अंग माधुरी, बर्ष-४७, अंक-१ - २

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डॉ. चकोर स ं॑ सांबदां धत कुछ दहांिी तयांकय प्रस्ततु छै ; अांग मयधरु ी चकोर - पहचयन जयने जहयन । सतत् सांपयिन करूाँ अदिनांिन ।

चयाँि - चकोर तो सयदहय् -चकोर सयदहय्नरु यगी । जैसे मेघ से मोर वैसे सयदहय्-चकोर ।

बहुआ्यमी चकोर कय व्दियव व्ि कृदतयव । अध्​्​्नशीलतय दवनम्र - कमट ठतय ।

न कपट - बैर समयन समयिर दमलनसयर । कदव-गोष्ठी खबर चकोर जी नजर ।

सयदहय् - ्यत्रय िीघट , प्रवयहम्ी हषट , दवषयि । लेखन, सांपयिन सहृु ि दवद्वतजन ।

बयबय चकोर अथक पररश्रमी महयन इांसयन । दवचयरक लोके श अदत कृपय गणेश ।

अांग - सपूत दहांिी अांदगकय सेतु िेवधय-सतु । स्व. नरेश पयण्डे् अांगियषी श्रर्द्े् । अांत मां ं॑ अांदगकय आरो दहांिी के कदव,उपन्​्यसकयर,नयटककयर,अनवु यिक आरो समीिक डॉ.नरेश पयण्डे् चकोर के दिवांगत आयमय कं॑ दचरसयदन्त दमल ं॑ ्ह ं॑ परमदपतय परमययमय स ं॑ हमरऽ प्रयथट नय छै । ्ही सब्िऽ सयथें श्रर्द्यांजदल स्वरूप हुनकय श्रर्द्यियवसमु न अदपट त करै छी । 92

अंि माधुरी ( बर्ष : ४७, अंक : ०१ - ०२, दिसंबर - २०१५ - जनवरी - २०१६)


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