह साथ धारणकता

हो जाता है . आ म व ास बढ़ो र म लाभदायक.

छ:मुखी : भगवान काितकेय का सातमुखी: यह दे वी महाल मी का

वा थ व शांित

के िलये

है .

,यश , क ित, ऎ य , यापार व नौकर म

दान करता है .

व प है . व नहता मंगलकता है . र -िस

धारण करने से वरोिधय क समाि

दान करने के साथ- साथ इसे

हो जाती है .


नौमुखी : यह दे वी दगा ु माँ का

व प है . यह धारणकता को वीरता, श

, साहस, कमठता , अभय व सफलता

दान करता है . दसमुखी: भगवान व णु का

व प है . इसको धारण करने से सवगृह् शांत हो जाते ह . धारणकता को भूत,

पशाच सप आ द का भय नह ं रहता है . साथ ह साथ शार रक सुर ा भी यारहमुखी: भगवान हनुमान का

व प है . भा य वृ ्

, धनवृ ्

,श

दान करता है .

, अभय व सफलता

ाि

के िलये

है .

धारणकता क दघटनाओं से र ा होती है . ु बारहमुखी: भगवान सूय का

व प है . धारणकता तेज वी व आ म व ास से प रपूण हो जाता है . यह

धारणकता क िचंताओं व परे शािनय का अंत करता है . तेरहमुखी : भगवान इं

का

व प है . ये धारणकता क संपूण कामनाओं को पूण करता है व जीवन म सुख शांित

चौदहमुखी: भगवान हनुमान का दघटना , रोग व िचंता से मु ु इसम श पं हमुखी:

दान करता है .

व प है . अित दलभ व ु

भावशाली . इसे दे वम ण भी कहा जाता है . ये हािन ,

रखकर धारणकता क सुर ा करता है . य

क छठ इं

होती है . धारणकता को धन-संपदा , सुख व शांित क

भगवान पशुपित का

व प है . धारणकता को धन

ाि

भी जा त करने क होती है .

दान करता है व चमरोग म अ यंत लाभदायक

होता है . सोलहमुखी: यह धारणकता को सफलता

दान करता है व सद और गम के कारण होने वाले रोग से र ा

करता है . . य द घर पर इसको रखा जाए तो चोर , कैती व आग लगने का खतरा नह ं रहता है . इसके अलावा

धारण करते समय कुछ बात का

*

* जो * जो * पर

ण कर ले क

ऐसा हो जो खं डत न हो, काँट के बना हो . क ड़े

यान रखना अित आव यक है :

िछ

ारा खाए गय ह , उ हे कदा प धारण न कर. करते हए ु फट गए ह , उ ह धारण न कर.

नकली न ह . य द नकली होगा तो पानी म तैरने लगेगा और असली होगा तो पानी म डू ब जाएगा.


* *

कसी क मृ ् यु म जाने से पूव उतार द.

को हर 15-20 दन म ह के गम पानी म ह का सा साबुन डालकर साफ करना चा हये . उबलते पानी या केिमक स म

* कभी- कभी

को कभी भी न डाल.

को चंदन के तेल या सरस के तेल से प छ दे ना चा हये ता क वह चमकदार और खुशबूदार बन रहे .

-

व नल शु ला वेलर

डज़ाइनर

फ़ैशन कंसलटट ( swapniljewels.blogspot.com )

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इं ट रयस टाइलाइज़ योर होम वद सॉ ट फ़िनिशं स

घर के िलए िलनेन , कटन या बेड कवर लेते समय ना िसफ घर के फन चर को ब क

ेजट

यान म रखना ज र है

स के बारे म अपडे ट होना भी अित आव यक है . इस संदभ म आइये जानते ह क सॉ ट फ़िनिशं स

के

ारा आप कैसे दे सकते ह अपने घर को एक बेहतर न लुक .

बेड शीट या बेड कवर का खूबसूरत होने के साथ कंफटबल होना बेहद आव यक है .इसिलए बे शीट क के साथ फै क का भी

यान रखना चा हये. बेडशी स म एिनमल

ंट इन ह. जेबरा , जराफ और लेपड

साथ लाउड कलर क बेडशीट लाउड होम डे कोर के िलए चूज़ करना योमे कल डज़ाइ स भी इन ह . ये बेड म को नीट व कवस डे कोर को

लैशी लुक दे ते ह . वंटस म वाम

वाइस ह. हड इ ल जू रयस लुक के िलए इ

लीन लुक दे ती ह. लोरल

लोरल

डज़ाइन ंट के

फर कर. ंट , पोलका डॉ स के बेड

ंट सू दं ग लगते ह. ये क स

म के िलए बे ट

ॉइडर वाले बेड कवर भी होम डे कोर को ल जू रयस लुक दे ते ह . ॉइडर वाले िस क बे कवर बेहतर वक प को सकते ह . योर िस क का बेडकवर

काफ ए सपिसव होता है . िस क - कॉटन के बेड कवस भी आजकल काफ

ड ह . इस फै क के साथ


ॉइडर

यादा अ छ लगती है .

इसके अलावा सा टन के बेड कवर भी बेहतर वक प ह . ये काफ सॉ ट होते ह और इ ह मटन करना भी आसान होता है . सा टन के बेडकवस म पपल , पंक

और लैक कलस अ छे लगते ह.


कुशन कवर अ ै

टव कुशन कवस कसी भी

म को हाईलाइट करने के िलए काफ ह. ये सोफा -सेट, बेड , काउछ को

खूबसूरत लुक दे ते ह . कुशन कवस क कुछ एवर- ीन वैराइट स िन निल खत ह :जरदोज़ी वक : जरदोज़ी वक कुशन कवस को अ ै

टव लुक दे ता है . जरदोज़ी वक के िलए िस क का फे क

सेले ट करना चा हये .फे टव सीज़न म घर को डे कोरे ट करने के िलए यह हड इ

ॉइडर : काफ एिलगट अ

ड आ शन है .

लासी लगती है . पारसी , क मीर वक कुश स पर फबता है . कॉटन या

सा टन फै क पर ये काफ सूट करती है . बुट क से अपनी पसंद के अनुसार कवस डज़ाइन करवाए जा सकते ह. सी वस व बीड वक : कुश स पर सी वस व बीड वक आपके डे कोर को बेहतर न लुक दे ते ह. िस क फै क पर सी वस या बीड वक काफ खूबसूरत लगता है . ाइ स : मॉडन डे कोर चाहते ह तो

ाइ स , डॉ स वाले कुश स

ाई कर .

ाइ स , डॉ स आ द डज़ाइन

पैट स वॉम कलस पर अिधक फबेगी. लेदर डज़ाइ स : के कुश स भी काफ

स म ह ये काउच वगेरह पर सूट करते ह. माडन इं ट रयस के अंतगत

लेदर डज़ाइ स के कुश स काफ सूट करगे. े ड ल : रा

थानी या गुजराती थीम हमेशा ह

ड म रहती है . य द इस

कार क

ले रहे ह तो कॉटन फे क का उपयोग बेहतर रहता है .

डज़ाइ स से लैस कुश स


कटस :: दसरे कटस के मुकाबले शीयर कटस आजकल सबसे ू खासतौर पर

यादा

ड म ह . इ ह खर दते समय कुछ बात का

यान द .

- शीयर कटन होम डे कोर को ल जू रयस लुक दे ते ह. ये काफ डे िलकेट होते ह. - य द आप इ ह अपने बेड

म के िलए खर द रह ह तो सेमी िशयर कटन खर द. इससे आपके बेड म क ाइवेसी बनी रहे गी.

- बे म म िशअर कटन डाल रहे ह तो उसके साथ लाइिनंग अ य डाल द. - शीयर कटन म लेस, लाइट

लोरल

ंट ,

ाइप और इ

ाइडर आते ह. अपने होम डे कोर से इ ह कां लमट

करा सकते ह. - िस क , वेलवेट

और सा टन के फै क शीयर कटन को रच लुक दे ते ह.


अगर आप उन लोग म से एक ह , जो अपने आस - पास, स दयपरक , सुगम व सु यव थत वातावरण क संरचना करना चाहते ह और अपने आिशयाने को बनाना वाहते ह अपने सपन का घर , तो यक न मािनये ' सु ीम होम थेर प ' केवल आप के िलए ह िलखी गई है . होम डे कॉर , ीन इं ट रयर ़डज़ाइन , डे कोरे ट◌ंग म या कर और

या न कर, वा तु एवं फग शुई, कला मक व तुओं क म

ा आ द तमाम म

वपूण

जानका रय से लैस है , डज़ाइनर व पटर ' ऋषभ शु ला' ारा िल खत पु तक ' सु ीम होम थेर प ', जो आपके मकान को बना दे गी आपके सपन का घर . पु तक : सु ीम होम थेर प लेखक :ऋषभ शु ला वधा : नॉन- फ शन भाषा : अं ेज़ी वषय : होम डे कॉर काशक : व नल स दय प लकेश स विसट

कर : www.riatheestudio.blogspot.com - ऋषभ शु ल


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नानी माँ क बात :

गंजापन दरू कर : - हरे धिनया को पीसकर उसका रस िनकाल , उस रस से बाल म िनयिमत मािलश कर. - सूखे आंवले को सुपार क तरह थोड़ा - थोड़ा करके खाते र हये. िन

त क गंजेपन क िशकायत धीरे - धीरे दरू

हो जाएगी. उ च र

चाप से बचने हे तु :

- 2 च मच शहद म 1 च मच नीबू का रस िमलाकर सुबह शाम पीने से उ च र

चाप कम हो जाता है .

- लहसुन रोज खाय या इसका रस पीय . - छाछ उ च र

चाप के िलये अ यंत लाभकार है .

पुराना क ज दरू करने हे तु : - रात को सोते समय दध ू के साथ ईसबगोल क भूसी ल अथवा दध ू म मुन का उबालकर पीय, पुराना क ज भी दरू हो जाएगा. ड ेशन म राहत के िलए : - दध ू या शहद के साथ एक सेब खाने से मूड अ छा होता है . बुखार म राहत के िलए : - तुलसी क चाय का सेवन बुखार म लाभकार होता है . ******************************************************************************


लव इमपॉसबल ::

ेम कहािनयाँ तो बहत ु सी होती ह और ये कहानी उ ह ं म से एक है . साग रका और राहल ु क कहानी , जो एक समय म अ छे दो त ह नह ं ब क एक दसरे से बेपनाह मोह बत करते थे. और आज इन दोन क ू कहानी कुछ और ह बयां करती है . या द ू रय के बावजूद ड टस

ेम को कायम रखा जा सकता है ? या एक लॉग -

रलेशनिशप को कायम रखना आसान है या मु कल ? साग रका व राहल ु क कहानी आपको इन

पहलुओं पर सोचने पर ववश ज र करे गी ...... ेम क एक ऐसी कहानी जो

ेम क प रभाषा पर पुन: आपको

वचार करने पर मजबूर कर दे गी . राहल ु - याम वण , खूबसूरत , लंबा, सुग ठत दे ह , बड़ - बड़ आँखे , थोड़ा अंतमुखी, अपने घर पर सबसे छोटा व यारा , पटना, बहार के एक रईस खानदान का बेटा था .राहल ु ने अभी हाल ह म एम. बी.ए क

विधवत िश ा

संपूण क थी और अब वह द ली म एक बेहतर जॉब क तलाश म था . आज क सुबह राहल ु के िलए बहत ु खास थी

य क वो आज ह अपने चंद खास दो त के साथ द ली पहँु चा था . राहल ु अपने सभी दो त को

लेकर अपने क ज़न ् के घर पहँु चा और सभी दो त ने द ली क भाग- दौड़ भर

ज़ंदगी म खुद को शािमल कर


िलया. राहल द ली पहली बार आया था . उसका उ साह व जोश अपने चरम पर था . जसका एक कारण यह भी था ु क द ली म उसके और भी पुराने दो त जो बचपन के साथी थे, वे भी द ली म कायरत थे . राहल ु ने अपने बे ट

ड ' व णु' को फोन करके बताया क वो भी द ली आ गया है और दोन ने िमलने क योजना बनाई.

राहल ु अपने सभी दो त को लेकर व णु के

लैट पहँु चता है और दोन दो त इतने वष के बाद पुन: िमलकर

भाव वभोर हो उठे . यह मुलाकात एक यादगार मुलाकात थी .

अगले ह

दन राहल ु व उसके अ य दो त इं टरनेट व अखबार आ द के मा यम से नई जॉब ढू ने लगे . इस

दौरान राहल ु कई जगह सा ा कार दे ने गया . एक बेहतर जॉब को तलाशने क ज ोज़ेहद म आज राहल ु बहत ु अिधक थक चुका था . शर र का एक - एक अंग थकावट से भर गया था इसिलये राहल ु ने व णु को फोन कया और कहा क म, तु हारे घर आ रहा हँू , लीज़ खाने म कुछ जबरज त बना कर रखना

य क मेरे शर र

म आज जरा सा भी बल नह ं और भूख के कारण जान मुंह को आ गई है . राहल व णु के घर पहँु चता है और ु दोन दो त दोपहर के खाने के बाद चाय क चुस कय के साथ

कूल डे स के म ती भरे दन क याद को


ताजा करने म लग गए. इसी बीच राहल ु ने व णु के लैपटॉप से अपना फेसबुक उ मीद के साथ कसी खूबसूरत युवती क

ोफाइल चेक कया .....इस

ड र वे ट आई हो तो दन सफल हो जाए { अमूमन हर लड़के

क यह सोच होती है .. मैन वल बी मैन ... }..... इस बीच राहल ु ने व णु से पूछा क कसी द ली क लड़क से दो ती हई ु .. व णु ने कहा , हाँ पर बाद राहल ु उ साह से भर गया और व णु क यार ! अगर म भी इन सबको

यादा नह ं िसफ 14- 15 ह गी. यह सुनने के

स िल ट दे खने लगा. राहल ु

ड र वे ट भेजूँ तो

य यार ? तु हार

ने व णु से पुन: पूछा , " अरे

या ये मुझे एड करगी ? " ... व णु ने जवाब दया, " भाई

कर के दे ख ले ..वैसे द ली क ये कु ड़याँ बहत ु भाव खाती ह. इतनी ज द एड नह ं करगी .. जो मेर म एडे ड ह वे आ फस क ह और कुछ बाहर क ह. कर ले तू भी

ड िल ट

ाई. "

राहल ु ने योजना बनाई क सबको नह ं भेजूँगा .. इनम से क ह ं दस लड़ कय को या ् छक ( रै नडमली ) तर के सी भेज दे ता हँू जसे एड करना है वो कर लगी वरना कौन सा म उनको और वो मुझको जानती ह. और राहल ु ने दस लड़ कय को

ड़ र वे ट भेज द और ई र से

ाथना कर

क ," हे भगवान !

डिशप एड करवा दे ना

लीज़ ! " एक स ाह बाद राहल ु को अपने घर जाना पड़ा . उसी दौरान समय िनकाल कर उसने अपना फेसबुक

ोफाइल

चेक कया. तीन नो ट फकेश स दे ख राहल ु का मन उमंग से भर उठा . और ् उसक खुशी का तब कोई ठकाना ह नह ं रहा जब उसने दे खा क एक लड़क ने उसक युवती का

ोफाइल खोला पर वह लड़क

ड र वेसट ए से ट कर ली है . राहल ु ने तुरंत उस

द ली क नह ं ब क बहार क थी . राहल ु क उमंग , जोश व

ू गई . फलहाल राहल खुिशय क इमारत एकाएक टट ु ने दल पर प थर रख कर मन ह मन वो गाना ू गया तो जी के गुनगुनाया ......... जब दल ह टट काफ

या करगे ......... और लैपटॉप बंद कर दया.

दन बीत गए.. अचानक एक दन राहल ु के फेसबुक

ोफाइल पर उसी लड़क का मैसेज आया .

साग रका : हाई . राहल ु इस क मकश म था क मैसेज का र पांस करे या न करे ...अ खरकार उसने चै टं ग जार रखी. राहल ु : है लो .. हाउज़ यू . साग रका : फाइन .. हॉट एबाउट यू ? राहल ु : आई एम फाइन टू ... थ स . असल म म, आपसे माफ चाहँू गा ..मने गलती से आपको भेज द थी उस दन . साग रका : माफ ? कोई बात नह ं ... या पता भ व य म हम अ छे दो त बन जाएं.

ड र वे ट


राहल ु : हो सकता है .. आप

या करती ह?

साग रका : अ छा चलो ..सबसे पहले म अपना प रचय आपको दे ती हँू . और दोन म बातचीत का िसलिसला आगे बढ़ा और ब ता चला गया . साग रका- सरल बी.एड क

वभाव , दसर पर आसानी से व ास करने वाली , कभी - कभी कठोर , पाक कला ू

विधवत िश ा

वीण ,

हण करने वाली , बहार क मूल िनवािसनी और द ली म रहने वाली , एक सुंदर युवती थी .

राहल से घंट ढे र सार ू ु और साग रका , फेसबुक के मा यम से ह अ छे दो त बनते जा रहे थे. दोन एक दसरे बाते करते. एक दसरे क परे शािनय को समझते व उसका हल िनकालते ..वे िन वाथ भाव से एक दसरे से जुड़े ू ू हए ु थे . एक बेहतर जॉब क तलाश म राहल ु और उसके साथी एक लाख

ॉड कंसलटसी फम के च कर म फँस कर एक

पए गँवा बैठे. राहल ु इस घटना को भुला नह ं पा रहा था .. वह इसके िलए

वयं को ज़ मेदार ठहरा रहा

था . राहल ु ने साग रका को भी इस घटना से अवगत कराया ... वह काफ उदास था पर साग रका ने एक अ छे दो त क तरह , उसका ढांढस बढ़ाया और कहा अरे यार ! जो गलत होना था ...पहले हो गया , हमेशा ये याद रखना क जब भी कुछ बुरा हो तो इसका मतलब ये नह ं क तु हारा भा य खराब है .... ब क इसका मतलब ये है क भगवान ने इससे भी

यादा अ छा कुछ तु हारे िलए सोच रखा है . समझे िम टर बु ू !

एक दन आम चै टं ग के दौरान राहल ु ने अचानक साग रका से पु ष िम

कया, "साग रका

या तु हारा वॉय

ड (

) है ? " ........ साग रका राहल ु क बात पर हँ सी और उससे कहा क अभी 3 मह न से हम दो त बने हए ु ह, तु ह एकदम से ये

कहाँ से याद आ गया .

राहल ु ने कहा , "बस अब आ गया है तो बता भी दो लीज़ ."............... साग रका ने कहा , " ठ क है .. माफ करना आज तक तु ह बताया नह ं पर हाँ , मेरा वॉय राहल ु : ये दे खो ! मने कहा था न क तुम

ड है और उसका नाम है आशीष ."

हमेशा मुझसे बाते िछपाती हो

व सनीय दो त क

य क आज भी तुम मुझे अपने

ण े ी म नह ं दे खती हो .

साग रका : नह ं यार ! बस तुमने पूछा नह ं , मने बताया नह ं . राहल ु : ठ क है यार ! गु सा मत करो . म िसफ मज़ाक ह कर रहा था . और राहल ु ने बातचीत का वषय बदल दया .


राहल ु : हे साग रका ! अगर हम अ छे दो त ह तो

या हम एक दसरे क आवाज़ नह ं सुननी चा हये . इसके ू

िलए

या कर?

साग रका : को ! म अभी तुमसे बात करती हँू . 2 िमनट बाद राहल ु का मोबाइल बजा , राहल ु के फोन रसीव करते ह , वो मधुर आवा़ज़ ..." हे लो राहल ु !!!!! " हे

भू ! या आवाज़ है ... कतनी मधुरता .. कतनी िमठास ...मानो ई र सा ात फूल बरसा रहे ह ..... रहल ु मन

ह मन

स नता से गुदगुदाए जा रहा था . राहल ु ने शु

वयं को संभालाते हए ु साग रका क बात का जवाब दे ना

कया . यह चंद पल क बातचीत साग रका व राहल ु क परो

बातचीत क शु आत थी .

राहल ु , साग रका क आवाज़ क िमठास म मानो खो सा गया था . उस व त उसे साग रका क मीठ बोली के अलावा कुछ और सुनाई नह ं दे रहा था. काफ

दन बीत दोन को एक दसरे के मैसेज का इं तज़ार रहता . मौका िमलते ह दोन एक दसरे से बातचीत ू ू

म लगे रहते . वे भावना मक

तर पर पूणतया एक दसरे से जुड़ गए थे . साग रका राहल ू ु को और राहल ु

साग रका के सुख- दख कसका है या कौन सा सुख ु को इतना अ छे से समझने लगे थे क कौन सा दख ु कसका है , इसम कोई अंतर ह न रह गया था . एक दन राहल ु ने साग रका को फेसबुक पर मैसेज कया . आज साग रका कुछ उदास लग रह थी. राहल ु के बार- बार पू ने पर साग रका ने राहल ु को बताया क आज वो अपने वॉय ड आशीष के साथ एक पाक गई थी .. सब तरफ बहत ु भीड़ थी .....फेिमली , कप स, क स वगैरह - वगैरह पर कुछ ह दे र म वहाँ पुिलस कांसटे बल आ गए और िच लाने लगे क यहाँ बैठना मना है , उ ह ने और पर

यान न दया ......केवल मुझ पर और

आशीष पर ह भड़कने लगे . राहल ु ने पूछा तो तु हारा वॉय ड तो तु हारे साथ ह था फर

या

ेशानी हई ु .

साग रका ने बताया क पुिलस कांसटे बल ने कहा क घरवाल को बुलाओ तभी जाने दगे ले कन आशीष ने उसे अपनी सोने क चेन दे कर मामला रफा- दफा कया . राहल ु ने कहा, " लगता है तु हारा वॉय ड कुछ

यादा ह

पैसे वाला है . सोने क चेन दे ने क जगह थोड़ा क वस भी कर लेता तो शायद वे पुिलस कांसटे बल मान जाते . खैर, अपने आशीष के बारे म कुछ बताओ तो जरा .... म भी तो जानूँ क कौन है वो खुशनसीब जसे आप िमलीं. " साग रका ने बताया क आशीष एक नामचीन बहरा ु ीय कंपनी म काम करता है , नोएडा म.... पेशे से वह सॉ

वेयर इं जीिनयर है . उसका घर गा ज़याबाद म है . बड़ा ह नेक दल बंदा है ..बहत ु अमूमन िमला करते ह.

याल रखता है मेरा ..हम


राहल ु ने कहा , " बहत ु अ छा !" साग रका : पर उसक एक बात मुझे कतई पसंद नह ं . उसने हमारे र ते को अभी तक सबसे िछपा कर रखा है . मेरे बार - बार दबाव बनाने पर उसने बताया क घर पर अपनी बहन और भाई को उसने मेरे बारे म बताया है पर जब म , कहती हँू क बात कराओ तो मेर बात को टाल दे ता है . मुझे समझ नह ं आ रहा क आ खर उसके दमाग म

या चल रहा है .

राहल ु : अरे यार ! परे शान न हो. उसको थोड़ा समय दो . शायद घर पर कुछ परे शानी हो . इसिलए अभी वो थोड़ा समय चाहता हो . बाक सब ठ क होगा. िथंक पॉिस टवली और इतना गु सा मत

कया करो . इसिलये म, यार-

यार के लफड़ से दरू ह रहता हँू ... वैसे भी कौन तुम लड़ कय के इतने नखरे झेले .... हा हा हा हा ..... साग रका : हा हा हा हा .... तु ह भी भगवान करे ऐसी क लड़क िमले जसके नखरे झेलते झेलते तुम थक जाओ .. तथा तु ! और इस

कार दो दो त क दो ती दन - दन मजबूत होती चली गई .

6 मह ने बीत गए . राहल ु और साग रका दोन को शीत ऋतु अ यंत य

य थी . अभी तक राहल ु और साग रका

तौर पर एक - दसरे से कभी नह ं िमले थे . राहल ू ु को कसी कारण वश कुछ समय के िलए पटना वापस

जाना पड़ा . काफ िचंता सताने लगी

दन बीत गए , साग रका का काई मैसेज या फोन नह ं आया. अब राहल ु को साग रका क य क काफ

दन बीत गए थे और इससे पहले ऐसा कभी न हआ था. राहल ु ु परे शान था ,

उसे कुछ समझ न आ रहा था और साथ ह राहल ु को साग रका को फोन करने पर संकोच भी हो रहा था . राहल ु इस क मकश से जूझ ह रहा था क अचानक साग रका का फोन आ गया . राहल ु ने तुरंत फोन उठाया और बना साँस िलए साग रका के सम

क झड़ लगा द . ..... "कहाँ हो , कैसे हो ? त बयत तो ठ क है न

? इतने दन से तुमने एक मैसेज करना भी मुनािसब न समझा? " साग रका ने कहा, " नह ं यार ! कुछ नह ं ..बस .... " राहल ु : या बस ? साफ - साफ बताओ . साग रका अचानक रोने लगी . अब राहल वचिलत होकर अपने कमरे के एक छोर से दसर छोर तक चलता ू ु हआ परे शान हो गया . साग रका क रोती हई ु ु ल खड़ाती आवाज़ उसे पागल कर रह थी . साग रका : मेर मदद करो राहल ु ! आशीष पछले एक माह से अपने घर गया है और अभी तक उसका न कोई फोन आया न ह कोई मैसेज ..उसने मुझे उसके घर पर फोन करने के िलए स त मना कया है . मुझे बहत ु उलझन हो रह है . जाने

या बात है .... दल म अजीब - अजीब से

याल आ रहे ह.

राहल ु : बस इतनी सी बात ! पागल , आज तो तु हारे कारण मुझे हाट अटै क ह पड़ जाता . फटाफट अपने


यारे - दलारे आशीष का नंबर दो . अभी जनाब को फोन करता हँू . बस चलेगा तो फोन के भीतर से ह हाथ डाल ु कर कान मरोड़ कर जनाब को कहँू गा क तुमसे तुरंत बात करे . साग रका जोर- जोर से हँ सने लगी. साग रका क हँ सी सुन राहल ु ने राहत क साँस ली. राहल ु ने आशीष के घर पर फोन करा . राहल ु : है लो ! या म आशीष से बात कर सकता हँू . उधर से आवाज़ आई ... "

कये ! अभी बात कराती हँू .

आशीष : हाँ जी ! कौन ? राहल ु : राहल ु बोल रहा हँू , साग रका का दो त .. या यार .. या आदमी हो तुम . घर पर आराम फरमा रहे हो .. दल है भी शर र म या नह ं ..साग रका ने एक माह से तु हारे फोन का इं तज़ार कर रो- रो कर बुरा हाल कर िलया है . जरा सी भी शम हो तो उसे तुरंत फोन करो . आशीष : अ छा ! ठ क है . राहल ु ने साग रका को फोन पे बताया , " है लो सैग ! मेर तु हारे यारे आशीष से बात हो गई . निथंग टू वर .. वो 1 घंटे के अंदर तु ह फोन करे गा . सो ज ट िचल !! यार और दो ती !!!!! साग रका और राहल ू ु ने अपने इस र ते म दो ती को अहिमयत द . दोन ने एक दसरे से वायदा कया क हम जीवन पयत एक दसरे के अ छे व स चे दो त बने रहगे. ू ू चुक थी . सब ने साग रका का साथ छोड़ साल बीतते गए साग रका को आशीष ने धोखा दया .. अब वह टट दया पर राहल ु अभी भी एक मजबूत

तंभ क तरह साग रका के साथ था . साग रका भी राहल ु पर अब आँख

बंद कर व ास करने लगी थी . साग रका के बुरे समय म राहल ु ने उसे संभाला . ज़ंदगी से हताश हो चुक साग रका को पुन: ज़ंदगी जीना िसखाया . अब साग रका राहल ु को चाहने लगी थी . उसे यक ं था क राहल ु उसे कभी अकेला नह ं छोड़े गा . इ ेफ़ाक से फेसबुक के ज़ रये बना र ता

ेम और व ास क मजबूत नींव पर खड़ा हो चुका था . पर अभी भी

दोन एक दसरे से िमले नह ं थे . फोन पर भी न के बराबर वातालाप होती......... फेसबुक पर घंट बेबाक से ू बातचीत करने वाले साग रका और राहल ु अचानक फोन पर बात करते व त असहज हो जाते . आ खरकार वह दन आ ह गया जब राहल ु ने ह मत जुटा कर साग रका को अपने दल क बात कह वो भी


फेसबुक पर . ........ रात के 2 बजे थे ............ राहल यार करता हँू . आई लव वी ( i love V ु : साग रका ..मुझे तु ह आज ये सच बताना है क म तुमसे बहत ु ). साग रका : मेरे यारे से ..... नटखट से भोले भाले ... बु ू कम से कम

पोज़ करते व त तो थोड़ा सी रयस रहो

... आई लव वी नह ं आई लव यू . राहल ु ने अपना मैसेज दोबारा पढ़ा और

वयं क बेवकूफ पर उसे बहत ु हँ सी आई ......... उसने साग रका को

िलखा , " अरे यार ! नवस हो गया था . खैर ! छोड़ो ..... अगर तु ह बुरा लगा हो तो मुझे माफ करो . म, नह ं चाहता था क तुम कसी भी तरह से दखी हो . न ह तु ह हट करने का मेरा कोई इरादा था . तुम चुप ु ..कुछ मैसेज

य नह ं करती . साग रका .. सॉर

लीज़ .

साग रका : ओए बु ू ! िचंता मत करो .. वैसे तुम सच कह रहे हो न.. ये मज़ाक तो नह ं क म कैसी हँू और मुझे मज़ाक पसंद नह ं . तो

य हो

य क तुम जानते हो

या जो तुम कह रहे हो वो वाकई दल से कहा गया सच है ?

राहल ु : हाँ , ये शत

ितशत सच है .

साग रका : राहल ु ! आई लव यू टू . साग रका का जवाब पढ़ने के बाद राहल ु मान सातव आसमां पर उड़ने लगा ( और मन ह मन गुनगुनाने लगा ......... आज म ऊपर आसमां नीचे , आज म आगे .. ज़माना है पीछे . ) राहल ु : साग रका म तुमसे बस दो िमनट बात करना चाहता हँू ... फोन पर अगर तुम बुरा न मानो तो . साग रका : करो .. सुबह के चार बजे राहल ु ने साग रका को फोन कया . साग रका क शहद म घुली आवाज़ सुन राहल ु के पूरे शर र म कँपन सी होने लगी पर

वयं पर िनयं ण करते हए ु राहल ु सग रका से बातचीत शु

दोन लगभग 2 िमनट तक मौन हो जाते ह ... कसी को समझ नह ं आ रहा था क आ खर कहाँ से बात शु

करता है और या बात कर. या

कर ..... राहल ु ने ह मत जुटा के कहा , "साग रका तुमने जो मैसेज कया था वो म तु हारे मुँह से सुनना चाहता हँू ... लीज़ .. फर तुम फोन रख दे ना ." 2 िमनट का पुन: स नाटा ................. राहल ु : है लो साग रका ! तुम हो वहाँ ?


साग रका : हाँ राहल यार करती हँू . ु ... म हँू यहाँ और म , तुमसे बहत ु "ओ मेरे

भू !" .......... राहल ु तो बस बेहोश होकर जमीं पर िगरने वाला ह था क साग रका ने फोन काट दया

. वयं को संभालते हए ु राहल ु ने साग रका को मैसेज कया ..... शु आएगी और अब तुम भी सो जाओ

य क इससे

या ..शु

या ..... आज बहत ु सुकून भर नींद

यादा खुशी एक दन म म , नह ं झेल पाऊँगा.

दोन म फोन पर बात होती रहती थीं . राहल ु क एक बड़ कंपनी म बतौर मैनेजर के पद पर िनयु वह कंपनी क था. म य

कस

ांच आ फस को संभालेगा व कस शहर म उसक िनयु

हई ु . पर

क जाएगी , यह अभी तय न

दे श के र वा शहर म राहल ु को आ रएंटेशन पपस से जाना पड़ा , जहाँ उसने 15 दन गुज़ारे . उसके

बाद इलाहाबाद .. फर ब ती ......इसी

कार काम के िसलिसले म राहल शहर जाना पड़ ू ु को एक शहर से दसरे

रहा था . इसी दौरान साग रका फोन पर राहल ु को मो टवेट करती रहती. राहल ु को भी साग रका के फोन का हर पल इं तज़ार रहता . आ खर राहल द ली वापस आ ह गया पर एक हादसे ने राहल ु ु और साग रका को हला दया . बस के सफर के दौरान राहल ु क बस का भयंकर ऎ सीडट हो गया ...ई र क कृ ् पा से सभी या ी सुर

त थे . पर राहल ु को

काफ चोट आई .. उसने यह बात साग रका को बताई .... साग रका के पैर के नीचे से मानो ज़मीन खसक गई ..वह अपनी भावनाओं पर िनयं ण नह ं कर पायी ... साग रका का रो - रो कर बुरा हाल था ... अब साग रका राहल ु से िमलने को आतुर थी . आ खर वो दन भी कर ब था जब साल पुराने दो त ...बहत के आमने- सामने आने वाले थे. ू ु ज द एक दसरे राहल ु , अपनी पसंद दा नीले रं ग क ट - शट , लैक डे िनम जींस , हाथ म लेदर र ट बड म कसी राजकुमार से कम न लग रहा था . पर राहल ु साग रका को, िमलने के तय

थान पर ढँू ढ़ पाने म असमथ था . तभी

साग रका ने राहल ु को फोन कया और कहा, " बहत ु सुंदर लग रहे हो राहल ु और नीला रं ग तुम पर बहत ु फबता है . राहल छोर पर दौड़ाने लगा ... साग रका कहाँ हो तुम ...कहाँ से दे ख ू ु बेचैनी से अपनी नज़र एक छोर से दसरे रह हो मुझे ?" ...राहल ु ने कहा . साग रका : तु हारे सामने ह हँू . और सग रका एकाएक राहल ु के सामने

कट हो गई . दोन एक दसरे ू

राहल ु और साग रका को कुछ समझ नह ं आ रहा था क वे

के सामने होकर भी बेहद बेचैन थे .

या बात कर. तभी राहल ु ने कहा .. " है लो ! आई

एम राहल ु " ............ साग रका ने मु कुराते हए ु कहा , " है लो ! आई एम साग रका "..... और दोन के बीच हँ सते ठल ठलाते हए ु बातचीत का िसलिसला चलता रहा ..... यह पहली मुलाकात एक यादगार मुलाकात थी.


रात का समय था .. अचानक राहल ु के पास साग रका का फोन आता है . साग रका : है लो राहल ु ! आज तु हारे साथ मेर पहली मुलाकात बहत ु शानदार थी .. वैसे तुमने मुझम

या

नो टस कया ? राहल ु : तु हार लंबाई .. कतनी लंबी हो यार तुम .. मेर लंबाई के हसाब से परफे ट मैच ह हम दोन . साग रका : बस तुमने मेर लंबाई ह नो टस कर .. राहल ु : अरे नह ं ! तु हार आँख भी बेहद खूबसूरत ह. कतनी बड़ - बड़ आँख ह तु हार ......... तु हारा पहनावा ... तु हारा हे यर

टाइल और नाक पर तु हारा वो यारा सा ितल .

साग रका : हे भगवान ! चलो तुमने मुझम बहत ु कुछ नो टस कया और तुमसे िमलकर मुझे बहत ु अ छा लगा . ऐसा लगा क कोई अपना है मेरे साथ जस पर म , आँख बंद कर भरोसा कर सकती हँू .... जससे मुझे कोई डर नह ं .... जो हमेशा मेरे साथ रहे गा ... आज वो श स मेरे साथ है , मेरे पास है . म, उस पल को अभी भी याद कर रह हँू .. जब पहली बार तुमने मेरा हाथ छुआ ..तुमने मेरा हाथ ह नह ं राहल ु .... तुमने मेर आ मा को छुआ है . राहल ु के मुख से एक श द भी न िनकला .. उसे समझ नह ं आ रहा था क वो साग रका क बात का

या

जवाब दे ........थोड़ दे र बाद राहल ु ने साग रका से कहा क मने भी कभी नह ं सोचा था साग रका क मुझे तुमसे इतना यार हो जाएगा .. क हर तरफ तुम ह तुम दखोगी . . जब से तुमसे िमलकर म, वापस आया हँू बस तु हार ह याद म खोया हँू . यहाँ तक क म पागल क तरह तु हार त वीर से बात कए जा रहा था .. तु हारे इतने कर ब होने का यह अहसास...... . दिनया का सबसे अ छा अहसास है . जब तुम मुझसे आज सुबह ु बात कर रह थी तो म तु हार एक - एक अदा का कायल हो रहा था . तु हार वो उलझे लट ..तु हार मीठ मीठ बोली ...तु हारे यारे - यारे ह ठ ....बस हर जगह तुम ह तुम दख रह हो साग रका . साग रका : बस करो राहल ु ! अब सो जाओ ...शुभ रा राहल ु : शुभ रा

.

! सुहाने सपने दे खो साग रका .

नई सुबह , नए सपने न नई आशाओं से भरा . एक नया दन . आज राहल ु को पता चलने वाला था क उसक िनयु

कस शहर म होने वाली थी. दभा ु यवश राहल ु क िनयु

उसक उ मीद से उलट द ली से दरू एक

ू गया छोटे से क बे बहराइच जो क लखनऊ से 140 क.मी. क दरू पर है , वहाँ कर द गई. राहल ु का दल टट . उसे इस बात का बेहद अफसोस था क अब वो साग रका से दरू हो जाएगा पर साग रका ने राहल ु को


समझाया क द ू रय से यार कम नह ं होता ब क एक दसरे से दरू हो जाने पर तो र ता और मजबूत होता ू है य द एक दसरे पर भरोसा हो तो . ू राहल ु बहराइच पहँु च गया . उसने अपना काय संभाला . वह साग रका से फोन पर बातचीत करता रहता था. बहराइच बहत भी बंद हो जाती है . अत: राहल ु ु छोट जगह है ...रात के 9 बजे तक सभी दकाने ु पहले दन से ह उस जगह म एडज ट हो पाने म असमथ महसूस कर रहा था . पर पहली नौकर थी . अत: राहल ु इस नौकर के ज़ रये अपनी का बिलयत को हर हाल म सा बत करना चाहता था ... .. दन बीतते गए . साग रका का एम. एड पूरा हो गया . राहल ु साग रका को दन- रात इं टर यू क तैयार करने म मदद करता . वे दोन फोन पर ह एक दसरे से सार बात सांझा करते . आ खरकार साग रका और राहल ू ु क मेहनत रं ग लाई और साग रका बतौर ट चर एक नामचीन व ालय म पढ़ाने लगी. साग रका ने अपने घर पर अपनी माँ को राहल ु के बारे म बता रखा था . साग रका क माँ को राहल ु पसंद था . साग रका के पता आम म अफसर थे और काफ स त िमजाज़ के थे . राहल ु साग रका के क रयर को नई ऊँचाईय तक पहँु चाने के िलए उसक यथासंभव मदद करता रहता और बराबर से संघषरत रहता . इसी बीच अचानक साग रका के पता ने उसक शाद क बात शु

कर द . इधर साग रका क भी त बयत कुछ

खराब रहने लगी . उसके शर र का भार भी ब ने लगा . हालां क धीरे - धीरे उसने 10 क. ा. वजन कम कर िलया . राहल ु इस बात से बहत ु खुश था क साग रका अपनी ज़ंदगी म खुश है . अचानक कसी कारणवश साग रका को वापस बहार जाना पड़ा. अब वह अपने माता- पता के साथ रहने लगी . वहाँ जाकर साग रका और राहल ु के बीच बातचीत व मुलाकात का िसलिसला मानो थम सा गया . इस दौरान साग रका कभी- कभी राहल ु से बहत ु कठोरता से बात करने लगती . राहल ु को उसके बताव म आए इस िचढ़िचढ़े पन क वजह समझ नह ं आ रह थी . पर फर भी वह उसे हर पल खुश रखने क कोिशश करता . खैर ! राहल ् हो चुका था . वे अपनी ज़ंदगी से खुश थे. ु और साग रका का र ता वापस पुन: मजबूत व सु ढ़ इस बीच साग रका ने अपनी माँसी से राहल ु क बात करायी . यह पहला अवसर था जब राहल ु ने साग रका के घर के कसी सद य से बात चीत कर हो . हमारे समाज म शाद - याह के वषय म सबसे पहले जस मु े पर गौर फरमाया जाता है , वह मु ा है जाित का अथात का ट . साग रका एक बहत जाित से ( ओ.बी.सी ) था . और ू ु उ चजाित से थी .वह राजपूत घराने से थी और राहल ु दसर दोन

क शाद म य द कोई अड़चन हो सकती थी तो शायद यह थी . राहल ु ने साग रका से पहले ह कह

दया था क वो अपने प रवार के साथ आएगा और साग रका के पता से उसका हाथ माँगेगा . फर भी य द साग रका के पता को यह र ता नामंजूर हआ तो हम सदै व अ छे दो त बने रहगे .वैसे राहल ु ु को पूरा भरोसा


था क इन दोन को ऐसी कसी परे शानी का सामना करना नह ं पड़े गा

य क राहल ु भी एक खानदानी प रवार

से ता लुक रखता था . उसके पता किम र के पद पर कायरत थे . अत: उसे यक न था क साग रका के पता और उसके प रवार वाले राहल ु क भावनाओं का मान रखगे. समय बीतता गया ..धीरे - धीरे काय भार के चलते दोन के बीच बात- चीत कम हो गई थी. जनवर माह के अंत म राहल से िमलकर बेहद खुश थे . पर इस बार ू ु साग रका से िमलने गया . दोन इतने समय के बाद एक दसरे साग रका से िमलकर राहल ु को कुछ अजीब महसूस हो रहा था . मानो उसके और साग रका के बीच एक पारदश द वार खड़ हो गई हो. उसी रात , राहल ु के पास साग रका का फोन आया ....... और इस फोन ने राहल ु और साग रका क

ज़ंदगी

बदल द . साग रका जोर- जोर से रो रह थी ... राहल ! पापा से लड़ाई हई ु : ओए ! या हआ ु ु

या या कसी ने कुछ कह दया .

साग रका : राहल ु मुझे माफ कर दो ..मेर शाद तय हो गई . तुमसे िमलने के बाद जैसे ह घर पहँु ची तो दे खा घर पर लड़का आया है

मुझे दे खने . मुझे कुछ समझ न आया और मने उसे हाँ कह दया .

राहल ु : उ लू मत बनाओ मुझे .. लीज़ ऐसा मज़ाक मत करो . पहले भी तुम ऐसे ह मुझे परे शान करती थी . पर अब म तु हार बात म नह ं फँसने वाला . साग रका : राहल ु तु हार कसम . यह सच है . मेर शाद तय हो गई है और मने भी हाँ कर द है . राहल ु का शर र बफ क भांित ठं डा पड़ चुका था . वह

त ध था . उसके हाथ से मोबाइल छूट पड़ा और आँख

से अ ओ ु ं क गंगा बहने लगी . वह ज़मीन पर घुटन के बल रहा था क

त ध होकर बैठ गया . उसे समझ ह नह ं आ

या हआ है उसके साथ . अभी कुछ दे र पहले जस लड़क के साथ वो अपने भ व य के सुनहरे ु

सपने संजो रहा था ...उसी लड़क ने एक पल म ह उन सारे सपन के चीथड़े उड़ा दये. खुद को संभालते हए ु राहल ु ने कपकपाते हए ु हाथ से पुन: साग रका को फोन कया पर साग रका ने उसके फोन का जवाब नह ं दया . राहल ु पागल क तरह फूट- फूट कर रोने लगा . वह

वयं को संभाल नह ं पा रहा था . वह

अकेले था . अत: आसपास भी कोई न था जो उसके िसर पर हाथ तक रख पाए. दे र रात साग रका का पुन: फोन आया . राहल ु ने तुरंत फोन उठाया , उसने साग रका से पुन: पूछा क " साग रका ये सब

या है ?"

या कह रह हो तुम? ये


साग रका : राहल ु मेरे पापा को लड़का बहत ु अ छा लगा और म अपने पापा को मना नह ं कर सकती और मने पहले ह तुमसे कह दया था क अगर घरवाल को हमारे र ते से परे शानी हई ु तो हम अपने र ते का अंत कर दगे . राहल ु साग रका से बहत ु कुछ कहना चाहता था पर उसके शर र, दल व दमाग ने उसका साथ छोड़ दया ... वह अपने दल क बात को अपने दल म ह दफन कर रात भर फबक- फबक कर रोता रहा.... घुटता रहा. राहल ु बार- बार सोचता रहा क राहल ु ने साग रका के बारे म अपने प रवार को पहले ह सब कुछ बता दया था और राहल ु के घरवाले इस र ते के िलए राज़ी भी थे . बस इं तज़ार था तो साग रका का क कब वो अपने घर वाल को उनके र ते के बारे म बताएगी. पर साग रका ने अपने घरवाल से कभी राहल ु के बारे म और उसके और अपने र ते के बारे साफ- साफ बात नह ं कर . साग रका चाहती तो एक बार वो अपने माँ- बाप को साफ- सास उनके र ते के बारे म बताती .. फर य द उ ह यह र ता नामंजूर होता तो राहल ु को इतनी तकलीफ न होती. या साग रका के िलए अपने यार को पाने क कोिशश करना इतना क ठन था ? ू चुका था . वह अपने आप को ब कुल अकेला महसूस कर रहा था . उसे लग रहा था क राहल ब कुल टट ु उसक

ज़ंदगी म सब कुछ ख म हो चुका है . उसे अपने आप से घृण ् ा हो रह थी . वह दन - रात रोता रहता

.....न खाने- पीने का होश ...न दिनया दार क ु था . और हर व त

.....वह दन - दन अपने आप म िसमटता- खोता जा रहा

वयं को कोसता रहता ..घुटता रहता .

एक दन राहल ज़ंदगी से इस कदर हताश हो गया क उसने आ मघात करने क कोिशश तक कर डाली. ु अचानक उसक आँख के सामने उसे अपनी माँ का चेहरा दखाई दया . उसके पता और उसक बहन का वो खल खलाता चेहरा उसक नज़र के सामने घूमने लगा ...... जब वह एम.बी.ए. क पढा़ई संपूण

कर वापस

अपने प रवार के पास गया था ... माँ क आँख म तो आंसू झलक गए थे. और पापा क छाती तो गव से फूली जा रह थी . उ ह ने जोर से राहल ु को गले से लगा िलया था और बहन ने तो अपने हाथ से बनाए राहल ु के पसंद दा रसगु ले उसके मुँह म एक के बाद एक ठू ँ स दए थे. अचानक राहल ु अपने ह आप म खल खलाने लगा . उसके हाथ क नस पर रखा चाकू एकाएक उसने जोर से दसर ओर फक दया . वयं को संभाला . ये ू

या करने जा रहा था म..... मेरे यह करने से मेरे प रवार का

या होगा ..साग रका ने एक पल म मुझे खुद से दरू कर दया ...म उस लड़क के िलए खुद को ख म कर दँ ू ..... नह ं ! म, जयूँगा , अपने प रवार के िलए जयूँगा और साग रका क याद को अपने दलो- दमाग से िमटा दँ ग ू ा ." पर कहा जाता है न क कथनी और करनी म बहत ु अंतर होता है . राहल ु चाहकर भी साग रका के िलए अपने


यार को भुला नह ं पा रहा था . अचानक एक दन राहल ु के पास

साग रका का फोन आया.

साग रका : कैसे हो राहल ु ? राहल ु : ठ क हँू . अभी य त हँू काम म .... बाद म फोन करता हँू . साग रका : तू मुझसे नाराज़ है ? राहल ु

: म कौन होता हँू नाराज़ होने वाला . मने अब तुम पर से सारे हक खो दए ह. तु ह तु हार नई ज़ंदगी

के िलए शुभकामनाएं ... आगे बढ़ ..पीछे मुड़ कर अब कभी न दे खना साग रका. अपना

याल रखना और लीज़

अब आगे से फर कभी मुझे फोन मत करना . साग रका ( रोते हए ु ) : लीज़ राहल ु ... ऐसा मत कहो . हमने वादा कया था क हम हमेशा अ छे दो त रहगे और साथ रहगे . राहल ु : सह कह रह हो ..पर मुझे थोड़ा समय चा हये .. कृ ् या कर अपनी शाद पर

यान दो और मुझे काम

करने दो . राहल ु ने साग रका से यह कहते हए ु फोन काट दया . जब कसी इं सान के साथ ऐसा कुछ हो जाए जो उसने कभी न सोचा हो तो उस व त ज़ंदगी मानो थम सी जाती है .. जैसे ज़ंदगी म कुछ बचा ह नह ं . व त क चोट भी बहत ु खतरनाक होती है , इं सान को कभी- कभी ले डू बती है पर राहल ु ने खुद को संभालने का भरकस था ....पर उसक

यास कया . वह अपनी ज़ंदगी म आगे बढ़ना चाहता

ज़ंदगी का अकेलापन , उसक त हाई उसे दन - दन गलाए जा रह थी. दन भर आ फस के

काम म खुद को य त रखता पर जब घर पर अकेले होता तो अपने ह आप से बाते करता ..खुद को कोसता रहता. राहल ु खुद को संभालने क

जतनी बार कोिशश करता , बार- बार साग रका का फोन कॉल उसे वचिलत कर

दे ता . आ खरकार एक बार राहल ु ने साग रका से पुन: बात कर . तब साग रका ने राहल ु को बताया क जब वह उससे आ खर बार िमली थी , उससे पहले से उसक शाद क बात चल रह थी पर यह बात वह राहल ु को बता न पाई. इतना ह नह ं साग रका और उसके होने वाले पित क बातचीत भी हो चुक थी . यह सब सुन राहल ु ोध क अ न म जल उठा . उसने साग रका से कहा, " तुम सब कुछ पहले से जानती थी फर भी तुमने मुझसे यह बात िछपाई ." ........ अगर साग रका राहल ु को यह सारा मामला उसी समय पर बता दे ती तो शायद वो कुछ कर पाता . साग रका क बात से साफ हो गया था क शायद वो खुद ह नह ं चाहती थी क राहल ु और साग रका का र ता अपने जायज़ मुकाम पर पहँु च सके.


ू चुका था. साग रका राहल अब राहल ु शीशे क तरफ बखर कर टट ु को उसक शाद क तार ख भी मैसेज करती है . राहल दद उसके दल के दरवाज़े पर द तक सा दे ता रहता था . ू ु , एक दद से खुद को उबार नह ं पाता क दसरा साग रका क शाद का दन भी आ ह गया . एक ओर आितशबा जयाँ , खुिशयाँ, खल खलाहट , साज- ग ं ृ ार , बधाईयाँ व शुभकामनाएं , साग रका क झोली म . वह ं दसर ओर िनराशा, उदासी , ग़म , हताशा , बे खी, मातम, ू घुटन

व तड़प , राहल ु क झोली म.

राहल ब कुल अकेला था . उसे सहारा दे ने के िलए कोई उसके आसपास न था . ब कुल त हा. राहल ु ु अपनी मानिसक

थित चाहकर भी संभाल नह ं पा रहा था . यार म धोखा , दद

उससे बदा त न हो पा रहा था . वह

घुटन क घुटन म तड़प रहा था . ..... जससे िनजात पाने के िलए उसने शराब का सहारा िलया . वह बबाद क ओर बढ़ते अपने कदम को रोक न पा रहा था . अपने ह

लैट म एक जगह से दसर जगह भागता , ठोकर ू

खाकर िगर जाता , चीखता - िच लाता , "बधाई हो साग रका , बधाई साग रका " कह - कह कर फूट - फूट कर रोता रहा , चीखता रहा , तड़पता रहा . अपने हाथ से अपने बाल को नोचता तो कभी खुद को आईने म दे ख ू कर बखर गया था ...अ खरकार थक -हार कर राहल घृ ् णत महसूस करता . वह ब कुल टट ु कमरे के एक कोने म ज़मीन पर ह द वार से टे क लगाकर ह सो गया . धीरे - धीरे राहल ु क त बयत दन - दन बगड़ती जा रह थी . जसके कारण उसे अ पताल भत कराया गया . जहाँ उसको दो मह ने बताने पड़े . राहल ु के माता- पता को जैसे ह इन बात क खबर िमली , वे फौरन राहल ु को अपने घर वापस ले आए. राहल ु के माता- पता अपने लाडले बेटे क यह हालत दे ख िसहर उठे . बहन ने तो रो- रो कर बुरा हाल कर िलया . कसी तरह राहल ु के बारे म साग रका को मालूम पड़ा और उसने राहल ु को फोन कया . साग रका ने राहल ु से मा

पाँच िमनट बात करने के बाद फोन काट दया . यह एक बेहद

असंवेदनशील .... साफ तौर पर दखावट बातचीत थी . राहल ु आ यच कत था क इस लड़क के कारण उसने वयं को बबाद कर डाला .. आज उसक इस हालत क

ज़ मेदार भी साग रका ह है पर सजा कसको िमली

...िसफ और िसफ राहल ु को. राहल ु गहर सोच म था ... या वाकई इसी साग रका से उसने इतनी मोह बत कर थी... या वाकई साग रका को कभी राहल ु क

भी थी.....जो आज राहल ु क इतनी खराब हालत होने पर उसे कोई परवाह तक नह ं .

वो भीतर ह भीतर अपनी हालत पर हँ स रहा था . िन: संदेह यह हँ सी उसक घुटन थी....... गहर साँस लेकर राहल ु ने

अपनी आँखे बंद कर लीं .. पर फर भी साग रका क याद अ ु बन थीं.

उसक आँख से बहे जा रह ं


ठ क होने के बाद राहल ु

अपने काम पर वापस चला गया . साग रका अभी भी उसे फोन करती रहती थी

और अपने पित व ससुराल क बात बताती रहती थी . राहल ु न चाहते हए ु भी अभी भी उसक बात के जाद ू से बंधा हआ था . साग रका क शाद को एक वष बीत गया और राहल ु ु ने अपनी पुरानी जॉब से इ तीफा दे कर दसर कंपनी ू

वाइन कर ली . यह एक समाज सेवी सं था थी जो बाल शोषण व क याण के िलए आवाज़

उठाती थी . वहाँ राहल ु ने ज़ंदगी को नए तर के से जीने क शु आत कर . उसने

वयं यह

ण िलया

क अब

वह साग रका से सारे संबंध तोड़ दे गा और अपने नव जीवन के सवेरे म अतीत के काले अंधेर को शािमल नह ं होने दे गा . साग रका को जैसे ह पता चला क राहल ु वापस द ली आ गया है ... वह बार- बार फोन कर उससे िमलने क अपनी अधीरता व आतुरता को उसके सम

कट करती रहती थी. पर इस बार राहल ु ने साग रका

को साफ मना कर दया और साग रका के साथ जुड़े सभी संपक सू

को भी न

कर दया ..............

अब राहल ु िनकल पड़ा था एक नव जीवन पथ पर जहाँ उसने अपनी ज़ंदगी को और क सेवा के िलए सम पत कर दया . यार जैसे श द से उसका व ास उठ गया था पर छोटे - छोटे मासूम ब च क

ज़ंदगी

सवार कर , और के िलए ज़ंदगी जी कर राहल ु को यह व ास हो गया क साग रका , उसके जीवन का कड़वा


सच थी , एक कड़वा समय जो बीत गया है ....साग रका को

ेम का पयाय नह ं माना जा सकता ... राहल ु सोचता

है ... "तो

या हआ जो म, अपने पहले यार म असफल हआ था या मेरे यार ने मुझे धोखा दया...... ज़ंदगी ु ु

मुझे पुन:

यार करना िसखाएगी और यूँ ह जीवन पथ पर एक दन वो मुझे ज र िमलेगी जो मुझे दलो जाँ

से भी

यादा

ेम करे गी और म भी उससे

ेम क ँ गा .... एक न एक दन मुझे ज र िमलेगा मेरा स चा ' यार '. - कुमार

एम. बी. ए. ड ी हो डर '

तीक ' क

तीक

ज़ंदगी अिधकतर कॉपरट (Corporate ) जगत के इद- िगद ह

घूम ती रहती है . फर भी इस भाग- दौड़ भर

ज़ंदगी म भी उ ह ने अपने लेखन के शौक़ को पंख दए ह.

इनक रचनाएं ज़ंदगी क स यता, त हाई व

ग ं ृ ार रस पर के

त ह.

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प का क

वषय - व तु व

ा पण अ यिधक सुंदर है .. जस नाम तस गुण . बधाई - व ुत शमा ( आगरा )

* आदरणीय संपादक महोदय ,

प का का नवीनतम फारमेट अ यिधक सुलभ व मनोहर लगा. वष दो के सभी अंक बेिमसाल लगे. अतु य सुंदरता का पटारा है संपादक य म आप के

व नल स दय ई- प का .

ारा िल खत लघु कहानी ने अ यंत भाव वभोर कर दया साथ ह झकझोर कर भी रख दया .

ेरणादायी व सुंदरता के सह मायन को

कािशत करती एक अनमोल प का .

शुभकामनाय. - िनहा रका जैन. ( द ली ) ******************************************************************************


य पाठक ! आपक ओर से िनरं तर

हो रह सकारा मक

ट म क तरफ से आप सभी को करते रह . आपक

ित

याओं के िलए ' व नल स दय ई ज़ीन' क पूर

दय से आभार . अपने आशीवाद, ेम व ्

ो साहन क वषा हम पर सदै व

ट प णय , सलाह एवं मागदशन का हम बेस ी से इतंज़ार रहता है . प का के िलए

आपके लेख, रचनाय आ द सादर आमं त ह. कृ ् या अपने प

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पासपोट साइज़ फोटो अव य संल न कर. ई- मेल : swapnilsaundarya@gmail.com shuklarishabh52@gmail.com व नल स दय ई- ज़ीन म रचनाय भेजने व व नल स दय ई- ज़ीन ( ई- प का ) म रचना

कािशत कराने हे तु िनयम :

े षत करते समय कृ ् या िन न बात का

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- रचना साफ - सुथर हो व Word Text Format अथवा Rich Text Format पे िलखी गई हो . - भेजी गई रचना मौिलक , अ कािशत व अ सा रत होनी चा हये. कसी भी प - प का से चुराई गई रचना कृ ् या न भेज. य द रचना चुराई गई है , और यह सा बत हो गया तो उ

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जाएगी. - रचना के साथ आपका पूरा नाम, पता, पनकोड व पासपोट साइज़ फोटो अव य भेज. - रचना पर शीषक के ऊपर मौिलकता के संबंध म साफ - साफ िलख अ यथा रचना पर वचार नह ं कया जाएगा. - रचना िसंपल फांट ( Font ) म िलखी गई हो . - रचना भेजते समय अपने बारे म सं

योरा ज र द . य द

तंभ के िलए रचना भेज रहे ह तो उस -

येक

व नल स दय ई-ज़ीन के कसी

थायी

तंभ का शीषक िलखना न भूल .

वीकृ ् त रचना का कॉपीराइट ( सवािधकार ) प का के कॉपीराइट धारक का है और कोई

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अनु दत , कािशत या

नह ं होनी चा हये. - व नल स दय ई-ज़ीन ट म ******************************************************************************

वीकृ ् त / सा रत


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ACID ! Dilute or Concentrated ??????? 07 Different Stories ............07 Different Endings


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