सुलभ स्वच्छ भारत (अंक - 34)

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07 अगस्त - 13 अगस्त 2017

गुड न्यूज

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डिजिटल भुगतान

डिजिटल पेमेंट के मामले में भारत अग्रणी देशों में

नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान करने वालों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी के कारण भारत दुनिया के चुने हुए देशों में शामिल हो गया है

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जिटल पेमेंट के मामले में भारत दुनिया के सामने मजबूती से उभरा है और उसने इस मामले में भारी संभावनाएं दर्शाई है। डिजिटल इवोल्यूशन इंडेक्स 2017 के अनुसार भारत की गिनती उन 60 देशों की ब्रेक आउट श्रेणी में हुई है, जिसमें किसी देश का डिजिटल विकास का स्तर काफी नीचे होने के बावजूद विकास की व्यापक संभावनाएं हैं और इसके कारण निवेशकों के लिए वे आकर्षक बाजार बनकर उभरे हैं। अमेरिका की टुफ्ट्स यूनिवर्सिटी के फ्लेचर स्कूल ने मास्टर कार्ड के सहयोग से डिजिटल

इवोल्यूशन इंडेक्स 2017 तैयार किया है। इस इंडेक्स में तमाम देशों में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए हुई प्रगति और आम लोगों को इससे जोड़ने के प्रयासों पर व्यापक अध्ययन किया गया है। मास्टर कार्ड के अनुसार भारत में नोटबंदी के फैसले के कारण बने माहौल ने डिजिटल पेमेंट की दिशा में खासी बढ़त के लिए आधार तैयार किया। आज भारत में ज्यादा से ज्यादा लोग दैनिक जीवन में डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं। इसके कारण तेज प्रगति दर्ज की गई है। मास्टर कार्ड के कंट्री कॉरपोरेट ऑफिसर व

प्रेसीडेंट (साउथ एशिया) पौरुष सिंह ने कहा कि भारतीय बाजार में नई कंपनियां आ रही हैं और वैकल्पिक भुगतान के तमाम समाधान सामने आ रहे हैं। इससे तेज विकास के लिए माहौल बन रहा है। आज दुनिया में करीब आधी आबादी ऑनलाइन है, स्टडी में 60 देशों में अच्छी प्रगति दिखाई दी है। इन देशों में डिजिटल आर्थिक विकास के लिए प्रतिस्पर्धा का माहौल है और काफी संभावनाएं हैं। इंडेक्स में सप्लाई, उपभोक्ता मांग, संस्थागत माहौल और इनोवेशन पर देशों का आंकलन किया गया है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि डिजिटल पेमेंट का विस्तार होने के कारण अगले तीन साल में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी सॉफ्टवेयर सर्विस मार्केट 14 अरब डॉलर (91000 करोड़ रुपए) का हो जाएगा। इस समय 600 से

स्वास्थ्य सुविधा

टेली-मेडिसिन से दौड़ेंगे सीएचसी-पीएचसी

सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग टेली मेडिसिन की योजना बना रहा है

त्तर प्रदेश के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी-पीएचसी) पर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग और नेशनल हेल्थ मिशन टेली-मेडिसिन की योजना बना रहा है। इसके तहत सीएचसी-पीएचसी पर तैनात डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पतालों और अन्य उच्च चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों से सुझाव ले सकेंगे। इससे मरीजों को जिला अस्पताल या अन्य संस्थानों की दौड़ नहीं लगानी होगी। एनएचएम के जनरल मैनेजर (प्रॉक्योरमेंट) डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि प्रदेश में कुल 3600 पीएचसी और 800 सीएचसी हैं। यहां मरीजों की संख्या भी ज्यादा रहती है। डॉक्टरों की कमी के कारण इन मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता। स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर (बजट ऐंड प्लानिंग) डॉ. ज्ञान प्रकाश के मुताबिक, सीएचसी-पीएचसी पर तैनात

एमबीबीएस और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को जिला अस्पतालों में शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। इससे विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर होगी। सीएचसी-पीएचसी में इनकी जगह आयुष डॉक्टरों को ट्रेनिंग देकर तैनात किया जाएगा। ये डॉक्टर टेली-मेडिसिन के जरिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के सम्पर्क में रहेंगे। डॉ. वेद ने बताया कि प्रदेश में रेडियॉलजिस्ट की भी कमी है। सीएचसी में एक्स-रे मशीन लगी हैं, लेकिन हर जगह रेडियॉलजिस्ट न होने के कारण डॉक्टर ही एक्स-रे फिल्म देखते हैं। यह दिक्कत दूर करने के लिए टेली-रेडियॉलजी योजना पर विचार चल रहा है। इसके तहत सभी सीएचसी पर लगीं एक्स-रे मशीनों में डिजिटल डिवाइस लगाकर उन्हें एक सर्वर से कनेक्ट किया जाएगा। इसके साथ एक हब ऑफिस बनाकर वहां रेडियॉलजिस्ट तैनात किए जाएंगे तो एक्स-रे फिल्म आते ही रिपोर्ट बनाकर भेज देंगे। (भाषा)

ज्यादा स्टार्टअप्स कर्ज वितरण, भुगतान, बीमा और ट्रेडिंग में लगे हैं। इस समय इस सेक्टर का कुल बाजार करीब आठ अरब डॉलर का है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट का तेजी से विकास हुआ है। वर्ष 2016-17 में डिजिटल पेमेंट बीते वर्ष के मुकाबले 55 फीसद बढ़ा है। पिछले पांच वर्षों में औसत विकास दर 28 फीसद रही। सीआइआइ के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस दौरान डेबिट कार्ड 104 फीसद, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट 163 फीसद और पीओएस यानी स्वाइप मशीनों का इस्तेमाल 83 फीसद बढ़ा है। उन्होंने कहा कि नकदी से लेनदेन काफी महंगा पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक को हर साल करेंसी प्रचलन पर करीब 21000 करोड़ रुपये का खर्च करना होता है। (एजेंसी)

ईपीएफ सुविधा

ईपीएफ पेंशनधारकों को मिल सकती हैं मेडिकल सुविधाएं

केंद्र सरकार सभी पेंशनधारकों के लिए मेडिकल बेनिफिट की एक नई स्कीम लेकर आ रही है

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द्र की नरेंद्र मोदी सरकार सभी पेंशनधारकों के लिए मेडिकल बेनिफिट की एक स्कीम लेकर आ रही है, बशर्ते उन पेंशनधारकों का एंप्लॉई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) का मेंबर होना जरूरी है। साथ ही सरकार एंप्लॉई पेंशन स्कीम (ईपीएस) में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय कमिटी भी बनाने की बात कर रही है। केंद्रीय मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने यह जानकारी देते हुए बताया, 'कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के साथ मिलकर हम उन पेंशनधारकों के लिए एक मेडिकल बेनिफिट स्कीम ला रहे हैं, जो ईपीएफ के मेंबर हैं।' इसके

अलावा उन्होंने बताया कि यह एक अंशदायी चिकित्सा लाभ योजना है, इस पर विस्तार से काम किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैंने निर्देश दिया है कि ईपीएस 1995 का पूरा मूल्यांकन किया जाए, अगर कोई कमी है तो उसे दूर किया जाए।' (एजेंसी)


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