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सोच | शब्द | अभिव्यभि

प्लेसमेंट विशेष ांक | वितीय सेमस्े टर 2013-14

सम्पादकीय

आगे के पृष्ठों में.. 

प्लेसमेंट विशेष.. 2

“एवपक” मयंक से एक मल ु ाकात .. 4

बॉसम 2014 : विव्यू ..5

ओएवसस 2014 : विव्यू ..5

“वशक्षा का अविकार अविवियम” पर अवि​िेशि .. 6

अध्यक्ष एिं महसवि​ि : िादों पर वि​िार ..7

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कहते हैं कक समय का चक्र ककसी के किए नहीं रुकता। जो बात कबट्स को सबसे अनूठा बनाती है वो यह है कक हमारा कै म्पस न के वि समय के साथ चिता है अकपतु उससे पीछे एवं आगे भी चिता है। पा​ाँच वर्ष पहिे जब मैंने कवद्या-कवहार में कदम रखा था तब िगता था कक वक़्त कभी आगे ही नहीं बढ़ेगा। परन्तु जल्द ही बदिाव की बयार आई और कबट्स का पररवतषन शरू ु हो गया। सवषप्रथम थीं रे हकिया​ाँ। आप में से काफी कम िोग ये जानते होंगे कक रे हकिया​ाँ पहिे काफी अिग होती थीं| आज की जो वी.के . रे हिी है, पहिे वो वकष शॉप के सामने हुआ करती थी। यहा​ाँ तक कक सी-िॉन्स कजसके ऊपर नया अकादकमक भवन बना है, पहिे कक्रके ट प्रेकमयों का अड्डा था। आप सोच रहे होंगे कक मैं आप सभी को ये बातें क्यों बता रहा हाँ ? कबट्स बदिता चिा गया और हर नए बैच के साथ बदिती गयी कबट्कसयन संस्कृ कत। बदिाव की ये सनु ामी मझु े भी अपने संग बहा िे गई। इस सनु ामी ने मझु े कबट्स के नए चेहरे कदखाए और अनेक बार स्वयं का पुनराकवष्कार करने को मजबूर कर कदया, परन्तु इन नए अनुभवों की चकाचौंध ने कभी क्षणभर ठहरकर इस बदिाव पर मनन करने का अवसर नहीं कदया। चहुाँ ओर होते पररवतषन के बावजूद हमारी इस रंग-कबरंगी कफर भी कककन्चत् पीतवणी दकु नया में कबट्कसयन कस्पररट का प्रवाह अकवरि रहा है, और यही प्रवाह हमें हमारी कबट्कसयन पहचान देता है। अकादकमक वर्ष का आकखरी महीना सभी के किए एक अनोखा एहसास िेकर आता है। भिे ही हम कबट्स के ककसी भी कोने में क्यों न हों (और अब तो एम.बी. वािे फूडककंग में भी!) एक वर्ष गज़ु र जाने का ख़याि तो सभी के मन में आता है। प्रथम वर्ष में रकजस्रेशन से िेकर अगिे वर्ष के किए कवंग बनाने की जद्दोजहद तक, सब कुछ कदमाग में घमू जाता है। दसू रे साि में पहिी मतषबा सीकनयर बनने का जूनून अप्रैि आते आते पररपक्वता का आकार िे िेता है। चाहे क्िब-कडपाटषमेंट हो या कवंग, दोकस्तया​ाँ अटूट बंधन में तब्दीि हो जाती हैं। तीसरे वर्ष में कबट्स की बागडोर अपने हाथ में संभािने के साथ ही हम कज़म्मेदाररया​ाँ उठाने का वो सफर शुरू कर देते हैं जो जीवनभर नहीं थमता। इस साि के अंत तक कबट्स महज़ एक कॉिेज नहीं रह जाता। हम कबट्स के हो जाते हैं और कबट्स हमारा हो जाता है। अब हम गकमषयों में घर नहीं जाते अकपतु घर से जाते हैं, बस ढ़ाई महीने बाद वापस आने के किए। कफर आता है सेंटीसेम कजसमें मस्ती के आिम में कबट्स को एक बार कफर अपने अन्दर समेट िेने की कसक जाग उठती है। राईट-अप के दौरान कपछिे चार वर्ों का िेखा-जोखा सनु जीवन का एक दौर ख़त्म होने की अनुभकू त होती है। यह सवाि मन में उठता है कक कबट्स से आकखर हमने क्या पाया? हम अपने मकस्तष्क पर चाहे कजतना ही ज़ोर क्यों न िगा िें, इस सवाि के जवाब को मात्राओ ं में नहीं मापा जा सकता| कबट्स तो वो नदी है जो हमें अपने जीवन कुण्ड से कनकाि कर एक समन्दर के कगार पर छोि देती है। अब आगे की यात्रा अकनकितताओ ं से भरी है पर इस बात का भी आभास है कक हमारी रगों में दौिता कबट्कसयन आत्मकवश्वास हमें अपनी मंकजि पर पहुचाँ ा कर ही दम िेगा। कपछिे पा​ाँच वर्ष पा​ाँच पिों की तरह गज़ु र गए, और इन पिों में मैं इतना बदि गया हाँ कक प्रथम वर्ष में की गई कई चीज़ें आज हास्यास्पद प्रतीत होती हैं। कबट्स में कबताए गए इन िम्हों को कुछ वर्ों बाद मैं एक बेहद खबू सरू त स्वप्न की तरह याद करूाँगा। िेककन यह समय भावक ु होने का नहीं है। कबट्कसयन कज़न्दगी की के वि शुरुआत होती है, इसका कोई अंत नहीं है। और इसकिए मैं आपसे इन शब्दों के साथ कवदाई िेता हाँ कजनके साथ मैंने अपने कबट्कसयन सपने की शुरुआत की थी : वक़्त के ये पकहये थमने को नहीं, आगाज़ था ये, अजं ाम ये नहीं … मि ु ाकात के ये मक्ु कम्मि पि रहेंगे हमेशा साथ, ताकक कमिते रहें हम सब, हर कहीं, यहीं कहीं …

- सिद्धांत जैन


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प्लेसमेंट भिशेष प्िेसमेंट यकू नट समन्वयक के रूप में अपने कायषकाि के िगभग अतं तक पहुचाँ चक ु े श्याम किीता से हुई बातचीत में यह बात तो साफ थी कक इस सेमेस्टर प्िेसमेंट्स हर साि की तुिना में काफी अच्छे रहे| कजन मद्दु ों पर उनके साथ चचाष हुई, उनकी व्याख्या कुछ इस प्रकार है –

संकाय अनस ु ार % छात्र चयननत

इस सेमेस्टर कुि 85 कंपकनया​ाँ आ चक ु ी हैं और अभी 3 कंपकनयों की चयन प्रकक्रया जारी है| अभी तक 89 प्रकतशत छात्रों को प्रस्ताव कमि चक ु े हैं| श्याम का कहना है कक अगर वे चाहें तो बिे आराम से कैं पस में आने वािी कंपकनयों की कगनती 100 तक पहुचं ा सकते हैं, परन्तु दसू रा पहिू यह है कक आने वािी कंपकनया​ाँ हमेशा कबट्स के उत्तम छात्रों को िेना चाहती हैं, न कक उन छात्रों को, जो अंत में बचे हुए हैं| कवटं र ड्राइव– कदसम्बर 2013 में आयोकजत की गई शीतकािीन प्िेसमेंट ड्राइव के बारे में श्याम ने बताया कक मैकेकनकि तथा मैन्यफ ु ै क्चररंग के छात्रों को इससे काफी िाभ हुआ, वहीं कै कमकि के छात्रों को अपेक्षा से कम फायदा हुआ| कै कमकि सक ं ाय से सम्बकं धत इडं स्रीज में आयातकनयाषत की असकु वधा की वजह से कई सारी कंपकनया​ाँ या तो बंद हो रही हैं, या कफर अपने उत्पाद में कटौती करने िगी हैं, कजसके पररणाम स्वरूप इस संकाय के छात्रों के चयन के किये कम कम्पकनया​ाँ आई हैं| एकमात्र क्षेत्र जो कक कै कमकि संकाय में अच्छा चि रहा है वह है ऑयि और गैस इडं स्रीज| इनमें से ज़्यादातर कंपकनया​ाँ कपछिे सेमेस्टर आ चक ु ी थीं, कजस वजह से इस सेमेस्टर कदक्कत आई | उम्मीद है कक अगिे साि जब बाज़ार सामान्य कस्थकत में होगा, तब कै कमकि के प्िेसमेंट्स का पररदृश्य अच्छा होगा| मैकेकनकि संकाय से सम्बंकधत कुि 26 कम्पकनया​ाँ आई थीं, कजनमें से 14 शीतकािीन सत्र में एवं बाकी 12 पहिे सेमेस्टर में ही आ चक ु ी थीं| उन्होंने बताया कक जैसे ही कबट्स में प्िेसमेंट्स की प्रकक्रया चािू होती है, सभी कम्पकनया​ाँ एक ही वक़्त पर आना चाहती हैं और उन्हें मना कर पाना काफी मकु श्कि हो जाता है| इस सब के बाद भी वे इन्हें 2 भागों में बा​ाँट पाने में सफि रहे|


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इस बार सभी डुअिाइट्स को जॉब ऑफर कमि चक ु े हैं| श्याम के अनसु ार डुअिाइट्स की सी.जी. सामान्यतः कसंगि कडग्री छात्रों से अच्छी होती है, इसकिए वे बेहतर कस्थकत में होते हैं| कफर भी उन्हें इच्छानसु ार क्षेत्र में नौकरी नहीं कमि पाती, खासकर मैकेकनकि तथा मैन्यफ ु ै क्चररंग के छात्रों को, और इस चिन को देखते हुए वे खदु को पहिे से ही दसू रे क्षेत्रों जैसे कक आई.टी, वाकणज्य इत्याकद में जाने के किए तैयार रखते हैं।

कक सभी छात्र पढ़ाई के साथ-साथ अपनी बातों को प्रस्तुत करने के तरीके की तरफ भी ध्यान दें| उदाहरण के किये गगू ि ने अभी तक 3 छात्रों को चनु ा है। गगू ि की चयन प्रकक्रया इतनी पख्ु ता है कक यह माना जाता है कक अगर ककसी को इटं नषकशप का प्रस्ताव कमिा है तो उसे जॉब ऑफर कमिने की सम्भावना काफी ज़्यादा है|

अगस्त में हुए माके ट क्रैश के बाद ई.ई.ई. सक ं ाय के प्िेसमेंट्स काफी प्रभाकवत हुए| सेम की शरु​ु आत में हाित थोिी खराब थी, क्योंकक उस वक़्त कसफष दो कंपकनया​ाँ आई थीं। अब तक कुि 5 कंपकनया​ाँ आ चक ु ी हैं तथा भकवष्य में और भी कंपकनया​ाँ आ सकती हैं, परन्तु अकधकतर छात्रों को ड्रीम जॉब कमि चक ु ी है, कजस वजह से उनके पास कम्पनी के सामने इस सेम कम्पकनयों का फीडबैक प्रस्ततु करने के किए कोई छात्र समहू नहीं बचा है| अच्छा रहा। परंतु अकधकतम आम तौर पर छात्र सीधे पी.एस पर जाते हैं और कुछ को पी.पी.ओ (प्री कम्पकनयों का यह मानना है कक छात्र श्याम कलीता प्िेस्मेंट ऑफर) कमि जाता है| छात्रों को पी.पी.ओ कमि जाने से पी.य.ू “वेि इन्फॉम्डष” नहीं हैं एवं वे का कायषभार घट जाता है| इसी को मद्देनज़र रखते हुए समर इटं नषकशप को कम्पनी के प्रेजेंटेशन के बाद सवाि बढ़ावा कदया जा रहा है| इस सेमेस्टर िगभग 15 कंपकनया​ाँ इटं नषकशप के जवाब में कहस्सा नहीं िेते। उनका मानना है कक छात्रों का कम्पनी एवं उस किए आगे आई हैं, कजनमें से अकधकतर कंपकनया​ाँ पी.पी.ओ देंगी| अंत में कम्पनी के प्रोजेक्ट्स के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है। श्याम ने यही कहा कक अच्छी सी.जी. बहुत ज़रूरी है। परंतु यह कसफष एक पिाव मात्र है कजसे पार करना जरुरी होता है| कई कंपकनया​ाँ न्यनू तम सी.जी. की सीमा रखती हैं, कजसके ऊपर सारे छात्रों को वह सामान दृकिकोण से देखती हैं, और तब काम आती है आपकी अपने कवचारों को अकभव्यक्त करने की क्षमता| देखा गया है कक जो िोग के वि पढ़ाई की तरफ अपना परू ा समय देते हैं, वे अक्सर इस बात को नज़रंदाज़ करते हैं| श्याम का यही कहना है


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“एपिक” मयं क से एक मु लाकात हर ककसी का यही सपना होता है कक एक कदन वह अपने पैरों पर खिा हो और अपने माता-कपता का नाम रोशन करे | कबट्स कपिानी के छात्र मयंक गप्तु ा ने अपने कायषकाि का आगाज़ ही शानदार शैिी में ककया है| मयक ं ने इस सेमेस्टर में उच्चतम पैकेज प्राप्त कर सफिता की चरम ऊाँ चाइयों को छुआ है| वे कंप्यटू र साइसं के छात्र हैं| मयक ं को एकपक कंपनी, मैकडसन, य.ू एस.ए. में चयकनत ककया गया है| इस सेमेस्टर वे इकिौते ऐसे छात्र हैं कजनका इस कंपनी में चयन हुआ है|

मयंक गुप्ता

क्लब कल्चर से बहुत कुछ सीखिे को वमल , ह ल ाँवक प्लेसमेंट में इिक कोई अांतविववहत ल भ िहीं वमलत ।

छ त्र वियवमत रूप से अपिी पढ़ ई पर ध्य ि केंवित रखें और अपिे जीि​ि के े तरीके से ल भ इस अांश क सिवश्रष्ठ उठ ए|

जनवरी में 2 घटं े की एक ऑनिाइन परीक्षा के माध्यम से 3 छात्रों ने एकपक का पहिा चरण पार ककया था| इस चरण में कोकडंग से सम्बंकधत प्रश्न पछ ू े गए थे| कफर 24 जनवरी को टेकिफोकनक साक्षात्कार के माध्यम से दसू रा और आकखरी चरण आयोकजत हुआ| इसमें मयंक अके िे ही अपने आप को साकबत कर पाए और इस पिाव को पार कर सके , जो बिे ही गवष की बात है| मयक ं ने इसके अिावा दो और कंपकनयों में भी जॉब प्राप्त की है| वह इन्फोकसस और सैमसंग में भी अपना स्थान बना चक ु े हैं| मयक ं ने कबट्स कपिानी की कशक्षा प्रणािी की तारीफ़ करते हुए कहा कक यहा​ाँ पढ़ाया जाने वािा पाठ्यक्रम प्िेसमेंट की दृकि से पयाषप्त है| उन्होंने कबट्स की कशक्षण शैिी को भी सराहा| मयंक ने कहदं ी प्रेस क्िब से हुई बातचीत में बताया कक कबट्स में क्िब्स व कडपाटषमटें ् स में सकक्रय रहने से उनको बहुत फायदा हुआ| वे डी.वी.एम. और एकम्ियो क्िब का कहस्सा रह चक ु े हैं| उनको क्िब आकद चीज़ों से बहुत कुछ सीखने को कमिा, हािा​ाँकक उनके अनसु ार प्िेसमेंट में इनका कोई अंतकनषकहत िाभ नहीं कमिता| सी.जी. के कवर्य में मयंक ने कहा कक सी.जी. प्िेसमेंट्स की कट-ऑफ पार करने में िाभदायक होती है| कोकडंग जॉब में सी.जी. का ज्यादा महत्त्व नहीं होता| साथ ही मयक ं ने कबट्स कपिानी के वातावरण को उम्दा बताया और यहा​ाँ की संस्कृ कत को बहुत ही प्रवाहमयी कहा| उन्होंने कबट्स कपिानी को सम्पूणष रूप से एक अच्छा संस्थान बताया| उन्होंने कबट्कसयन्स के किए अपने सन्देश में कहा कक छात्र कनयकमत रूप से अपनी पढ़ाई पर ध्यान कें कित रखें और अपने जीवन के इस अश ं का सवषश्रष्ठे तरीके से िाभ उठाए|


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ओएपसस 2014 : पिव्यू अभी अपोजी का रंग उतरा भी न था कक वर्ष के सवाषकधक प्रतीकक्षत फे स्ट: ओएकसस- 2014 की थीम अनावृत कर दी गयी| हर बार की तरह नवीन एवं मनोरम थीम का चनु ाव ककया गया- ‘That 90's show'| नाम सनु ते ही बचपन के वो सनु हरे पि मानो पिक झपकते ही सामने आ जाते हैं| अब जब थीम ही इतनी मनमोहक हो तो फे स्ट के प्रकत िोगों का रुझान होना तो िाज़मी है| थीम का चनु ाव करते समय दो बातों का खास ख्याि रखा जाता है: थीम का आकर्षक होना एवं उसे प्रारूप में मनोरंजक तरीके से कपरो िेना| इसी के चिते थीम का पहिा सझु ाव था ‘नॉस्टेिकजया’ परन्तु अत्यकधक सरि होने के कारण इससे ककनारा कर किया गया| सझु ाव की सचू ी में अगिा नाम आया “रीहैश” अथाषत् परु ानी वस्तु को नया रूप देना| परन्तु अतं में एक ऐसी थीम को चुना गया कजससे िोग अपने आप को जोि सकें , जो कक स्टुका बॉडी की कवचारधारा अथाषत् वास्तकवकता से प्रेररत हो| हर वर्ष की भांकत इस बार भी इवेंट्स से िेकर सजावट तक, हर एक चीज़ थीम के अनसु ार ही होगी| थीम की कवकवधता को बढ़ाने हेतु परु ाने धारावाकहक, कॉकमक्स आकद का समावेश ककया जायेगा| हािा​ाँकक प्रॉफ़-शोज़ के बारे में पछ ू े जाने पर कोई ख़ास प्रकतकक्रया नहीं कमिी| इसके प्रचार के किए कवकडयो आकद फे सबुक पर ओएकसस पेज से शेयर होना शरू ु हो गये हैं| अब जहा​ाँ एक तरफ “द जेटसंस” की खकु शयों भरी उिान होगी, और दसू री तरफ ‘F.R.I.E.N.D.S’ की बौछार, तो भिा कौन अपने आप को उन मनमोहक यादों की बारात में जाने से रोक पायेगा| अभी के किए तो रोमांच चरम सीमा पर है| बस अब इतं ज़ार है तो कसफष ओएकसस-2014 का|

बॉसम 2014 : पिव्यू अपोजी के खत्म होते ही जहा​ाँ कई िोग कॉम्प्री, असाइनमेंट आकद की मधश ु ािा में खो गए हैं, वहीं अगिे सेमस्े टर खेि एवं प्रकतस्पधाष फे स्टबॉसम 2014 की तैयाररया​ाँ ज़ोर-शोर से प्रारम्भ कर दी गई हैं। इसी सम्बन्ध में बॉसम-2014 के खेि सकचव अकनरुद्ध शमाष ने कहदं ी प्रेस क्िब को कदए साक्षात्कार में बताया कक सभी क्िब्स एवं कडपाटषमटें ् स को बॉसम से सम्बंकधत कजम्मेदाररया​ाँ सौंप दी गई हैं, कजससे प्रकतयोकगता का आयोजन सफि रूप से ककया जा सके । अपोजी में बनाई गई 3-D वेबसाइट के बाद अब बॉसम के आकधकाररक वेबसाइट के कनमाषण का कायष भी डी.वी.एम. को सौंप कदया गया है और साथ-ही-साथ फे सबक ु अपिरुद्ध शमा​ा पेज पर भी सकक्रयता बढ़ाई जा रही है। सभी कडपाटषमटें ् स के नए समन्वयकों की बैठक शक्र ु वार को संभाकवत है, कजस से सम्बंकधत सारी जानकाररयां उन्हें मेि द्वारा भेज दी गई हैं। इस वर्ष के खेिों की सचू ी में दो नए खेि, पि ू एवं िैन गेकमंग भी शाकमि हो गए हैं| जहा​ाँ एक तरफ कक्रके ट, फुटबॉि एवं एथिेकटक्स के आयोजन स्थि को सधु ारने का प्रयास जारी है, वहीं टेकनस, बास्के टबॉि और वॉिीबॉि के आयोजन स्थि के पनु कनषमाषण


6 का कायष भी कबट्स द्वारा प्रारम्भ कर कदया गया है| वहीं कस्वकमगं पि ू की व्यवस्था ठीक न होने के कारण इसका आयोजन कैं पस के बाहर कराने पर कवचार ककया जा रहा है। खेिों में भागीदारी बढ़ाने के किए हर बार की तरह पी.सी.आर. को अन्य प्रौद्योकगकी संस्थानों को कनमत्रं ण भेजने की कजम्मेदारी दे दी गई है| बाह्य प्रकतभाकगयों की संख्या के कम होने के आसार हैं, क्योंकक राम भवन न कमि पाने के कारण कपछिे वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष ठहरने की व्यवस्था उम्दा नहीं होगी। इस वर्ष तकरीबन 900-1100 प्रकतभाकगयों का आना संभाकवत है। फे स्ट के मख्ु य आकर्षण मख्ु य अकतकथ पर अभी कवचार कवमशष नहीं ककया गया है| फे स्ट का एक अकभन्न कायष “स्पॉसं रकशप” स्पॉन्ज़ द्वारा प्रारम्भ कर कदया गया है| अतं में अकनरुद्ध ने कबट्कसयंस से मख ु ाकतब होते हुए कहा कक - “ खेिों के दौरान अपने कखिाकियों का अकधक-से-अकधक उत्साहवधषन करें ।“ हर बार की तरह कायषप्रणािी बन चक ु ी है और सबके सम्बंकधत कायष भी शरू ु हो गए हैं, परन्तु सािों से चिी आ रही इिं देव की माया क्या रंग िाती है, यह तो आने वािा वक़्त ही बताएगा|

“सिक्षध कध असिकधर असिसनयम” पर असिवेिन एक औसत कबट्कसयन न जाने क्यों कबट्स पररसर में हो रहे अत्यंत ज्ञानवधषक कायषक्रमों से अनजान रहता है? ऐसा ही कुछ नज़ारा “कशक्षा का अकधकार अकधकनयम के तहत सयं क्त ु कशक्षा” के कवर्य पर पकब्िक पॉकिसी इटं रे स्ट ग्रपु द्वारा आयोकजत अकधवेशन में नजर आया, कजसमें के वि 15-20 कबट्कसयंस मौजदू थे। खैर जो भी हो, जो उपकस्थत थे उनके किये यह एक ज्ञानवधषक अनभु व कसद्ध हुआ। इस अकधवेशन में कशक्षा का अकधकार अकधकनयम के भाग 12, जो कक कनजी सस्ं थानों से संबंकधत है, पर चचाष की गई। इस अकधवेशन का मख्ु य उद्देश्य कवकभन्न पक्षों को कशक्षा का अकधकार अकधकनयम के भाग 12 पर अपना मत रखने के किये सामदु ाकयक मचं महु यै ा करवाना था, कजससे इसके कक्रयान्वयन में आ रही समस्याओ ं का हि खोजने में आसानी हो सके । अकधवेशन की शरु​ु आत RTE संसाधन कें ि, कबट्स कपिानी के आकधकाररक उद्घाटन की घोर्णा से हुई, कजसके बाद एक प्रस्तकु तकरण के जररये इसके उद्देश्य, कायषप्रणािी एवं प्रेरणा स्रोत के बारे में जानकारी दी गई। इसमें कनजी सस्ं थानों के प्रकतकनकध, अकभभावक और सरकारी अकधकारी उपकस्थत थे। कवकभन्न कनजी संस्थानों से करीबन 40 प्राचायों, अध्यापकों, 6-7 अकभभावकों सकहत खडं कशक्षा अकधकारी (BEO) सरू जगढ़ एवं APC-RTE झझंु नु ाँू भी उपकस्थत थे। कनजी सस्ं थानों ने अपना मत रखते हुए कहा कक इस अकधकनयम के तहत सरकार आरक्षण का सारा भार उन पर डाि कर सरकारी कवद्याियों की कजम्मेदारी से मक्त ु होना चाहती है। यह अकधवेशन IIM अहमदाबाद के RTE संसाधन कें ि के सयं ोजन से आयोकजत ककया गया था | IIM अिम्ु नस श्री आशीर् रंजन ने सभी को संयक्त ु कशक्षा के िाभ के बारे में सबं ोकधत ककया । अकधवेशन में प्रोफे सर उमेश ध्यानी, प्रोफे सर गीता बी. एवं प्रोफे सर संगीता शमाष भी मौजदू रहे ।


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अध्यक्ष एवां महिसिव : वधदों पर सविधर

मैभिफेस्टो पॉइं ट 1. हॉस्टल्स में आर.ओ. स्थापन

भितिा हुआ इस सेमेस्टर के SWD बजट में शाकमि

2. BITSAA कररयर मेंटरकशप सैि

ऑनिाइन सेंटर स्थाकपत हुआ

3. एस.आर. रे िी की स्थापना

परू ा हुआ

4. मीरा रे िी की स्थापना

परू ा हुआ

5. मीि रद्द करना

नहीं हो पाया

6. बक ु बैंक की स्थापना

SU इस सेमेस्टर से संकिन शरू ु करे गा

7. SU वेबसाइट

नहीं हुआ

इस वर्ष कॉिेज के दोनों ही फे स्ट- ओएकसस एवं अपोजी िाभ में रहे| इस वर्ष ANC में सभी चीज़ों के दाम भी एकदम से ही काफी बढ़ गए थे| ANC के बकहष्कार से दाम काफी हद तक कनयंत्रण में आए।

मेभिफेस्टो पॉइंट 1.IPCD(इटं रनेशनि प्रोग्राम एंड कोिेबोरे शन कडकवज़न) 2. मीरा भवन रे डी

भितिा हुआ प्रारम्भ हो चक ु ा है और इसके अतं गषत एक टॉक भी आयोकजत की जा चक ु ी है| परू ा हुआ|

3. फे क मैस साइकनगं को टािने के किए पिु ीकरण ई-मेि 4. M.E. कडग्री छात्रों के किए ऑनिाइन ररपोकज़री

परू ा हुआ और ग्रब साइकनगं की किस्ट हर मेस के नोकटस बोडष पर िगवाई गई| नहीं हुआ

5. स्टूडेंट िेड टेकक्नकि मेंटरकशप प्रोग्राम

संरचना तैयार हो चक ु ी है व कई प्रोफे ससष से भी बात हो चक ु ी है| अक्षय में कुछ कदनों में प्रारम्भ होगा व S9 में नहीं हुआ|

6. अक्षय व S9 में ID काडष का प्रयोग

उन्होंने बताया कक अक्षय के प्रबन्धक ने कहा कक वे माकसक क्रेकडट वहन कर सकते हैं, इस कारण अब छात्रों को अपना मैस कबि हर माह चक ु ाना होगा और ऐसा न करने पर उन्हें फ़ाइन भी देना पि सकता है। कुछ ही कदनों में अक्षय में भी ID काडष का प्रयोग शरु​ु होने की सम्भावाना है। इसके अिावा वैभव ने सभी मैसों में नोकटस बोडष की व्यवस्था भी कराई|



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