मेरी कहानी - गुरमेल सिंह भमरा - भाग 3

Page 77

ने हमें बहुत कुछ बताया िो पूरा तो याद नहीिं लेककन िो उ ने िाइम कैलकुलेि ककया वोह हमारे सलए है रानी िनक था। उ गाइड ने हमें अपनी अपनी घडडओिं में वक्त दे खने को बोला,कफर उ

ने बड़ी िाइऐिंगल की परशाई दे ख कर िाइम कैलकुलेि ककया। हम है रान हो

गए कक स फग दो समनि का ही फरक था। उन ढ़दनों ही एक कफ्म आई थी”परदे ी” स्ि एक रसशयन हीरो था और नगगग

हीरोइन थी। इ

में

कफ्म में रसशयन हीरो यह ि​िंतर मिंतर

दे ख कर है रान हुआ था। काफी दे र हम यहािं घुमते रहे और हमें बताया था कक िय पर में िो ि​िंतर मिंत्र था,इ े भी बढ़िया था,इ बात की हमें उत् क ु ता थी क्योंकक हम ने िय पर भी िाना था। ि​िंतर मिंत्र

ीधे हम बबरला मिंढ़दर दे खने गए,कोई ख़ा

बात तो इ

मिंढ़दर

की याद नहीिं लेककन बाहर एक बड़ी

ी गफ ु ा बनी हुई थी स्ि की बाहर े शकल शेर िै े थी और शेर का मिंह ु बहुत बड़ा बना हुआ था। अब इ िगह पर कोई नई तब्दीली की होगी तो मझ ु े पता नहीिं। बबरला मिंढ़दर में हम स फग तकरीबन आधा घिंिा ही रहे होंगे। कफर हम एक आिग गैलरी दे खने गए,यह भी मझ ु े याद नहीिं कक कहाूँ थी लेककन यह मझ ु े बहुत अच्छी लगी। इ में पेस्ति​िं ग्ज़ बढ़िया े बड़ीआ थीिं। इ े पहले हम कक ी ने भी कोई पें ढ़ि​िंग नहीिं

दे खख थी। एक बहुत बड़ा कमरा था िो बहुत ही ठिं ढा था स्ि में कुछ पेस्ति​िं ग्ज़ तो दे ख कर ही मज़ा आ गगया। एक पें ढ़ि​िंग तो ऐ ी थी िो नज़दीक े ऐ े थी िै े िश े बहुत े रिं गों के छीिंिे पड़े हुए हों और इ में कुछ ढ़दखाई नहीिं दे ता था लेककन िरा दरू द बाराह फ़ीि पर एक ि​िंगल का

ीन ढ़दखता था स्ि

में बड़े ऊिंचे ऊिंचे बक्ष ृ ों के बीच में एक राटता बना

हुआ था स्ि पर एक समआिं बीवी एक कुिे के ाथ िाती हुई ढ़दखाई दे ती थी। यह तटवीर ही मुझे इ आिग गैलरी की याद ढ़दलाती है , वरना और भ कुछ भूल गगया है । आिग गैलरी

े बाहर आये तो कफर कोच में बैठ गए और ड्राइवर हमें कुतब मीनार ले आया।

अब तक तो कुतब मीनार की तटवीर स फग ककताबों में ही दे खते आये थे और आि इ ामने खड़े थे। अब तो पता चला है कक इ

हम

भ इ

के ऊपर िाने

के ऊपर चिे थे। मीनार के इदग गगदग

े मनाही है लेककन उ

के

वक्त

ीडीआिं घूम घूम कर ऊपर की ओर चली

िा रही थी,काफी अूँधेरा था,कुछ दे र बाद एक झरोखा आ िाता स्ि ऊपर िाते िाते अूँधेरा होने लगता और अचानक कफर झरोखे

े रौशनी हो िाती,कफर

े रौशनी आने लगती। इ ी

तरह घूम कर चिते हुए हम ऊपर आ गए और रौशनी हो गई, यहािं लोहे की बड़ी िाली लगी हुई थी ताकक ऊपर े कोई छलािंग न लगा के, ि​िं डन ाहब बता रहे थे कक यहािं े बहुत लोगों ने आतम हत्याएिं की थी। अभी दो मिंज़लेँ और ऊपर थीिं लेककन वोह बिंद की हुई थीिं, ऊपर िा नहीिं

के, हम ने दरू दरू तक नीचे नज़र दौड़ाई,लोग छोिे छोिे ढ़दख रहे थे और डर

ा भी लग रहा था। हम नीचे उतरने लगे और नीचे आ कर ऊपर को दे खा तो लगा िै े मीनार हमारे ऊपर झल ू रही है । कफर हम आयरन प्प्लर को दे खने लगे,स्ि ि​िं डन

थी कक

ाहब ने प्वटतार ोला

त्रा

े हमें बताया स्ि

ाल

े खड़े इ

में उ

के बारे में

मय की मैिलौरोिी इतनी कमाल की

प्प्लर को ि​िंगा​ाल नहीिं लगा था। इ

के बाद हम


Issuu converts static files into: digital portfolios, online yearbooks, online catalogs, digital photo albums and more. Sign up and create your flipbook.