मेरी कहानी - गुरमेल सिंह भमरा - भाग 3

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मेरी कहानी – 45 गुरमेल स हिं भमरा लिंदन July 23, 2015

टकूल में तो अब बहुत दोटत बन गए थे। टकूल े वाप्प गाूँव में आ कर भी कुछ घर का काम करते और कफर गाूँव में भी घुमते रहते। िीत का घर तो गाूँव की द ु री ओर था लेककन रात को वोह मेरे घर आ िाता था। हम इकठे पड़ते और वही​ीँ

ो िाते।

ुबह उठते

ही वोह अपने घर चले िाता था। अभी बबिली आई नहीिं थी,िे बल लैम्प की रौशनी पड़ते थे। गसमगओिं के ढ़दनों में छत पर

े ही

ोते थे और पड़ने के सलए लैंिनग होती थी। गसमगओिं में

एक मु ीबत होती थी कक लैंिनग की लौ को पतिंगे बहुत आते थे। हमारी लैतिनग कुछ लीक करती थी और हम लैंिनग को एक थाली में रख दे ते थे। पतिंगे स्िन को हम भावकड़ कहते थे आते रहते और िल िल कर थाली में गगरते िाते। तकरीबन आधी होती थी। हर हिं ा करता था।

ब ु ह हम को

ब ु ह को थाली मरे हुए भवकड़ों े ाफ़ करनी पड़ती। इ बात पर भी िीत बहुत

अब गाूँव में बबिली आने की बातें होती रहती थीिं,समननटिर आते रहते थे। यह शायद १९५८ था कक एक ढ़दन हमें पिंचायत ने बता ढ़दया कक बबिली मिंिरू हो गई थी और स्ि कफढ़ि​िंग करानी हो करा ले। हमारे घर भी कुछ इलैक्िीसशयन आये। दादा िी के और बबिली की कफढ़ि​िंग का कॉतिै कि हो गगया। कफढ़ि​िंग के सलए िो िो इलैक्िीरीसशअन ने सलखा ढ़दया। एक ढ़दन दादा िी िालिंधर गए और

ारा

ने भी

ाथ बात हुई ामान चाढ़हए था ामान रे हड़े पर

लाद कर ले आये और बबिली की कफढ़ि​िंग का काम शुरू हो गगया। अब तो यह घर कब का हम बेच चक् ु के हैं और नया घर गाूँव के बाहर है लेककन यह वोह ही घर था िो कक ी पशुओिं की हवेली होती थी और बिवारे के मु लमान हमला न कर दें । दो हफ्ते में

मय

मय मोह्ले के लोग यहािं िमा हो िाते थे ताकक

ारी कफढ़ि​िंग हो गई। िगह िगह ब्व लग गए।

घर के बाहर दरवाज़े पर भी एक बड़ा ग्लोब लगा ढ़दया गगया। मीिर भी लग गगया। हम दे ख दे ख कर खश ु होते,टकीमें लगाते कक कहाूँ कहाूँ ककया ककया रखना था, रे डडओ कहाूँ रखना था। कफर एक ढ़दन प्पता िी अफ्रीका

े आ गए और कफढ़ि​िंग दे ख कर खुश हो गए। अब

इलैस्क्िक रे डडओ खरीदने की बात चल पड़ी। एक ढ़दन मैं और प्पता िी फगवारे गए और रे डडओ की दक ु ानों पर रे डडओ प िंद करने लगे। उ

मय फगवारे में तीन दक ु ाने थीिं रे डडओ

की और एक दक ू ान में एक रे डडओ हमें प िंद आ गगया। रे डडओ बहुत ुतदर था। रे डडओ होगा कोई चार पािंच ौ का,मुझे ठीक याद नहीिं। हम एक खादी का भारी कपडा ाथ ले गये थे। रे डडओ को खब ू अच्छी तरह कपडे गाूँव को रवाना हो गए।

े बाूँधा और

ाइकल की प्पछली

ीि पर बाूँध ढ़दया और


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