सुलभ स्वच्छ भारत (अंक - 23)

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22-28 मई 2017

जैव विविधता और हम 22 मई विश्व जैव विविधता दिवस

विकास के मौजूदा प्रचलन में उपभोग की कई चीजें जहां एक तरफ हमारे जीवन में शामिल होती जा रही हैं, वहीं प्रकृति और परंपरा का पुराना साझा लगातार दरकता जा रहा है

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एसएसबी ब्यूरो

योलॉजिकल' और 'डायवर्सिटी' शब्दों को मिलाकर संयुक्त राष्ट्र की पहल पर 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस मनाया जाता है। इसे 'विश्व जैव-विविधता संरक्षण दिवस' भी कहते हैं। इस पहल का लक्ष्य एक ऐसे पर्यावरण का निर्माण करना है, जो जैवविविधता में समृद्ध, टिकाऊ और आर्थिक गतिविधियों के लिए हमें अवसर प्रदान कर सके। दिलचस्प है कि विकास के मौजूदा प्रचलन में उपभोग की कई चीजें जहां एक तरफ हमारे जीवन में शामिल होती जा रही हैं, वहीं प्रकृति और परंपरा का पुराना साझा लगातार दरकता जा रहा है। दुनिया के तमाम देशों के विकासवादी लक्ष्यों के आगे यह बड़ी चुनौती है कि वह जैव विविधता के साथ सामंजस्य बैठाते हुए कैसे आगे बढ़ें। यह चुनौती इस कारण भी बड़ी है, क्योंकि जैव-विविधता की कमी से प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखा और तूफान आदि आने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। जैव-विविधता की दरकार और इसके संरक्षण को लेकर बीते कुछ सालों में निश्चित रूप से जागरुकता बढ़ी है। सरकार के साथ कई स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में कई अच्छी पहल के साथ सामने आई हैं। दरअसल, लाखों विशिष्ट जैविक की कई प्रजातियों के रूप में पृथ्वी पर जीवन उपस्थित

है और हमारा जीवन प्रकृति का अनुपम उपहार है। अत: पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर-पठार, समुद्र-नदियां इन सभी प्रकृति की देन का हमें संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि यही हमारे अस्तित्व एवं विकास के लिए काम आती हैं। जैव-विविधता दिवस को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भी प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता का महत्व देखते हुए ही लिया गया।

थॉमस के दिए शब्द

जाने-माने संरक्षण जीवविज्ञानी थॉमस यूजीन लवजॉय ने 1980 में 'बायोलॉजिकल' और 'डायवर्सिटी' शब्दों को मिलाकर 'बायोलॉजिकल डायवर्सिटी' या जैविक विविधता शब्द प्रस्तुत किया। चूंकि यह शब्द दैनिक उपयोग के लिहाज से थोड़ा बड़ा महसूस होता था, इसीलिए 1985 में डब्ल्यू. जी.रोसेन ने 'बायोडायवर्सिटी' या जैव विविधता शब्द की खोज की। मूल शब्द के इस लघु संस्करण ने तुरंत ही वैश्विक स्वीकार्यता प्राप्त कर ली। शायद ही कोई दिन जाता हो जब हम इस शब्द के संपर्क

में नहीं आते हैं। समाचार पत्रों और शोध पत्रों में उद्धृत यह शब्द आसानी से समझ आ जाता है। जैव विविधता के मायने इतने अधिक प्रयुक्त शब्द के लिए कोई एक आदर्श परिभाषा का न होना वाकई आश्चर्यजनक है। परंतु शब्द के अर्थ से ही इसके मायने समझ में आ जाते हैं। सभी जानते हैं कि 'जैविक' का अर्थ जीव जगत है और 'विविधता' का शाब्दिक अर्थ है, ‘प्रकार’। बायोडायवर्सिटी के पहले हिस्से 'बायो' का अर्थ निकालने में भी कोई दुविधा नहीं है, यह शब्द जीवन या सजीव को इंगित करता है। जैविक विविधता अथवा जैव विविधता का सीधा अर्थ है, ‘जीवित संसार की विविधताएं’। कम से कम मोटे तौर पर तो इसका यही अर्थ समझा जा सकता है, परंतु 'विविधता' शब्द की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है। इससे जीवन के विविध पहलुओं का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों की चर्चा में सूक्ष्मभेद उत्पन्न हो जाते हैं। इसीलिए 'विविधता' के तहत न सिर्फ एक प्रजाति के अंदर पाए जाने वाली विविधताएं, अपितु विभिन्न प्रजातियों के मध्य अन्तर और पारिस्थितिकीय तंत्रों के मध्य तुलनात्मक

12 देशों को वृहद जैव विविधता वाले देशों का दर्जा मिला हुआ है। ये देश हैं- भारत, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कोलंबिया, इक्वाडोर, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मैक्सिको, पेरू एवं जायरे

एक नजर

'बायोडायवर्सिटी' शब्द 1985 से प्रचलन में आया 1992 में जैव विविधता की मानक परिभाषा तय की गई

विश्व में करीब 41,000 जीव और 2,50,000 वनस्पतियां हैं विविधता भी शामिल की जाती है। साधारण व्यक्ति जब जैव विविधता शब्द का प्रयोग करता है तो उसका तात्पर्य प्रजातीय जैव विविधता होता है। प्रजाति का अर्थ है ऐसे प्राणियों का समूह जो ऐसी संतति पैदा करने की क्षमता रखते हों जो खुद जनन क्षमता रखती हो। सामान्य आदमी के लिए इस शब्द के तहत कबूतर से लेकर हाथी और अनार से लेकर शलगम तक की समस्त प्रजातियां सम्मिलित हैं। जैव विविधता जीवों की असामान्य विविधताओं तक ही सीमित नहीं रहती है। इसके अंतर्गत जीवित पदार्थों के सम्पूर्ण संग्रह का कुल योग और जिस पर्यावरण में वे रहते हैं, अर्थात पारिस्थितिकी तंत्र, भी सम्मिलित हैं। इसमें जीवों के अंदर और उनके मध्य की विविधताओं को भी दृष्टिगत रखा जाता है। इसमें एक दूसरे के ऊपर प्रभाव डालने वाले समुदाय भी सम्मिलित हैं। इस दृष्टि से अगर देखा जाए तो जैव विविधता विभिन्न पारिस्थितिकीय तंत्रों में उपस्थित जीवों के बीच तुलनात्मक विविधता का आकलन है, यह एक महत्वपूर्ण संकल्पना है, क्योंकि सभी जीव और उनका पर्यावरण एक दूसरे पर अत्यंत नजदीकी से प्रभाव डालते हैं। इस पर्यावरण में कोई भी बदलाव या तो जीव के विलुप्त होने का कारण बनता है या फिर उनकी संख्या में विस्फोटक बढ़ोत्तरी का। कोई भी प्रजाति अपने पर्यावरण के प्रभाव से अनछुई नहीं रह सकती है। इसी प्रकार किसी प्राणी या वनस्पति की संख्या में कमी या वृद्धि इनके पर्यावरण में परिवर्तनीय प्रभाव डालता है। इससे अन्य प्रजातियों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है। वृहद रूप से देखा जाए तो वनस्पतियों, प्राणियों और सूक्ष्मजीवों को अति विविधताओं के आधार पर समझा जा सकता है, जीन से प्रजाति तक और उनके पारिस्थितिकी तंत्र के साथ। इसीलिए जैव विविधता की सबसे स्पष्ट परिभाषा होगी, जैविक संगठन के सभी स्तरों पर पाई जाने वाली विविधताएं ही जैव विविधता है। इस दृष्टिकोण को समझने वालों के लिए स्वीकार्य परिभाषा, किसी क्षेत्र के जीनों, प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्रों की सम्पूर्णता होगी। 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी सम्मेलन में जैव विविधता की मानक परिभाषा को अपनाने का निर्णय लिया गया। इसके तहत जैव विविधता के दायरे में ‘समस्त स्रोतों, यथा- अंतर्क्षेत्रीय, स्थलीय, समुद्री एवं अन्य जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवों के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिकी समूहों में पाई जाने वाली विविधताएं, इसमें एक प्रजाति के अंदर पाई जाने वाली विविधताएं, विभिन्न जातियों के मध्य विविधताएं एवं पारिस्थितिकी तंत्रों की विविधताओं’


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