डॉ. चकोर स ं॑ सांबदां धत कुछ दहांिी तयांकय प्रस्ततु छै ; अांग मयधरु ी चकोर - पहचयन जयने जहयन । सतत् सांपयिन करूाँ अदिनांिन ।
चयाँि - चकोर तो सयदहय् -चकोर सयदहय्नरु यगी । जैसे मेघ से मोर वैसे सयदहय्-चकोर ।
बहुआ्यमी चकोर कय व्दियव व्ि कृदतयव । अध्््नशीलतय दवनम्र - कमट ठतय ।
न कपट - बैर समयन समयिर दमलनसयर । कदव-गोष्ठी खबर चकोर जी नजर ।
सयदहय् - ्यत्रय िीघट , प्रवयहम्ी हषट , दवषयि । लेखन, सांपयिन सहृु ि दवद्वतजन ।
बयबय चकोर अथक पररश्रमी महयन इांसयन । दवचयरक लोके श अदत कृपय गणेश ।
अांग - सपूत दहांिी अांदगकय सेतु िेवधय-सतु । स्व. नरेश पयण्डे् अांगियषी श्रर्द्े् । अांत मां ं॑ अांदगकय आरो दहांिी के कदव,उपन््यसकयर,नयटककयर,अनवु यिक आरो समीिक डॉ.नरेश पयण्डे् चकोर के दिवांगत आयमय कं॑ दचरसयदन्त दमल ं॑ ्ह ं॑ परमदपतय परमययमय स ं॑ हमरऽ प्रयथट नय छै । ्ही सब्िऽ सयथें श्रर्द्यांजदल स्वरूप हुनकय श्रर्द्यियवसमु न अदपट त करै छी । 92
अंि माधुरी ( बर्ष : ४७, अंक : ०१ - ०२, दिसंबर - २०१५ - जनवरी - २०१६)