परिचय कहते हैं कि मंजि़ल की ओर बढ़ने के लिए पहली शुरूआत एक छोटे से कदम के साथ होती है। वटवृक्ष भी पूरी तरह से विकसित होने से पूर्व एक नन्हा सा अंकुर बनकर ही माटी की छाती चीरकर निकलता है और कालांतर में सघन होता जाता है। हर बड़े दरिया का उद्गम किसी पहाड़ी से टपटप कर बहती नन्हीं बंदू से ही होता
किं तु कुमार एं ड कंपनी की बुनियाद ही कुछ हटकर करने के लिए रखी गई थी।
है। इस अनंत ब्रह्मांड की व्युत्पत्ति का श्रेय भी वैज्ञानिक शोधानुसार एक अति
और इसी का निर्वाह करते हु ए दादाजी ने एक नवीन तथा क्रांतिकारी फार्मूले की
सूक्ष्म कण “हिग्स बोसोन” अथवा “ईश्वरीय कण” को ही जाता है। हर सफलता
ईजाद की और उसे नाम दिया गया ‘‘आपले घर मोफत बांधून देनार’’। इसके
के मूल में पहला कदम एक छोटी सी शुरूआत भर होता है।
तहत पुराने घर तथा खाली पड़ी ज़मीनें उनके मालिकों से 20 साल की लीज़ पर ली गई और वहां निर्माण कुमार एं ड कंपनी ने किया। निर्मित होने के बाद उस
उन्होंने अपनी दूरदृष्टि तथा निर्माण व्यवसाय की बारीकियों पर पैनी नज़र के बल पर कुमार प्रॉपर्टीज़ को अतुलनीय विस्तार दिया।
सृष्टि के आरं भ से लेकर वर्तमान समय तक इतिहास के पन्ने उलट कर देखने पर
जगह बनाए जाने वाले घरों तथा दुकानों को कुमार एं ड कंपनी ने किराए पर देना
हम पाएं गे कि हर उद्यम का उद्गम अत्यंत साधारण रहा है। कारों को लोकोपयोगी
शुरू किया। उस दौरान नानापेठ, गणेशपेठ, तुलशीबाग आदि क्षेत्रों में इस स्कीम
बनाने एवं सुलभ करने वाले हेनरी फोर्ड ने अपना पहला गैसोलीन इंजिन अपने
के तहत कई निर्माण हु ए। कंपनी को इसका ज़बर्दस्त प्रतिसाद मिला और शीघ्र
पिता के फार्म हाउस पर बने एक छोटे से झोपड़े में बनाया था लेकिन इन्हीं की
ही पुणव े ासियों के बीच हमारी पैठ बनने लगी। स्व. केसरीमल जी ओसवाल ने जो
कम्पनी ने अमेरिका सहित पूरे विश्व के कार बाज़ारों में क्रांति ला दी थी। मानव
बुनियाद रखी थी उस पर कुमार प्रॉपर्टीज़ की बुलंद इमारत खड़ी करने का श्रेय
इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक, कम्प्यूटर बनाने वाली
जाता है मेरे पिताजी तथा हमारे प्रेरणा-पुंज स्व. श्री विमलकुमार जैन को। उन्होंने
विश्वविख्यात कंपनी एप्पल के सहस्थापक स्टीव जॉब्स ने अपना पहला पर्सनल
अपनी दूरदृष्टि तथा निर्माण व्यवसाय की बारीकियों पर पैनी नज़र के बल पर
कम्प्यूटर एक सहयोगी के साथ अपने पिता के गैरेज में असेंबल किया था लेकिन
कुमार प्रॉपर्टीज़ को अतुलनीय विस्तार दिया। उन्हीं के स्थापित किए हु ए मानदण्डों
आज एप्पल इस क्षेत्र की सर्वश्ष्ठ रे कंपनियों में से एक है। ऐसे अनेकानेक उदाहरण
की बदौलत आज कुमार प्रॉपर्टीज़ का हर प्रोजेक्ट गुणवत्ता, ग्राहक संतष्ु टि व
हैं जहां पर आप पाएं गे कि कुछ कर गुज़रने की सोच लिए हु ए सीमित संसाधनों
भरोसे का पर्याय है। हमारी और पुणे शहर की विकासगाथा समानांतर ही चलती
के साथ किं तु लक्ष्य साधकर ओर उसे पाने के लिए प्रबल पुरुषार्थ कर कैसे
रही। हमारी कंपनी ने शहर की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हु ए जब, जैसे और
उद्यमियों ने सफलता की नई इबारतें गढ़ी हैं।
जहां आवश्यक था, वहां अपने प्रोजेक्ट्स प्रारं भ किए। इसकी परिणति यह हु ई कि जहां-जहां हमने प्रोजेक्ट्स चालू किए, उस क्षेत्र की समृद्धि और विस्तार सुनिश्चित
ऐसा ही एक छोटा सा किं तु दृढ़ कदम था कुमार प्रॉपर्टीज़ की स्थापना। आज से
होता गया।
तकरीबन पांच दशक पूर्व जब पूरा देश आज़ादी की 20 वीं सालगिरह का जश्न मना रहा था, उस दिन यानि, 15 अगस्त 1966 को कुमार एं ड कंपनी के नाम से
मात्र 100 स्क्वायर फीट के एक छोटे से कार्यालय से प्रारं भ हु ई कुमार एं ड कंपनी
मेरे दादाजी स्व. केसरीमल जी जैन ने एक यात्रा प्रारं भ की थी। पुराने पुणे के
आधुनिक पुणे के अग्रगण्य निर्माताओं में से एक कुमार प्रॉपर्टीज़ के रूप में आज
महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध महात्मा गांधी मार्ग से सटकर लगी एक छोटी सी सड़क
अवस्थित है और अब तक 180 लाख स्क्वायर फीट जगह का निर्माण कर चुकी
केदारी रोड में पहला कार्यालय ख़ुला और यहीं पर हमारा निवास भी था। यह वह
है। मज़रूह सुल्तानपुरी का एक बहु त ही प्रसिद्ध शेर है, ‘‘मैं अकेला ही चला था
समय था जब 1961 में पानशेत बांध के टू ट जाने से पूरी तरह से तबाह हो चुका
जानिबे मंजि़ल मगर, लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया’’, इसी की एक
शहर पुनः स्थापित होने का प्रयास कर रहा था और सुनियोजित निर्माण उद्योग भी
बानगी है लगभग दो हज़ार कर्मियों और लगभग 30 हज़ार संतष्ट ु ग्राहकों से
अपने पैर पसारने लगा था। इस तबाही का एक सकारात्मक पक्ष यह था कि इसने
समृद्ध कुमार परिवार। इस स्मारिका में उनसे जुड़े कई लोगों से चर्चा कर उनकी
पुणे शहर के नवनिर्माण की भी नींव रखी थी। बिल्डरों और डेवलपरों ने नया-नया
यादों को जीवंत करने का प्रयास किया गया है।
इस क्षेत्र में कदम रखा ही था और धीरे -धीरे लोगों का रुझान अपार्टमेंट लिविंग की तरफ हो रहा था।
रजस वि. जैन